Friday 31 July 2015

टाइगर मेमन से पाक अधिकृत कश्मीर में मिला था कांग्रेस विधायक

आतंकवादी का जीवन छोड़कर कांग्रेस के कश्मीर से विधायक बने मजीद का दावा
श्रीनगर: उग्रवादी से नेता बने कांग्रेस विधायक उस्मान मजीद ने आज यह दावा कर विवाद छेड़ दिया कि 1993 के मुंबई विस्फोटों के बाद उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में टाईगर मेमन से मुलाकात की थी। उस दौरान टाइगर अपने भाई याकूब के आत्मसमर्पण से इस आशंका को लेकर चिंतित था कि आईएसआई उसकी हत्या कर सकती है। याकूब को नागपुर केंद्रीय कारागार में फांसी के फंदे से लटकाए जाने के एक दिन बाद मजीद का दावा आया है।

उत्तर कश्मीर के बांदीपुरा से विधायक ने दावा किया कि मैं टाईगर से 1993 में मिला था। मैं उससे दो तीन बार मिला था। वह मुजफ्फराबाद (पीओके की राजधानी) स्थित हमारे कार्यालय में आया करता था। मेरी टाईगर से दोस्ती नहीं थी। स्टूडेंट्स लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक एवं इखवान उल मुस्लीमीन आतंकी संगठन के प्रमुख हिलाल बेग ने उन्हें उससे मिलवाया था। मजीद ने बताया कि जब वे मिले थे उससे पहले ही टाईगर मुंबई में बम विस्फोट कर चुका था। मजीद ने कहा कि उस वक्त वह हमारे देश में मोस्ट वांटेड था। मैंने उससे पूछा कि उसने विस्फोटों को अंजाम क्यों दिया और विस्फोटों के पीछे क्या वजह थी। मजीद ने दावा किया कि उसने जवाब दिया कि मुख्य वजह बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना और इसके बाद हुए दंगे थे। उसने कहा कि महिलाओं सहित अन्य लोग उसके पास आए और उसे बताया कि उनकी हत्या की जा रही है और वह भावुक हो गया। इसी के चलते उसने विस्फोट किए थे।
मजीद ने कहा कि टाईगर ने उसे बताया था कि आईएसआई ने विस्फोटों की साजिश रचने और अंजाम देने में मदद की थी। उसनेे दावा किया था कि आईएसआई ने विस्फोटों को अंजाम देने में टाईगर की मदद की थी। टाईगर ने खुद इसे नहीं किया था। टाईगर के मुताबिक सब कुछ पाकिस्तान ने किया था। योजना और हथियार उन्होंने (पाकिस्तान ने) मुहैया कराये थे और साजिश को आईएसआई के निर्देशों पर टाईगर के गिरोह ने अंजाम दिया था।
विधायक ने यह दावा भी किया कि अपने भाई याकूब के आत्मसमर्पण करने के बाद टाईगर चिंतित था और उसे अंदेशा था कि आईएसआई उसकी हत्या कर सकती है। मजीद ने बताया कि टाईगर ने कहा कि याकूब ने आत्मसमर्पण कर दिया है लेकिन यहां हमारे लोगों ने बताया कि उसे गिरफ्तार किया गया है। लेकिन टाईगर आत्मसमर्पण को लेकर चिंतित था। उसने सोचा कि आईएसआई का उससे भरोसा उठ जाएगा। पाकिस्तान को यह भी चिंता थी कि वह भी आत्मसमर्पण कर सकता है। टाईगर ने कहा कि पाकिस्तान में पहले की तुलना में अब उसके लिए कम सम्मान है और इसलिए आईएसआई उसे शक की नजरों से देख रही है। विधायक ने बताया कि जब याकूब ने आत्मसमर्पण कर दिया, तब टाईगर ने पाकिस्तान छोड़ दिया क्योंकि उसे आशंका थी कि आईएसआई उसकी हत्या कर देगी। वह अपमानित महसूस कर रहा था और वह दुबई के लिए रवाना हो गया लेकिन वार्ताओं के बाद उन्होंने (आईएसआई ने) उसे वापस बुलाया क्योंकि वे उसे आत्मसमर्पण नहीं करने देना चाहते थे। मजीद ने दावा किया कि उन्हें डर था कि कहीं याकूब कुछ आधार न मुहैया कर दे और वह टाईगर के भी आत्मसमर्पण को प्रोत्साहित करेगा। उनके मुताबिक आईएसआई टाईगर को कभी भी आत्मसमर्पण नहीं करने देगा।

त्रिपुरा के राज्यपाल ने कहा- याकूब के जनाजे में कई ‘संभावित आतंकी’ थे

अगरतला: त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत राय ने आज यह टिप्पणी करके विवाद उत्पन्न कर दिया कि मुम्बई विस्फोट मामले के दोषी याकूूब मेमन को फांसी दिये जाने के बाद उसके जनाजे में शामिल लोगों में से कई संभावित आतंकवादी हैं। भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के पूर्व अध्यक्ष 70 वर्षीय राय के ट्वीट की तृणमूल कांग्रेस और माकपा ने आलोचना की और याद दिलाया कि वह एक संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं। तृणमूल कांग्रेस नेता एवं पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री सुब्रत मुखर्जी ने मांग की कि राज्यपाल को हटा दिया जाना चाहिए। सोशल मीडिया पर भी राय की तीखी आलोचना की गई और कहा गया कि राय ने एक ट्वीट से संवैधानिक मूल्यों से विश्वासघात किया है। राय ने ट्वीट किया कि खुफिया एजेंसियों को मेमन के जनाजे में शामिल होने वाले सभी पर (रिश्तेदार और दोस्तों को छोड़कर) नजर रखनी चाहिए। कई संभावित आतंकवादी हैं। बाद में राय ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने मेमन के रिश्तेदारों और मित्रों को बाहर रखा था। उन्होंने कहा कि अन्य एक ऐसे व्यक्ति को देखने क्यों आये जिसे फांसी दी गई थी। उन्हें जरूर उसके प्रति सहानुभूति होगी। राज्यपाल ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि सार्वजनिक हित के मुद्दों को लोगों के ध्यान में लाना मेरा संवैधानिक दायित्व है। इससे राज्यपाल के तौर पर मेरी हैसियत से कोई समझौता नही हुआ है।

राहुल ने FTII में कहा- आरएसएस ‘औसत दर्जे’ को दे रहा है बढ़ावा

गजेंद्र चौहान के खिलाफ आंदोलन कर रहे छात्रों से मिले कांग्रेस उपाध्यक्ष
पुणे: गजेंद्र चौहान की नियुक्ति के खिलाफ यहां भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (FTII) में आंदोलन कर रहे विद्यार्थियों को समर्थन देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ औसत दर्जे को बढावा देकर इस संस्थान का दर्जा घटा रहा है। विद्यार्थियों से बातचीत करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष ने सवालिये लहजे में कहा कि क्यों इस 'छोटे स्कूल’ ने सरकार के मन की शांति भंग कर रखी है और फिर उन्होंने यह कहते हुए आरएसएस की आलोचना की कि वह अपने विचार का प्रचार प्रसार करना चाहता है और वह प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों को 'राष्ट्रविरोधी’ बतायेगा । उन्होंने प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ खुले संवाद के दौरान कहा, आरएसएस और उसके विचारक तंत्र में सुनियिोजित तरीके से ''औसत दर्जे’ के लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं, वे शैक्षणिक संस्थानों के दर्जे को गिराने पर आमादा हैं, यह बस शिक्षा व्यवस्था की बात नहीं है बल्कि नौकरशाही एवं न्यायिक प्रणाली में भी ऐसा हो रहा है। उन्होंने कहा, क्यों बस करीब 250 विद्यार्थियों वाला यह छोटा संस्थान सरकार के मन की शांति भंग कर रहा है। यदि विद्यार्थी उन्हें (गजेंद्र चौहान को) नहीं चाहते हैं तो स्पष्टत: उन्हें वहां नहीं होना चाहिए। यह आपपर धौंसपट्टी दिखाने का प्रयास है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने विद्यार्थियों को उनकी आवाज संसद में उठाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, आरएसएस अपने विचार का प्रचार प्रसार चाहता है। वे आपको राष्ट्रविरोधी, हिंदू विरोधी कहेंगे। वे आपसे डरे हुए हैं । यह धौंसपट्टी का स्वभाव है। जब राहुल गांधी इस प्रतिष्ठित संस्थान में गए तब भाजपा कार्यकर्ताओं ने बाहर नारेबाजी की। एफटीआईआई के विद्यार्थी टीवी अभिनेता चौहान को इस संस्थान का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के खिलाफ 50 दिनों से हड़ताल पर हैं। उन्होंने इस मंच का उपयोग यह कहते हुए कांग्रेस और भाजपा शासन के बीच तुलना करने के लिए किया कि कांग्रेस में जहां भी मुद्दा होता है, उस पर चर्चा होती है, कुछ सहमत होते हैं कुछ नहीं। लेकिन भाजपा में यदि प्रधानमंत्री ने कोई निर्णय ले लिया तब कोई कुछ नहीं कह सकता।
इसी महीने विद्यार्थियों के एक संगठन ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को पत्र लिखकर उनसे हस्तक्षेप करने और सरकार से अनुपयुक्त लोगों की नियुक्ति खारिज करने तथा भावी नियुक्तियों के लिए पारदर्शी प्रक्रिया स्थापित करने की अपील करने का अनुरोध किया था। विद्यार्थियों ने आरोप लगाया हे कि चौहान एवं चार अन्य नियुक्त सदस्यों में 'पात्रता का अभाव’ है और वे आरएसएस या भाजपा के साथ अपने संबंधों की वजह से ही चुने गए हैं।

