Saturday 17 October 2015

प्रसिद्ध मुस्लिम लेखिका ने कहा, अगर मुसलमानों को भारत में परेशानी है तो वे दूसरे मुस्लिम देशों में क्यों नहीं चले जाते?

भारत में ज्यादातर सेकुलर लोग हिंदू विरोधी हैः तसलीमा नसरीन 

नई दिल्ली: भारत में रह रहीं बांग्लादेश की विवादित और चर्चित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने हाल में साहित्यकारों द्वारा अपने साहित्य पुरस्कार लौटाए जाने के मुद्दे पर कहा है कि भारतीय लेखक अपनी असहमति को लेकर दोहरे मानक अपनाने के दोषी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अधिकांश धर्मनिरपेक्ष लोग कट्टर मुस्लिम और हिन्दू विरोधी हैं। वे हिन्दू कट्टरपंथियों के कामों पर तो विरोध प्रदर्शन करते हैं, पर मुस्लिम कट्टरपंथियों के घृणित कार्रवाइयों का बचाव करते हैं।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स आफ इंडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि अधिकांश लेखकों ने उस समय कुछ नहीं कहा जब पश्चिम बंगाल में मेरी पुस्तक पर प्रतिबंध लगाया गया, मेरे खिलाफ भारत में पांच फतवे जारी किए गए, मुझे पश्चिम बंगाल से बाहर निकाल दिया गया, मैं दिल्ली में घर में महीनों कैद रही और मुझे भारत छोड़ने को मजबूर किया गया, जब मेरे सीरियल पर रोक लगाई गई तब सब के सब चुप रहे।
तस्लीमा का कहना है कि उन्होंने जीवन के अधिकार के लिए और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए अकेले ही रहकर संघर्ष किया। लेखकों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ये लोग न केवल चुप थे बल्कि सुनील गांगुली और शंख घोष जैसे प्रख्यात लेखकों ने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य से अपील तक की कि वे मेरी पुस्तक पर प्रतिबंध लगाएं।
तस्लीमा से जब सवाल पूछा गया कि क्या आप मानती है कि प्रधानमंत्री को ज्यादा सहानुभूति के साथ बोलना चाहिए, जब मुसलमान और भारतीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का मामला हो? 51 वर्षीया लेखिका ने कहा कि भारत में राजनीतिक नेता वोटों की खातिर लोगों को खुश रखते हैं। मुसलमानों को ज्यादा तवज्जो दिए जाने से अनेक हिन्दू नाराज हैं। यह सच है कि मुसलमानों को कभी-कभी उनके मुसलमान होने से उत्पीड़ित किया जाता है लेकिन यह अन्य धर्मो के लोगों के साथ भी होता है। वर्ष 2013 में मुस्लिम धर्मान्ध लोगों द्वारा पश्चिम बंगाल में एक गांव में हिन्दुओं के घर जला दिए गए। यदि मुसलमानों को निर्दयता से प्रताड़ित किया गया है तो वे भारत छोड़कर पड़ोसी मुस्लिम देशों की ओर रूख कर सकते हैं जिस तरह से हिन्दू अल्पसंख्यक बांग्लादेश छोड़कर और विभाजन के बाद पाकिस्तान से आ गए थे।



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