Monday, 6 July 2015

Full Story: जनमत संग्रह में जीती यूनान की सरकार, वित्तमंत्री का इस्तीफा

एथेंस: यूनान के लोगों ने बहुप्रतीक्षित जनमत संग्रह में अपनी सरकार का साथ देते हुए यूरोपीय ऋणदाताओं की शर्तों को मानने से आज इनकार कर दिया। वहीं जनमत संग्रह का परिणाम आने के बाद देश के वित्तमंत्री यानिस वरूफाकिस ने इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे को प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिपरस द्वारा अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं को राहत के रूप में देखा जा रहा है।
वित्तमंत्री ने इस्तीफा देने की यह हैरान करने वाली घोषणा ऐसे समय में की है जबकि यूरोपीय संघ के नेता जनमत संग्रह पर अपनी प्रतिक्रिया की तैयारी कर रहे हैं। यूनान के अधिकांश मतदाताओं ने इस ऐतिहासिक जनमत संग्रह में राहत पैकेज के बदले और मितव्ययी कदमों के खिलाफ जाते हुए नहीं का विकल्प चुना। इस जनमत संग्रह के कारण यूनान को यूरो क्षेत्र से निकलना पड़ सकता है।
बीते कुछ महीनों में राहत पैकेज संबंधी वार्ताओं में प्राय: वार्ताकारों से उलझने वाले वरूफाकिस ने अपने ब्लाग पर लिखा है- जनमत संग्रह के परिणामों के तुरंत बाद ही मुझे पता चला कि यूरोग्रुप के कुछ भागीदार तथा चयनित भागीदार नहीं चाहते थे कि मैं इसकी बैठकों में रहूं। उन्होंने कहा है- मैं आज वित्त मंत्रालय छोड़ रहा हूं। मुखर माने जाने वाले वारूफाकिस के इस्तीफे के घोषणा के बाद यूरो में तेजी देखने को मिली। उनके इस्तीफे से यह उम्मीद फिर बंधी है कि ईसीबी (यूरोपीय केंद्रीय बैंक), ईसी (यूरोपीय आयोग) व आईएमएफ (मुद्राकोष) जैसे ऋणदाताओं को एक बार फिर बातचीत की मेज पर लाया जा सकेगा भले ही यूनान की जनता ने उनकी मांगों को खारिज कर दिया हो।
जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल की फ्रांसीसी नेता फांस्वा ओलोंद के साथ पेरिस में बैठक होनी है जिसमें जनमत संग्रह के असर पर चर्चा होगी। इस तरह की कई और बैठकें भी होनी हैं। जनमत संग्रह को यूनान के प्रधानमंत्री सिपरस के लिए बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। यूरोपीय संघ के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने कहा है कि यूरोक्षेत्र आपात शिखर बैठक कल होगी। सूत्रों के अनुसार यूरोपीय आयोग के प्रमुख ज्यां क्लाउद जंकर ने आज सुबह यूरोपीय केंद्रीय बैंक के प्रमुख मारियो दराघी व यूरोग्रुप के प्रमुख जेरोइन दिजसेल्बलोएम से फोन पर बात की।  इस बीच जर्मन व फ्रांस के वित्तमंत्रियों की बैठक वारसा में होने जा रही है जबकि प्रमुख वित्तीय अधिकारियों के यूरो कार्य समूह की बैठक ब्रसेल्स में होनी है। यूनान के जनमत संग्रह में 62.5 प्रतिशत वोट पड़े जिनमें से 61.31 प्रतिशत मतदाताओं ने नहीं जबकि 38.69 प्रतिशत मतदाताओं ने हां के पक्ष में मतदान किया।

यूनान में विपक्ष के नेता ने इस्तीफा दिया

यूनान के रूढिवादी विपक्ष के नेता एंतोनी समारास ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा ऐसे समय दिया गया है जबकि देश गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है। न्यू डेमोक्रेसी के प्रमुख व पूर्व प्रधानमंत्री समारास ने कल एक टेलीविजन संदेश में यह घोषाणा की। उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि हमारे महान आंदोलन को एक नई शुरुआत की जरूरत है। मैं आज से नेतृत्व से इस्तीफा दे रहा हूं। उल्लेखनीय है कि जनवरी में राष्ट्रीय चुनावों में पार्टी की हार के समय भी उनके इस्तीफे की मांग उठी थी। वैसे उनका कार्यकाल 2016 में समाप्त होना था।

