नई दिल्लीः प्रधानमंत्री
श्री नरेन्द्र
मोदी ने टैक्नोलॉजी
को ''खोजने, सीखने,
विकसित करने
और कार्यान्वयन''
के जरिए के
रूप में वर्णन
किया है। उन्होंने
डिजिटल
डायलॉग के
दौरान अपने
विचार साझा
किये, जिसमें
हमने उनके साथ
टैक्नोलॉजी
पर व्यापक
चर्चा की।
टैक्नोलॉजी
पर अन्य
विचार
''इसमें
(टैक्नोलॉजी)
3एस-रफ्तार,
सरलता और सेवा
शामिल है। टैक्नोलॉजी
तेज है, टैक्नोलॉजी
सरल है और
टैक्नोलॉजी
लोगों को सेवा
प्रदान करने का
बेहतरीन
जरिया है। ये
एक कुशल शिक्षक
भी है। जितना
अधिक हम टैक्नोलॉजी
के बारे में
सीखते हैं और
जितना अधिक हम
टैक्नोलॉजी
के जरिए सीखते
हैं, वह बेहतर
है।''
'' टैक्नोलॉजी
कम सशक्त
लोगों को सशक्त
करती है। सीमांत
लोगों के जीवन
में बदलाव
लाने में, अगर
कोई मजबूत बल
है, तो वह है
टैक्नोलॉजी।''
डिजिटल
इंडिया पहल पर
उन्होंने
कहा
''डिजिटल
इंडिया के
सपने को साकार
करने में पूरा
राष्ट्र
एकजुट है।
युवा उत्साही
हैं, उद्योग
जगत सहायक है
और सरकार अति
सक्रिय है। देश
डिजिटल
क्रांति के
लिए लालायित
है।''
''डिजिटल
इंडिया की ओर
उद्योग जगत
द्वारा निवेश
की
प्रतिबद्धता
से उनके
आशावादी होने
का पता चलता
है और इसका
सकारात्मक
असर पीढि़यों
तक महसूस किया
जाएगा। सबसे अधिक
ध्यान देने
वाली बात यह
है कि हमारे
लोगों के लिए
रोजगार के कई अवसर
पैदा होंगे।''
सोशल
मीडिया पर प्रधानमंत्री
के विचार
''भविष्य
सोशल मीडिया
का होगा। यह
समानाधिकारयुक्त
और मिला-जुला
है। सोशल
मीडिया किसी
देश, किसी
भाषा, किसी
रंग, किसी
समुदाय के
बारे में नही है,
बल्कि यह मानव
मूल्यों के
बारे में है
और यही मानवता
को बांधने का
मौलिक संधि
है।''
मोबाइल
गवर्नेंस पर
प्रधानमंत्री
के विचार
''एम-गवर्नेंस
ने शासन को सशक्त
बनाया है। इसमें
विकास को असल
में समेकित
बनाने और व्यापक
जन आंदोलन की
संभावना है।
इसने शासन को
प्रत्येक की
पहुंच में ला
दिया है। इसने
शासन को चौबीस
घंटे सातों
दिन आपकी
पहुंच में ला
दिया है।
शुरूआतों पर
''शुरूआत
शानदार वृद्धि
और नवाचार की
शक्ति की
अभिव्यक्ति
का इंजन होते
हैं। जो नवाचार
की शक्ति की
अभिव्यक्ति
है। आज की कई बड़ी
कंपनियां कल
की शुरूआती
दौर में थीं।''
''हम भारत
को नवाचार के केन्द्र
के रूप में उभरता
हुआ देखना
चाहते हैं,
जहां टेक्नोलॉजी
से संचालित
नये बड़े
विचारों का
आविर्भव हो।''
शनिवार
04 जुलाई को
प्रधानमंत्री
श्री नरेन्द्र
मोदी ने ट्वीट
किया कि वे टेक्नोलॉजी
उत्साहियों
के साथ डिजिटल
डायलॉग
करेंगे। उन्होंने
लोगों से उनके
विचार #डिजिटल
डायलॉग पर
साझा करने की अपील
की। उनके ट्वीट
पर असाधारण
प्रतिक्रिया
मिली। कई ट्वीट्स
और पोस्ट साझा
किये गए। साथ
ही टेक्नोलॉजी
और डिजिटल
इंडिया पर पहली
हुई 'मन की बात' कार्यक्रम
के पत्रों का
जिक्र भी किया
गया।
डायलॉग
का मूल पाठ –
प्रश्न-1
सोशल मीडिया
के सभी मंचों
(ट्वीटर, फेसबुक,
लिंक्ड-इन) पर
सबसे सामान्य
प्रश्न-
डिजिटल
इंडिया सप्ताह
के शुरूआत के
बाद से लोगों
की
प्रतिक्रिया
क्या उत्साहजनक
और आपकी उम्मीद
के अनुरूप है?
