Monday 20 July 2015

राष्ट्रपति भवन के खर्चों की नहीं है कोई सीमा, फोन का बिल 5 लाख रूपये

नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास की देख-रेख करना कितना महंगा हो सकता है। इसी सवाल का जवाब जानने के लिए मुंबई के जोगेश्वरी में रहने वाले मंसूर दरवेश ने बीते जून में एक आरटीआई दायर किया।वह जानना चाहते थे कि राष्ट्रपति भवन की व्यवस्था और अन्य मदों में कितना खर्च होता है। आरटीआई के जवाब में उनको जो आंकड़े मिले हैं वह राष्ट्रपति भवन के रखरखाव का खर्च, राष्ट्रपति के ऊपर खर्च होने वाले विभिन्न मदों का खर्च और टेलिफोन बिल वगैरह का विवरण है।

राष्ट्रपति को दिए जाने वाले अलाउंस में पिछले 3 साल के दौरान कितनी वृद्धि हुई है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि 2012-13 में यह राशि 30.96 करोड़ थी, जो बढ़कर 2014-15 में 41.96 करोड़ हो गई। अलाउंस में हुआ यह इजाफा लगभग 33 फीसदी है।

आरटीआई के जवाब में बताया गया है कि राष्ट्रपति के सचिवालय पर होने वाला खर्च, स्टाफ, रोजमर्रा के खर्चे और राष्ट्रपति को मिलने वाला अलाउंस साल 2012-13 में जहां 30.96 करोड़ था, वहीं 2013-14 में यह खर्च 38.70 करोड़ था और 2014-15 में यह खर्च 41.96 करोड़ तक पहुंच गया।
दरवेश ने अपने आरटीआई में राष्ट्रपति भवन में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या भी जाननी चाही थी। सचिवों के साथ-साथ, उन्होंने ड्राइवर और सफाई कर्मियों की तादाद के बारे में भी पूछा था। जवाब से पता चला कि राष्ट्रपति भवन के सचिवालय में 754 लोग, 9 निजी सचिव, 27 ड्राइवर, 64 सफाई कर्मी और 8 टेलिफोन ऑपरेटर काम करते हैं। मई के महीने में इन कर्मचारियों के वेतन पर कुल 1.52 करोड़ रुपये खर्च हुए। मई में टेलिफोन बिल 5.06 लाख रुपये आया, जबकि मार्च में यह 4.25 लाख और अप्रैल में 5.06 लाख था।
अति विशिष्ट मेहमानों पर हुए खर्च के बारे में कहा गया है कि इस बारे में अलग से अकाउंट नहीं है। बताया गया है कि रोजमर्रा के खर्चों के लिए आवंटित सालाना बजट में ही यह खर्च भी शामिल होता है।
65 साल के दरवेश जो कि मोबाइल अक्सेसरी की दुकान चलाते हैं, का कहना है कि उनके द्वारा पूछे गए कई सवालों का जवाब नहीं दिया गया है। बिजली का बिल और सुरक्षा कर्मियों के ऊपर होने वाले खर्च के बारे में पूछे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया गया है। दरवेश का कहना है कि अगर सभी खर्चों को मिला दिया जाए तो यह 100 करोड़ को भी पार कर जाएगा।यह पूछे जाने पर कि उन्होंने उक्त आरटीआई क्यों दायर किया, एनडीटीवी में छपी एक खबर के हवाले से दरवेश ने बताया कि एक भारतीय नागरिक के तौर पर वह जानना चाहते थे कि राष्ट्रपति भवन में होने वाला खर्च क्या है और कितना है।
यह दरवेश द्वारा दायर किया गया पहला आरटीआई नहीं है। पिछले 2 साल के दौरान उन्होंने 100 से भी ज्यादा आरटीआई दायर किए हैं। वह कुछ महीने पहले तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने एक आरटीआई दायर कर यह जानने की कोशिश की थी कि पीएम की विदेश यात्राओं में उनके साथ कितने डेलिगेट्स गए थे और उनपर हुआ कुल सरकारी खर्च कितना था। पीएमओ ने हालांकि उक्त आरटीआई का कोई जवाब नहीं दिया।
विदेश यात्राओं पर सबसे ज्यादा खर्च करने में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल अव्वल थीं। खबरों के मुताबिक, उन्होंने विदेश यात्राओं पर कुल 205 करोड़ रुपये खर्च किए। वह कुल 12 विदेश यात्राओं पर गई थीं और उन्होंने 22 देशों का दौरा किया था।
वहीं, पूर्व राष्ट्रपति कलाम जब इस पद के लिए चुने गए तब उन्होंने अमूल के संस्थापक डॉक्टर कूरियन को फोन कर पूछा था, 'अब जब कि मैं भारत का राष्ट्रपति बन गया हूं तो जब तक मैं जिंदा हूं तब तक सरकार मेरा खर्च उठाएगी। ऐसे में मुझे अपने वेतन और बाकी बचत के साथ क्या करना चाहिए?'

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