Thursday, 6 August 2015

सुषमा स्वराज का लोकसभा में बयान- क्या कैंसर पीडि़त ललित मोदी की पत्नी को मरने के छोड़ देतीं सोनिया?

विपक्ष की गैरमौजूदगी का फायदा उठाया विदेश मंत्री ने नई दिल्ली: ललित मोदी प्रकरण पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज कहा कि उन्होंने आईपीएल के पूर्व चेयरमैन की नहीं बल्कि कैंसर से पीडि़त उनकी पत्नी की मदद की थी। इस मामले में विदेश मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रही कांग्रेस अध्यक्ष के पाले में गेंद डालते हुए उन्होंने कहा कि अगर सोनिया गांधी उनकी जगह वह होतीं तो क्या वह उस महिला को मरने के लिए छोड़ देतीं। सुषमा ने सदन में विपक्ष की गैरमौजूदगी का फायदा उठाते हुए अपना बयान दिया। 25 सांसदों के निलंबन के खिलाफ पूरा विपक्ष धरने पर है। कांग्रेस ने सुषमा की आलोचना भी की है कि उन्होंने खाली सदन में अपना बयान दिया। नहीं तो उनसे कई सवाल पूछे जा सकते थे। 


विदेश मंत्री ने कहा, यदि एक कैंसर से पीडि़त महिला की मदद करना अपराध है तो मैं देश के समक्ष अपना गुनाह कुबूल करती हूं और इसके लिए सदन मुझे जो सजा देना चाहे , मैं भुगतने के लिए तैयार हूं।उन्होंने साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष को निशाने पर लेते हुए कहा, यदि सोनिया गांधी मेरी जगह होतीं तो क्या वे ऐसी कैंसर पीडि़त महिला को मरने के लिए छोड़ देतीं। यह बड़ा मानवीय संवेदना का मामला है। यह ललित मोदी की मदद करने का मामला नहीं है।

ललित मोदी मामले में विदेश मंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर लोकसभा में हंगामा करने के कारण अध्यक्ष की ओर से अपने 25 सदस्यों के निलंबन की कार्रवाई का सामना कर रहे मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की गैर मौजूदगी में सुषमा ने लोकसभा में यह बयान दिया। विदेश मंत्री ने कहा, ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज देने का मैंने ब्रिटिश सरकार से कभी अनुरोध या सिफारिश नहीं की। यह आरोप असत्य, गलत और निराधार है। हालांकि उन्होंने कहा, मैंने केवल इतना कहा था कि यदि ब्रिटिश सरकार ललित मोदी को यात्रा के दस्तावेज देती है तो इससे हमारे दोनों देशों के रिश्ते खराब नहीं होंगे।

सुषमा ने कहा कि इस मुद्दे पर बार बार सफाई देने के बावजूद विपक्ष और मीडिया की ओर से उन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, मैं पूछना चाहती हूं कि क्या मैंने ललित मोदी को कोई आर्थिक लाभ पहुंचाया , नहीं। क्या मैंने ललित मोदी को भारत से भगाया , नहीं। क्या मैंने ललित मोदी के खिलाफ चल रही जांच को रूकवाया, नहीं। क्या मैंने ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज दिलवाने का अनुरोध किया , नहीं। तो मैंने क्या किया? मैंने पूरी तरह से यह निर्णय ब्रिटिश सरकार पर छोड़ा। उन्होंने कांग्रेस सहित कुछ दलों द्वारा इस मामले में उनके इस्तीफे की मांग करने के संदर्भ में कहा, जब मैं अपने इर्द गिर्द का माहौल देखती हूं तो मुझे रामचरितमानस के एक दोहे की यह पंक्ति याद आती है हानि लाभ, जीवन मरण, यश अपयश, विधि हाथ। मुझे लगता है कि यह नफा नुकसान , जीना मरना , नेकनामी और बदनामी जो ग्रहों ने अपने हाथ में रखी हुई है , जरूर मेरा कोई अपयश या ग्रह चल रहा होगा , तभी तो मेरे वे साथी , जो मुझे इतना स्नेह देते हैं ,इतना आदर करते हैं वे आज मेरी इतनी तीखी आलोचना कर रहे हैं, यहां तक कि मेरा इस्तीफा मांग रहे हैं। सुषमा ने उम्मीद जताई, लेकिन मुझे भी विश्वास है कि ग्रह बहुत जल्दी टलेगा और मेरे साथियों का सद्भाव वापस लौटेगा। उन्होंने बताया कि अंग्रेजी दैनिक इकॉनामिक्स टाइम्स द्वारा इस संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में ब्रिटिश गृह विभाग ने कहा है कि इस मामले में फैसला उसने उचित नियमों के अनुसार किया है। ललित मोदी को पुर्तगाल की यात्रा के संबंध में दस्तावेज देने की सिफारिश करने से इंकार करते हुए उन्होंने कहा, अगर मैंने अनुरोध किया होता , अगर मैंने सिफारिश की होती तो गृह मंत्रालय ( ब्रिटिश) यह लिखता कि हमने ललित मोदी को यह यात्रा दस्तावेज भारत की विदेश मंत्री के आग्रह पर दिए थे।

विदेश मंत्री ने कहा कि वह अपनी बात रखने का लंबे समय से इंतजार कर रही थीं लेकिन दो सप्ताह बीत गए और शायद तीसरा सप्ताह भी बीत जाएगा। संसद नहीं चल पा रही है। उन्होंने कहा कि संसद सत्र समाप्त हो जाएं और आरोप अनुत्तरित रह जाएं और मुझे अपनी स्थिति और पक्ष रखने का भी मौका न मिले, यह मेरे साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा, इसलिए अध्यक्ष की अनुमति से मैं आज अपना पक्ष सदन के समक्ष रख रही हूं। सुषमा ने कहा कि अगले सप्ताह 25 कांग्रेसी सांसदों का निलंबन समाप्त हो जाएगा और कांग्रेस तथा उसकी सहयोगी पार्टियों का इस मुद्दे को लेकर किया जा रहा सदन का बहिष्कार भी समाप्त हो जाएगा। उन्होंने अध्यक्ष से आग्रह किया कि कम से कम अगले सप्ताह कोशिश कीजिएगा कि इस विषय पर चर्चा जरूर हो जाए ताकि जो प्रश्न मीडिया में उछाले जा रहे हैं , लेख लिखकर मुझसे पूछे जा रहे हैं , उन तमाम प्रश्नों का उत्तर मैं सदन में खड़े होकर विस्तार से दे सकूं। पिछले दिनों राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के कारण विदेश मंत्री इस मामले में अपनी बात नहीं रख पायी थीं।

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