डिजिटल
इंडिया के
सपने को साकार
करने के लिए पूरा
राष्ट्
एकजुट है। युवा
उत्साहित
हैं, उद्योग
जगत का सहयोग
है और सरकार
भी अति सक्रिय
है। भारत
डिजिटल
क्रांति का इच्छुक
है।
डिजिटल
इंडिया के
शुभारम्भ के
समय उत्साह अविश्वसनीय
और अप्रत्याशित
था।
उद्योग जगत
द्वारा निवेश
की
प्रतिबद्धता से
पता चलता है
कि वे डिजिटल
इंडिया के
प्रति आशावान
है और इसका सकारात्मक
प्रभाव पीढि़यों
तक महसूस किया
जाएगी। मुख्य
रूप से हमारे लोगों
के लिए रोजगार
के कई अवसर
पैदा होंगे।
इससे
पहले, कभी भी इतने
बड़े पैमाने
पर कोई योजना
नहीं बनी है।
मैं कहना
चाहता हूं कि
यह सपना केवल केन्द्र
सरकार या निजी
क्षेत्र द्वारा
ही पूरा नहीं किया
जाएगा। प्रत्येक
(केन्द्र,
राज्य
सरकारें, संगठनों,
कारपोरेट जगत,
लोगों) को
मिलकर डिजिटल
इंडिया के लिए
काम करना
होगा।
कई
लोगों ने मुझे
लिखा है कि
डिजिटल इंडिया
किस तरह से
उनके जीवन को
प्रभावित
करेगा। उन्होंने
राष्ट्रीय
से पंचायत स्तर
तक की-नागरिक
केन्द्रित
सेवाओं के
बारे में अपने
विचार साझा
किए। @rishBagree ने कुड़ा-कचरा
के प्रबंधन पर
एक एप के बारे
में बताया। @rangats
और @kumawatraj ने सार्वजनिक
वितरण
प्रणाली में
सुधार और
इलेक्ट्रोनिक
राशन कार्ड के
बारे में बात
की।
मैं
सबको बताना
चाहता हूं कि
डिजिटल इंडिया
की हमारी तलाश
व्यापक है। यह
कई तरीके से
हमारे जीवन को
छूएगी और इसे
आसान बनाएगी। उदाहरण
के लिए डिजिटल
लॉकर और ई-हस्ताक्षर
से सभी महत्वपूर्ण
दस्तावेजों
को आसानी और
कुशलता से व्यवस्थित
किया जाएगा। एक
क्लिक से दस्तावेजों
को आसानी से
देखा जा
सकेगा। स्वास्थ्य
सुविधाओं को
लें, ई-अस्पताल
का मतलब लाइन
में खड़े होकर
समय व्यर्थ
करने की जरूरत
नहीं, बल्कि मिलने
के समय के लिए
ऑन लाइन पंजीकरण,
ऑन लाइन भुगतान
और आन लाइन रिपोर्ट
उपलब्ध
होगी। @microrao ने
मुझ से ऑन
लाइन पोर्टल
के बारे में
पूछा, जहां दवाइयों
के मूल्यों
तथा उपलब्धतता
के बारे में जानकारी
हो। उन्हें
यह जानकार
खुशी होगी कि इस
पर DeitY सक्रियता
से काम कार्य
कर रहा है। नेशनल
स्कॉलरशिप
पोर्टल
द्वारा एकल
आवेदन के तहत सभी
छात्रवृत्ति
योजनाओं एक
साथ लाया गया
है। इस तरह सही
छा्वृत्ति की
तालाश, कई
आवेदनों को
भरने और उनकी
प्रगति के
बारे में
जानने के लिए
एक सुविधाजनक
मंच होगा।
इन
पहलों को
मजबूती तब
मिलेगी, जब
इनका अधिक से
अधिक उपयोग किया
जाएगा। इनके ज्यादा
से ज्यादा
उपयोग से इन
प्रयासों को
परिपक्व और विश्वस्तरीय
बनाने में मदद
मिलेगी। इसलिए
मैं सबसे
आग्रह करता
हूं कि वे
अधिक से अधिक
इन नवाचार
सेवाओं का
उपयोग करें। उदाहरण
के लिए आप
अपने कर्मचारियों
का वेतन अपने मोबाइल
से उनके जनधन
खाते में जमा
करा सकते हैं।
इसी प्रकार इन
सेवाओं का
अधिक से अधिक
कई तरीके से
उपयोग किया जा
सकता है।
प्रश्न-2
@BGMahesh (बीजी-महेश) ने
पूछा- आपकी
तकनीकी
दिनचर्या क्या
है? टैक्नोलॉजी
किस तरह से
आपके जीवन का
अंग है?
