Wednesday 20 September 2017

ना ना करते भी आ रहा है 'पदमावती' का पहला लुक

मुंबईः संजय लीला भंसाली की चर्चित फिल्म पद्मावती का फर्स्ट लुक आखिरकार बाहर आ रहा है । वायकॉम 18 मोशन पिचर्स और भंसाली प्रोडक्शन्स इस नवरात्री यानी 21 सितंबर को फ़िल्म पद्मावती का फर्स्ट लुक लायेंगे । हालांकि पहले भंसाली व उनकी टीम ने यह कहा था कि फिल्म का कोई ट्रेलर या झलक नहीं रिलीज होगी। सीधे फिल्म प्रदर्शित होगी। लेकिन अब अचानक ही रणनीति में बदलाव आ गया है। शायद व्यवसायिक मजबूरी है।
संजय लीला भंसाली कहते हैं- मैं बहुत खुश हूं कि रानी पद्मावती की कहानी बडे परदे पर लेकर आ रहा हूं। यह सटीक तारीख है जिस दिन हम फ़िल्म का फर्स्ट लुक लॉन्च कर रहे है और इस नवरात्र उत्सव को मना रहे है ।
बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह, शाहिद कपूर और दीपिका पादुकोण की आगामी फिल्म 'पद्मावती' का पहला लुक कल यानी गुरुवार को रिलीज किया जाएगा। इसके लिए बुधवार को दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने अपने-अपने ट्विटर अकाउंट से इस बात की जानकारी देते हुए एक-एक ट्वीट किया। संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित यह फिल्म रानी पद्मावती की जिंदगी की कहानी पर आधारित है। फिल्म में दीपिका रानी पद्मावती की भूमिका में नजर आएंगी, जबकि रणवीर सिंह की भूमिका अलाउद्दीन खिलजी की है और शाहिद कपूर पद्मावती के पति राजा रतन सिंह का किरदार निभा रहे हैं। दीपिका और रणवीर दोनों ने अपने ट्विटर पर फिल्म ‘पद्मावती’ का एक पोस्टर शेयर किया और दोनों ने कैप्शन भी एक जैसा ही लिखा, “रानी पद्मावती पधार रही हैं... कल सूर्योदय के साथ। 
फिल्म 17 नवम्बर को देशभर में रिलीज हो रही है। 



Sunday 17 September 2017

80 के दशक की ये खूबसूरत हिरोईन याद है आपको ?

80-90 के दशक की खबसूरत अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्रि आज की युवा पीढ़ी को याद भी नहीं होगी। कभी उनकी गिनती श्रीदेवी, जयाप्रदा जैसी नायिकाओं की श्रेणी में हुआ करती थी। हीरो उनके कैरियर की सबसे कामयाब फिल्म थी। घायल व दामिनी को लेकर भी वे प्रशंसा बटोर चुकी हैं। बाद में शादी करके वे अमेरिका चली गई थी। अब वे सोशल मीडिया के जरिये अपने फैंस के सामने अवतरित हुई हैं। देखिये कुछ तस्वीरें जिसमें आपको अनुमान होगा कि वे कितनी सुंदर हुआ करती थीः-



















बसपा प्रत्याशी रहे राकेश शर्मा ने छोड़ दिया मायावती का साथ

मुजफ्फरनगरः बसपा के टिकट पर सदर सीट से चुनाव लड़े राकेश शर्मा ने रविवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। राकेश ने आरोप लगाया कि पार्टी में किसी की नहीं सुनी जा रही। हार के कारणों की समीक्षा को भी मायावती तैयार नहीं है।


Thursday 14 September 2017

बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का भव्य समारोह में आगाज

जापानी पीएम शिंजो अाबे व पीएम मोदी ने वीरवार को अहमदाबाद में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का भव्य समारोह में आगाज करायाः- 

