राहुल गांधी ने कहा, आपको बिल्कुल ही सरकार से यह पूछने का हक है कि क्यों ‘औसत दर्जे’ के लोग आपके प्रशिक्षण के लिए रखे जा रहे हैं। मैं यहां हूं क्योंकि आपकी सुनी नहीं जा रही है। उन्होंने कहा, वैसे हम सरकार में नहीं हैं लेकिन यदि संस्थान का कोई निजीकरण हुआ तो मैं यहां आपके साथ बैठूंगा। राहुल गांधी ने एफटीआईआई विद्यार्थियों से इस मामूली संघर्ष से आगे देखने का आह्वान करते हुए कहा, इस भद्रपुरूष को बदलना कोई बड़ी बात नहीं है। यह मामूली लड़ाई है जो आप यहां लड़ रहे हैं। असली लड़ाई तो इसके बाहर (संस्थान से बाहर) देश के विचार के लिए लडऩा है। आपको उन चुनौतियों के लिए कमर कस लेना चाहिए। विद्यार्थियों ने अपनी चिंताएं राहुल गांधी के सामने रखीं और उनके द्वारा उठायी जा रही मांगों के समर्थन में दलीलें दीं। 
एक विद्यार्थी ने कहा, मैं यहां इस आंदोलन के तहत जो कुछ कर रहा हूं उसका मेरे माता-पिता समर्थन करते हैं लेकिन असुरक्षा और खतरा का भी बोध है। सरकार ने बातचीत की हमारी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया, हमारी बातचीत क्यों नहीं हो सकती। एफटीआईआई छात्र संघ के प्रतिनिधि अजयन अदात ने कहा, भारतीय लोकतंत्र का ढांचा ऐसा है कि कुछ मुद्दों को संसद में उठाने की जरूरत है। हम उसे अपने आप नहीं उठा सकते। अतएव हमें पार्टी लाइन से उपर उठकर सभी से संपर्क करना है।  दस सदस्यीय एक प्रतिनिधिमंडल तीन जुलाई को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरूण जेटली से मिला था लेकिन मंत्रालय ने एफटीआईआई सोसायटी के अध्यक्ष पद से नियुक्ति वापस लेने और सोसायटी को भंग करने की मांग ठुकरा दी। एफटीआईआई विद्यार्थी अब अपनी मांग के समर्थन में सोमवार को नयी दिल्ली में विभिन्न शिक्षण संस्थानों के समर्थकों के साथ जंतर मंतर से संसद तक रैली निकालेंगे।

राजनाथ सिंह गरजे- यूपीए सरकार ने गढ़ी थी ‘हिंदू आतंकवाद’ की शब्दावली

लोकसभा में होम मिनिस्टर का उत्तेजित कर देने वाला भाषण
नई दिल्ली : सरकार ने आज पूर्व संप्रग सरकार पर आरोप लगाया कि उसने 'हिंदू आतंकवाद’ की नयी शब्दावली गढ़ कर आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई को कमजोर किया। इसके लिए उसने कुख्यात आतंकवादी हाफिज सईद से बधाई पायी लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ऐसी शर्मनाक स्थिति कभी पैदा नहीं होने देगी। पंजाब के गुरदासपुर में 27 जुलाई को हुए आतंकवादी हमले के बारे में लोकसभा में अपना लिखित बयान पढऩे के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यह बात कही।


उन्होंने कहा, यूपीए के गृह मंत्री ने हिंदू आतंकवाद की नयी टर्म को इजाद करके आतंकवादी घटनाओं की जांच की दिशा को बदलने का काम किया। यूपीए के गृह मंत्री द्वारा हिंदू आतंकवाद की टर्म को इजाद किए जाने पर हाफिज सईद ने उन्हें बधाई दी थी। गृह मंत्री ने कहा, लेकिन ऐसी शर्मनाक स्थिति यह सरकार नहीं होने देगी। आतंकवाद , आतंकवाद होता है , उसका हिंदू मुसलमान, या कोई जाति , पंथ और धर्म नहीं होता। सिंह के इन आरोपों का कड़ा प्रतिवाद करते हुए कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि सरकार आतंकवाद का राजनीतिकरण कर रही है।
गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और इस मुद्दे पर न तो संसद को और न ही देश को विभाजित दिखना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर चर्चा और उसका जवाब देने के लिए तैयार हैं। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों द्वारा संसद में सरकार के खिलाफ नारेबाजी किए जाने पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, एक ओर शहादत हो और दूसरी ओर सदन में शोरशराबा हो , इसे देश कैसे स्वीकार करेगा ?
राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद के सवाल पर सदन में गंभीरतापूर्वक चर्चा होनी चाहिए। आतंकवाद की मौजूदा स्थिति के लिए पिछली सरकारों की विदेश नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए गृह मंत्री ने एक शेर पढ़ा:
'चीन छीन देश का गुलाब ले गया,
ताशकंद में वतन का लाल सो गया,
हम सुलह की शक्ल ही संवारते रहे,
जीतने के बाद बाजी हारते रहे।

सिंह ने कहा कि संप्रग सरकार की हमेशा यही राजनीति रही है। इससे पहले अपने लिखित बयान को पढ़ते हुए गृह मंत्री ने कहा, जीपीएस आंकड़ों के प्रारंभिक अध्ययन से संकेत मिलते हैं कि हमलावर तीन आतंकवादियों ने पाकिस्तान से गुरदासपुर जिले के तास क्षेत्र से घुसपैठ की। उन्होंने कहा कि भारत की एकता एवं अखंडता तथा देश के नागरिकों की सुरक्षा को कमतर करने के देश के दुश्मनों के किसी भी प्रयास का हमारे सुरक्षा बलों द्वारा त्वरित एवं मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। सरकार आतंकवाद से दृढ़ता एवं कड़ाई से निबटने के लिए प्रतिबद्ध है और सीमा पार से चलायी जा रही सभी आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
राजनाथ सिंह कल राज्यसभा में अपना यह लिखित बयान पहले ही दे चुके हैं। सिंह ने लोकसभा में आज जब अपना बयान पढऩा शुरू किया तो आसन के समक्ष एकत्र होकर नारे लगा रहे कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य अपने अपने स्थान पर चले गए और उनका बयान पूरा होते ही वे फिर से आसन के समक्ष आकर नारे लगाने लगे। हंगामा जारी रहने पर अध्यक्ष ने कुछ ही देर बाद सदन की कार्यवाही भोजनावकाश से आधा घंटा पहले ही दोपहर दो बजे के लिए स्थगित कर दी।
दो बजे सदन की कार्यवाही पुन: शुरू होने पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने गृहमंत्री पर आतंकवाद पर 'राजनीतिक भाषण' देकर सदन को विभाजित करने का आरोप लगाया जबकि आतंकवाद पर पूरा देश एक है। खडग़े ने सरकार पर आतंकवाद को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी पार्टी इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने उपाध्यक्ष एम थंबीदुरै से अनुरोध किया कि गृहमंत्री ने गुरदासपुर में आतंकी हमले के बारे में अपने लिखित बयान के बाद सदन में जो कुछ भी कहा उसे कार्यवाही से निकाल दिया जाये। कांग्रेस नेता की इस मांग को आसन ने ठुकरा दिया।
खडग़े ने कहा कि हम सब ने सिंह के बयान का स्वागत किया क्योंकि देश इस मुद्दे पर एक है और आतंकवादी कार्रवाई और देश की एकता अखंडता के मामले में कोई समझौता नहीं किया जा सकता। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने खडग़े की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि गृहमंत्री ने अपने बयान के बाद एक लंबा भाषण दे डाला जो कि नियम के खिलाफ है। खडग़े जब अपनी बात रख रहे थे तो गृहमंत्री सदन में मौजूद नहीं थे।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि गृहमंत्री ने इस मुद्दे पर विस्तार से अपनी बात रखी और पिछली नीतियों की खामियों की ओर इंगित किया। उन्होंने कहा कि सदन को बांटने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है और विपक्ष को चर्चा शुरू करने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।

अश्विन ने एक साल बाद लिया अपना अर्जुन पुरस्कार

नई दिल्लीः भारतीय क्रिकेट टीम के स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को शुक्रवार को खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया। अश्विन को ये पुरस्कार पिछले साल दिया गया था लेकिन 29 अगस्त 2014 को राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में वे भाग नहीं ले पाए थे। उस समय अश्विन भारतीय टीम के साथ इंग्लैंड का दौरा कर रहे थे। 28 साल के अश्विन 25 टेस्ट में 124 विकेट और 99 वन डे में 139 विकेट ले चुके हैं। नवंबर 2013 में सबसे तेजी से 100 विकेट (19 टेस्ट में) लेने वाले वे भारत के पहले गेंदबाज बने थे। ये वो मैच था जिसमें सचिन तेंदुलकर ने अपना अंतिम टेस्ट खेला था।

गुरु पूर्णिमा पर सचिन का अचरेकर को प्रणाम

मुंबईः मास्टर ब्लास्टर, भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने शुक्रवार को गुरु पूर्णिमा के मौके पर अपने गुरु रमाकांच अचरेकर के घर जाकर उनका आशीर्वाद लिया। खास बात ये रही कि सचिन ने सबसे पहले उनके चरण स्पर्श किए और इसके बाद उनके परिवार के साथ फोटो भी खिंचवाए। सचिन ने खुद ये फोटो टि्वटर पर शेयर कर ये जानकारी दी। सचिन अपने गुरु का बेहद सम्मान करते हैं और समय-समय पर उनसे मिलते रहते हैं। 




Thursday 30 July 2015

पल-पलः इस तरह फांसी दी गई याकूब को

नागपुर: याकूब मेमन आज यहां फांसी के फंदे से लटकाए जाने के लिए तय समय से तीन घंटे पहले जगा था और उसे यह सजा देने का काम बगैर किसी अड़चन के पूरा हो गया। नागपुर केंद्रीय कारागार में उसे फांसी देने की तैयारियां 1,050 किलोमीटर दूर दिल्ली में उ'चतम न्यायालय के तीन सदस्यीय पीठ के अपना आदेश सुबह चार बजकर 50 मिनट पर सुनाए जाने से काफी पहले से चल रही थी। हालांकि, शीर्ष न्यायालय के आदेश के साथ ही याकूब को अपने 53 वें जन्म दिन के दिन राहत मिलने की आखिरी आस भी खत्म हो गई। 

अदालत कक्ष में तड़के ही शीर्ष न्यायालय के आदेश सुनाए जाने के दो घंटे से कुछ ही देर बाद पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट याकूब को जेल में प्रक्रियाओं के पूरी होने पर सुबह सात बजे फांसी दे दी गई। याकूब के भाई सुलेमान और चचेरे भाई उस्मान कल यहां इस उम्मीद के साथ पहुंचे थे कि आखिरी क्षण की कानूनी लड़ाई में वह फांसी के तख्ते से बच जाएगा। सिर्फ ये लोग ही उसके परिवार के सदस्य के तौर पर उसे बीती रात नम आंखों से अंतिम विदाई देने आए थे जिसके बाद वे अपने होटल लौट गए जहां वे ठहरे हुए थे। उच्च सुरक्षा वाली जेल के चारों ओर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था और मीडियाकर्मियों को याकूब के दो रिश्तेदारों से मिलने की इजाजत नहीं दी गई।
फांसी के बाद शव लेने के लिए सुलेमान और उस्मान आज सुबह फिर जेल लौटें। सुलेमान ने बीती शाम एक अर्जी देकर याकूब का शव परिवार को सौंपे जाने की मांग की थी। सुबह चार बजे जगने के बाद याकूब ने स्नान किया, नये कपड़े पहने, नमाज अदा की और कुरान की कुछ पंक्तियां पढ़ीं। उसके वकील अनिल गेदाम के मुताबिक याकूब कल घबराया हुआ नजर आ रहा था लेकिन वह आखिरी पलों में कुछ करिश्मा होने की उम्मीद कर रहा था। कानून के मुताबिक मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) फांसी की प्रक्रिया का मुआयना करने के लिए मौके पर थे और उसे फांसी पर लटकाए जाने से पहले उसका आरोप पढ़कर सुनाया।