यह
सवाल बहुत से
लोग मुझसे
पूछते हैं, जब
मैं उनसे
मिलता हूं। वे
मुझसे टैक्नोलॉजी
के बारे में
पूछते हैं, कौन
सा मोबाइल फोन
मैं इस्तेमाल
करता हूं और
मैं कितनी बार
अपनी मेल चैक
करता हूं।
मेरे
लिए टैक्नोलॉजी-
खोज, सीख,
विकास और
कार्यान्वयन
है।
इसमें
(टैक्नोलॉजी)
3एस-रफ्तार,
सरलता और सेवा
शामिल है। टैक्नोलॉजी
तेज है, टैक्नोलॉजी
सरल है और
टैक्नोलॉजी
लोगों को सेवा
प्रदान करने
का बेहतरीन
जरिया है। ये
एक कुशल
शिक्षक भी है।
जितना अधिक हम
टैक्नोलॉजी
के बारे में
सीखते हैं और
जितना अधिक हम
टैक्नोलॉजी
के जरिए सीखते
हैं, वह बेहतर
है।
टैक्नोलॉजी
विश्व को उत्साहित
करती है। मैं
टैकनोलॉजी को
एक महासागर के
रूप में देखता
हूं, जिसकी एक
छोटी सी बूंद
को मैं छू
पाया हूं। बिल्कुल,
मैं नई टैक्नोलॉजी
के बारे में
अधिक से अधिक
जानना चाहता
हूं, लेकिन
मेरी व्यस्तता
के कारण यह
कठिन है।
आम जन
की सुविधा के
लिए अगर कुछ
होता है, तो
उसको जानन के
लिए मैं उत्सुक
रहता हूं और
इसलिए मैं
अधिक से अधिक
जानने की
कोशिश करता
हूं कि कैसे
टैक्नोलॉजी
लोगों के हित
में कार्य कर
सकती है। मैं
इसके बारे में
सोचता रहता
हूं और अधिक
से अधिक
जानकारी लेने
की कोशिश करता
हूं।
किसी
सामान्य व्यक्ति
की तरह मैं
अपनी मेल
देखता हूं और
नियमित
संपर्क (मेरे
अनुसार मैं
अभी भी धीमा
हूं) करने की
कोशिश करता
हूं। टैक्नोलॉजी
से सूचना बड़ी
तेजी से मिलती
है। मैं एक
बार में ही
समाचार पा
सकता हूं। चाहे
मैं पहाड़ों
की यात्रा कर
रहूं, या छत्तीसगढ़
के भीतरी
इलाकों के
पूर्वोत्तर
क्षेत्र में
रहूं, लेकिन
टैक्नोलॉजी
की मदद से क्या
चल रहा है,
इसके बारे में
पूरी जानकारी
मिल जाती है।
मैं
जब पार्टी का
कार्य कर रहा
था, तभी से
टैक्नोलॉजी
का उपयोग कर
रहा हूं। मुख्यमंत्री
के तौर पर
मैंने सरकार
के कामकाज में
टैक्नोलॉजी
को शामिल करने
के प्रयास
किये और दिल्ली
में भी मैं
यही प्रयास
करूंगा। कुछ
महीने पहले हमने
टैक्नोलॉजी
आधारित
बहुद्देशीय और
कई दृष्टि से
महत्वपूर्ण
मंच-प्रगति का
शुभारंभ किया,
जहां
परियोजनाओं
की निगरानी और
लोगों की
परेशानियों
का समाधान
किया जाता है।
प्रत्येक
महीने के
आखिरी बुधवार
को प्रगति
सत्र के दौरान
मैं वरिष्ठ
अधिकारियों
के साथ बैठक
करता हूं और
हम कई
क्षेत्रों में
आवश्यकताओं
पर चर्चा करते
हैं। हमने
देखा है कि
इससे कैसे
बदलाव आता है।
टैक्नोलॉजी
लोगों के जीवन
को बदल देती
है। प्रक्रियाओं
को सरल कर
गरीबी कम करने
से लेकर बेहतर
सेवाएं
प्रदान कर
भ्रष्टाचार
समाप्त करने
में टैक्नोलॉजी
विद्यमान है।
यह मानव
प्रगति के लिए
अकेला और सबसे
महत्वपूर्ण
उपकरण बन गया
है।
यहां
टैक्नोलॉजी
है। भविष्य
की टैक्नोलॉजी
मानवीकरण में
निहित है।
टैक्नोलॉजी
मानव भावनाओं,
वरीयताओं और
पसंद के आधार
पर दिन-ब-दिन
अपनाई जा रही
है। मेरे लिए
टैक्नोलॉजी
का मतलब हमारे
जीवन को जादूई
रूप से परिवर्तित
करने के लिए
बुद्धिमत्ता
से उपयोग करना
है।
प्रश्न-3 @रम्यावेणुगोपाल(
रम्या
वेणुगोपाल) ने
पूछा- आप @लिंक्डइन
पर जोशपूर्ण
फोलोइंग के
साथ सक्रिय
हैं, सोशल
मीडिया ने
कैसे आपको
लोगों के साथ जुड़ने
में मदद किया ?
भविष्य
सोशल मीडिया
का है। यह
समतावादी और
समावेशी है।
सोशल मीडिया
किसी देश ,
किसी भाषा , या
रंग तथा
समुदाय के
बारे में नहीं
है बल्कि मानव
मूल्यों के
बारे में है
जो मानवता को
जोड़े रखने का
माध्यम है।
एक बड़ा
उदाहरण #SelfiWith Daughter का
हाल के ट्रेंड
का है। मैंने
सोशल मीडिया
के माध्यम से
हरियाणा के एक
जिले में इस
पहल के बारे
में पढ़ा और
मैंने सोचा कि
इस विषय पर
मुझे मन की
बात में अपनी बात
जरूर कहनी
चाहिए। मैंने
माता-पिता से
कहा कि वह
सोशल मीडिया
पर बेटी के
साथ सेल्फी
साझा करें।
बाकी सब
इतिहास है।
पूरे विश्व
में और भारत
में यह ट्रेंड
बन गया । अफ्रीका
, यूरोप ,
अमेरिका ,
दक्षिण
एशियाई
पडो़सियों ने
अपनी बेटियों
के साथ सेल्फी
साझा किए हैं।
जब लोग सेल्फी
साझा करते हैं
तो वह प्रधानमंत्री
के आग्रह का
उत्तर नहीं
देते बल्कि हम
सबके लिए
महत्वपूर्ण
ध्येय के लिए
मानव-मानव को
जोड़ते हैं ।
योग दिवस के
दिन सोशल
मीडिया के
कारण विश्व यह
देख सका कि हर
जगह क्या हो
रहा है।
भौगोलिक दूरी
अप्रासांगिक
हो गई। इसी
तरह पहले की
मन की बात के
दौरान मैंने लोगों
से #
IncredibleIndia की
झलकियों को
साझा करने को
कहा और मुझे
लाखों जवाब
मिले।
वियतनाम के एक
व्यक्ति ने
भारत की अपनी
स्मृति को
साझा किया और
मुझे ट्वीटर
पर उस व्यक्ति
से बात करने
का मौका
मिला। जब एक
समूह ने
वाराणसी के
घाट की सफाई
करने का
निर्णय लिया
तो इससे पूरी
दुनिया में
लहर फैल गई।
यह किसी बात
का संकेत नहीं
देता तो फिर
और क्या?
