Friday 18 May 2018

कंवर हसन बने तबस्सुम के लिए बड़ा खतरा

कैरानाः लोकसभा उपचुनाव में जहां एक और विरासत के लिए हुकुम सिंह व मुनव्वर हसन का परिवार आमने सामने हैं। वहीं हसन परिवार की एकता भी दांव पर लगी है। कैराना के सपा विधायक नाहिद हसन के चाचा यानी संयुक्त प्रत्याशी तबस्सुम बेगम के देवर कंवर हसन ने भी लोकदल (सुनील सिंह) के प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। कंवर हसन ने 2014 में भी चुनाव लड़ा था और उन्होंने बसपा के बैनर पर 160414 वोट पाए थे। सपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ रहे नाहिद हसन की हार में कंवर हसन के इन वोटों का भी बड़ा योगदान था। हुकुम सिंह जीत गए थे। अब फिर वहीं हालात बन रहे हैं। अगर कंवर हसन के वोट बढ़े तो तबस्सुम के लिए जीत कठिन होगी। भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह हिंदू व पिछडी़ जाति के अलावा दलित वोटों में भी सेंध लगा सकती हैं। तबस्सुम को केवल 5 लाख मुस्लिम मतों पर ही भरोसा है। अगर कंवर हसन ने कुछ वोट काट दिए तो तबस्सुम दिक्कत में पड़ सकती हैं। नामांकन की प्रक्रिया की एक दिन पहले नाहिद हसन ने चाचा कंवर हसन से गुजारिश की थी कि वे मैदान से हट जाएं। अगर उन्होंने ऐसा किया तो वे (नाहिद) विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे और उन्हें (कंवर हसन) विधानसभा चुनाव लड़वाने में सहयोग करेंगे। पर कंवर हसन नहीं माने (पढें संलग्न अमर उजाला अखबार की न्यूज) । कंवर हसन के मैदान में आने से भाजपा ने राहत की सांस ली है। कंवर हसन का कहना है कि जिस अजित सिंह के बैनर पर तबस्सुम बेगम चुनाव लड़ रही हैं। उसी के लोगों (जाटों ने) ने मुजफ्फरनगर दंगों के समय मुसलमानों की हत्याएं की थी। और वे उसी बैनर से चुनाव लड़ रही हैं ? अगर चुनाव के आगे बढ़ने तक कंवर हसन ने जोरदार प्रचार किया तो भाजपा की राह आसान हो सकती है।
देवर कंवर हसन से है तबस्सुम को खतरा। 



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