Thursday 29 March 2018

क्या आप जानते हैं- मुजफ्फरनगर में किस आयु में करते हैं लड़कियां व लड़के शादी?

मुजफ्फरनगरः अपने जिले के बारे में यदि कुछ सवाल आप से पूछे जाएं तो आप बता नहीं पाएंगे। मसलन जिले का लिंगानुपात क्या है, शिक्षा का स्तर कैसा है, यहां स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति क्या है, पानी की स्थिति क्या है, यहां के युवाओं की शादी औसतन किस आयु में होती है ? आदि-आदि कई ऐसे सवाल हैं जो आप जानना चाहेंगे। पहली बार हम आपके लिए लाए हैं ये तमाम आंकड़े विस्तार से। नीति आयोग ने हाल ही में देश के सभी जिलों से यह आंकड़े जमा किए और उन्हें रेटिंग भी प्रदान की। हालांकि मुजफ्फरनगर जिला इस रेटिंग में कोई स्थान नहीं बना सका लेकिन फिर भी हमने आपकी जानकारी के लिए ये आंकड़े जुटाने का काम किया। पढ़िये विस्तार से ये सारी जानकारियाः-

राष्ट्रीय राजधानी से महज चंद मील दूर बसा हरियाणा का मेवात देश का सबसे पिछड़ा जिला है। विकास के दावों की हकीकत बयां करने वाला यह खुलासा किसी गैर सरकारी संस्था ने नहीं बल्कि खुद सरकार के शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग ने किया है। नीति आयोग ने शिक्षा, स्वास्थ्य व पोषण जैसे पांच क्षेत्रों के विकास के 49 मानकों पर देश के 101 पिछड़े जिलों की रैंकिंग की है जिसमें यह तथ्य सामने आया है। देश के सर्वाधिक पिछड़े 10 जिलों में से चार अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने यह रैंकिंग जारी करते हुए कहा कि सरकार ने पिछड़े जिलों का कायापलट करने के लिए 101 जिलों की पहचान की है। हालांकि इन जिलों को पिछड़ा जिला न कहकर सरकार ने इन्हें 'आस्पिरेशनल डिस्टि्रक्ट' नाम दिया है। इन जिलों में केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए प्रभारी संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी भी नियुक्त किए हैं। इन जिलों में प्रगति का जायजा लेने के लिए ही नीति आयोग ने यह बेस-लाइन रैंकिंग जारी की है। एक अप्रैल से यह रैंकिंग रियल टाइम ऑनलाइन देखी जा सकेगी और मई से यह पता चल सकेगा कि किस जिले में कितनी तरक्की हुई।







Wednesday 21 March 2018

मिलिए मुजफ्फरनगर में तैनात हुई इस तेज तर्रार महिला अफसर से

मुजफ्फरनगरः युवा आईएएस अधिकारी ग़ज़ल भारद्वाज ने जानसठ की एसडीएम के रूप में चार्ज संभाल लिया है। पहली बैठक के बाद ही उन्होंने अपने तेज तर्रार व जोशीले अंदाज से सभी कर्मचारियों का मन मोह लिया। बता दें कि गजल ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 40वी रैंक हासिल की थी। वे मूल रूप से उत्तराखंड के रुड़की शहर की प्रीत विहार कॉलोनी की रहने वाली हैं। उनका घर भी जानसठ से ज्यादा दूर नहीं है। वह ट्रेनी के रूप में मुजफ्फरनगर में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात की गई थी अब उन्हें एसडीएम के रूप में चार्ज दिया गया है। उपजिलाधिकारी जानसठ श्याम अवध चौहान अस्वस्थ चल रहे हैं और छुट्टी पर हैं। यह पहला अवसर है कि जिले में कोई ट्रेनी महिला आईएएस अफसर आई हैं। जिन कर्मचारियों ने उनके साथ बैठक में हिस्सा लिया उनका कहना है कि वे जनसमस्याओं के त्वरित निस्तारण पर बल देंगी। वे युवा व नई होने के बावजूद बेहद सुलझी व संतुलित नजर आई। 

कैराना उपचुनाव : बसपा उतारेगी प्रत्याशी, सपा करेंगी समर्थन- किसे मिलेगा टिकट ?