Saturday 9 September 2017

अब छवि बदलने की मुहिम में जुटे संजीव बालियान

मुजफ्फरनगरः सांसद संजीव बालियान ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद जनता के बीच जाने के क्रम को आगे बढ़ाया है। पिछले एक सप्ताह में वे जनता के बीच गए हैं। व्यस्तताएं कम होने का लाभ भी मिल रहा है।
संजीव केंद्रीय मंत्री के रूप में उतना समय भी नहीं दे पा रहे थे। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में होने वाली रस्म तेरहवीं, कथाओं, गोष्ठियों में भाग लेने का क्रम तेज किया है। उनके निकटस्थ सूत्रों का कहना है कि संजीव की टीम के खास सदस्यों ने यह महसूस किया कि तीन साल के अपने कार्यकाल में संजीव बालियान केंद्र में मंत्री होने के कारण क्षेत्र के लोगों से उस तरह का संपर्क नहीं रखा पाए। अब उनके पास समय है तो वे जनता के बीच जा रहे हैं। वे लोगों के घर पर चाय पीने भी जा रहे हैं। इसे उनके लिए अच्छा माना जा रहा है। 

हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है कि संजीव के व्यवहार को लेकर सबकी शिकायतें रही हैं और उन्हें इसे दूर करना होगा नहीं तो उन्हें 2019 के चुनाव के समय दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। कहा जा रहा है कि मोदी अपने कुछ सांसदों का टिकट भी काट सकते हैं। इसके लिए सभी सांसदों का रिपोर्ट कार्ड भी तैयार किया जा रहा है। संघ से भी यह रिपोर्ट ली जा रही है कि सांसद जनता के बीच जा रहे हैं या नहीं। ऐसे में संजीव बालियान का एक्टिव होना भी लाजिमी है। खैर देर आए दुरुस्त आए।

दूसरी ओर राजनीतिक हलकों में यह भी कहा जा रहा है कि संजीव बालियान के लिए 2019 में टिकट फिर से ले पाना भी सरल नहीं होगा। उनकी पार्टी में कई मजबूत दावेदार पैदा हो चुके हैं। कहा जा रहा है कि बुढ़ाना के विधायक उमेश मलिक अगली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने का दावा पेश करने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में संजीव के सामने खुद को दावेदारी को मजबूती से बनाए रखना सरल नहीं होगा।

कुछ लोगों का कहना है कि संजीव केवल जाट नेता ही बनकर रह गए हैं लेकिन अब संजीव सभी वर्गों के लोगों से संपर्क कर रहे हैं। वे विधायक कपिल देव के साथ पंजाबी व वैश्य वर्ग के लोगों से मिल रहे हैं और उनसे संपर्क बढ़ा रहे हैं।




Wednesday 6 September 2017

मुजफ्फरनगर दंगों की एसआईटी जांच पूरी, बंद होंगे 335 मामले

मुजफ्फरनगरः मुजफ्फरनगर दंगों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने एक मामले को छोड़कर शेष सभी मामलों की जांच पूरी कर ली है और 511 में से 175 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किये जाएंगे।       एसआईटी ने शेष 335 मामलों को बंद करने की सिफारिश की है जबकि एक मामले की अब भी जांच होनी है।

दंगों के सिलसिले में कुल 1,478 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से अधिकतर आरोपियों को जमानत मिल गई थी। एसआईटी अधिकारी ने कहा कि अंतिम मामले में जांच पूरी नहीं हुई है क्योंकि शिकायतकर्ता ने बयान नहीं दर्ज कराया है। अब तक दंगे के छह मामलों पर निर्णय सुनाया जा चुका है ,जिनमें किसी को दोषी नहीं ठहराया गया है और 40 आरोपियों को दोषमुक्त किया जा चुका है। वर्ष 2013 में हुए दंगों में 62 लोगों की मौत हुई  थी और 50 हजार से अधिक लोग विस्थापित हुए थे।

Tuesday 5 September 2017

पार्टी संगठन भी साथ नहीं संजीव बालियान के ?

