Thursday, 24 May 2018

कैराना उपचुनाव: भाजपा के नेताओं का क्षेत्र में ही डेरा

सेक्टरों में ही दिन रात काम कर रहे हैं भगवा ब्रिगेड के पदाधिकारी, संयुक्त विपक्ष ने भी कमर कसी

शामलीः उत्तर प्रदेश में फूलपुर व गोरखपुर उपचुनाव के नतीजों से सहमी भाजपा ने कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वीरवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने शामली क्षेत्र में दो रैलियों को संबोधित किया। इससे पहले वे दो रैलियां सहारनपुर जिले में पडऩे वाली कैराना लोकसभा सीट की दो विधानसभाओं गंगोह व नकुड़ में भी कर चुके हैं। भाजपा वह गलती नहीं दोहराना चाहती जो गोरखपुर व फूलपुर में उससे हुई थी।

भाजपा ने अपनी पूरी संगठनात्मक ताकत कैराना लोकसभा सीट पर केंद्रित कर दी है। लगभग एक दर्जन विधायक आसपास के जिलों से यहां बुला लिए गए हैं और प्रचार में लगाए गए हैं। जो भी सैक्टर प्रभारी बनाए गए हैं उन्हें रात दिन क्षेत्र में रहने के लिए कहा गया है। मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ भाजपा नेता राजीव गर्ग, जिन्हें कैराना लोकसभा का संयोजक बनाया गया है, बताते हैं कि पार्टी अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ रही है। सभी सेक्टर प्रभारियों को 28 मई (मतदान दिवस) तक अपने ही क्षेत्रों में रुकने के लिए कहा गया है। सबकी ठहरने की व्यवस्था कर दी गई है और उन्हें बार-बार मतदाताओं से संपर्क करने के लिए कहा जा रहा है। भाजपा ने यहां से स्व. हुकुम सिंह (जिनके निधन के बाद यहां उपचुनाव हो रहा है) की बेटी मृगांका सिंह को प्रत्याशी बनाया है।
हसन परिवार में एकता कराते जयंत चौधरी। कंवर हसन ने दिया तबस्सुम को समर्थन. 

सपा नेता संयुक्त प्रत्याशी का प्रचार करते हुए । 

कैराना क्षेत्र में घर-घर बैठक करते भाजपा नेता। 
कैराना सीट पर पहली बार विपक्ष ने सही मायने में एकता दिखाई है। विपक्ष की संयुक्त प्रत्याशी तबस्सुम बेगम को, जो कैराना सीट से 2009 में बसपा की सांसद रह चुकी हैं, अजित सिंह की रालोद के बैनर पर उतारा गया है। उन्हें सपा, बसपा और कांग्रेस की भी सपोर्ट मिल रही है। रालोद का वेस्ट यूपी में अच्छा प्रभाव है और इसलिए रालोद के पूर्व सांसद जयंत चौधरी लगातार क्षेत्र में ही रहकर सक्रिय प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। सपा ने भी अपने कई नेताओं को भेजा है। इनमें प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम प्रमुख हैं। कांग्रेस की ओर से पूर्व विधायक पंकज मलिक व पूर्व सांसद हरेंद्र सिंह मलिक जाटों को लुभा रहे हैं। बसपा ने भी तबस्सुम के समर्थन में अपील की है। वहीं भाजपा ने जाटों को साधने के लिए मुजफ्फरनगर के जाट सांसद संजीव बालियान को लगाया है। उन्हें ताकीद किया गया है कि वे केवल जाटों के गांवों में ही संपर्क करें। उन्हें रैलियां नहीं बल्कि डोर टू डोर कैंपेन के लिए कहा गया है। इसी प्रकार जातीय समीकरणों को देखते हुए सभी को इसी प्रकार दायित्व सौंपे जा रहे हैं। ठाकुर बहुल इलाकों में यूपी के फायरब्रांड नेता व गन्ना मंत्री सुरेश राणा को लगाया गया है। पार्टी प्रभारियों की रिपोर्ट के आधार पर यह भी आकलन करेगी कि किस क्षेत्र में भाजपा को कितने वोट मिले।

हिंदू मुस्लिम समीकरण पर टिकी भाजपा 
संयुक्त प्रत्याशी तबस्सुम बेगम के खिलाफ उनके देवर कंवर हसन ने लोकदल (सुनील) के बैनर पर परचा भर दिया था। भाजपा को उम्मीद थी कि वे अपनी भाभी के मुस्लिम वोट काटेंगे लेकिन उन्होंने भी बेगम को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में भाजपा के सामने केवल हिंदू-मुस्लिम कार्ड ही चारा बचता है। यहां 5 लाख से भी ज्यादा मुस्लिम वोट हैं। जो चुनाव का पासा पलट सकते हैं। दलित वोटर खामोश हैं और भाजपा को यह खामोशी सता रही है। मायावती उपचुनाव लड़ती नहीं हैं और इसलिए प्रचार भी नहीं करती हैं लेकिन अखिलेश यादव का भी बेगम के प्रचार में ना आना कुछ लोगों को खल रहा है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि अगर अखिलेश ने सभा की तो उसमें सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर ही उमड़ेंगे। ऐसे में भाजपा को मतों का ध्रुवीकरण करने का मौका मिल जाएगा। और अखिलेश यह मौका नहीं देना चाहते हैं। विपक्ष का मानना है कि आंकड़े उसके समर्थन में हैं और सारी मेहनत भाजपा को करनी है।

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वोट प्रतिशत बढ़ाने पर जोर 
भाजपा को यह सीट निकालने के लिए वोट प्रतिशत पर ध्यान देना होगा। अगर 50-55 प्रतिशत से आगे मतदान जाता है तो ही भाजपा को फायदा हो सकता है नहीं तो नतीजा फूलपुर व गोरखपुर जैसा ही होगा। 2014 के चुनाव में स्व. हुकुम सिंह को जितने वोट मिले थे उतने उनके तीनों प्रमुख विपक्षी उम्मीदवारों को मिलाकर भी नहीं मिले थे और वे भारी अंतर से जीते थे। पर उपचुनाव में मतदाता उत्साहित नहीं होता और इससे भाजपा की दिक्कतें बढ़ जाती हैं।


जातिगत आंकड़े :
मुस्लिम 5.2 लाख
दलित 2.8 लाख
जाट 1.3 लाख
गुर्जुर 1.24 लाख
सैनी 1.15 लाख
ठाकुर 60 हजार
ब्राह्मण 65 हजार
वैश्य 65 हजार
अन्य 2 लाख

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