लखनऊ/शामली: अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले सपा व बसपा की दोस्ती का एक एसिड टेस्ट कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव में होने जा रहा है। खबर है कि फूलपुर व गोरखपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव में भाजपा को हराने के बाद सपा-बसपा का अघोषित गठबंधन कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव में हाथ आजमाएगा, लेकिन इस बार मैदान में प्रत्याशी बसपा के बैनर पर उतारा जाएगा। 

फूलपुर व गोरखपुर सीटें सपा के खाते में गई थी। सपा राज्यसभा चुनाव में भी बसपा प्रत्याशी अंबेडकर का समर्थन कर रही है। फरवरी में वेस्ट यूपी के दिग्गज भाजपा नेता बाबू हुकुम सिंह के निधन के बाद कैराना लोकसभा सीट खाली हो गई थी। अब 2019 के आम चुनाव से पहले यूपी में कैराना ही एकमात्र लोकसभा सीट है जहां पर उपचुनाव होने जा रहा है। 

हालांकि बसपा कभी उपचुनाव नहीं लड़ती है लेकिन सुनने में आया है कि मायावती ने अखिलेश यादव की परीक्षा लेने के लिए कैराना से अपना प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है। यहां ये भी जान लेना जरूरी है कि हुकुम सिंह से पहले कैराना (शामली जिला) से सांसद बसपा की तबस्सुम बेगम ही थी। बेगम ने खुद को सक्रिय राजनीति से दूर करते हुए बेटे नाहिद हसन को कमान सौंप दी है। नाहिद सपा के बैनर पर कैराना से दो बार लगातार विधायक बन चुके हैं।

विधानसभा चुनाव के बाद की तस्वीर-कैराना लोकसभा सीट में शामली जिले की थानाभवन, कैराना व शामली विधानसभा सीटों के अलावा निकटवर्ती सहारनपुर जिले के गंगोह व नकुड़ विधानसभा सीटें भी आती हैं। यहां कैराना को छोड़कर बाकी पर भाजपा के विधायक हैं। अगर वोटों का समीकरण देखें तो इन सीटों पर भाजपा को 2017 में 4.33 लाख वोट मिले थे। बसपा प्रत्याशियों को 2.08 लाख व सपा के 3 प्रत्याशियों को 1.6 लाख वोट मिले थे। सपा ने शामली व नकुड़ सीटें कांग्रेस को दे दी थी। अब बसपा दम भर रही है कि सपा के समर्थन से वह सीट निकाल सकती है।

लोकसभा चुनाव के नतीजे-
आंकड़ों में थोड़ा और पीछे जाएं तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कैराना सीट पर हुकुम सिंह ने 56590 लाख वोट हासिल किए थे। दूसरे स्थान पर सपा के नाहिद हसन (329081), तीसरे पर बसपा के कंवर हसन (160414) व चौथे स्थान पर रालोद के करतार सिंह भड़ाना (42706) रहे थे। हालांकि हुकुम सिंह को हराने के लिए अजित सिंह ने गुर्जर प्रत्याशी को मैदान में उतारा था लेकिन वे ज्यादा वोट नहीं काट सके और मुस्लिम मतों में विभाजन का फायदा उठाकर हुकुम सिंह बाजी मार गए थे। 

अब क्या बनेगा गणित-
कैराना लोकसभा सीट पर जातीय समीकरणों की बात करें तो यहां मुस्लिम, गुर्जर, दलित व जाट मतों का बोलबाला है। हुकुम सिंह के लोकसभा में चले जाने के बाद जब कैराना विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ तो नाहिद हसन सपा से विधायक चुन लिए गए थे। उन्होंने हुकुम सिंह के भतीजे अनिल चौहान को हराया था। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में नाहिद ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को हराया था। फिलहाल बसपा में मंथन इस बात को लेकर चल रहा है कि टिकट किसे दिया जाए? कंवर हसन का विरोध उनके भतीजे नाहिद हसन (कैराना से वर्तमान सपा विधायक) ही करेंगे। चूंकि नाहिद अब सपा में जा चुके हैं तो उनकी मां तबस्सुम बेगम (कैराना की पूर्व सांसद व मरहूम सांसद मुनव्वर हसन की बेवा) को बसपा टिकट दे नहीं सकती। ऐसे में बसपा किसी नए नाम पर दांव खेल सकती हैं।

