राज्यसभा की बैठक शुरू होने पर सपा के नरेश अग्रवाल ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि संसद के कैन्टीन में रियायती दरों पर भोजन मुहैया कराने तथा 'काम नहीं तो वेतन नहीं’ का मुद्दा उठा कर सांसदों की छवि खराब करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि वास्तव में कितने सांसद कैंटीन का भोजन खाते हैं और संसद भवन के कितने कर्मचारी, सुरक्षाकर्मी और पत्रकार रियायती दरों पर मिलने वाला यह भोजन खाते हैं। अग्रवाल ने कहा कि सांसदों की छवि खराब करने की कोशिश की हम निंदा करते हैं। इस बारे में सदन को एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए।
कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा कि वह सांसदों के लिए 'काम नहीं तो वेतन नहीं’ के विचार का समर्थन करते हैं। उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव वर्ष 2004 से लागू किया जाना चाहिए और संसद में सांसदों को काम न होने के बावजूद दिया जा चुका वेतन उनसे वापस लिया जाना चाहिए। गौरतलब है कि भाजपा सांसदों ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान दूरसंचार और कोयला घोटालों को लेकर कई बार संसद की कार्यवाही बाधित की थी।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है और बहस तत्काल शुरू की जानी चाहिए। दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अग्रवाल ने एक गंभीर मुद्दा उठाया है और इससे सदन की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुयी है, इसलिए इस पर तुरंत चर्चा शुरू की जा सकती है। हालांकि कुरियन ने कहा कि इस पर चर्चा का कोई प्रस्ताव नहीं है, इसलिए इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने सदस्यों से इस पर चर्चा के लिए नोटिस देने को कहा।
इससे पहले, आंध्रप्रदेश से कांग्रेस सदस्यों ने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई। उनके हाथों में तख्तियां थीं जिन पर आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की गई थी। कुरियन ने सदस्यों से कहा कि सदन में तख्तियां और पोस्टर दिखाना नियमों के विरूद्ध है। कुरियन ने कहा कि अगर सदस्य नोटिस दें तो वह इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं। केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने कहा कि सरकार तेलंगाना और आंध्रप्रदेश से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है।
No comments:
Post a Comment