सोशल मीडिया
पर रहने से
मुझे कई तरह
से लाभ हुआ
है। दिनभर
काम करने के
बाद मैं सोशल
मीडिया पर लाग
आन करता हूं
और इसे बहुत
ताजगी मिलती
है। मैं
फेसबुक ,
ट्वीटर , गुगल+,लिंक्डइन
तथा
इंस्टाग्राम
पर सक्रिय
हूं। इससे
मुझे जानकारी
मिलती है कि
लोगों की सोच
क्या है ? मुझे बहुत
फीडबैक मिलता
है। उदाहरण के
लिए किसी ने
मुझे ट्वीट
किया कि मैंने
अपने एक
संबोधन में
बहुत तेजी से
बोला। यह
हमारे व्यस्त
जीवन में
दपर्ण का काम
करता है।
मैं सोशल
मीडिया के
उपयोग में
पूरा विश्वास
रखता हूं।
इससे आम जन को
स्वर मिला
है। यह सशक्तीकरण
का एक मंच है
और इसका उपयोग
सकारात्मक और
सृजनात्मक
रूप में किया
जाना चाहिए।
तभी आप मीडियम
की शक्ति
समझते हैं और
एक बदलाव लाने
के योग्य होते
हैं।
प्रश्न-4-
आंध्र प्रदेश
के नारायण
रेड्डी ने लिखाः
यह लगता है कि
टेकनोलाजी उन
लोगों को सशक्त
बनाती है जो
पहले से सशक्त
हैं।
टेक्नोलाजी
कैसे हाशिए पर
खड़े लोगों की
जिंदगी बदल
सकती है?@रूपमजी(रूपम
घटक) पूछती
हैं- ग्रामीण
भारत में
इंटरनेट की
पहुंच बेहतर
होनी चाहिए,
कैसे डिजीटल
इंडिया इस
लक्ष्य को
हासिल कर
पाएगा?
टेक्नोलाजी
कम सशक्त
लोगों को
सशक्त बनाती है।
यदि कोई मजबूत
शक्ति हाशिए
पर खड़े लोगों
की जिंदगी में
बदलाव लाती है
तो वह
टेक्नोलाजी
है। यह लेवलर
और
स्प्रिंगबोर्ड
का काम करती है।
किसानों का
उदाहरण लें।
टेक्नोलाजी
खेती को उत्पादक
, समृद्ध , तथा
लाभकारी
बनाती है। हमने
इसे पूरे
विश्व में
देखा है।
मुझे यह जानकर
खुशी हुई कि
करोड़ों
भारतीय किसान
एसएमएस के
जरिए कृषि से
जुड़ी
सूचनाएं प्राप्त
कर रहे हैं।
अभी हाल में
कैबिनेट ने
कृषि-टेक्नोलाजी
अवसंरचना कोष
के माध्यम से
राष्ट्रीय
कृषि बाजार
प्रोत्साहन
योजना को
मंजूरी दी।
साझे ई-प्लैटफार्म
पर भारत के 585
नियमित बाजार
एक दूसरे से
जुड़ जाएंगे
और व्यापारियों
को पारदर्शी
तरीके से
अच्छे भाव पर
कृषि उत्पाद
खरीदने और
बेचने का मौका
मिलेगा।
जब कोई
व्यक्ति अपने
मोबाइल से आटो
रिक्शा मंगाता
है तो उसे एक
तरह का आराम
मिलता है
लेकिन उस
बदलाव की
कल्पना करें
जो आटो रिक्शा
चालक की
जिंदगी में
आता है।
टेक्नोलाजी
के कारण रेल
टिकट जैसी
चीजें
प्राप्त करनी
आसान हो गई
हैं। काम से
छुट्टी लेने
और लाइन में
खड़े रहने की
कोई आवश्यकता
नहीं।
टेक्नोलाजी
के माध्यम से
कम पूंजी वाले
छोटे उद्मी
मूल्य सृजन का
मौका पाता है।
हमारी हस्तशिल्प
कर्मी जो अपनी
बिक्री के लिए
मौसम के मुताबिक
सैलानियों के
आने पर निर्भर
करते हैं अब
एक क्लिक से
पूरे विश्व
में उत्पाद
बेच सकते हैं।
विभिन्न
प्रकार के
समूहों ने देश
में हजारों
लोगों को
जीवनदान दिया
है। चाहे वह
खुदरा
कारोबार हो ,
पर्यटन हो ,
परिवहन हो ,
खाद्य उद्योग
हो
टेक्नोलाजी
ने हजारों
लोगों को, जिनमें
अधिकतर लोग
हाशिए पर रहे
हैं , नया मंच दिया
है।
मैं एक छोटी
कहानी साझा
करना चाहता
हूं। मैं
मुख्यमंत्री
के रूप में एक
डेयरी में
शीतलन केंद्र