यूरो क्षेत्र की शिखर बैठक कल

ब्रसेल्स: यूनान के जनमत संग्रह के परिणाम से उत्पन्न स्थिति पर विचार के लिए यूरोप की साझा मुद्रा यूरो अपनाने वाले देशों की कल एक शिखर बैठक होने जा रही है। यह बैठक जर्मनी और फ्रांस के नेताओं के बुलावे पर हो रही है। यह जानकारी यूरोपीय संघ के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने दी। टस्क ने ट्विटर पर कहा कि मैंने मंगलवार को शाम छह बजे (भारतीय समयानुसार रात साढे आठ बजे) यूरोशिखर बैठक बुलाई है जिसमें यूनान के जनमत संग्रह पर विचार किया जाएगा। यूरो समूह के प्रमुख जेरोएन डेजेलबोएम के प्रवक्ता माइकल रेइन्स ने कहा कि इस शिखर बैठक से पहले यूरो क्षेत्र के देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक होगी। इससे पहले जर्मनी की चांसलर एंजेला मॉर्केल ने यूनान के जनमत संग्रह के परिणाम पर फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलोंद से कल फोन पर चर्चा की थी। जर्मनी की सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई की वहां के मतदाताओं के इनकार का सम्मान किया जाना चाहिए। प्रवक्ता ने बताया कि दोनों नेताओं की राय बनी कि स्थिति पर विचार के लिए यूरोक्षेत्र की शिखर बैठक बुलाई जाए। फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि दोनों ने इसके लिए यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क को एक ही प्रकार का पत्र भेजा है। सूत्रों के अनुसार ओलोंद ने कल शाम यूनान के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिपरस, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ज्यां क्लाड जंकर, यूरोपीय संसद के प्रमुख मार्टिन शुल्ज और टस्क से भी बात की।

भारत सुरक्षित, विदेशी निवेश निकला तो रुपये पर पड़ सकता है असर

नई दिल्ली: यूनान के मतदाताओं द्वारा ऋणदाताओं के राहत पैकेज के प्रस्ताव को खारिज किए जाने के बाद बाजारों में डर के बीच सरकार ने आज कहा कि भारत इस संकट से भली भांति सुरक्षित है लेकिन विदेशी निवेश की निकासी हुई तो रुपये पर असर पड़ सकता है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमणियम ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह एक नाटक है जो अभी कुछ समय तक चलेगा। हम कम से कम तीन तरीकों से बहुत अच्छी तरह से सुरक्षित हैं। हमारी वृहद आर्थिक स्थिति काफी मजबूत है। हमारे पास विदेशी मुद्रा भंडार है। हमारी अर्थव्यवस्था अब भी निवेश का एक आकर्षक स्थान है। इसलिए मेरी राय में हम भली भांति बचे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक संकट का सवाल है तो यह लंबा और दीर्घकाल तक चलेगा। जर्मन व फ्रांस के राष्ट्र प्रमुखों की कल बड़ी बैठक होने वाली है। देखते हैं, अब यूरोप की प्रतिक्रिया क्या है। इस संकट के भारतीय अर्थव्यवस्था पर संभावित असर के बारे में उन्होंने कहा कि इस तरह के हालात में आमतौर पर डालर, सुरक्षित गंतव्यों की ओर जाता है। इसका असर रुपये पर भी पड़ सकता है। लेकिन अभी तक कुछ भी असामान्य नहीं है। सुब्रमणियम ने कहा कि संकट के सामने आने के साथ ही वित्तीय बाजारों में उतार चढाव होने वाला है। ईसीबी व फेड को इस पर ध्यान देना होगा। वहीं वित्त सचिव राजीव महर्षि ने कहा कि सरकार हालात पर करीबी निगाह रखे हुए है क्योंकि भारत पर अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि हमें देखना होगा कि अब यूरो का रुख क्या रहता है। हम यूनान के हालात पर करीबी निगाह रखे हैं। फेड (बैंक) की ब्याज दर बढोतरी पर कुछ असर हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत पर कुछ अप्रत्यक्ष रूप से असर हो सकता है। महर्षि ने अपनी इस टिप्पणी की व्याख्या नहीं की। वाणिज्य सचिव राजीव खेर ने कुछ दिन पहले कहा था कि यदि यूनान संकट से यूरोपीय संघ प्रभावित हुआ तो भारत के निर्यात पर असर हो सकता है। पर उन्होंने भी यूनान का भारत पर सीधा असर होने की संभावना से इनकार किया था।






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