याकूब को फांसी देने के लिए जेल अधिकारियों ने जो कार्यक्रम बनाया था उसके मुताबिक चली प्रक्रिया इस प्रकार हैः-

सुबह चार बजे: याकूब अपनी कोठरी में जगा

सुबह सवा चार बजे : याकूब ने स्नान किया

सुबह साढ़े चार बजे : उसे नये कपड़े दिए गए

सुबह पौने पांच बजे : उसने हल्का नाश्ता किया

सुबह पांच बजे : चिकित्सकों की एक टीम ने आखिरी समय की जांच की

सुबह साढ़े पांच बजे : याकूब ने नमाज अदा की, कुरान की आयतें पढ़ीं

सुबह छह बजे : याकूब को उसकी कोठरी से दूसरी कोठरी में ले जाया गया

सुबह सवा छह बजे : जेल अधीक्षक योगेश देसाई और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (जेल) मीरा बोरवंकर ने फांसी के तख्ते और रस्सी का मुआयना किया जो एक से डेढ़ इंच मोटी थी।

सुबह साढ़े छह बजे : उसके चेहरे को काले मोटे कपड़े से ढंक दिया गया और उसे फांसी यार्ड ले जाया गया।

सुबह पौने सात बजे : सीजेएम ने टाडा अदालत के फैसले को पढ़ा

सुबह छह बजकर 50 मिनट : याकूब को फांसी के तख्ते पर खड़ा किया गया और उसके गले में फंदा डाल दिया गया

सुबह छह बजकर 55 मिनट : सभी अधिकारियों, जल्लाद, जेल अधिकारियों ने पाया कि सब कुछ ठीक है

सुबह सात बजे : सीजेएम ने जल्लाद को लीवर खींचने का इशारा किया। आधे घंटे बाद उसका शव नीचे नीचे उतारा गया और चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित किया।

इसके बाद शव का पोस्टमार्टम किया गया और सुलेमान तथा उस्मान को सौंप दिया गया।

देर रात तक खुली देश की सबसे बड़ी अदालत

याकूब की इंसाफ की गुहार पर आखरी दम तक सुनवाई नई दिल्ली: 1993 के मुंबई बम विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन को फांसी तो दे दी गई लेकिन इस मामले में जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने इंसाफ की गुहार को सुनने के लिए अंतिम क्षण तक हरसंभव प्रयास किए उसे भारतीय न्याय पालिका के इतिहास में सदैव याद रखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार की रात दो बजे से गुरुवार की सुबह पांच बजे तक जिस तरह से इस मामले पर अंतिम सुनवाई की उसे एक बहुत बड़े बदलाव के रूप में भी देखा जा रहा है।
बुधवार की देर रात 2 से 5 बजे के बीच इस मामले में अंतिम तौर पर सुनवाई करते हुए तीन न्यायाधीशों वाली पीठ के अध्यक्ष दीपक मिश्रा ने अदालत कक्ष संख्या 4 में एक आदेश में कहा कि मौत के वारंट पर रोक लगाना न्याय का मजाक होगा। याचिका खारिज की जाती है। सुनवाई के लिए अदालत कक्ष अभूतपूर्व रूप से रात में खोला गया। तीन बजकर 20 मिनट पर शुरू हुई सुनवाई 90 मिनट तक चली। बुधवार दो दिन में निराशा मिलने के बाद याकूब के वकीलों ने देर रात अपनी रणनीति बदली और वे प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू के घर गए। उन्होंने इस आधार पर फांसी की सजा रूकवाने के लिए उन्हें तत्काल सुनवाई के लिए याचिका दी कि मौत की सजा पाए दोषी को 14 दिन का समय दिया जाए जिससे कि वह दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देने और अन्य उद्देश्यों के लिए तैयार हो सके। विचार विमर्श के बाद प्रधान न्यायाधीश ने उन्हीं तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित कर दी जिन्होंने पूर्व में बुधवार को दिन में मौत के वारंट पर फैसला किया था। वरिष्ठ अधिवक्ताओं आनंद ग्रोवर और युग चौधरी ने कहा कि अधिकारी याकूब को दया याचिका खारिज किए जाने के राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देने का अधिकार दिए बिना उसे फांसी लगाने पर तुले हैं। ग्रोवर ने कहा कि मौत की सजा का सामना कर रहा दोषी दया याचिका खारिज होने के बाद विभिन्न उद्देश्यों के लिए 14 दिन की मोहलत पाने का हकदार है।
याकूब की याचिका का विरोध करते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि उसकी ताजा याचिका प्रणाली का उल्लंघन करने के समान है। उन्होंने कहा कि 10 घंटे पहले तीन न्यायाधीशों द्वारा मौत के वारंट को बरकरार रखे जाने के फैसले को निरस्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि समूचा प्रयास लंबे समय तक जेल में रहने और सजा कम कराने का प्रयास प्रतीत होता है। फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा 11 अप्रैल 2014 को पहली दया याचिका खारिज किए जाने के बाद दोषी को काफी समय दिया गया जिसकी सूचना उसे 26 मई 2014 को दी गई थी। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि असल में पहली दया याचिका खारिज होने के बाद उसे काफी समय दिया गया जिससे कि वह परिवार के सदस्यों से अंतिम मुलाकात करने और अन्य उद्देश्यों के लिए तैयार हो सके। पीठ ने कहा कि यदि हम डेथ वारंट पर रोक लगाते हैं तो यह न्याय का मजाक होगा। इसने यह भी कहा कि रिट याचिका में कोई दम नहीं लगता। इसने आगे कहा कि कल आदेश सुनाते हुए टाडा अदालत द्वारा 30 जुलाई को फांसी देने के लिए 30 अप्रैल को जारी किए गए डेथ वारंट में हमें कोई खामी नहीं दिखी। आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ग्रोवर ने कहा कि यह एक दुखद गलती और गलत फैसला है।

मिसाल कायम की सुप्रीम कोर्ट ने: मुकुल

नई दिल्ली: मामले में सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने गुरुवार को कहा कि उन परिवारों के लिए न्याय की जीत हुई, जिनके परिजनों ने 1993 के मुंबई बम धमाकों में जान गंवाई थी। रोहतगी ने कहा कि मुझे खुशी है कि लंबी प्रक्रिया समाप्त हुई है। दोषी को 22 साल अवसर दिया गया था। मेमन की पुनर्विचार याचिका और दया याचिका खारिज की गई थी। उसे खुली अदालत में उसकी पुनर्विचार याचिका पर दोबारा सुनवाई का अधिकार भी मिला। रोहतगी ने कहा कि एक सुधारात्मक याचिका दायर की गई थी और उसे इस साल 21 जुलाई को खारिज कर दिया गया। एक नई रिट याचिका पर 27 जुलाई से कल तक सुनवाई हुई। महाराष्ट्र के राज्यपाल और राष्ट्रपति ने भी फिर से उसकी दया याचिकाएं खारिज कर दीं। उसके बाद उच्चतम न्यायालय में मध्य रात्रि में एक नई याचिका दायर की गई और आखिरकार यह इस रूप में परिणत हुआ।
ऐतिहासिक सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय की सराहना करते हुए रोहतगी ने कहा कि मैं खुश हूं कि उच्चतम न्यायालय ने इस चुनौती का सामना किया। उसने मेमन जैसे कैदी की याचिका पर सुनवाई की, जो 257 लोगों की हत्या में शामिल था। यह अब भारत की सभी अदालतों के लिए रोल मॉडल है और न्याय का प्रकाशस्तंभ है। रोहतगी ने कहा कि शीर्ष अदालत के प्रति सम्मान काफी बढ़ गया है। एक अप्रत्याशित सुनवाई के तहत उसने तड़के तीन बजे सुनवाई की क्योंकि फांसी सुबह सात बजे दी जानी थी। इस तथ्य के बावजूद उसने सुनवाई की कि पीठ ने दोषी की याचिका पर कल सुबह साढ़े 10 बजे से शाम साढ़े चार बजे तक सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों की बातों को सुना। इसी तरह की राय जाहिर करते हुए पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने कहा कि मुझे बेहद गर्व है कि हमारे पास ऐसी न्यायपालिका है, जो लोगों के अधिकारों के प्रति इतनी संवेदनशील है।
मौत की सजा का सामना कर रहे सभी दोषी अब अपनी फांसी से कुछ घंटे पहले पूरी रात सुनवाई की मांग कर सकते हैं, इस चिंता पर प्रतिक्रिया जताते हुए मौजूदा और पूर्व दोनों अटॉर्नी जनरल ने कहा कि यह ऐसा मामला था जिसमें उच्चतम न्यायालय के इस तरह के कदम की जरूरत थी और सभी मामले अलग हैं। रोहतगी ने कहा कि अप्रत्याशित सुनवाई पहले भी हुई हैं। उच्चतम न्यायालय भेदभाव नहीं करता है। उसने कानून के गौरव को बहाल रखा है। दोषी की ताजा दया याचिकाओं की वजह से अंतिम समय पर सुनवाई को उच्चतम न्यायालय राजी हुआ। वह याचिका कल दायर की गई थी। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस मामले में दूसरा और कोई रास्ता नहीं था। सोराबजी ने कहा कि यह एक विशेष मामला था। यह सभी मामलों में मध्य रात्रि में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के प्रचलन को बढ़ावा नहीं देगा।

मेमन को फांसी के बाद राजनीतिक दलों में छिड़ी जुबानी जंग

नई दिल्ली: मुंबई बम विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन के फांसी के फंदे से बचने के लिए अंतिम समय में किए गए प्रयास काम नहीं आए और उसे गुरुवार की सुबह सात बजे नागपुर जेल में फांसी पर लटका दिया गया। आज ही 53 साल के हुए मेमन को टाडा अदालत ने उसके मौत के फरमान पर तामील के लिए यही समय निर्धारित किया था। मौत के फरमान को उसके वकीलों की टीम ने कई बार चुनौती दी लेकिन तमाम प्रयास विफल साबित हुए। मेमन को फांसी तो दे दी गई लेकिन इसे लेकर राजनीतिक दलों में बहस भी छिड़ गई है। कांग्रेस ने इसे जल्दबाजी करार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है तो भाजपा इसके लिए कांग्रेस पर जनता का अपमान करने वाला बताया है।