Tuesday 20 March 2018

मुजफ्फरनगर : सैक्स रैकेट चलाने में भाजपा नेता पकड़ा


मुजफ्फरनगरः मुजफ्फरनगर की गांधी कालोनी में एक भाजपा नेता के सैक्स रैकेट चलाने की खबर मिली है। बताया जाता है कि सेक्स रैकेट में पकड़ी गई लड़की ने यह जानकारी दी है। इस भाजपा नेता को वेश्यावृति कराने के आरोप में नई मंडी पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। पुलिस के अनुसार, कुछ दिन पहले ही गांधी कालोनी में पकड़े गए सेक्स रैकेट से भाजपा नेता के तार जुड़े हैं। पकड़ी गई युवती से आरोपी भाजपा नेता वेश्यावृत्ति कराता था। पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। नई मंडी पुलिस टीम ने सोमवार को भाजपा नेता जितेंद्र चौधरी को गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि गांधी कालोनी में गली नंबर 16 के एक मकान पर छापा मार कर सेक्स रैकेट पकड़ा गया था जो गोयल कोचिंग सेंटर की आड़ में चल रहा था।
गिरफ्तार भाजपा नेता। 

Saturday 17 March 2018

विधायकों का सर्वेः मुजफ्फरनगर व शामली- 1

योगी सरकार का एक साल पूरा हो चुका है। अब आप अपने विधायकों को समझने लगे होंगे। कुछ नए हैं तो कुछ पुराने हैं। 

बताइये अपने विधायकों के बारे में अपनी रायः- 


1. क्या आपके विधायक ने विकास कार्यों पर ध्यान दिया है ?

2. क्या उन्होंने अपनी छवि के मुताबिक कार्य किया है?

3. क्या आपकी राय में आपके विधायक ईमानदार हैं?

4. जन समस्याओं के प्रति उनका रुख कैसा रहता है?

5. क्या आपके विधायक मिलनसार हैं, घर या दफ्तर पर समस्याएं सुनते हैं?

6. दफ्तर, आवास या फोन पर आपके विधायक की उपलब्धता के बारे में आपकी क्या राय है?

7. सोशल मीडिया (फेसबुक, टिवटर या व्हाट्स एप) पर आपके विधायक कितना एक्टिव रहते हैं?

8. चुनाव जीतने के बाद से अब तक आपके विधायक ने अपने क्षेत्र में जनसम्पर्क कैसा किया है?

9. केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के प्रति आपके विधायक कितने सजग हैं?

10. प्रदेश में चल रही योगी आदित्यनाथ सरकार की छवि को बेहतर या खराब करने में आपके विधायक की कितनी भूमिका है ?

इन बिंदुओं पर आप कितने संतुष्ट हैं। विस्तार से जवाब दें और अपने विधायक का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने में हमारा सहयोग करें। हमारे प्रतिनिधि क्षेत्र में जाकर भी सर्वे करेंगे।
ये हैं आपके विधायक-

- कपिल देव अग्रवाल (मुजफ्फरनगर)

- अवतार सिंह भड़ाना (मीरापुर)

- विक्रम सैनी (खतौली)

- विजय कश्यप (चरथावल)

- उमेश मलिक (बुढ़ाना)

- प्रमोद ऊंटवाल (पुरकाजी)

- सुरेश राणा (थानाभवन)

- नाहिद हसन (कैराना)

- तेंजेंद्र निर्वाल (शामली)

आपको राय देनी है मुजफ्फरनगर व शामली जिले के विधायकों के बारे में।
इन्हें उपरोक्त बिंदुओं पर आप एक से दस तक अंक भी दें।


विधायकों व उनके प्रतिनिधियों से भी निवेदन है कि अपने एक साल की उपलब्धियों का विवरण हमें मेल के माध्यम से  जल्द से जल्द भेज दें। जिससे कि उन्हें सर्वे में अपनी बात कहने का मौका मिल सके। 

आप अपनी राय हमारे ई –मेल (newswave.in@gmail.com) पर भेज सकते हैं। हमारे फेसबुक पेज पर इनबाक्स में अपनी राय दे सकते हैं। आपकी राय गोपनीय रखी जाएगी।

