नई दिल्लीः क्रिकेट की दुनिया में अपना स्थान बनाए रखना ही आसान नहीं है और अगर आप अपने स्थान पर दूसरों को खेलने का मौका दे देते हैं तो आपसे महान और कोई हो ही नहीं सकता। सौरव गांगुली को भारतीय क्रिकेट के महानतम कप्तान में यूं ही नहीं गिना जाता। उन्होंने ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई-कई बार किया। पिछले दिनों क्रिकेट समीक्षक बोरिया मजूमदार की किताब के विमोचन के मौके पर वीरेंद्र सहवाग ने ऐसा ही खुलासा किया।
मजूमदार ने वीरू से पूछा था कि गांगुली की वे इतनी तारीफ क्यों करते हैं? वीरू ने अपने स्पष्टवादी अंदाज में इसका सीधा जवाब दिया। सहवाग ने बताया कि जब वे वन डे क्रिकेट खेल रहे थे तो कहा जाता था कि वे टेस्ट में नहीं खेल सकते। उन्हें भी ऐसा ही लगने लगा था लेकिन सौरव जब कप्तान थे तो उन्होंने वीरू से टेस्ट क्रिकेट खेलने को कहा। वीरू ने कहा कि अगर मैं फेल रहा तो आप मुझे टीम से बाहर कर देंगे।
इस पर सौरव ने उनसे कहा कि नहीं वे उन्हें पूरा मौका देंगे लेकिन टेस्ट में ओपन करना होगा। वीरू ने कहा कि आप द्रविड, सचिन या लक्ष्मण को कहिए। वे रेगुलर खेल रहे हैं लेकिन सौरव ने कहा कि टीम में तभी लूंगा जब ओपन करोगे। सौरव ने यह भी वायदा किया कि यदि वे ओपनिंग में फेल रहे तो मिडिल आर्डर में वे अपनी जगह उन्हें मौका देंगे। तब जाकर वीरू तैयार हो गए और लार्ड्स में पहले ही टेस्ट में 84 रन बनाए। इसके बाद तो सब कुछ इतिहास है। वीरू ने टेस्ट क्रिकेट में न जाने कितने डबल व ट्रिपल सेंचुरी मारी।
वीरू ने बताया कि इसी तरह सौरव ने धोनी के लिए भी अपनी जगह छोड़ी थी। धोनी अच्छा खेल रहे थे लेकिन ऊपर मौका नहीं मिल पा रहा था। तब गांगुली ने अपने से पहले धोनी को उतारा और उन्होंने मौके का फायदा उठाते हुए शानदार बल्लेबाजी की। बाकी तो सब जानते हैं कि धोनी कैसे भारत के महानतम कप्तान बल्लेबाज बने।
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