बुधवार देर रात से गुरुवार सुबह तक चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद याकूब को फांसी दे ही दी गई। उसके शव को बाद में उसके भाई सुलेमान और चचेरे भाई उस्मान के सुपुर्द कर दिया गया जो कल से ही यहां शहर में ठहरे हुए थे। शव को मुंबई ले जाकर दफना दिया गया। याकूब का तो अंत हो गया लेकिन एक नई बहस का जन्म हो गया। कांग्रेस नेताओं दिग्विजय सिंह और शशि थरूर ने सरकार एवं न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। मेमन को फांसी से मौत की सजा के मुद्दे पर नये सिरे से बहस गर्माने के बाद सिंह ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर कहा कि सरकार और न्यायपालिका को इसी तरह की बेमिसाल तत्परता और प्रतिबद्धता आरोपी के धर्म की परवाह नहीं करते हुए सभी आतंकी मामलों में दिखाना चाहिए। थरूर ने कहा कि राज्य प्रायोजित हत्याओं ने हमें भी हत्यारा बना दिया है। माकपा ने याकूब को फांसी के मामले में कहा कि इसमें न्याय नहीं हुआ और भाकपा ने कहा कि मौत की सजा को देश में नहीं होनी चाहिए। एआईएमआईएम नेता और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मौत की सजा इस तरह के हर मामलों में हो। ओवैसी ने कहा बाबू बजरंगी, माया कोडनानी, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और स्वामी असीमानंद को भी मौत की सजा दी जानी चाहिए। बता दें, बजरंगी और कोडनानी गुजरात दंगों में आरोपी हैं जबकि लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और स्वामी असीमानंद मालेगांव विस्फोटों में आरोपी हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि वह खबर से काफी दुखी हैं कि हमारी सरकार ने एक मनुष्य को फांसी दे दी। राज्य प्रायोजित हत्या ने हम सबको एक हत्यारे की श्रेणी में ला खड़ा किया है। हालांकि साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह इस मामले के गुण दोष में नहीं जा रहे लेकिन सिद्धांतत: और व्यावहारिक तौर पर अपने देश में मृत्युदंड का विरोध करते हैं। दूसरी ओर, भाजपा ने कहा कि कांग्रेस नेताओं का बयान आतंकवाद के मुद्दे पर विपक्षी पार्टी में विरोधीभासी आवाजों को रेखांकित करता है। भाजपा सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा कि वह अमन पसंद लोगों का अपमान कर रहे हैं जो आतंकवाद से छुटकारा चाहते हैं।



चाचा कलाम को अंतिम सलाम, Exclusive फोटो गैलरी























बिहार में टैक्स फ्री हुई 'मांझी- द माउंटेन मैन’

पहाड़ को चीरकर रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी पर आधारित है ये फिल्म 
पटना: बिहार राज्य मंत्रिपरिषद् ने नवाजुद्दीन सिद्दीकी अभिनित फिल्म 'मांझी- द माउंटेन मैन’ को टैक्स फ्री किये जाने को आज मंजूरी प्रदान कर दी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आज संपन्न राज्य मंत्रिपरिषद् की बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए बिहार राज्य मंत्रिमंडल सचिवालय समन्वय विभाग के प्रधान सचिव शिशिर सिन्हा ने बताया कि अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी की हिन्दी फिल्म 'मांझी- द माउंटेन मैन’ को टैक्स फ्री किए जाने को मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दे दी है। यह फिल्म बिहार के वास्तविक नायक दिवंगत दशरथ मांझी के जीवन पर आधारित है जो गया जिला के अतरी प्रखंड अंतर्गत गेहलौर गांव के निवासी थे। 

उन्होंने बताया कि दिवंगत मांझी की कहानी एक सरल व्यक्तित्व और मानवीय जीवन की प्रेरणादायी कहानी है जो यह बताती है कि यदि आदमी दृढ़ संकल्प कर ले तो बड़े से बड़े काम को साधनों की कमी के बावजूद अंजाम दे सकता है। माउंटेन मैन के नाम से चर्चित रहे दशरथ मांझी के जीवन पर आधारित फिल्म 'मांझी- द माउंटेन मैन’ के निर्देशक केतन मेहता हैं। फिल्म 17 जुलाई को रिलीज की गयी।
1934 में जन्मे भूमिहीन मांझी आर्थिक रूप से कमजोर महादलित मुसहर समुदाय से आते हैं और उनका गांव पहाड़ के बीच होने के कारण वह सड़क, बिजली, स्वास्थ्य सेवा सहित अन्य मूलभूत सेवाओं से वंचित थे और वहां के लोग अपने गांव के दूरस्थ होने पर स्वयं को कोसा करते थे। गहलौर के गरीब भूमिहीन मजदूर मांझी पास के जमींदारों के खेतों में काम किया करते थे और वर्ष 1959 में बीमार पड़ी पत्नी को सड़क के अभाव में अस्पताल नहीं ले जाने पर बहुत दुखी हुए और अगले 22 वर्षों तक अपनी पत्नी की मौत के वियोग में छेनी और हथौड़ी की मदद से पहाड़ को काटकर रास्ता बनाने के लिए प्रयासरत रहे और अंतत: 360 फुट लंबा और 30 फुट चौडा रास्ता बनाने में सफल हो पाए। पहाड को काटकर मांझी द्वारा बनाए गए उस रास्ते के कारण उनके गांव की दूरी पास के वजीरगंज प्रखंड से पूर्व के 55 किलोमीटर के बजाए घटकर 15 किलोमीटर हो गयी और गेहलौर गांव विश्व के खुला। मांझी की मृत्य वर्ष 2007 में हुई थी और उनका अंतिम संस्कार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजकीय सम्मान के साथ कराया था तथा उनके गांव तक तीन किलोमीटर पक्की सडक बनाए जाने तथा उनके नाम पर एक अस्पताल का नाम रखे जाने का निर्देश दिया।

अजय और तब्बू के लिए देखी जा सकती है ‘दृश्यम’


मुंबईः मलयालम, कन्नड, तेलूगु और तमिल के बाद ‘दृश्यम’ हिंदी में आई है। हिंदी में इसे दृश्य कहा जाएगा। हिंदी में बनी ‘दृश्यम’ में अजय देवगन और तब्बू हैं। दोनों उम्दा कलाकार हैं। तब्बू ने हर बार अपनी अदाकारी से दर्शकों को सम्मोहित किया है। ‘दृश्यम’ में पुलिस अधिकारी और मां की द्विआयामी भूमिका में वह फिर से प्रभावित करती हैं। दृश्यों के अनुसार क्रूरता और ममता व्यक्त करती हैं।
अजय देवगन के लिए विजय सलगांवकर की भूमिका निभाने का फैसला आसान नहीं रहा होगा। पिछली कुछ फिल्मों ने उनकी छवि सिंघम की बना दी है। इससे बाहर निकलने पर वे कॉमेडी करते ही नजर आते रहे हैं। एक अंतराल के बाद उन्होंने भावपूर्ण किरदार निभाया है। उनकी अभिनय क्षमता का उपयोग हुआ है। अजय देवगन की आंखों और चाल में खास बात है। वे इनका भरपूर इस्तेमाल करते हैं। इस फिल्म में ही संरक्षक पिता और चालाक व्यक्ति के रूप में वे खुद को अच्छी तरह ढालते हैं।
बड़ी बेटी का किरदार निभा रही इशिता दत्ता और छोटी बेटी के रूप में मृणाल जाधव ने दृश्यों के अनुसार नियंत्रित अभिनय किया है। मासूमियत, डर और बालपन को उसने उम्र के अनुरूप निभाया है। फिल्म में नृशंस और क्रूर पुलिस अधिकारी गायतोंडे के किरदार को कमलेश सावंत ने पूरे मनोयोग से निभाया है। फिल्मा में कई बार गायतोंडे के व्यवहार पर गुस्सा आता है।
मलयालम में ‘दृश्यम’ को फैमिली थ्रिलर कहा गया था। हिंदी में भी इसे यही कहना उचित रहेगा। फिल्म में पर्याप्त थ्रिल और फैमिली वैल्यू की बातें हैं। खासकर मुश्किल और विपरीत स्थितियों में परिवार के सदस्यों की एकजुटता का दर्शाया गया है। स्क्रिप्ट की इस खूबी का श्रेय मूल लेखक जीतू जोसेफ को मिलना चाहिए। इसका हिंदीकरण उपेन्द्र सिध्ये ने किया है। उन्होंने हिंदी दर्शकों की रुचि का खयाल रखते हुए कुछ तब्दीेलियां की हैं।
अच्छी बात है कि निर्देशक निशिकांत कामत फिल्म के हीरो अजय देवगन की लोकप्रिय छवि के दबाव में नहीं आए हैं। यह फिल्म इस वजह से और विश्वसनीय लगने लगती है कि पिछली फिल्मों में दर्जनों से मुकाबला करने वाला एक्टर ऐसा विवश और लाचार भी हो सकता है। विजय सलगांवकर को लेखक-निर्देशक ने आम मध्यवर्गीय परिवार के मुखिया के तौर पर ही पेश किया है। विजय की युक्तियां वाजिब और जरूरी लगती हैं।
यह फिल्म मलयालम में रिलीज हुई थी तो तत्कालीन पुलिस अधिकार सेनुकुमार ने आपत्तियां की थीं। उनके अनुसार इस फिल्म से प्ररित हत्याओं के अपराध सामने आए थे। इस पर बहस भी चली थी। सवाल है कि क्या ऐसी फिल्में अपराधी प्रवृति के लोगों को आयडिया देती हैं या इन्हें सिर्फ पर्दे पर चल रही काल्पनिक कथा ही समझें? अपराध हो जाने की स्थिति में सामान्य नागरिक मुश्किलों से बचने के लिए क्या कदम उठाएं? क्या परिवार को बचाने के लिए कानून को धोखा देना उचित है? ऐसी फिल्में एक स्तर पर पारिवारिकता को अपराध के सामने खड़ी करती हैं और पारिवारिकता के नाम पर सराहना भी बटोरती हैं। ऐसा भी तो हो सकता था कि पुलिस रिपोर्ट के बाद बेटी को अपराध मुक्त कर दिया जाता। यह फिल्म अमीर और संपन्न परिवारों की बिगड़ती संतानों की झलक भर देती है। वजह के विस्तार में नहीं जाती। यह फिल्म का उद्देश्य नहीं था, लेकिन चलत-चलते इस पर बातें हो सकती थीं। ‘दृश्यम’ अजय देवगन और तब्बू् की अदाकारी के लिए दर्शनीय है।

