Wednesday 25 October 2017

नगर पालिका अध्यक्षः वैश्य व पंजाबी के बीच में फंसी भाजपा

मुजफ्फरनगरः नगर पालिका चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। इस बार हर लिहाज से ऐतिहासिक साबित होने जा रहे चुनावों में प्रत्याशियों का चयन बहुत ही कठिन माना जा रहा है। मुजफ्फरनगर पालिका अध्यक्ष की सीट महिला के लिए रिजर्व हो गई है और सभी राजनीतिक दलों के पास अच्छी नेताओं का अभाव है। केवल भाजपा ही ऐसी पार्टी नजर आ रही है जो किसी महिला कार्यकर्ता को मैदान में उतारने में सक्षम है। बाकी दलों की स्थिति खराब है।
अहम बात यह है कि इस बार भाजपा के सामने यह चुनौती भी है कि वह इस पद के लिए किसी वैश्य प्रत्याशी को मैदान में उतारे या पंजाबी को। पंजाबी समाज हमेशा से यह मांग करता रहा है कि विधायक वैश्य होता है तो कम से कम चेयरमैन तो पंजाबी समाज से बने। इस बार भी यही चुनौती अहम रहेगी। 2012 में हुए नगर पालिका चुनावों में भाजपा के वैश्य प्रत्याशी संजय अग्रवाल को पंजाबी समाज ने बहिष्कार कर हरीश छाबड़ा को समर्थन को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में समर्थन दे दिया था। यही वजह थी कि कांग्रेस प्रत्याशी पंकज अग्रवाल जीत हासिल करने में सफल रहे थे। इस बार भी कुछ ऐसा हो सकता है। जब से सीधे जनता चेयरमैन चुनने लगी है तब से भाजपा के बैनर पर पंजाबी समाज से जगदीश भाटिया चेयरमैन बन चुके हैं। इसके अलावा ब्राह्मण नेता सुभाष शर्मा भी चेयरमैन रहे हैं। केवल एक बार कपिल देव अग्रवाल (अब विधायक) ही वैश्य चेयरमैन रहे हैं।

भाजपा के सामने सबसे ज्यादा कठिनाई यह है कि वह अगर वैश्य प्रत्याशी को नहीं उतारती है तो वैश्य वोट किसी अन्य दल के वैश्य प्रत्याशी के पाले में जा सकते हैं। कांग्रेस, सपा व रालोद भी वैश्य प्रत्याशी उतारने की कोशिश में हैं। कहा जा रहा है कि सपा से पूर्व विधायक स्व. चितरंजन स्वरूप के बेटे गौरव स्वरूप मैदान में उतर सकते हैं। रालोद के बैनर से पायल महेश्वरी (जेल में बंद संजीव जीवा की पत्नी) तैयारी कर रही हैं। पायल को विधानसभा चुनाव में 5640 वोट भई मिले थे।

इन हालात में भाजपा के सामने बड़ी चुनौती होगी प्रत्याशी का चुनाव करना। 

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