अब फिर वे मैदान में नजर आ रही हैं तो इसके कई तरह से विश्लेषण किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि हाईकमान से अनुराधा को इशारा मिल चुका है कि वे सक्रिय रहें और पार्टी उनके बारे में गंभीरता से सोच रही है। कहा जा रहा है कि केंद्र में अनुराधा ने अपनी घुसपैठ बनाई है और अब कुछ समर्थक उनके भी पैदा हो गए हैं पार्टी में। कैराना के सांसद बाबू हुकुम सिंह के स्वास्थ्य को लेकर दिक्कतें चल ही रही हैं। 85 साल पार कर चुके हुकुम सिंह स्वस्थ भी रहे तो चुनाव नहीं लड़ेंगे। वे पहले ही कह चुके हैं कि यह उनका आखरी चुनाव है। वे अपनी विरासत बेटी मृगांका सिंह को हस्तांतरित करना चाहते हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में मृगांका को कैराना सीट पर करारी हार झेलनी पड़ी। ऐसे में वे लोकसभा टिकट की भी प्रबल दावेदार बन पाएंगी इसमें संदेह है। कैराना में भाजपा को नए चेहरे की तलाश होगी। अनुराधा कैराना से 2004 में (रालोद-सपा) सांसद रह चुकी हैं। पर सवाल यह है कि क्या अनुराधा कैराना से लड़ना चाहेंगी? अनुराधा के करीबियों का कहना है कि उनकी इच्छा मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ने की है। पर यहां पहले से संजीव बालियान के रूप में एक चेहरा भाजपा के पास है। हालांकि संजीव बालियान बतौर सांसद अपनी छाप छोड़ने में विफल रहे हैं लेकिन फिर भी वे वर्तमान सांसद हैं और पहला हक उनका ही बनेगा टिकट पर। ऐसे में अनुराधा के लिए यह तय करना बहुत कठिन होगा कि वे कहां से चुनाव लड़ें। लेकिन इतना तय है कि वे सक्रिय हो चुकी हैं और उन्हें हाईकमान में बैठे बड़े नामों से सहमति भी मिल चुकी है।
अनुराधा लगातार सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय हैं। तमाम भाजपा नेता उनके घर पर हाजिरी लगाते नजर आ रहे हैं। इनमें पूर्व जिलाध्यक्ष व जिला महामंत्री जैसे लोग भी हैं। कई भाजपा सभासद तो लगातार अनुराधा कैंप से जुड़ रहे हैं। यानी अंबा विहार में मौजूद अनुराधा की कोठी पर फिर से बहार आ रही है।
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