Wednesday 22 July 2015

ललित मोदी प्रकरण की भेंट चढ़ा मानसून सत्र का दूसरा दिन भी

सुषमा का इस्तीफा मांगते गुलाम नबी आजाद 

दोनों सदनों में सुषमा के इस्तीफे की मांग को लेकर हुआ हंगामा

नई दिल्लीः ललित मोदी प्रकरण और व्यापमं मामले में सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे तथा शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग कर रही कांग्रेस तथा कुछ अन्य विपक्षी दलों के आक्रामक रूख के कारण आज संसद के मानसून सत्र का दूसरा दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। दोनों सदनों की कार्यवाही बार बार बाधित हुई और लोकसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद तथा राज्यसभा की कार्यवाही चार बार के स्थगन के बाद अंतत: लगभग दो बजे दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयी। इसके चलते न तो किसी सदन में प्रश्नकाल हो सका और न ही कोई अन्य विधायी कामकाज।

पोस्टर दिखाते विपक्षी
सत्ता पक्ष इन सभी मुद्दों पर चर्चा कराने के लिए तैयार था लेकिन विपक्ष का कहना था कि संबंधित मंत्री और मुख्यमंत्रियों द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद ही चर्चा हो सकती है। लोकसभा में आज कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित सभी पार्टी सदस्य काली पट्टी बांधकर आए थे। कांग्रेस, राजद, राकांपा और आप के सदस्यों ने आसन के पास आकर नहीं चलेगी , नहीं चलेगी , भ्रष्ट सरकार नहीं चलेगी के नारे लगाए। वाम दल के सदस्य भी आसन के सामने आकर नारे लगा रहे थे। विपक्षी सदस्यों द्वारा आसन के समक्ष दिखाए जा रहे प्लेकार्डो पर लिखा था, बड़े मोदी मेहरबान तो छोटे मोदी पहलवान , पीएम चुप्पी तोड़ो और मोदीजी 56 इंच दिखाओ, सुषमा, राजे को तुरंत हटाओ। राज्यसभा में इस विषय पर कल से ही हंगामा शुरू हो गया था जबकि लोकसभा में उसके वर्तमान सदस्य दिलीप सिंह भूरिया के निधन के चलते उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयी थी। इस लिहाज से निचले सदन का आज पहला कामकाजी दिन था।
लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के खिलाफ अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा कार्रवाई की चेतावनी दिए जाने के बावजूद हंगामा जारी रहा। टीआरएस सदस्यों ने भी तेलंगाना के लिए अलग से उच्च न्यायालय की मांग को आसन के समक्ष आकर पर्चे दिखाए। सुबह 11 बजे लोकसभा में विपक्ष द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदन में मौजूद थे। बाद में मोदी उपस्थित नहीं थे लेकिन सुषमा गृह मंत्री राजनाथ सिंह तथा परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के साथ सत्ता पक्ष की ओर अग्रिम पंक्ति में बैठी थीं। 
काली पट्टी बांधकर पहुंचे राहुल गांधी
अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने विपक्षी सदस्यों के इस आचरण पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि वह सदस्यों के अमर्यादित व्यवहार से बेहद चिंतित हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि नियम विरूद्ध व्यवहार की स्थिति में, वह अनुशानात्मक कार्रवाई करने को बाध्य होंगी। उनकी इस चेतावनी के बावजूद कांग्रेस तथा वामदल सदस्यों ने आसन के आगे आकर पोस्टर, पर्चे लहराते हुए नारेबाजी की।
राज्यसभा में कुछ सदस्यों ने मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले को लेकर भी सरकार को घेरने का प्रयास किया और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की। लेकिन सरकार ने कहा कि यह राज्य से जुड़ा मुद्दा है और इसलिए इस पर उच्च सदन में चर्चा नहीं हो सकती। सदन के नेता अरूण जेटली ने व्यापमं को राज्य का विषय बताते हुए कहा कि यदि सदन में किसी राज्य के विषय को उठाने की अनुमति दी जाती है तो हम केरल, हिमाचल प्रदेश, असम एवं गोवा जैसे राज्यों के विषयों को भी चर्चा के लिए उठाएंगे।
ललित मोदी मामले पर कल ही आसन की ओर से चर्चा की अनुमति दिए जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सदन में सुषमा स्वराज के मुद्दे पर फौरन चर्चा कराई जानी चाहिए। हम चर्चा का जवाब देने के लिए तैयार हैं। लोकसभा में एन के प्रेमचंद्रन, कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खडगे, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, सपा के धर्मेन्द्र यादव, राजद के जयप्रकाश नारायण यादव, कांग्रेस के एम वीरप्पा मोइली और माकपा के मोहम्मद सलीम ने तथा राज्यसभा में बसपा के सतीशचंद्र मिश्र, सपा के नरेश अग्रवाल, भाकपा के डी राजा और कई विपक्षी सदस्यों ने कार्य स्थगन प्रस्ताव के नोटिस दिए थे जिन्हें आसन ने खारिज कर दिया।
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पहले उन सदस्यों को अपनी बात रखने की अनुमति दी जाए जिन्होंने कार्य स्थगन प्रस्ताव के नोटिस दिए हैं। इसके बाद उप सभापति पी जे कुरियन ने बसपा प्रमुख मायावती को अपनी बात रखने का मौका दिया। मायावती ने इन दोनों मुद्दों पर केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि इस प्रकरण ने न खाउंगा और न खाने दूंगा जैसे दावे करने वाले लोगों को बेनकाब कर दिया है। मायावती ने राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि इसके बाद ही निष्पक्ष जांच हो पायेगी।
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने व्यवस्था के प्रश्न के नाम पर व्यापमं का मामला उठाते हुए कहा कि इस घोटाले में मौतें केवल एक राज्य में नहीं हुई हैं। इसलिए इस मामले में केन्द्र की भी जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने कहा कि संसद का काम सरकार को जवाबदेह बनाना है। जदयू नेता शरद यादव ने कहा कि पहले भी नेताओं ने आरोप लगने पर इस्तीफा दिया है। हवाला मामले में नाम आने के बाद लालकृष्ण आडवाणी ने भी इस्तीफा दिया था।
हंगामे के बीच ही महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक 2015 चर्चा के लिए सदन में रखने का प्रयास किया। लेकिन इस पर चर्चा शुरू नहीं हो सकी। कांग्रेस के आनंद शर्मा द्वारा ललित मोदी मामले में प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग किए जाने पर जेटली ने विपक्ष को चुनौती देते हुए कहा कहा, आप अभी चर्चा कीजिए, हम अभी जवाब देंगे।
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार केंद्रीय मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई करे। उन्होंने पिछली संप्रग सरकार के कार्यकाल में सामने आए मामलों का परोक्ष जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा ने पिछले 10 साल में परंपरा बनायी है कि पहले कार्रवाई फिर चर्चा। उन्होंने कहा कि इस मामले में भी वैसा ही किया जाना चाहिए। दोनों पक्षों के बीच गतिरोध जारी रहने पर कुरियन ने कुछ मिनट बाद ही बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।

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