Monday, 3 August 2015

Preview: 22 साल से श्रीलंका में श्रृंखला नहीं जीत पाया है भारत

1993 में अजहर की कप्तानी में जीता था टेस्ट मैच
विराट कोहली खत्म करना चाहेंगे जीत का सूखा
नई दिल्ली: विराट कोहली कप्तान के रूप में अपनी पहली पूर्णकालिक श्रृंखला में वह उपलब्धि अपने नाम पर दर्ज करने की कोशिश करेंगे जो उनके पूववर्ती सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, अनिल कुंबले और महेंद्र सिंह धोनी की टीमें हासिल नहीं कर पायी थी। यह उपलब्धि होगी श्रीलंका में टेस्ट श्रृंखला जीतना। भारत पिछले 22 साल से श्रीलंकाई सरजमीं पर टेस्ट श्रृंखला नहीं जीत पाया है। इस बीच भले ही गांगुली ने भारतीय टीम को विदेशों में जीतना सिखाया और धोनी ने टीम को आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक पर पहुंचाया लेकिन वह कभी अपने पड़ोसी देश के खिलाफ उसकी सरजमीं पर टेस्ट श्रृंखला नहीं जीत पाया।
कोहली एंड कंपनी की निगाह अब श्रीलंका में टेस्ट श्रृंखला जीतने के लंबे इंतजार को खत्म करके खुद को मोहम्मद अजहरूद्दीन की टीम की श्रेणी में शामिल करने पर रहेगी। भारत ने अब तक श्रीलंका में जो छह टेस्ट श्रृंखलाएं खेली हैं उनमें से वह केवल एक में जीत दर्ज कर पायी। अजहरूद्दीन की अगुवाई वाली टीम ने 1993 में तीन मैचों की श्रृंखला 1-0 से जीत यह उपलब्धि हासिल की थी।
इस श्रृंखला को छोड़ दिया जाए तो भारत ने जब भी श्रीलंका का दौरा किया तब या तो उसे हार का सामना करना पड़ा या फिर श्रृंखला ड्रा पर समाप्त हुई। श्रीलंका ने भारत से अपनी सरजमीं पर अब तक छह में से तीन टेस्ट श्रृंखलाएं जीती हैं। यह अलग बात है कि वह अब तक भारतीय सरजमीं पर एक भी टेस्ट मैच नहीं जीत पाया है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि इन दोनों टीमों के लिये एक दूसरे की सरजमीं पर खेलना आसान नहीं रहा।
भारत ने पहली बार 1985 में श्रीलंका का दौरा किया था। कपिल देव की अगुवाई वाली टीम ने तब तीन टेस्ट मैच खेले थे लेकिन उसने यह श्रृंखला 0-1 से गंवायी। इसके बाद 1993 में अजहरूद्दीन के नेतृत्व में टीम ने एसएससी कोलंबो में खेले गये दूसरे टेस्ट मैच में 235 रन से जीत दर्ज की। यह भारत की तब विदेशी सरजमीं पर 27 टेस्ट मैचों में पहली जीत भी थी। इस श्रृंखला के कैंडी और पीएसएस कोलंबो में खेले गये बाकी दो टेस्ट मैच अनिर्णीत समाप्त हुए थे।
सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में भारत ने 1997 में श्रीलंका में दो टेस्ट मैच खेले लेकिन इन दोनों का परिणाम नहीं निकल पाया। गांगुली की अगुवाई में भारत ने विदेशी धरती पर भी सफलताएं अर्जित की लेकिन उनका करिश्माई नेतृत्व श्रीलंकाई शेरों को उसकी सरजमीं पर धूल चटाने में नाकाम रहा।
गांगुली 2001 के श्रीलंका दौरे में भारतीय टीम के कप्तान थे। तीन मैचों की उस श्रृंखला के सभी मैचों का परिणाम निकला लेकिन श्रीलंका 2-1 से सीरीज जीतने में सफल रहा। इसके बाद अनिल कुंबले की अगुवाई वाली टीम को 2008 में स्पिनर अजंता मेंडिस ने अपनी रहस्यमयी गेंदों के जाल में इस कदर फंसाया कि टीम तीन मैचों की श्रृंखला में दो मैच हार गयी। उसने हालांकि तब एक मैच जीता था।
धोनी की भाग्य भी श्रीलंका में टेस्ट मैचों में नहीं चल पाया। वह 2010 में टीम को लेकर इस पड़ोसी देश के दौरे पर गये। उनकी टीम को श्रृंखला में हार तो नहीं मिली लेकिन वह उसे जीत भी नहीं दिला पाये। तीन मैचों की श्रृंखला 1-1 से बराबर छूटी थी। इस तरह से भारत 1993 से अब तक श्रीलंका को उसकी सरजमीं पर टेस्ट श्रृंखला में नहीं हरा पाया है।
कोहली एंड कंपनी के पास अब इंतजार समाप्त करने का अच्छा मौका है क्योंकि भारत अपने कुछ स्टार खिलाडिय़ों के संन्यास लेने के बाद पैदा हुए शून्य को लगभग भर चुका है जबकि श्रीलंका को अब भी माहेला जयवर्धने जैसे खिलाडिय़ों की कमी खल रही है। कुमार संगकारा हालांकि भारत के खिलाफ पहले दो टेस्ट मैचों में खेलेंगे।
श्रीलंका हाल में पाकिस्तान से श्रृंखला गंवा बैठा था और भारतीय टीम अपने चिर प्रतिद्वंद्वी के इस प्रदर्शन से पे्ररणा लेने की कोशिश करेगा। यह अलग बात है कि भारतीय टीम के अधिकतर सदस्यों को श्रीलंकाई सरजमीं पर टेस्ट मैच खेलने का अनुभव नहीं है। लगभग दो साल बाद टेस्ट टीम में वापसी करने वाले आफ स्पिनर हरभजन सिंह ने श्रीलंका में कुल नौ टेस्ट मैच खेले हैं लेकिन उनकी बलखाती गेंदों का मुथैया मुरलीधरन की सरजमीं पर खास नहीं चला है। हरभजन ने इन नौ मैचों में केवल 25 विकेट हासिल किये हैं और उनका औसत 46 . 92 है। लेग स्पिनर अमित मिश्रा को भी 2010 में एक टेस्ट मैच में खेलने का मौका मिला था लेकिन उसमें वह 46 . 75 की औसत से चार विकेट ही ले पाये थे।
तेज गेंदबाज इशांत शर्मा को 2008 और 2010 के दौरे के सभी मैचों में खेलने का मौका मिला था। इस तरह से उन्होंने श्रीलंका में छह टेस्ट मैच खेले हैं लेकिन उन्हें वहां नाकामी ज्यादा मिली है। दिल्ली के इस गेंदबाज ने श्रीलंकाई सरजमीं पर केवल 13 टेस्ट विकेट लिये हैं और उनका औसत 49 . 61 है। यदि बल्लेबाजों की बात करें तो वर्तमान टीम में से केवल मुरली विजय ने श्रीलंका में टेस्ट मैच खेला है। उन्होंने 2010 में दो मैचों में 33 रन प्रति पारी के औसत से 99 रन बनाये थे। उनका सर्वोच्च स्कोर 58 रन था। इनके अलावा 2008 में रोहित शर्मा और 2010 में रिद्विमान साहा भी टीम का हिस्सा थे लेकिन उन्हें अंतिम एकादश में जगह बनाने का मौका नहीं मिला था।

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