गुरदासपुर हमले के पाक से जुड़े हैं तार: राजनाथ

होम मिनिस्टर ने दिया राज्यसभा में बयान 
नई दिल्ली: गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पंजाब के गुरदासपुर में हुए आतंकवादी हमले के तार पाकिस्तान से जुड़े होने का संकेत देते हुए आज कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार देश की सुरक्षा को कमतर करने वाले लोगों को मुंहतोड़ जवाब देगी। गृह मंत्री ने 27 जुलाई को गुरदासपुर में हुए आतंकवादी हमले के बारे में राज्यसभा में दिये बयान में कहा, जीपीएस आंकड़ों के प्रारंभिक अध्ययन से संकेत मिलते हैं कि हमलावर तीन आतंकवादियों ने पाकिस्तान से गुरदासपुर जिले के तास क्षेत्र से घुसपैठ की। इसी क्षेत्र से रावी नदी पाकिस्तान में प्रवेश करती है।
उन्होंने यह भी कहा, आशंका व्यक्त की जा रही है कि इन्हीं आतंकवादियों ने जम्मू पठानकोट रेल मार्ग पर दीनानगर और झकोलदी के बीच तलवंडी गांव के पास पांच आईईडी लगाये। इन्हें बम निष्क्रिय दस्ते ने मौके पर ही निष्क्रिय कर दिया। इस स्थान से एक नाइट विजन उपकरण भी बरामद किया गया। गृह मंत्री ने सदस्यों को आश्वस्त करते हुए कहा, भारत की एकता एवं अखंडता तथा देश के नागरिकों की सुरक्षा को कमतर करने के देश के दुश्मनों के किसी भी प्रयास का हमारे सुरक्षा बलों द्वारा त्वरित एवं मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। सरकार आतंकवाद से दृढ़ता एवं कड़ाई से निबटने के लिए प्रतिबद्ध है और सीमा पार से चलायी जा रही सभी आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
राजनाथ ने 27 जुलाई की घटना का ब्यौरा देते हुए बताया कि उस दिन सुबह साढ़े पांच बजे सेना की वर्दी पहने और भारी हथियारों से लैस तीन आतंकवादियों ने गुरदासपुर जिले के दीनानगर के बाहरी क्षेत्र में कमलजीत सिंह की मारूति कार पर गोलीबारी करते हुए उसे अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद आतंकवादियों ने दीनानगर बस स्टेंड पर अंधाधुंध गोलियां चलायीं। उन्होंने बामियाल जा रही पंजाब रोडवेज की एक बस को भी अपना निशाना बनाया। उन्होंने बताया कि इसके बाद आतंकवादी दीनानगर पुलिस थाने में घुस गए तथा संतरी पर गोलियां चलायी। पुलिस थाने पर गोलियां चलाने के दौरान होमगार्ड राजिन्दर कुमार और अशोक कुमार घायल हो गए। इसी दौरान बाहर निकलने पर थाना प्रभारी उपनिरीक्षक मुख्तियार सिंह भी आतंकवादियों की गोली लगने से घायल हो गए।
गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवादी लगातार गोलियां चलाते हुए पुलिस थाने में घुसने की कोशिश कर रहे थे। रात्रि ड्यूटी पर तैनात हवलदार रामलाल ने संतरी का हथियार लेकर बहादुरी से आतंकवादियों का सामना किया। बाद में रामलाल ने पुलिस थाने के भीतर जाकर अंदर से दरवाजा बंद कर लिया ताकि आतंकवादी भीतर प्रवेश न कर सकें। अंधाधुंध फायरिंग के कारण पुलिस थाने के बगल में स्थित किरण अस्पताल में भर्ती तीन मरीज गोली लगने से घायल हो गए जिनमें से दो की मृत्यु हो गयी। उन्होंने कहा कि इस दौरान आतंकवादी पुलिस थाने के पीछे बनी इमारत में गोलियां चलाते हुए घुस गए। यह इमारत पंजाब होमगार्ड की स्थानीय टुकड़ी के कार्यालय के रूप में प्रयोग में लाई जा रही है। वहां मौजूद तीन होमगार्ड आतंकवादियों की गोलियों का शिकार होकर वीरगति को प्राप्त हुए।
राजनाथ ने कहा कि इसके फौरन बाद पुलिस का अतिरिक्त बल दीनानगर पुलिस थाने पहुंच गया। उन्होंने कहा कि दोनों तरफ से फायरिंग के चलते होने वाली क्षति को कम से कम स्तर पर रखने, आतंकवादियों को भागने से रोकने तथा उन्हें जिन्दा पकडऩे के उद्देश्य से पंजाब पुलिस द्वारा लगातार हरसंभव प्रयास जारी रखे गए। उन्होंने कहा कि अंत में इस सफल अभियान के दौरान तीनों आतंकवादियों को मार गिराया गया। दुर्भाग्यवश इस अभियान के दौरान पुलिस अधीक्षक (खुफिया) बलजीत सिंह आतंकवादियों का सामना करते हुए शहीद हो गये।
पंजाब पुलिस के इस अभियान की हृदय से सराहना करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि राज्य पुलिस ने मृत आतंकवादियों के पास से तीन एके 47 राइफल, 19 मैगजीन और दो जीपीएस सहित भारी मात्रा में अवैध सामग्री बरामद की है जिसका विश्लेषण किया जा रहा है। उन्होंने कहा, इस दौरान गृह मंत्रालय स्थिति पर लगातार कड़ी नजर रखते हुए पंजाब सरकार से संपर्क में रहा। इस अभियान में पंजाब पुलिस की सहायता करने के लिए सेना एवं एनएसजी को विकल्प के रूप में तैयार रखा गया था। मैंने स्वयं पंजाब के मुख्यमंत्री से बात की और केन्द्र सरकार द्वारा सभी आवश्यक सहयोग के लिए आश्वस्त किया। बीएसएफ एवं सेना को भी सीमा पर हाई अलर्ट पर रखा गया।
गृह मंत्री ने कहा इस आतंकवादी हमले में तीन नागरिक, तीन होमगार्ड के जवान एवं एक पुलिस अधिकारी सहित सात लोगों की मृत्यु हो गयी। इसके अतिरिक्त 10 नागरिक एवं सात सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। उन्होंने कहा कि पिछले एक माह में जम्मू कश्मीर सीमा पर घुसपैठ के कुल पांच प्रयास किए गए जिसमें आठ आतंकवादियों को मार गिराया गया और चार प्रयासों को विफल कर दिया गया। घुसपैठ की एक अन्य घटना में आतंकवादियों को सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई के कारण वापस लौटना पड़ा। गृह मंत्री ने कहा कि भारतीय सुरक्षा बल सीमा क्षेत्र में सतर्क रहते हैं लेकिन कठिन भौगोलिक परिस्थितियों एवं मूसलाधार बारिश होने से सीमा क्षेत्र की नदियों एवं नहरों में अत्यधिक तेज बहाव के कारण ये आतंकवादी भारतीय सीमा में घुस पाने में सफल हुए।


Full Report: देश के 'कलाम चाचा' को अंतिम विदाई

पीएम मोदी, राहुल गांधी समेत कई नेता पहुंचे जनाजे में

गूंजते रहे कलाम के लिए नारे, आंखें भर आई लोगों की

रामेश्वरम (तमिलनाडु) : राष्ट्र ने अपने अनमोन रत्न पूर्व राष्ट्रपति डा. ए पी जे अब्दुल कलाम को भावनात्मक अंतिम विदाई दी जहां हजारों की संख्या में मौजूद लोग अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पा रहे थे और उनकी आंखों से आंसुओं की धार स्वत: ही उनके दुख को बयां कर रही थी । पूर्व राष्ट्रपति को पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके गृह नगर में सुपूर्द ए खाक़ किया गया और इस दौरान वहां उपस्थित लोग लगातार भारत माता की जय का उद्घोष करते रहे। कलाम के पार्थिव शरीर को यहां पेईकारूंबू में करीब 1.5 एकड़ में फैले जमीन के टुकड़े के मध्य में दफनाया गया । इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को मस्जिद में लाया गया जहां नमाज़ ए जनाज़ा पढ़ी गई। जनता के राष्ट्रपति को पूरा सैन्य सम्मान प्रदान किया गया जिसमें बंदूक से गोलियां चलाकर सलामी देना शामिल है। पूर्व राष्ट्रपति के परिवार के सदस्यों और स्थानीय जमात ने जैसे ही उनके पार्थिव शरीर को कब्र में रखा, चारों ओर 'भारत माता की जय’ का घोष गूंज उठा।

'मिसाइल मैन’ के रूप में विख्यात डा. कलाम के अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत विभिन्न दलों के नेता शामिल हुए । तिरंगे में लिपटे डा. कलाम के पार्थिव शरीर के समक्ष प्रधानमंत्री ने पुष्पांजलि अर्पित की और कुछ देर मौन खडे रहकर उन्हें अंतिम सलाम किया। उन्होंने हाथ जोड़कर ताबूत के चारों और चक्कर लगाया। प्रधानमंत्री इसके बाद में कलाम के बड़े भाई 99 वर्षीय मोहम्मद मिरन लेब्बई माराइकर के पास गए और संवेदना प्रकट की। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी डा. कलाम को अंदिम विदाई दी। पूर्व राष्ट्रपति का निधन 27 जुलाई को आईआईएम शिलांग में व्याख्यान देते समय दिल का दौरा पडऩे से हुआ था।

कलाम के बड़े भाई को सांत्वना देते मोदी 

पूर्व राष्ट्रपति को अंतिम विदाई देने वालों में तमिलनाडु के राज्यपाल के रोसैया, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी एम वेंकैया नायडू और तमिलनाडु के वित्त मंत्री ओ पनीरसेल्वम समेत अन्य नेता शामिल हैं। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के अलावा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी डा. कलाम को श्रद्धांजलि अर्पित की। सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों ने भी अपने पूर्व सुप्रीम कमांडर के प्रति सम्मान प्रकट किया और उन्हें अंतिम विदाई दी।  इससे पहले 83 वर्षीय वैज्ञानिक का पार्थिव शरीर यहां आने पर उन्हें आखिरी विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े। अधिकतर लोगों की आंखें नम थीं। अपनी सादगी और सदाशयता के लिए विख्यात डा. कलाम के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए देश विदेश से काफी संख्या में लोगों ने शोक प्रकट किया। पूर्व राष्ट्रपति के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों की उपस्थिति को देखते हुए नौसेना, तटरक्षक और मरीन पुलिसकर्मियों को नगर के आसपास समुद्री क्षेत्र में तैनात किया गया।


