Tuesday, 18 August 2015

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की धर्मपत्नी शुभ्रा मुखर्जी का निधन

अंसारी, नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी ने दी श्रद्धांजलि 
नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की धर्मपत्नी शुभ्रा मुखर्जी का आज सुबह निधन हो गया । वह 11 दिन से गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती थीं। प्रख्यात रवीन्द्र संगीत गायिका शुभ्रा 74 वर्ष की थीं। उन्हें सांस लेने में तकलीफ तथा बेचैनी के चलते सात अगस्त को आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने आज सुबह 10 बजकर 51 मिनट पर अंतिम सांस ली। वह अस्पताल की इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती थीं। वह ऐसी पहली प्रथम महिला हैं, जिनका निधन उनके पति के राष्ट्रपति पद पर रहते हुआ हैं। शुभ्रा के दो बेटे हैं। पहले अभिजीत, कांग्रेस सांसद हैं और दूसरे पुत्र का नाम इंद्रजीत है। उनकी पुत्री शर्मिष्ठा कांग्रेस प्रवक्ता हैं।
उनके पार्थिव शरीर को राष्ट्रपति के अध्ययन कक्ष के सामने स्थित एडीसी कक्ष में रखा गया। बड़ी संख्या में लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। लोगों ने राष्ट्रपति को ढांढस भी बंधाया। उनका अंतिम संस्कार कल लोधी रोड शवदाह गृह में किया जाएगा। निधन की खबर मिलते ही उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कई कैबिनेट मंत्रियों ने शोक व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया- श्रीमती शुभ्रा मुखर्जी के निधन की खबर पाकर दुख हुआ। दुख की इस घडी में राष्ट्रपति जी और उनके परिजनों को मेरी सहानुभूति। उन्होंने कहा कि शुभ्रा मुखर्जी को कला, संस्कृति और संगीत प्रेमी के रूप में याद रखा जाएगा। वो इतनी आत्मीयता से मिलती थीं कि हर किसी को प्रभावित कर लेती थीं। मोदी, अंसारी के अलावा सोनिया, वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री, राजनेता और राजनयिकों ने राष्ट्रपति भवन पहुंचकर शुभ्रा मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी। शुभ्रा की प्रणब मुखर्जी से शादी 13 जुलाई 1957 को हुई थी। वह मूलत: जेसोर की रहने वाली थीं, जो अब बांग्लादेश में है। प्रणब मुखर्जी के 25 जुलाई 2012 को राष्ट्रपति बनने के बाद शुभ्रा ने एक जगह कहा था कि हम आज के जमाने के दंपतियों की तरह नहीं हैं, हम अपनी भावनाओं को प्रकट नहीं करते। शुभ्रा का जन्म 17 सितंबर 1940 को हुआ था। वह स्नातक थीं और राष्ट्रकवि गुरूदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर की जबर्दस्त प्रशंसक थीं। वह रबीन्द्र संगीत की गायिका थीं और उन्होंने टैगोर की नृत्य नाटिकाओं का प्रदर्शन कई बरसों तक ना सिर्फ भारत के विभिन्न हिस्सों बल्कि यूरोप, एशिया और अफ्रीका में भी किया। शुभ्रा ने 1982 में 'गीतांजलि ट्रूप’ का गठन किया था। मिशन था टैगोर के दर्शन का प्रचार प्रसार करना। ट्रूप के सभी प्रदर्शनों में उनका मार्गदर्शन होता था। उनका अंतिम मंचीय कार्यक्रम 2013 में हुआ था, जब उन्होंने 'नमो नमो नमो’ गीत की दो पंक्तियां सुनाई थीं। संगीत प्रेमी होने के अलावा शुभ्रा एक अत्यंत प्रतिभाशाली पेंटर थीं। उनकी कई समूह और एकल प्रदर्शनियां लगीं । उन्होंने दो पुस्तकें भी लिखीं। शुभ्रा जब राष्ट्रपति भवन आईं तो अपने साथ हारमोनियम और तानपुरा लेकर आईं, जो उन्हें बंगाली संगीत उस्ताद डी एल राय ने उपहारस्वरूप दिया था। उनके पार्थिव शरीर को 13, तालकटोरा रोड स्थित आवास से अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाएगा। यह उनके पुत्र अभिजीत का सरकारी आवास है। प्रणब मुखर्जी जब संप्रग सरकार में मंत्री थे, तब ये आवास उन्हें आवंटित था। शुभ्रा ने यहां काफी लंबा वक्त बिताया था।




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