नोट- नतीजे अप्रैल के प्रथम सप्ताह में दिए जाएंगे।

Sunday 11 March 2018

मुजफ्फरनगरः अपने बच्चे का एडमिशन कराने से पहले यह सर्वे जरूर पढ़ लें

हमारे पहले स्कूल सर्वे के नतीजे आ चुके हैं। आशा है आपको अपने बच्चे के लिए नए सेशन में एडमिशन कराने में हमारे टिप्स सहायक साबित होंगेः- 

Conducted by- Newswave and Spectrum Media
मुजफ्फरनगर के टॉप तीन स्कूल-
1. होली एंजिल्स कांवेंट स्कूल (क्षमता- 2500)

2. एसडी पब्लिक स्कूल (क्षमता- 5000)

3. शारदेन स्कूल (क्षमता- 2500)

जिला मुख्यालय पर लगभग सभी प्रमुख स्कूल खुल जाने के बावजूद लोगों की पहली पसंद ये तीन पुराने स्कूल ही बने हुए हैं। एसडी व होली एंजिल्स 60 के दशक में शुरू हुए थे जबकि शारदेन 90 के दशक में। इनमें होली एंजिल्स सबसे सस्ता व शारदेन सबसे महंगा स्कूल है।

क्यों ये तीनों हैं पहली पसंद- 

ये तीन स्कूल पुराने होने के साथ-साथ अपनी प्रतिष्ठा भी बनाने में सफल हुए हैं। होली एंजिल्स कांवेंट स्कूल मिशनरी द्वारा संचालित है। एक समय था शहर के सभी वीवीआईपी परिवारों के बच्चे इसी स्कूल में पढ़ते थे। सारे अधिकारियों के बच्चे भी इसी में पढ़ते थे। एसडी पब्लिक हमेशा दूसरी च्वाइस बना रहा। शारदेन ने पढ़ाई के साथ-साथ खेल व ऐसी दूसरी गतिविधियों की वजह से अपनी जगह बनाई। इस स्कूल के प्रबंधन ने भी नए मानदंड स्थापित किए। हालांकि फीस के मामले में शारदेन सबसे महंगा रहा लेकिन कुछ लोगों ने इसे एसडी पब्लिक स्कूल पर भी तरजीह दी। एसडी पब्लिक स्कूल की सफलता का पूरा श्रेय इसकी पिछले 17 साल से प्रधानाचार्य चंचल सक्सेना को जाता है जिन्होंने टीचर्स के साथ मिलकर इसे शीर्ष पर पहुंचाया। शारदेन के संस्थापक विश्वरतन व उनकी पत्नी धारा रतन ने प्रधानाचार्य के रूप में स्कूल के लिए मेहनत की और उसी की वजह से स्कूल आज एक स्तर कायम रखने में सफल रहा है।



अन्य स्कूलों की स्थिति-


पिछले चार-पांच साल में मुजफ्फरनगर में कई बडे ब्रांडेड स्कूलों की फ्रेंचाईची भी खुली हैं। लेकिन किसी ने भी इन तीनों के लिए चुनौती नहीं पेश की है। आइये देखते हैं उनकी क्या स्थिति है-

1. जीडी गोयनका पब्लिक स्कूलः

आप बड़े नाम पर न जाएं। दिल्ली एनसीआर में चलने वाली इस स्कूल की अन्य शाखाओं की तरह से इसकी स्थिति नहीं है। कुछ स्टाफ बाहर से भी लाया गया और कुछ यहीं के दूसरे स्कूलों से लिया गया है लेकिन स्कूल शिक्षा के स्तर में कहीं नहीं टिकता है। इसमें फिलहाल 350 के करीब बच्चे पढ़ रहे हैं और कक्षाएं आठवीं तक ही संचालित हो रही हैं। भोपा रोड पर स्थित यह स्कूल उस बिल्डिंग में चलता है जिसमें कभी डीपीएस खुलने वाला था। हालांकि इस स्कूल में शिक्षकों को वेतन 25 से 40 हजार रुपये तक दिया जा रहा है, जो दूसरे स्कूलों से बहुत ज्यादा है। वैसे फीस के मामले में यह स्कूल अब पहले नंबर पर है। इस स्कूल को स्काईलार्क कालेज के संचालक व पवन हार्डवेयर के मालिक मिलकर चला रहे हैं।