काफी संख्या में शोकाकुल लोग अंतिम संस्कार के स्थल के आसपास घरों की छतों और पेड़ पर चढ़कर अपने दिवंगत नेता की एक झलक देखने को आतुर थे। डा. कलाम में अपनी स्कूली शिक्षा यहीं से पूरी की थी। नगर निगम अधिकारियों ने अंतिम संस्कार वाले स्थल तक आवागमन और वीआईपी आवाजाही के लिए विशेष सम्पर्क सड़क का निर्माण किया। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता स्वास्थ्य कारणों से अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सकीं।
मोदी विशेष हेलीकाप्टर से मंडपम आए और वहां से कड़ी सुरक्षा में बुलेटप्रूफ कार में रामेश्वरम पहुंचे। तमिलनाडु सरकार का प्रतिनिधित्व पनीरसेल्वम समेत अन्य वरिष्ठ मंत्रियों ने किया। तमिलनाडु सरकार ने आज सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की है। डा. कलाम को भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया गया। वाजपेयी सरकार के समय 1998 में किए गए पोखरन परमाणु परीक्षण में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। पूर्व राष्ट्रपति को अंतिम विदाई देने पंजाब, पश्चिम बंगाल समेत देश के विभिन्न स्थानों से लोग आए थे जिससे सहज ही उनकी लोकप्रियता का अंदाज लगाया जा सकता है। लोग अपने हाथों में तिरंगा और पूर्व राष्ट्रपति के चित्र लिये हुए उनकी अंतिम यात्रा में शरीक हुए। लोग बसों, ट्रेनों, नौकाओं एवं विभिन्न सवारियों से यहां आए थे और यहां तक कि काफी लोगों ने आज पूर्व राष्ट्रपति के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए रात सड़कों पर गुजारी। तमिलनाडु में डा. कलाम के सम्मान में कारोबारी संस्थान और होटल बंद रहे। मृदुभाषी कलाम का जीवन कठिन परिश्रम और समर्पण का जीता जागता उदाहरण है जिन्होंने वैज्ञानिक खोजों के लिए पूरा जीवन खपा दिया। इसरो के दिनों में प्रक्षेपण वाहन प्रौद्योगिकी का विषय रहा हो, या डीआरडीओ के दिनों में मिसाइल प्रौद्योगिकी का सवाल रहा हो भारत के विज्ञान एवं रक्षा कार्यक्रमों में उनका योगदान अतुलनीय रहा।


परमाणु प्रौद्योगिकी की पुरजोर वकालत करने वाले युगद्रष्टा डा. कलाम 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण का अभिन्न हिस्सा रहे जो वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के समय में हुआ था। वरिष्ठ वैज्ञानिक ने तमिलनाडु में भारत रूस संयुक्त उद्यम के तहत विवादास्पद कुडानकूलम परमाणु उर्जा परियोजना का समर्थन किया। इस परियोजना का पीपुल्स मूवमेंट एगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी (पीएमएएनई) ने कड़ा विरोध किया है।
डा. कलाम ने देश के नागरिकों, खासतौर पर युवाओं को काफी प्रेरित किया और उनसे देश के विकास की सोच रखने को कहा। वह आसानी से युवाओं और छात्रों से तार जोड़ लेते थे और इंजीनियर, डाक्टर और वैज्ञानिक बनने की चाहत रखने वाले उन्हें एक जीवंत उदाहरण के तौर पर देखते हैं। पूर्व राष्ट्रपति के ट्विटर और फेसबुक पर काफी संख्या में फालोअर है। कुछ लोगों ने उनके साथ अपने सौभाग्यपूर्ण क्षणों को साझा किया जबकि काफी संख्या में लोगों ने उनके प्रेरक उद्गारों को साझा करके उनको श्रद्धांजलि दी।
इस बीच मद्रास इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी का नाम डा. कलाम पर रखने या उनका स्मारक बनाने जैसी मांगे सामने आनी शुरू हो गई हैं। मद्रास इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी से कलाम ने एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। कलाम का अंतिम संस्कार मौलवी एस एम अब्दुल रहमान ने किया। नमाज़ ए जनाज़ा के बाद डा. कलाम को सुपुर्द ए खाक किया गया। उनकी कब्र पर गुलाब के फूलों की पंखुडिय़ां डाली गईं। इस दौरान कलाम के 99 वर्षीय बड़े भाई अपने आंसुओं को रोक नहीं पाए जो दूर से पूर्व राष्ट्रपति के अंतिम संस्कार को होता देख रहे थे। काफी उम्र होने के कारण वह कुर्सी पर बैठे हुए थे। रामकृष्ण मठ समेत कई संगठनों ने यहां आए लोगों के लिए खाने पीने की व्यवस्था की थी। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के छात्रों ने अपने प्रिय पूर्व राष्ट्रपति के सम्मान में शांतिपूर्ण मार्च निकाली। उन्होंने मोमबत्ती जलाकर प्रार्थना की और पुष्पांजलि अर्पित करके मिसाइल मैन को श्रद्धांजलि दी।

Full Story: जान बचाने की कोशिशें नाकाम, याकूब को हुई फांसी


सुबह सात बजे नागपुर में फंदे पर झूला मेमन, मुंबई में दफनाया गया
नागपुर/नई दिल्ली: मुंबई बम विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन के फांसी के फंदे से बचने के लिए अंतिम समय में किए गए प्रयास काम नहीं आए और उच्चतम न्यायालय द्वारा तड़के अभूतपूर्व तरीके से की गयी सुनवाई के बाद उसे आज यहां फांसी पर लटका दिया गया। आज ही 53 साल के हुए मेमन को सुबह सात बजे नागपुर केंद्रीय कारागार में फांसी पर लटकाया गया । टाडा अदालत ने उसके मौत के फरमान पर तामील के लिए यही समय निर्धारित किया था । मौत के फरमान को उसके वकीलों की टीम ने कई बार चुनौती दी लेकिन तमाम प्रयास विफल साबित हुए । महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने बताया, उसे सुबह ठीक सात बजे फांसी दी गयी।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि उसके शव को बाद में उसके भाई सुलेमान और चचेरे भाई उस्मान के सुपुर्द कर दिया गया जो कल से ही यहां शहर में ठहरे हुए थे । शव को अब अंतिम संस्कार के लिए विमान से मुंबई ले जाया गया और दोपहर में महीम कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया । याकूब की फांसी को टलवाने के लिए उसके वकीलों की ओर से अंतिम समय तक पुरजोर कोशिशें की गयीं और यह पूरा घटनाक्रम बुधवार को शुरू होकर आज तड़के तक जारी रहा।
सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा फांसी पर रोक लगाने की उसकी याचिका को नामंजूर किए जाने और उसकी सुधारात्मक याचिका को शीर्ष अदालत द्वारा ठुकराए जाने में कोई कानूनी खामी नहीं पाए जाने पर मेमन ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के समक्ष नए सिरे से दया याचिका दाखिल की थी। मुखर्जी ने इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह से विचार विमर्श किया जिसमें बाद में गृह सचिव एल सी गोयल और सोलिसिटर जनरल रंजीत कुमार भी शामिल हुए । राष्ट्रपति के समक्ष इस पूरी प्रक्रिया में दो घंटों का समय लगा।
इससे पूर्व बुधवार को दिन में , राष्ट्रपति ने नियमों के अनुसार याचिका को सरकार को भेज दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सिंह और शीर्ष अधिकारियों ने इस विषय पर विचार विमर्श किया और मुखर्जी को मेमन की याचिका को नामंजूर करने का सुझाव दिया। राजनाथ सिंह खुद सरकार के फैसले से राष्ट्रपति को अवगत कराने के लिए राष्ट्रपति भवन गए। महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव द्वारा ऐसी ही याचिका को अस्वीकार किए जाने के तुरंत बाद मेमन ने राष्ट्रपति के समक्ष अपनी याचिका दी थी । समय के अभाव को देखते हुए मेमन के वकीलों ने नए सिरे से उसकी जान बचाने के प्रयास किए और फांसी पर तामील को रूकवाने के लिए त्वरित सुनवाई के लिए याचिका को लेकर प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू के आवास पर पहुंचे । उसके वकील इस आधार पर फांसी को रूकवाना चाहते थे कि मौत की सजा पाए दोषी व्यक्ति को अपनी याचिका नामंजूर किए जाने को चुनौती देने का अवसर प्रदान करने तथा अन्य कामों के लिए 14 दिन का समय दिए जाने की जरूरत है । काफी विचार विमर्श के बाद प्रधान न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय पीठ गठित की थी जिसने कल मौत के फरमान को बरबरार रखा था और फांसी पर रोक लगाने से मना कर दिया था।
अदालत कक्ष संख्या 4 में तड़के 3 बजकर 20 मिनट पर शुरू हुई सुनवाई चार बजकर 50 मिनट पर पूरी हुई और पीठ के फैसले के साथ ही याकूब को मृत्युदंड निश्चित हो गया। इस मामले में आदेश जारी करने वाली न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा- मौत के फरमान पर रोक न्याय का मजाक होगा। याचिका खारिज की जाती है। मेमन के वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर और युग चौधरी ने कहा कि अधिकारी उसे दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देने के अधिकार का उपयोग करने का अवसर दिए बिना फांसी देने पर अड़े हैं। ग्रोवर ने कहा कि मौत की सजा का सामना कर रहा दोषी उसकी दया याचिका खारिज होने के बाद विभिन्न उद्देश्यों के लिए 14 दिन की मोहलत का हकदार है। 
याकूब का शव लेने पहुंचे उसके बड़े भाई

