नई दिल्ली: पोर्न वेबसाइटों पर प्रतिबंध को अभिव्यक्ति की आजादी व निजता का हनन बताए जाने के कोहराम के बीच केंद्र सरकार ने थोड़ा सा पीछे हटते हुए कुछ रियायत देने का फैसला किया है। सरकार ने अपने फैसले की समीक्षा करते हुए कुछ ऐसी साइटों को खोलने का फैसला किया है जिन पर पोर्न सामग्री के बजाय हास्य सामग्री पेश की जा रही थी।
बता दें, भारत में पॉर्न साइट्स पर अचानक लगे बैन की आम जनता के साथ-साथ बॉलीवुड ने भी आलोचना की थी। फिल्म निर्देशक रामगोपाल वर्मा ने इसकी आलोचना करते हुए कई ट्वीट किए थे। इसके अलावा मुंबई से कांग्रेस के पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा ने भी ट्वीट कर इस फैसले को तालिबानी बताया था। हालांकि सरकार का कहना है कि उसने ऐसा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में किया था। दूरसंचार विभाग ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) से 857 वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। समीक्षा में पाया गया कि इसमें से कुछ वेबसाइट चुटकुले और अन्य हास्य सामग्री परोस रही हैं और उसमें अश्लीलता जैसा कुछ नहीं है।
पूर्व के आदेश से हुए नुकसान की भरपाई के इरादे से दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने आज उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की जिसमें आईटी सचिव आर एस शर्मा तथा अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पिंकी आनंद समेत अन्य लोग शरीक हुए। प्रसाद ने बताया कि बैठक में यह निर्णय किया गया है कि आईएसपी से तत्काल उन वेबसाइसाइटों पर प्रतिबंध नहीं लगाने को कहा जाएगा जो अश्लील सामग्री नहीं परोसती। उन्होंने कहा कि सरकार सोशल मीडिया पर विचारों के प्रसार की सराहना करती है। हमने माईगाव प्लेटफार्म शुरू किया है जिसमें विकास एजेंडे के बारे में लोगों से राय मांगी गयी है और लाखों लोग इसमें भाग ले रहे हैंं।
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि प्रतिबंध तब तक के लिये अस्थायी उपाय है जब तक शीर्ष अदालत मामले में अंतिम आदेश नहीं दे देती। सरकार के कदम को लेकर लोगों की तीखी प्रतिक्रिया के बारे में प्रसाद ने कल कहा था कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार सोशल मीडिया तथा इंटरनेट की आजादी को लेकर प्रतिबद्ध है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर तत्काल कदम उठाये गये। अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने उन कथित अश्लील सामग्री परोसने वाली वेबसाइटों की सूची पर कार्रवाई करने को कहा था जिसे याचिकाकर्ता ने उपलब्ध कराया था। सरकार इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर प्रतिबद्ध है।
बता दें, भारत में पॉर्न साइट्स पर अचानक लगे बैन की आम जनता के साथ-साथ बॉलीवुड ने भी आलोचना की थी। फिल्म निर्देशक रामगोपाल वर्मा ने इसकी आलोचना करते हुए कई ट्वीट किए थे। इसके अलावा मुंबई से कांग्रेस के पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा ने भी ट्वीट कर इस फैसले को तालिबानी बताया था। हालांकि सरकार का कहना है कि उसने ऐसा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में किया था। दूरसंचार विभाग ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) से 857 वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। समीक्षा में पाया गया कि इसमें से कुछ वेबसाइट चुटकुले और अन्य हास्य सामग्री परोस रही हैं और उसमें अश्लीलता जैसा कुछ नहीं है।
पूर्व के आदेश से हुए नुकसान की भरपाई के इरादे से दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने आज उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की जिसमें आईटी सचिव आर एस शर्मा तथा अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पिंकी आनंद समेत अन्य लोग शरीक हुए। प्रसाद ने बताया कि बैठक में यह निर्णय किया गया है कि आईएसपी से तत्काल उन वेबसाइसाइटों पर प्रतिबंध नहीं लगाने को कहा जाएगा जो अश्लील सामग्री नहीं परोसती। उन्होंने कहा कि सरकार सोशल मीडिया पर विचारों के प्रसार की सराहना करती है। हमने माईगाव प्लेटफार्म शुरू किया है जिसमें विकास एजेंडे के बारे में लोगों से राय मांगी गयी है और लाखों लोग इसमें भाग ले रहे हैंं।
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि प्रतिबंध तब तक के लिये अस्थायी उपाय है जब तक शीर्ष अदालत मामले में अंतिम आदेश नहीं दे देती। सरकार के कदम को लेकर लोगों की तीखी प्रतिक्रिया के बारे में प्रसाद ने कल कहा था कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार सोशल मीडिया तथा इंटरनेट की आजादी को लेकर प्रतिबद्ध है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर तत्काल कदम उठाये गये। अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने उन कथित अश्लील सामग्री परोसने वाली वेबसाइटों की सूची पर कार्रवाई करने को कहा था जिसे याचिकाकर्ता ने उपलब्ध कराया था। सरकार इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर प्रतिबद्ध है।
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