का उद्घाटन
करने वलसाड़
जिले के
कपराडा गया ।
इस केंद्र में
जगह की कमी थी
इसलिए
उद्घाटन
कार्यक्रम
तीन किलोमीटर
दूर एक स्कूल
मैदान में
हुआ। दूध
एकत्रित करने
वाली 30-40
जनजातिय
महिलाएं वहां
उपस्थित थीं।
समारोह के बाद
वहां से वापस
जाते हुए
मैंने देखा की
तीन चौथाई
महिलाएं अपने
मोबाइल से
फोटो क्लिक कर
रही हैं।
मैंने उनसे
पूछा- अपने
मोबाइल से
फोटो खिचकर आप
क्या करेंगी? उन्होंने
कहा कि वह
फोटो को
कंप्यूटर में
ट्रांसफर
करेंगी और फिर
उसका प्रिंट
आउट
निकालेंगी।
यह वह महिलाएं
हैं जो कभी भी स्कूल
या कालेज नहीं
गईं जहां वह
मोबाइल से फोटो
क्लिक करना
सीख सकें।
लेकिन वह
जानती हैं की
फोटो
क्ंप्यूटर
में ट्रांसफर
किए जा सकते हैं
और कंप्यूटर
से प्रिंट आउट
लिया जा सकता
है। मैं
आश्चर्यचकित
रह गया। इस
तरह टेक्नोलाजी
हाशिए पर खड़े
लोगों तक
पहुंच चुकी है।
प्रश्न-5-शैली
चोपड़ा- एक
डिजीटल उद्मी
के रूप में
मैं जानना
चाहूंगी कि
टेक्नोलाजी
और भारत के
जनसांख्यिकी
लांभ का
सम्मिलन होगा
,विशेषकर
युवतियों के
लिए ?
मैं
सोचता हूं कि
यह स्वाभाविक
मेल है और
भारत इस तरह
के मेल का
स्वाभाविक
स्थान है।
हां, विश्व के
अनेक भागों
में
टेक्नोलाजी
है लेकिन कोई
अन्य देश
जनसांख्यिकी
लाभ की स्थिति
में नहीं है।
भारत संपूर्ण
पैकेज
प्रस्तुत कर
रहा है।
भारत में
औद्योगिक
क्रांति भले
ही देर से आई हो
लेकिन
वर्तमान जारी
क्रांति में
हम मजबूती के
साथ बढ़ रहे
हैं। मुझे
बताया गया है
कि हम विश्व
में पर्यावरण
प्रणाली
प्रारंभ करने के
मामले में
चौथे स्थान पर
हैं और शीघ्र
ही अमेरिका के
बाद हम दूसरे
स्थान पर
होंगे। और अच्छी
बात यह है कि
यह युवा
प्रेरित है।
इससे विश्व की
दिलचस्पी बढ़
रही है और
इसने भारत के
लोगों को
ऊर्जावान बना
दिया है। यह आपके
लिए सम्मिलन
है।
हमारे युवा
का उत्साह और
प्रतिभा
टेक्नोलाजी
के माध्यम से
अपने आप को
अभिव्यक्त कर
रही है। यह
केवल मांग
प्रेरित नहीं
बल्कि सप्लाई
पक्ष की
क्षमता का
पूरक है। इस
तरह
टेक्नोलाजी
हमारे बढ़ रहे
उपभोक्ता
बाजार और
जनसांख्यिकी
लाभ के बीच
संपर्क सेतु
के रूप में
काम कर रही
है। मैं My Gov अनुभव की
ओर ध्यान
दिलाना चाहता
हूं। यह लोगों
को
टेक्नोलाजी
के माध्यम से
देश निर्माण
में योगदान
करने का अवसर
देता है। My Gov से
प्राप्त अनेक
विचार
उत्कृष्ठ
हैं। जब @प्रियंका_ 1512(प्रियंका
अग्रवाल) कहती
हैं मेरे जैसे
युवा कैसे
डिजीटल
इंडिया में
योगदान कर
सकते हैं या
जब @थेतकशकपई
कहते हैं कि
आप कैसे # डिजीटल
इंडिया में
योगदान के लिए
नए टेक/इंजीनियरिंग
विद्यार्थियों
को प्रोत्साहित
करेंगे। - मैं
उन्हें तथा कई
अन्य लोगों को
बताना चाहता
हूं कि My Gov
पर जाएं और
अपने योगदान
से
प्लैटफार्म
को मजबूत
बनाएं।
प्रश्न6-@मोनिका
भाटिया(मोनिया
भाटिया) ने
पूछा- इंटरनेट
की अधिकता के
बावजूद अनेक
लोग डिजीटल
रूप में
साक्षर नहीं
हैं। डिजीटल
साक्षरता के
प्रसार के लिए
आपकी योजना
क्या है?