मेमन की याचिका का विरोध करते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने यह दलील दी कि उसकी ताजा याचिका व्यवस्था का दुरूपयोग करने के समान है। रोहतगी ने कहा कि पूरे प्रयास से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उसका मकसद जेल में बने रहने और सजा को कम कराने का है। उन्होनें कहा,तीन न्यायाधीशों द्वारा मात्र दस घंटे पहले मौत के फरमान को बरकरार रखने के फैसले को रद्द नहीं किया जा सकता । पीठ ने रोहतगी की बात से सहमति जतायी और आदेश जारी करते हुए न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा 11 अप्रैल 2014 को उसकी पहली दया याचिका खारिज किये जाने के बाद पर्याप्त मौके दिये गए जिसके बारे में उसे 26 मई 2014 को सूचित किया गया।
उन्होंने कहा कि याचिका नामंजूर किए जाने के बाद उस समय उसे उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जा सकती थी। पीठ ने कहा, इसके परिणामस्वरूप , यदि हम मौत के फरमान पर रोक लगाते हैं तो यह न्याय के साथ मजाक होगा । उसने साथ ही कहा , हमें रिट याचिका में कोई दम नजर नहीं आता। आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ग्रोवर ने कहा कि यह एक त्रासद भूल और गलत फैसला है ।
पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट याकूब को हमलों की साजिश रचने और सह आरोपियों मूलचंद शाह तथा कंपनी मैसर्ज तिजारत इंटरनेशनल के जरिए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के लिए धन मुहैया कराने का दोषी ठहराया गया था। इस कंपनी का मालिक उसका भाई अयूब मेमन था जो अभी भी फरार है । याकूब पर विस्फोटों के लिए वित्त व्यवस्था और हर तरह की मदद मुहैया कराने तथा कुछ सह आरोपियों को हथियारों और गोलाबारूद के उपयोग के प्रशिक्षण के लिए मुंबई से दुबई होते हुए पाकिस्तान भेजने का आरोप था। उस पर उन वाहनों को भी खरीदने का आरोप था जिनमें भीषण विस्फोटों के लिए आरडीएक्स लगाया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने टाडा अदालत द्वारा 12 सितंबर 2006 को दिए गए दोषसिद्धि और मौत की सजा के आदेश को बरकरार रखते हुए 21 मार्च 2013 को मेमन को 1992-93 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों के बाद हुए इन भीषण विस्फोटों की साजिश को आगे बढाने वाला बताया। याकूब को छह अगस्त 1994 को काठमांडो से दिल्ली आने पर गिरफ्तार किया गया था। कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने कहा था कि उसे गिरफ्तार किया गया जबकि याकूब का दावा था कि पश्चाताप की आग में जलने के बाद वह समर्पण करने के लिए आया था। याकूब को फांसी दिए जाने से कुछ दिन पहले खुफिया एजेंसी रॉ के एक पूर्व अधिकारी बी रमन द्वारा लिखे गए लेख से इस मामले में नाटकीय मोड़ आ गया। उसकी गिरफ्तारी के समय एजेंसी में पाकिस्तान संबंधी मामलों के प्रमुख रहे रमन ने लिखा था कि केंद्रीय एजेंंसियों ने मेमन को भारत लौटने को राजी किया था। लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं होती है कि याकूब ने एजेंसियों के साथ किसी प्रकार का सौदा किया था जिससे वह फांसी के फंदे से बच सकता था। याकूब के भाई एसा और भाभी रूबीना बम विस्फोट मामले की साजिश रचने, इन्हें अंजाम देने वाले आतंकवादियों के लिए धन तथा हर तरह की व्यवस्था करने के जुर्म में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं।
बम विस्फोटों में कथित रूप से बड़ी भूमिका निभाने वाले साजिशकर्ता अभी भी फरार हैं और समझा जाता है कि पाकिस्तान में इन लोगों को पनाह मिली हुई है। इनमें मेमन का बड़ा भाई टाइगर मेमन और अंडरवल्र्ड डान दाउद इब्राहिम शामिल हैं । इस बीच, मुंबई , विशेष रूप से महिम में पुख्ता सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं जहां याकूब का परिवार रहता है । इसके अलावा कई संवेदनशील इलाकों में भी सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं और चार सौ से अधिक लोगों को एहतियातन हिरासत में लिया गया है ।

Wednesday 29 July 2015

भारत पर हमले की तैयारी कर रहा है आतंकी संगठन ISIS

मिले दस्तावेज, अमेरिका व अन्य देशों से अंतिम लड़ाई के इरादे जाहिर किए

अगर अमेरिका ने हमला किया तो एकजुट होंगे दुनिया के सारे मुसलमान


वाशिंगटन: आईएसआईएस से जुड़े एक आतंरिक भर्ती दस्तावेज के अनुसार अमेरिका को आर पार की जंग के लिए उकसाने के लिए समूह भारत पर हमले की तैयारी कर रहा है। वह पाकिस्तानी और अफगान तालिबान को भी एक करना चाह रहा है। 'यूएसए टुडे’ में कल प्रकाशित एक खोजी खबर के अनुसार पाकिस्तानी तालिबान के भीतरी लोगों से संबंध रखने वाले एक पाकिस्तानी नागरिक से प्राप्त 32 पृष्ठ के उर्दू दस्तावेज का जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दस्तावेज में चेताया गया है कि भारत में हमले की तैयारियां चल रही हैं और उसमें भविष्यवाणी की गई है कि यह हमला अमेरिका को ऐतिहासिक टकराव के लिए उकसाएगा। इसमें कहा गया है कि अगर अमेरिका अपने तमाम सहयोगियों के साथ भी हमला करने की कोशिश करता है, जो वह निस्संदेह करेगा, तो उम्मा (मुसलमान) एकजुट होंगे जिससे अंतिम लड़ाई होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, हार्वर्ड के एक विद्वान ने दस्तावेज का स्वतंत्र रूप से अंग्रेजी में अनुवाद किया है और कुछ सेवारत तथा कुछ सेवानिवृत्त खुफिया अधिकारियों ने इसका सत्यापन किया है।
एक सेवानिवृत्त सीआईए अधिकारी और ब्रुकिंग इंस्टीट्यूट में सीनियर फैलो ब्रूस रीडेल ने कहा कि भारत में हमला आईएसआईएस के कद में इजाफा करेगा और क्षेत्र की स्थिरता को खतरा होगा। उनको हवाला देते हुए कहा गया है कि भारत में हमला दक्षिण एशियाई जिहादियों का एक पाक मकसद है। बिना तारीख वाले इस दस्तावेज का शीर्षक है 'इस्लामिक स्टेट खिलाफत का संक्षिप्त इतिहास, पैगंबर के मुताबिक खिलाफत।‘ अखबार के मुताबिक पाकिस्तान और अफगान तालिबान के दर्जनों धड़ों को मिलाकर आतंक की एक एकल सेना बनाने की वकालत की गई है। इसमें कहा गया है कि इसमें इस्लामिक स्टेट का अभी तक अनजान रहा इतिहास है। इसमें आगामी दिनों के युद्ध की योजना है और अल-कायदा से आग्रह किया गया है कि वह आईएस से जुड़े। इसमें कहा गया है कि इस्लामिक स्टेट के नेता को 'खिलाफतÓ के तहत दुनिया के एक अरब मुसलमानों का एकमात्र शासक माना जाना चाहिए। अफगानिस्तान में आईएसआईएस की मौजूदगी से अवगत व्हाइट हाउस ने कहा है कि वह हालात पर करीब से नजर रखे हुए है। आईएसआईएस की मौजूदगी और उसके खतरे के बारे में भी अमरीकी और पाकिस्तानी अधिकारियों में पिछले दो महीने में बातचीत हुई है। दस्तावेज में कहा गया है कि अमरीका से सीधे टकराव में ऊर्जा गंवाने के बजाए हमें खिलाफत की स्थापना के लिए अरब जगत में सशस्त्र बगावतों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। यूएसए टुडे में कहा गया है कि तीन अमरीकी खुफिया अधिकारियों ने दस्तावेज की समीक्षा की है। उनका मानना है कि दस्तावेज वास्तविक है। इसमें खास तथ्यों और नेताओं का विवरण देने में जिस जुबान का इस्तेमाल किया गया है, लेखन शैली और ऐसे धार्मिक शब्द हैं जो आईएसआईएस के अन्य दस्तावेजों से मेल खाते हैं।

'बजरंगी भाईजान’ ने पाकिस्तान में भी गदा घुमाई

80 सिनेमाघरों में हाउसफुल चल रही दूसरे हफ्ते में भी

लाहौर: सलमान खान की 'बजरंगी भाईजान’ पाकिस्तान में एक सप्ताह बाद भी लोगों की भीड़ खींच रही है। इसे देखने के लिए उमड़ रही है। फिल्म में भारत-पाक के सकारात्मक संदेश की बदौलत सलमान खान की इस फिल्म को शानदार प्रतिक्रिया मिली है। सिनेमाघरों के मालिकों का दावा है कि उन्होंने फिल्म देखने के बाद बड़ी संख्या में लोगों को नम आंखों के साथ सिनेमाघरों से निकलते देखा है।

यह फिल्म बजरंगबली के भक्त पवन कुमार चतुर्वेदी (सलमान) की कहानी है, जो छह साल की एक गूंगी पाकिस्तानी बच्ची को उसके गांव तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए भारत से पाकिस्तान आता है।लाहौर के 'सिने स्टार सिनेमा’ के शहराम रजा ने कहा, मैं पिछले सात वर्ष से सिनेमा के इस कारोबार में हूं लेकिन मैंने कभी इतनी बड़ी संख्या में लोगों को आंखों में आंसू लिए सिनेमा हॉल से बाहर आते नहीं देखा। 'बजरंगी भाईजान’ के हर शो के बाद यहां मैंने ऐसा होते देखा है। टिकट काउंटर पर काम करने वाले रजा कहते हैं कि लोग 'बजरंगी भाईजान’ की टिकटें खरीदते हुए बहुत उत्साहित दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे ही शो खत्म होता है, उनमें से ज्यादातर लोगों, खासकर महिलाओं, की आंखों में आंसू भर होते हैं। दूसरी फिल्मों में, लोग जोर-जोर से बातें करते बाहर आते हैं लेकिन 'बजरंगी भाईजान’ के मामले में मुझे मुश्किल ही किसी की बातचीत सुनाई देती है।

रजा कहते हैं कि फिल्म की भावनात्मक कहानी के कारण लोग इस फिल्म से जुड़ाव महसूस कर पाए हैं। पाकिस्तान में कुछ युवाओं ने यह फिल्म दो बार देखी है। ऐसे दर्शकों में मोमिना राना भी शामिल हैं। उनका कहना है कि यह शायद पहली ऐसी भारतीय फिल्म है, जिसमें पाकिस्तान को सकारात्मक रूप में दिखाया गया है। वह कहती हैं कि वह बॉलीवुड के फिल्मकारों की सोच में आए इस बदलाव को देख कर खुश हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और भारत दोनों की ही आम जनता अमन पसंद है। इसीलिए इस फिल्म को यहां और भारत में दोनों ही जगह इतनी अधिक सराहना मिली है। मैं इस फिल्म को बार-बार देखना पसंद करूंगी क्योंकि ऐसी फिल्म रोज नहीं बनती। पाकिस्तान फिल्म वितरक संघ के अध्यक्ष जोराएज लशारी ने कहा कि 'बजरंगी भाईजान’ की बदौलत इस साल ईद की छुट्टियां बहुत अच्छी गुजरीं।

लशारी ने बताया कि जनता की ओर से शानदार प्रतिक्रिया आई है। देश के 80 से ज्यादा सिनेमाघर ईद (18 जुलाई) से ही 'बजरंगी भाईजान’ देखने वाले लोगों से खचाखच भरे हैं। हर वर्ग और हर उम्र के लोग सिनेमा हॉल में अपनी सीट बुक कराने के लिए लंबी कतारों में खड़े देखे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म अपने दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर चुकी है और शानदार कारोबार कर रही है क्योंकि बॉलीवुड की कोई नई फिल्म फिलहाल आई नहीं है।
ईद के मौके पर 'बजरंगी भाईजान’ के साथ प्रदर्शित हुई पाकिस्तानी फिल्मों के बारे में लशारी ने कहा, दो पाकिस्तानी फिल्में 'रॉन्ग नंबर’ और 'बिन रोए’ भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन 'बजरंगी भाईजान’ से उनका कोई मेल नहीं। पाकिस्तानी फिल्म उद्योग के पुनरूत्थान का श्रेय भारतीय फिल्मों को देते हुए लशारी ने कहा कि यहां सिनेमा भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन की वजह से बचा हुआ है। उन्होंने कहा कि स्पर्धा के कारण हमपर अच्छी फिल्में बनाने का दबाव है और बिल्कुल ऐसा ही हो रहा है। भारतीय फिल्मों से पाकिस्तानी सिनेमा और फिल्म उद्योग को वास्तव में एक बड़ी मदद दी है।

