नई दिल्ली: जिन परीक्षाओं में नंबर आने के लिए छात्र जी-जान लड़ा देते हैं उनमें चयन के बाद पढ़ाई बीच में हो छोड़ देने वाले भी कम नहीं हैं। सरकार ने आज बताया कि पिछले तीन वर्षो में अकादमिक तनाव समेत विविध कारणों से 4400 से अधिक छात्रों ने आईआईटी, एनआईटी की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। सरकार ने आश्वासन दिया कि इस दिशा में सुधारात्मक उपाए किये जा रहे हैं। लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि 2012-13 से 2014-15 के बीच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से 2060 छात्रों ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। उन्होंने कहा कि इस अवधि में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी से 2,352 छात्रों ने बीच में पढ़ाई छोडी। स्मृति ने इस सवाल के लिखित जवाब में कहा कि इन संस्थाओं से बीच में पढ़ाई छोडऩे के कारणों में व्यक्तिगत कारण, स्वास्थ्य समस्या, पीजी कोर्स के दौरान नौकरी मिलना और अकादमिक तनाव नहीं झेल पाना आदि शामिल है। 2014-15 में 757 छात्रों ने आईआईटी में बीच में पढ़ाई छोड़ी जबकि 2013-14 में यह संख्या 697 थी तथा 2012-13 में यह 606 दर्ज की गई। इस अवधि में आईआईटी रूडकी में सबसे अधिक 228 छात्रों ने बीच में पढ़ाई छोड़ दी जबकि आईआईटी दिल्ली में 169 और आईआईटी खडगपुर में 209 छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी। 2014-15 में आईआईटी मंडी, जोधपुर, कानपुर, मद्रा और रोपड़ में किसी छात्र ने बीच में पढ़ाई नहीं छोड़ी। 2014-15 में 717 छात्रों ने एनआईटी में बीच में पढ़ाई छोड़ी जबकि 2013-14 में यह संख्या 785 थी तथा 2012-13 में यह 850 दर्ज की गई। देश में 16 आईआईटी और 30 एनआईटी हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि ऐसे छात्रों की मदद के लिए एक तंत्र है और सरकार अकादमिक तनाव से जुड़े मुद्दों को दूर करने को प्रतिबद्ध है।
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