Thursday, 2 July 2015

सब सब्जेक्ट नहीं पढाने वाले मदरसों की मान्यता रद्द करेगी महाराष्ट्र सरकार

मुम्बई: महाराष्ट्र सरकार ने एक विवादास्पद पहल के तहत आज ऐसे मदरसों की मान्यता समाप्त करने का निर्णय किया जो छात्रों को अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे औपचारिक विषय नहीं पढ़ाते और केवल धार्मिक शिक्षा प्रदान करते हैं। प्राथमिक विषय नहीं पढ़ाने वाले पंजीकृत मदरसों को राज्य सरकार औपचारिक स्कूल (नान स्कूल) की श्रेणी में रखेगी और इसमें पढऩे वाले बच्चों को स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जायेगा।

महाराष्ट्र सरकार की इस पहल से मुस्लिम नेताओं और विपक्षी दलों में नाराजगी देखी जा रही है। राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री एकनाथ खडसे ने पीटीआई भाषा से कहा कि मदरसा छात्रों को धर्म के बारे में शिक्षा दे रहे हैं और औपचारिक शिक्षा नहीं देते हैं। हमारे संविधान में सभी ब'चों को औपचारिक शिक्षा का अधिकार की बात कही गई है हालांकि मदरसा इसे प्रदान नहीं करते हैं। खडसे ने कहा कि अगर एक हिन्दू या ईसाई ब'चा मदरसे में पढऩा चाहता है तो उन्हें वहां पढऩे की अनुमति नहीं दी जायेगी। इसलिए मदरसा एक स्कूल नहीं है बल्कि धार्मिक शिक्षा का केन्द्र है। इसलिए हमने उनसे छात्रों को दूसरे विषय भी पढ़ाने को कहा है। अन्यथा इन मदरसों को औपचारिक स्कूल नहीं (नान स्कूल) माना जायेगा।

खडसे ने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों की मुख्य सचिव जयश्री मुखर्जी ने इस बारे में स्कूली शिक्षा एवं खेल मामलों के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा है। खडसे ने कहा कि स्कूली शिक्षा विभाग ने चार जुलाई को छात्रों का सर्वेक्षण करने की योजना बनाई है जो औपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मदरसों में जहां औपचारिक शिक्षा नहीं प्रदान की जाती है, वहां पढने वाले छात्रों को स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जायेगा। ऐसा करने के पीछे हमारा मकसद केवल इतना है कि अल्पसंख्यक समुदाय के प्रत्येक ब'चे को सीखने और मुख्यधारा में आने का मौका मिले, उसे अ'छी नौकरी मिले और उसका भविष्य उज्जवल हो। मंत्री ने कहा कि राज्य में पंजीकृत 1890 मदरसों में से 550 ने छात्रों को चार विषय पढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्रदान करने पर हम मदरसों को भुगतान करने को भी तैयार हैं।

वहीं, एआईएमआईएम के अध्यक्ष असादुद्दीन ओवैसी ने सरकार की पहल के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या वैदिक शिक्षा प्राप्त के वाले छात्रों को भी स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जायेगा। उन्होंने कहा कि कई मदरसा हैं जो गणित, अंग्रेजी और विज्ञान पढ़ाते हैं। मदरसों में पढऩे वाले कई छात्र आगे बढ़े हैं और सिविल सेवा परीक्षा में भी सफल रहे। जमीयत उलेमा ए हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जो भी हुआ है, वह अस्वीकार्य है। इस कदम को असंवैधानिक करार देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता संजय निरूपम ने कहा कि धर्म के आधार पर किसी छात्र के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। हम इस विषय को विधानसभा में उठायेंगे।

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