मैं इसे
डिजीटल
साक्षरता तक
सीमित नहीं
देखता। बड़ी
बात
टेक्नोलाजी
उपयोग के लिए
लोगों को प्रोत्साहित
करना है। कुछ
मामलों में
पहुंच की
समस्या है तो
कुछ मामलों
में पर्याप्त
निर्देश की
कमी की। कुछ
मामलों में तो
जरूरी लोगों
को
टेक्नोलाजी
की पेशकश करनी
समस्या है। हम
इन सभी
चुनौतियों से
निपट रहे
हैं। एक बार जब
टेक्नोलाजी
की पहुंच
व्यापक हो
जाएगी तो डिजीटल
साक्षरता की
चुनौती कम हो
जाएगी।
जहां तक
टेक्नोलाजी
की पहुंच का
संबंध है , मैं
महसूस करता
हूं कि मोबाइल
गवर्नेंस पर
मेरा जोर
युगांतकारी
साबित होगा।
मोबाइल ऐसा है
जिसकी चाह सभी
को होती है और
अंततः यह सबके
पास होता है।
हमें इसका
भरपूर उपयोग
करना होगा।
अपने
नागरिकों को
एक पसंद का
टेक्नोलाजी
प्रेरित
साल्यूशंस
चुनने में
मददगार
आर्किटेक्चर
देने से
उन्हें
सहायता
मिलेगी। एक
मजबूत पंसदीदा
आर्किटेक्चर
देने का अर्थ
है कि उत्पादक
निरंतर
नवाचार कर रहे
हैं और
उपभोक्ताओं
के पास चुनने
के लिए अनेक
प्रकार के
उत्पाद और
सेवाएं हैं ।
सभी के लिए
कुछ न कुछ
होगा।
संपूर्ण रूप
से
टेक्नोलाजी
का लाभ उठाना
महत्वपूर्ण
है। अतीत में
हमने
टेक्नोलाजी
को अलग-थलग
रूप में देखा
है।
टेक्नोलाजी
की शक्ति मेल
में है ।
सम्मिलन से
मदद मिलती है
और उपयोग
बढञता है।
हम प्रत्येक
भारतीय को
अनूठी डिजीटल
पहचान देना
चाहते हैं।
अतीत में
प्रत्येक
व्यक्ति को
अनेक डिजीटल
पहचान दी गई
।प्रत्येक
सेवा की अपनी
आवश्यकता
होती है और
प्रत्येक
सेवा का अपना
डाटाबेस होता
है।
यह सब हमारे
जीवन में
वैकल्पिक
टेक्नोलाजी
के कारण हो
रहा है। मुझे
विश्वास है कि
भारतीय आने वाले
वर्षों में
अपनी जिंदगी
में
टेक्नोलाजी को
अपनाने में
किसी से पीछे
नहीं
रहेंगे।
प्रश्न-7 बिहार
से चन्दन
कुमार ने
पूछा- बड़ी
संख्या में कम
कौशल वाले
लोगों को
ध्यान में
रखते हुए भारत
पर
प्रौद्योगिकी
और स्वचालन का
क्या प्रभाव
होगा ?
समय-समय
पर
प्रौद्योगिकी
ने नए रोजगार
के सृजन और
उद्योगजगत के
लिए अवसर तैयार
किए हैं।
विश्व
भर में जो कुछ
हो रहा है,
काफी रूचि के
साथ उसका
अध्ययन करता
रहा हूं। हम
मशीनों की नई पीढ़ी
का चमत्कार
देख रहे हैं।
कुछ लोग इसे
अगला मशीन युग
कहते हैं।
थ्री-डी
प्रिंटिंग,
इंटरनेट
सुविधाओं,
इंटेलीजेंट
मशीनों और
रोबोटिक्स के
बल पर कर्ई
उद्योगों का
स्वचालन हो
सकेगा। जबकि कुछ
लोग इसे खतरे
के रूप में
देखते हैं,
मैं इसे एक
अवसर के रूप
में देखता
हूं।
मैं
बता दूं कि
ऐसा क्यों है-
सॉफ्टवेयर और
सूचना प्रौद्योगिकी
के क्षेत्र
में अपनी
शक्तियों के
बल पर हम
भारतीय लोगों
को स्वाभाविक
तौर पर
लाभान्वित
होना है। कुछ
क्षेत्रों
में प्रौद्योगिकी
और स्वचालन
द्वारा कम
कौशल वाले रोजगार
को फालतू
साबित करने के
बावजूद भी
स्वाभाविक
तौर पर हमें
नए कौशलों को
सीखने से लाभ
प्राप्त होगा
और इसके बल पर
हम स्वचालन के
इस नए युग में
पूरे तौर पर
नए रोजगार के
सृजन के लिए
दावा कर सकते
हैं।
इसलिए
मेरा मंत्र है
– "डिजिटल
इंडिया", "मेक
इन इंडिया", "डिजाइन इन
इंडिया" और "स्किल
इंडिया" के बारे में
अलग-अलग बात न
करें। ये सभी
आपस में जुड़े
हैं। इन सभी
के बीच तालमेल
में ही 21वीं
सदी में भारत
के लिए अवसर
है।
प्रश्न-8 मोबाइल
गवर्नेंस और
एनएम मोबाइल
एप्लीकेशन के
प्रति
प्रधानमंत्री
के दृष्टिकोण
पर कई प्रश्न
हैं।
एम-गवर्नेंस
एक सशक्त
गवर्नेंस है।
इसमें विकास
को सचमुच एक
समावेशी और
व्यापक जन आंदोलन
बनाने की
क्षमता है। यह
शासन को सबकी
पहुंच में
लाता है। यह
शासन को 24 घंटे 7
दिन आपके हाथों
में सौंपता
है।
मैं
पहले दिन से
ही कह रहा हूं
कि हमें "मोबाइल
फर्स्ट" के पहुंच
की दिशा में
काम करना
चाहिए। आपने देखा
होगा कि हमारी
