इस्राइल के खिलाफ यूएनएचसीआर में वोटिंग में भारत रहा गैरहाजिर
नई दिल्ली/यरूशलम: विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले साल इस्राइल के गाजा पर हमले पर संयुक्त राष्ट्र की आलोचनात्मक रिपोर्ट पर शरणार्थियों के लिये संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) में भारत के अनुपस्थित रहने को यहां नई दिल्ली की नीति में महत्वपूर्ण बदलाव और मजबूत रिश्तों की शुरूआत के तौर पर के देखा जा रहा है जो नई राजग सरकार के दौर में ‘प्रगाढ़’ हो रहे हैं।![]() |
मोदी के साथ नेतनयाहू |
एक स्तंभकार ने लिखा कि इतिहास में पहली बार संयुक्त राष्ट्र में इस्राइल पर मतदान में, भारत ने फलस्तीन के लिए मतदान नहीं किया, बल्कि मतदान में भाग ही नहीं लिया। इसे इस्राइल के लिए प्रभावी और अभूतपूर्व उपलब्धि करार दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस कदम से रिश्तों में तेजी से आगे बढऩे का संकेत मिलता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस्राइल की यात्रा करने के ऐलान से भी यही संकेत मिलता है। यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा होगी।
एक स्तंभकार ने लिखा कि जिनेवा में शुक्रवार को भारत के प्रतिनिधि का मतदान में भाग नहीं लेना एक महत्वपूर्ण बदलाव है जो मजबूत रिश्तों की शुरूआत है जो कि इस्राइल और भारत के बीच पिछले 20 सालों से ज्यादा वक्त में विकसित हुए हैं और अब यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रगाढ़ हो रहे हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि यह भारत के लिए बड़ा घटनाक्रम है क्योंकि गुट निरपेक्ष आंदोलन के नेताओं में से एक के तौर पर भारत ने हमेशा इस्राइल के खिलाफ मतदान किया था।
इस्राइली दैनिक हारेत्ज ने लिखा है कि भारत का मतदान में भाग नहीं लेना, नई दिल्ली द्वारा नीति में महत्वपूर्ण बदलाव है, जो पारंपरिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं में इस्राइल विरोधी सभी प्रस्तावों के पक्ष में मतदान करता आया है। हारेत्ज ने कहा कि शुक्रवार के मतदान में भाग नहीं लेना 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव के बाद भारत और इस्राइल के बीच अच्छे संबंधों का एक और संकेत है।
फलस्तीन को समर्थन के भारत के रूख में बदलाव नहीं आने की नई दिल्ली की सफाई के बावजूद, इस्राइली मीडिया ने राजनयिक सत्रों के हवाले से इसे 'नाटकीय’ करार दिया है। भारत में इस्राइल के राजदूत डैनियल कारमॉन ने ट्वीट किया - हम यूएनएचआरसी के सदस्यों के मतदान की सरहाना करते हैं जिसमें भारत भी शामिल है जिसने इस्राइल विरोधी एक और प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। हम उनका शुक्रिया अदा करते हैं।
एक राजनीतिक टिप्पणीकार ने कहा कि शुक्रवार को जो बदलाव हुआ और वो इस्राइल के विदेशी संबंधों के लिए सकारात्मक, नाटकीय और महत्वपूर्ण है। अधिकारियों ने यहां बताया कि इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू ने अपने भारतीय समकक्ष से बात की थी और उनसे यूएनएचआसी में मतदान में भाग नहीं लेने की गुजारिश की थी। दोनों नेताओं के बीच बहुत बेहतर तालमेल है और उन्होंने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के इतर मुलाकात की थी। वे तभी से आपस में संपर्क बनाए हुए है।
एक स्तंभकार ने लिखा कि जिनेवा में शुक्रवार को भारत के प्रतिनिधि का मतदान में भाग नहीं लेना एक महत्वपूर्ण बदलाव है जो मजबूत रिश्तों की शुरूआत है जो कि इस्राइल और भारत के बीच पिछले 20 सालों से ज्यादा वक्त में विकसित हुए हैं और अब यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रगाढ़ हो रहे हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि यह भारत के लिए बड़ा घटनाक्रम है क्योंकि गुट निरपेक्ष आंदोलन के नेताओं में से एक के तौर पर भारत ने हमेशा इस्राइल के खिलाफ मतदान किया था।
इस्राइली दैनिक हारेत्ज ने लिखा है कि भारत का मतदान में भाग नहीं लेना, नई दिल्ली द्वारा नीति में महत्वपूर्ण बदलाव है, जो पारंपरिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं में इस्राइल विरोधी सभी प्रस्तावों के पक्ष में मतदान करता आया है। हारेत्ज ने कहा कि शुक्रवार के मतदान में भाग नहीं लेना 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव के बाद भारत और इस्राइल के बीच अच्छे संबंधों का एक और संकेत है।
फलस्तीन को समर्थन के भारत के रूख में बदलाव नहीं आने की नई दिल्ली की सफाई के बावजूद, इस्राइली मीडिया ने राजनयिक सत्रों के हवाले से इसे 'नाटकीय’ करार दिया है। भारत में इस्राइल के राजदूत डैनियल कारमॉन ने ट्वीट किया - हम यूएनएचआरसी के सदस्यों के मतदान की सरहाना करते हैं जिसमें भारत भी शामिल है जिसने इस्राइल विरोधी एक और प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। हम उनका शुक्रिया अदा करते हैं।
एक राजनीतिक टिप्पणीकार ने कहा कि शुक्रवार को जो बदलाव हुआ और वो इस्राइल के विदेशी संबंधों के लिए सकारात्मक, नाटकीय और महत्वपूर्ण है। अधिकारियों ने यहां बताया कि इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू ने अपने भारतीय समकक्ष से बात की थी और उनसे यूएनएचआसी में मतदान में भाग नहीं लेने की गुजारिश की थी। दोनों नेताओं के बीच बहुत बेहतर तालमेल है और उन्होंने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के इतर मुलाकात की थी। वे तभी से आपस में संपर्क बनाए हुए है।
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