पाकिस्तानी फिल्मों 'रॉन्ग नंबर’ और 'बिन रोए’ के कुछ वितरकों की शिकायत है कि सिनेमाघरों के मालिक इनके प्रति 'सौतेला’ व्यवहार कर रहे हैं। उनका दावा है कि कई पर्दों वाले सिनेमाघरों के मालिक एक दिन में बजरंगी भाईजान के छह-छह शो चला रहे हैं जबकि 'रॉन्ग नंबर’ और 'बिन रोए’ को एक-एक शो ही दिया जा रहा है। पाकिस्तान फिल्म निर्माता संघ के अध्यक्ष सईद नूर ने कहा कि सिनेमाघरों के मालिकों द्वारा भारतीय फिल्म को ज्यादा शो दिया जाना 'अफसोस की बात’ है। नूर ने कहा, मैं लाहौर में एक फिल्म सम्मेलन आयोजित करने वाला हूं, जिसमें मैं पाकिस्तान के निर्माताओं और निर्देशकों को आमंत्रित करूंगा ताकि भारतीय फिल्मों को ज्यादा शो देने के 'खराब चलन’ पर चर्चा की जा सके। लशारी ने कहा कि लोग सबसे ज्यादा पसंद तीनों खान को करते हैं।



फांसी तय, याकूब को लगाए जाने वाले फंदे को पिलाया जा रहा है घी


नागपुर: करीब 257 लोगों की जान लेने और 700 से ज्यादा लोगों को घायल कर देने वाले 1993 के बंबई श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों के मामले में मौत की सजा पाने वाले एकमात्र दोषी याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन की सुधारात्मक याचिका उच्चतम न्यायालय की ओर से खारिज कर दिए जाने के बाद उसे फांसी तय है।
महाराष्ट्र में केवल दो जेलों के अंदर ही फांसी देने का इंतजाम है। पुणे की यरवदा जेल के अलावा नागपुर की जेल में ही यह इंतजाम है। यदि याकूब को नागपुर जेल में फांसी दी जाती है तो यह 24वीं फांसी होगी। फांसी दिए जाने के बाद गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी दी जाएगी और फिर कानूनी कार्रवाई के बाद अंतिम कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
मेमन को फांसी देने को लेकर नागपुर केंद्रीय कारागार में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। 30 जुलाई को 22 साल से जेल में बंद याकूब मेमन सात मिनट के अंदर फांसी के फंदे पर झूल जाएगा और उसकी कहानी खत्म हो जाएगी। नागपुर जेल के अंदर एक खुले परिसर में उसे फांसी दी जाएगी। ये परिसर चारों ओर से दीवारों से घिरी हुई है। फांसी वाले दिन याकूब को सजा पढ़कर सुनाई जाएगी। उसके सेल से महज कुछ कदम दूर होगा फांसी का फंदा और उसके सेल से फांसी के फंदे की दूरी महज 2 मिनट के करीब होगी।
याकूब को फांसी देने के लिए फिलहाल तीन रस्सियों को बंदोबस्त किया गया है। इन्हीं में से एक रस्सी से याकूब को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। इन रस्सियों को मजबूत बनाने के लिए इन्हें घी में डुबोकर रखा जाता है। लटकाने पर तकलीफ न हो इसलिए रस्सी पर केले का लेप लगाया जाता है। फांसी के दिन सुबह में याकूब को उसकी पसंद के मुताबिक धार्मिक पुस्तक पढ़ने के लिए दी जाएगी। किसी प्रोफेशनल जल्लाद की गैर मौजूदगी में फांसी देने का जिम्मा जेल के ही किसी पुलिस कर्मचारी को सौंपा जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, याकूब को फांसी देने के लिए जेल के तीन कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। फांसी दिए जाने के दिन ही रस्सी का चयन किया जाएगा।

मेरठ का पवन देगा फांसी?

मुंबई बम धमाकों के आरोपी याक़ूब मेनन को फांसी देने का जैसे ही कोर्ट का आदेश आया तो मेरठ में सबसे ज्यादा ख़ुशी पवन जल्लाद को हुई। अब दिन-रात फांसी देने की तैयारी में लगा हुआ था, यही नहीं जंगल में जाकर रस्सी से फांसी का फंदे बनाने का अभ्यास करने में लगा था। उसने नागपुर जेल को मेल भी किया है वो याक़ूब मेनन को फांसी देने को तैयार है अगर उसको बुलाया जाएगा। पवन के परिवार की तीन पीढ़ियां जल्लाद का काम कर रही है और वह भी यह काम कर रहा है, आगे उसका बेटा ये काम करेगा तो उसको जरूर सिखाएगा। पवन का कहना है कि वो आदमी को फांसी नहीं अपराधी को फांसी देना चाहता है। उसे मेरठ जेल में तीन हज़ार रुपये महीने मिलते है जो कई महीने से नहीं मिले। पवन जल्लाद का कहना है कि वो मुंबई जाने की सारी तैयारी कर चुका है जैसे है आदेश आएगा तुरंत चल देगा।



US based musician, model Kim Lee looking forward to enter Indian entertainment industry

Ready for Bigg Boss kind of reality shows


DJ KIMKAT, PRODUCER AND PIANIST . HANGOVER 2, INTERNATIONAL MAXIM & FHM COVER GIRL. #1 FHM 100 SEXIEST WOMAN OF THE WORLD IN 2011- this is the intro of Kim Lee as her FB, Twitter and Instagram accounts suggests. She is musician first than Model. With Kat she is team of DJs. She is well known face in US but now India fascinatining her. She is looking forward to work in Bollywood or TV. She is open to idea of a reality shows like Bigg Boss. She loves dark hairs of Indian men and Newswave talk to her about her future plans and she replied boldly true to her HOT and SEXY image:-




Tell us about your childhood and family background, origin etc.
I'm Vietnamese and French and was born in LA. I'm the third child and I also have a younger brother. 

How you entered in Music/Modeling industry, talk more about your struggle?
Well, when I was about 15 I used to look at magazines and always wanted to be on the cover and like every other girl I took lots of photos and I started submitting it to magazines. I also went out to Hollywood to the clubs and parties and did a lot of networking and I met casting directors and long story short I started doing music videos for Kanye West, LMFAO, Far East Movement, John Legend, Katy Perry and the list goes on. I also started doing a lot of cover shoots for Maxim and FHM all over the world. I remember from getting turned down by magazines then all of a sudden they're putting me on the covers. I did television and also was casted to be in the Hangover 2 which I got so much press for as a dancer which was crazy. After few years of doing all of this I was like ok what's next? Because I was getting really bored and wanted to start something else and before everything I always loved music. I played the piano since I was 8 years old and one day my good friend from The Black Eyed Peas said he wanted to manage me as a dj and I was like dj'n? I quickly told Kat who is now my dj partner that and first thing she did was quit her job which I thought was insane but it showed that she was serious and for the first time I felt sure and confident about something and things didn't work out with the whole management thing with my friend but things just took off right away. I remember there was a huge press release in Asia that KimKat was the biggest dj's in the U.S. And I was like what? We didn't even have a gig yet but I gotta say it was tough because people knew me as a model or whatever u want to call it and I feel as a girl we gotta work 10 times harder because people will always doubt you but I always say this you have to have thick skin in this business, you also need to be stubborn because you will fail but it's those that keep getting up and trying that will make it. It's definitely a lot of networking and most importantly you have to believe in yourself before anything. I'm just happy to see us grow and we're able to travel and do what we love. 



Best work of you so far in both fields.
Best work? I don't know I would say KimKat playing on the Mainstage at EDC New York and going back to Vietnam to help other upcoming dj's by giving them advice and seeing them grow honestly made me happy 

International projects you done so far?
Aww the list is long, recent was I was on the Amazing Race Vietnam which was really fun I did things like milk a cow and walked 2 miles with a snake around my neck was crazy. Kat and I also was mentoring dj's for MTV.



What is your basic idea about India (what did you think about scope for you here)?
First, of all I love the culture. I've always wanted to come there. The women are so exotic and beautiful and the food is amazing. I love curry so I can only imagine coming there and trying authentic Indian food. Most of my fans on Twitter and facebook are from India. They are always asking when will I visit? So I need to make a trip there soon. 

What kind of stories you listen about India first time? 
Well of course being a girl. People always tell us to be careful but I've traveled all over the world and I'm always prepared and it's so much fun learning about different cultures. I've heard about the Taj Mahal of course. 

Bollywood, you know so far (about stars, films, music, Tv or whatever), go in to details.
Honestly, I mostly hear about how gorgeous the women are and of course the men too but everyone is always talking about Indian women :)


Are you ready for reality shows like Bigg Boss?
I usually don't watch much tv but when I do I watch the news just to be aware of what's going on in the world. But if she will be offered BB she will think about it.

Any approach from any Indian producer, any offer so far?
Not yet :) but magazines yes

You met any Indian Star?
No not yet 

Porn Star Sunny Leone entered here through TV  and now a well known figure here, but same time she is facing problems too for her porn star background, what do you think about excepting factors for you?
I think that's awesome she's able to do that. I have no problem with that. I mean Kim Kardashian turned everything into an empire so honestly I think times changed and maybe Sunny Leone was a porn star but she's probably a great actress now so you can't judge a person. I mean that's just my opinion 

What will be your priority? Music, acting, TV or Modelling In India? 
It would be everything. I love entertainment from music and acting 

In India Hindi is most popular language, are you planning to learn it? 
Yes will u teach me? Ha Ha Ha ...





Rapid Fire with Kim Lee





India                         Mumbai 

Bollywood                 beautiful women 

Music                       house,hiphop and 80's 

Love                         love is everything 

Color                        olive 

Sex                          passionate 

Dress                        gowns 

Lasbian encounter   never 

Dream Partner          not sure 

5 thing always           Credit card, phone, coins, passport and ID 
carry in bag?                

First Kiss                   in High school 

Dream Date              to Maldives 

Indian men               love their dark hair 

Indian women          gorgeous eyebrows 

Ideals                      I think Angelina Jolie is beautiful inside and out. I love how she is on the big screen but more importantly what she has done to help others that's very inspiring to me and also we're both geminis :)