सभी
वेबसाइटें
दिनों दिन मोबाइल
के अनुकूल बन
रही हैं।
मोबाइल के ऩए
एप्लीकेशन
तैयार किये गए
हैं जो अच्छी
सेवाएं प्रदान
कर रहे हैं।
हमें सूचना
प्रौद्योगिकी
से संबंधित
निर्णय लेते
समय मोबाइल और
स्मार्टफोनों
की
लोकप्रियता
के कारणों पर
विचार करना
होगा।
यह
इसलिए भी
मददगार है
क्योंकि एक नई
ऑपरेटिंग
सिस्टम को
सीखने की
तुलना में
मोबाइलों को सीखना
आसान है। कोई
व्यक्ति
शीघ्रतापूर्वक
व्हाटस-एप
मैसेज भेजना
सीख लेता है।
एक
दशक और उससे
पहले अधिक से
अधिक लोगों के
हाथों तक
मोबाइल फोन
पहुंचाना एक
चुनौती भरा
काम था। आज
जबकि देश में
काफी बड़ी
संख्या में
लोगों के पास
मोबाइल फोन
पहुंच चुके हैं,
हम आशा करते
हैं कि यह
संख्या और
बढ़ेगी, किंतु
हमारा ध्यान
मोबाइल फोनों
की
संख्यात्मक पहुंच
से आगे गया
है।
"नरेन्द्र
मोदी मोबाइन
एप" के
माध्यम से
अपने मोबाइल
फोनों द्वारा
लोगों तक
पहुंच कायम
करने में एक
छोटा प्रयास
है। कुछ
सप्ताह पहले
शुरू किया गया
यह एप हमारी
ओर से ताजा
समाचारों और
जानकारियों के
लिए एकमात्र
लक्ष्य है।
इससे लोग
मुझसे सीधे
तौर पर संवाद
कायम कर सकते
हैं और अपने
विचारों से
अवगत कराने का
मुझे एक अवसर
दे सकते हैं।
यह पुराने
समाचार, मेरे
ब्लागों, सरकार
की सुशासन
संबंधी पहलों
और "मन
की बात"
के प्रसंगों
का एक संग्रह
भी है और इन
प्रसंगों को 16
भाषाओं में भी
सुना जा सकता
है। वास्तव में
आकाशवाणी के
प्रसारण एप के
जरिये लाइव सुना
जा सकता है।
इसके साथ ही
एप पर लोग
मेरे माध्यम
से संदेश
प्राप्त कर
सकते हैं।
मोबाइल
एप के प्रति
लोगों के
उत्साह से मैं
काफी खुश हूं।
प्रश्न-9 अनखी
दास - सभी
लोगों के साथ
सीधे तौर पर
वार्तालाप
करने को लेकर
मैं आपकी
सराहना करता
हूं। मैं आशा
करता हूं कि
यह उन बहुत से
डिजिटल डायलोगों
की शुरूआत है
जो हमारे देश
में मौजूद
होगा। डिजिटल
इंडिया की
शीर्ष
प्राथमिकता
क्या है? व्यापक
पहुंच और
इंटरनेट को
डिजिटल
इंडिया के
भीतर कौन सी
भूमिका में आप
देखते हैं?
ये
तीन 'ए'
डिजिटल
इंडिया के
महत्वपूर्ण
हैं - एक्सेसिबल
(पहुंचयोग्य),
एडिटिव
(संवर्धन योग्य)
और एफोर्डेबल
(किफायती)।
पहुंच
का प्रमुख
स्थान है। हम
अपने 125 करोड़
देशवासियों
को डिजिटल रूप
से सशक्त
देखना चाहते
हैं। पिछले
वर्ष के दौरान
देशभर में
ब्रॉडबैंड का
इस्तेमाल 63
प्रतिशत बढ़ा
है। हमारे लिए
इसे और आगे
बढ़ाना जरुरी
है। अन्य
हितधारकों
द्वारा समान ऊर्जा
और सक्रियता
द्वारा
सरकारी
प्रयासों में
योगदान किया
जा सकता है।
मैं यह भी
देखना चाहूंगा
कि निजी
क्षेत्र इस
प्रयास का
हिस्सा बने और
देश भर में
ब्रॉडबैंड
इंटरनेट की
व्यापक पहुंच
सुनिश्चित
करें।
हमारी
डिजिटल
इंडिया पहल
मूल्यसंवर्धन
से जुड़ी है।
इससे लोगों के
जीवन में
समृद्धि आनी
चाहिए। इसकी
ओर से सभी
लोगों के लिए
कुछ ऐसा
बेजोड़ तोहफा
दिया जाना
चाहिए जो
सकारात्मक
बदलाव ला सके।
इसी
प्रकार
किफायती होना
इसकी तीसरी
प्रमुखता है।
कोई उत्पाद
पहुंच योग्य
और संवर्धन योग्य
हो सकता है।
किंतु इसका
प्रभाव कभी भी
लंबे समय तक
तब तक नहीं
पडेगा जब तक
वह किफायती न
हो। क्योंकि
अंतिम रूप से
हम किसके लिए
काम करते हैं? इन पहलों
से सबसे अधिक
लाभ गरीब,
सीमान्त, नव-मध्यम
वर्ग को
मिलेगा।
मापन,
विस्तार और
प्रभाव के रूप
में हमारी डिजिटल
इंडिया पहल
अभूतपूर्व और
सबसे लिए
समावेशी होनी
चाहिए जो इस
बात की
आधारशिला रखे
कि हमने 21वीं
सदी में भारत
के विकास की
पटकथा किस प्रकार
लिखी।
प्रश्न-10 "मन की
बात" से
जुड़े पत्रों
में राजकोट से
किशोर त्रिवेदी
ने पूछा-
प्रधानमंत्री
जी, आपकी समझ
में डिजिटल
इंडिया के
लक्ष्य तक
पहुंचने के
रास्ते में
प्रमुख
चुनौतियां
क्या हैं?
