सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यूपी सरकार ने साफ किया
नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि 'मुजफ्फरनगर द बर्निंग लव’ फिल्म पर प्रदेश के किसी भी जिले में कोई प्रतिबंध नहीं है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार ने यह दावा किया। यह खंडपीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें आरोप लगाया गया है कि मुजफ्फरनगर, मेरठ, शामली, सहारनपुर, बागपत और गाजियाबाद जिलों में यह फिल्म प्रर्दिशत नहीं करने के प्राधिकारियों के मौखिक निर्देश हैं।
'मुजफ्फरनगर द बर्निंग लव’ उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों की पृष्ठभूमि में एक हिन्दू लड़के और मुस्लिम लड़की की प्रेम कथा पर आधारित है । पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अधिवक्ता संजय कुमार त्यागी के इस कथन को सुनने के बाद फिल्म की निर्माता कंपनी मोरना एंटरटेनमेन्ट प्रा लि की याचिका का निस्तारण कर दिया। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में राज्य सरकार के वकील का यह कथन दर्ज किया कि प्राधिकारियों ने फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने के बारे में कोई आदेश नहीं दिया है और आज भी सिनेमाघरों में फिल्म दिखाई जा रही है। पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुये कहा कि यदि फिल्म निर्माता और वितरक को फिल्म प्रदर्शन के लिये पुलिस की मदद की आवश्यकता होगी तो यह उन्हें मुहैया करायी जायेगी। फिल्म निर्माता कंपनी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि इन जिलों में प्राधिकारियों ने गैरकानूनी और अधिकृत किये बगैर ही सिनेमाघरों को फिल्म का प्रदर्शन नहीं करने की चेतावनी दी थी। यह फिल्म 17 नवंबर को प्रर्दिशत होने वाली थी।
इस फिल्म को मुजफ्फरनगर के सिनेमाघरों ने भी रिलीज करने से इंकार कर दिया था। उन्हें आशंका है कि उनके खिलाफ प्रदर्शन हो सकता है।
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