2. दिल्ली पब्लिक स्कूलः

दिल्ली पब्लिक स्कूल के भी नाम पर मत जाएं। यह दिल्ली के मथुरा रोड या द्वारका में चलने वाले या फिर नोएडा के डीपीएस की तरह नहीं है। इसमें प्रबंधन का बुरा हाल है। शुरूआत में इसमें अच्छी शिक्षिकाएं रखी गई लेकिन अब सुनने में आया है कि तीन-तीन महीने से उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है और वे दूसरे स्कूलों में स्थान तलाश रही हैं। इस स्कूल में नए खुले दूसरे स्कूलों के मुकाबले बच्चे अधिक (600-700) हैं। इसकी वजह यह है कि इस स्कूल ने अपनी बसों को पुरकाजी, खतौली व शामली आदि कस्बों तक चलाया हुआ है और बच्चे बाहर से आ रहे हैं केवल बड़े नाम की वजह से लेकिन इसका असर इसकी शिक्षा पर भी पड़ा है। देहात क्षेत्रों से बच्चे आने के कारण यहां अनुशासन उतना अच्छा नहीं है। अच्छे परिवार अब इस स्कूल से अपने बच्चों को निकाल रहे हैं। उन्हें डर है कि उनके बच्चों की बोलचाल भी खराब न हो जाए।

3. माउंट लिटरा-

जी ग्रुप का बड़ा नाम इस स्कूल से जुड़ा था और गांधी कालोनी-भोपा बस स्टैंड लिंक रोड पर जहां इसे बनाया गया वह लोकेशन भी बेहद प्राइम थी। इस स्कूल की वजह से सबसे ज्यादा खतरा एसडी पब्लिक स्कूल को था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति से लेकर संचालन तक कुछ भी सही नहीं रहा। शहर के प्रमुख घराने से जुड़े कुंवर आलोक स्वरूप (ग्रैंड प्लाजा के संचालक) ने अपनी जमीन इसके संचालन के लिए दी थी। इसमें 6-7 पार्टनर मिले थे लेकिन साझे में खेल बिगड़ गया। स्कूल में बच्चे बहुत कम आ पाए शुरू-शुरू में तो खर्चा पूरा होना कठिन हो गया। ऐसे में शिक्षकों को कई-कई महीने की सैलरी एक बार मिल रही है। कई बार तो मिलती भी नहीं। जमीन के बदले आलोक स्वरूप को 2 लाख रुपये प्रति माह और 20 प्रतिशत फीस का हिस्सा हर माह दिया जाना तय हुआ था लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब सुना है कि इसे लेकर मुकदमेबाजी चल रही है। चर्चा तो यहां तक भी है कि यह स्कूल जल्द ही बंद होने जा रहा है।

भविष्य के स्कूलः

द एसडी पब्लिक स्कूल-
सनातन धर्म संस्था ने शहर में आई स्कूलों की बाढ़ में अपनी उपस्थिति सशक्त रूप से दर्ज कराने के लिए एक बड़ा स्कूल इसी सेशन से खोला है। अप्रैल में इसकी शुरूआत हो चुकी है। एसडी पब्लिक स्कूल की तरह एक बड़ा स्कूल जानसठ रोड पर द्वारका सिटी के निकट बनाया गया है। शानदार बिल्डिंग का मुहूर्त पिछले दिनों हो चुका है। इसमें एसडी पब्लिक स्कूल की प्रिंसीपल चंचल सक्सेना को ही प्रबंधन ने डायरेक्टर के रूप में चुना है। पिछले दिनों इस स्कूल ने एडमिशन के लिए एंट्रेस परीक्षा आयोजित की तो यकीन नहीं करेंगे की एक हजार से अधिक बच्चे पहुंचे। यानी पहले ही सत्र में यह अन्य ब्रांडेड स्कूलों को मात दे देगा।

एमजी वर्ल्ड स्कूल स्कूल-

शहर के पुराने स्कूल एमजी पब्लिक स्कूल ने एक इंटरनेशनल स्कूल बनाने की पहल एक साल पहले ही कर दी थी लेकिन इसमें केवल 67 बच्चे ही पढ़ रहे हैं। खराब प्रबंधन व अच्छे शिक्षकों का अभाव इस स्कूल की सबसे कमजोरी रही। पैसा खूब लगाया गया लेकिन शिक्षकों को वेतन बहुत कम दिया गया और यही वजह रही कि स्कूल चल नहीं पाया है।

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