जब
हमने ऐसी
महत्वकांक्षी
पहल को, वह भी
इतने बड़े
पैमाने पर
शुरू किया है,
निश्चित तौर
पर कई
चुनौतियां
होंगी। किंतु,
हमें न तो इन
चुनौतियों को
नजरअंदाज
करना चाहिए और
न ही हमें उनके
द्वारा
पूर्णतया
पराजित ही
मानना चाहिए। हमें
अपने अभियान
पर
पूर्णरूपेण
केंद्रित
होना चाहिए और
हम ऐसा ही कर
रहे हैं।
मैंने
पहुंच और
किफायती
पहुंच के बारे
में बता दिया
है।
कौशल
और ज्ञान
दूसरी चुनौती
है। डिजिटल
एप्लीकेशनों
और सेवाओँ के
इस्तेमाल के
लिए हमें अपने
नागरिकों को
कौशल और ज्ञान
से लैस करना
होगा। डिजिटल
कौशलों को
साझा करने के
उद्देश्य से
हमें समय देने
के साथ-साथ
प्रयास करने होंगे
ताकि हमारे
ऐसे देशवासी
जिन्होंने हाल
में डिजिटल
कौशल प्राप्त
किया है, वे इस
सशक्त माध्यम
का किस प्रकार
इस्तेमाल
करें और इसका
सर्वाधिक लाभ
प्राप्त कर
सकें।
तीसरी
चुनौती
नागरिक-सरकार
के बीच
सम्पर्क और
शासन की
प्रक्रियाओँ
में सुधार से
जुड़ी है।
शासन के "डिजिटल
फर्स्ट" से न केवल
दक्षता और
पार्दशिता
आएगी बल्कि इससे
भ्रष्टाचार
में भी काफी
कमी आएगी।
चौथी
चुनौती
नवीनता और
नवीनतम
प्रौद्योगिकी
के साथ तालमेल
रखने से जुड़ी
है। हरेक दिन
नई खोजें
सामने आ रही
हैं, जिससे प्रौद्योगिकी
का कुछ हिस्सा
बेकार हो जाता
है। तेजी से
बदलते
प्रौद्योगिकी
के इस वातावरण
में डिजिटल
इंडिया के
लक्ष्यों को
साकार करना
चाहिए।
प्रश्न-11 संजीव
बिक्षणदानी
ने पूछा -
शुरूआत करने
वाले प्रौद्योगिकी
क्षेत्र से
जुड़े युवा
उद्यमियों के
लिए आपका क्या
संदेश है?
शुरूआत
करना ही
विशिष्ट
विकास का इंजन
है, जो खोज की
शक्ति
दर्शाता है।
कई बड़ी
कम्पनियां कल
की गई शुरूआत
के फलस्वरूप
है। कठिन
परिश्रम और
सक्षमता को
जीवन्त रखते
हुए उद्यमिता
और साहसिकता
भावना के साथ
वे पैदा हुई
थीं और आज वे
नवीनता की
बेजोड़
प्रतीक बन गई
हैं।
इस
प्रकार मेरा
संदेश है-
नवीन खोज में
लगे रहो। नवीन
खोज ही हमारे
लिए तीव्र
विकास में मददगार
होगी। दुनिया
पहले की तुलना
में काफी तेजी
से बदल रही है
और हम इससे
बेखबर नहीं रह
सकते। यदि हम
नवीन खोज नहीं
करते हैं, यदि
हम उत्कृष्ट
उत्पाद तैयार
नहीं करते हैं
तो एक ठहराव आ
जाएगा।
सरकार
की ओर से मैं
पूरी सहायता
का आश्वासन देता
हूं।
उद्यमिता और
नवीन खोज को
आसान बनाने के
लिए हम हर
संभव प्रयास
में जुटे हैं।
पिछले 14 महीनों
में
महत्वपूर्ण
आधार तैयार
किया है और
भविष्य में और
भी अधिक काम
करना चाहते
हैं। हम भारत
को नवीनता के
एक ऐसे केंद्र
के रूप में
उभारना चाहते
हैं, जहां
अगली बड़ी
अवधारणा उभरकर
सामने आए जो
प्रौद्योगिकी
की शक्ति द्वारा
प्रेरित हो।
|
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Monday, 6 July 2015
Full Text: पीएम मोदी ने की डिजिटल डायलॉग की शुरूआत, सवालों के दिए जवाब
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