आलम के साथ पिछले लोकसभा चुनाव से पहले सांप्रदायिक होने का टैग जुड़ गया था। 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे में उनकी भूमिका को लेकर सवाल उठते रहे हैं। 2012 में उनके बेटे नवाजिश आलम बुढ़ाना से सपा विधायक बने थे लेकिन पांच साल पूरे होने से पहले ही उन्होंने बसपा में जुगाड़ भिड़ाना शुरू कर दिया था। बाद में नवाजिश ने मीरापुर से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए थे। अब ऐसे में बाप बेटा न सपा के रहे न बसपा के। अब उनके सामने रालोद में ही जाने का चारा बचा था। देखना यह है कि बसपा, भाजपा व सपा कैसे उनकी कैराना में किलेबंदी करते हैं।
अमीर आलम का राजनीतिक सफर - 1985 में लोकदल के टिकट पर थानाभवन से विधायक
- 1989 में जनता दल से मोरना क्षेत्र से विधायक
- 1991 में मुलायम सिंह यादव की सरकार में परिवहन राज्य मंत्री बने
- 1996 में सपा के टिकट पर थानाभवन से विधायक बने
- 1999 में रालोद प्रत्याशी के रूप में कैराना से सांसद बने
- 2006 में सपा की ओर से राज्य सभा सदस्य बनाए गए
अमीर आलम का राजनीतिक सफर - 1985 में लोकदल के टिकट पर थानाभवन से विधायक
- 1989 में जनता दल से मोरना क्षेत्र से विधायक
- 1991 में मुलायम सिंह यादव की सरकार में परिवहन राज्य मंत्री बने
- 1996 में सपा के टिकट पर थानाभवन से विधायक बने
- 1999 में रालोद प्रत्याशी के रूप में कैराना से सांसद बने
- 2006 में सपा की ओर से राज्य सभा सदस्य बनाए गए
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