मुजफ्फरनगरः संजीव बालियान अब केंद्रीय मंत्री नहीं रहे। जिले में उनके बारे में मोदी द्वारा लिए गए इस फैसले को लेकर अलग-अलग तरीके से देखा जा रहा है। कोई कह रहा है कि सही हुआ तो कोई कह रहा है गलत हुआ लेकिन कुल मिलाकर जिले के लिए यह क्षति है। खास बात यह है कि जिला भाजपा संगठन में भी अंदरखाने इस बात को लेकर खुशी मनाने वालों की कमी नहीं है। संगठन का कोई भी पदाधिकारी संजीव के समर्थन में बोलने के लिए तैयार नहीं है।

संगठन के कई पदाधिकारी उन्हें लेकर खुद को असहज महसूस कर रहे थे। कुछ लोगों का कहना था कि संजीव का व्यवहार उनके साथ सम्मानजनक नहीं रहा। जब पूरा संगठन पिछले विधानसभा चुनाव के समय कपिल देव अग्रवाल को टिकट दिए जाने का विरोध कर रहा था तो संजीव ने उनका समर्थन कर टिकट दिलवाया था। इसके अलावा बिजनौर जिले के एक भाजपा विधायक के साथ उन्होंने हाल ही में बहुत ही गलत तरीके से व्यवहार किया। इसकी शिकायत भी हाईकमान तक पहुंची थी।

संजीव व उनके साथ रहने वाले समर्थकों ने कई मौकों पर जिला संगठन के पदाधिकारियों की अनदेखी की। अगर किसी ने मिलने का प्रयास किया तो उसे मिलने नहीं दिया गया। कोई भी बहाना बना दिया गया। संगठन के एक पदाधिकारी ने बताया कि मंत्री जी के निजी सचिव हमेशा ही उनके बिजी रहने का बहाना बना दिया करते थे। कई बार घर पर होते हुए भी मंत्री जी कार्यकर्ताओं से नहीं मिलते थे। ऐसे में संगठन का कोई भी पदाधिकारी उनका समर्थन करेगा ही नहीं। इस पदाधिकारी ने कहा कि यदि आप पार्टी में अंदरुनी तौर पर सर्वे करा लें तो संजीव के समर्थन में 100 में से 10 वोट भी नहीं आएंगे। अब संगठन में उनकी स्थिति ऐसी होगी तो कैसे कोई साथ खड़ा होगा ?

Saturday 2 September 2017

और इस वजह से केबिनेट से बाहर कर दिए गए संजीव बालयान

नई दिल्ली/मुजफ्फरनगरः मुजफ्फरनगर सांसद डॉ. संजीव बालयान अब केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं हैं। उनके इस्तीफे के साथ ही शनिवार को बागपत के जाट सांसद वे मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह को मंत्रिपरिषद में शामिल किए जाने की घोषणा कर दी गई। संजीव से पहले ही इस्तीफा लिया जा चुका है।

सूत्रों के अनुसार, संजीव बालियान का कई विवादों में फंस जाना उनके लिए घातक साबित हुआ। पहले उन्हें कृषि राज्य मंत्री बनाया गया था और फिर एक साल पहले उन्हें जल संसाधन राज्य मंत्री बनाया गया था। बताया जाता है कि उनकी अपने सीनियर मंत्रियों (राधा मोहन सिंह व उमा भारती) से सही ट्यूनिंग नहीं बैठ रही थी। उन्होंने खुद को वेस्ट यूपी में जाट लीडर के रूप में स्थापित करने की कवायद शुरू कर दी थी। वे जाट आरक्षण के लिए भी प्रयास करने लगे थे जो मोदी व अमित शाह को पसंद नहीं था।

इसके अलावा पिछले दिनों मुजफ्फरनगर में एक महिला द्वारा आत्महत्या करने के मामले में संजीव बालियान के एक समर्थक का नाम आने के समय भी पार्टी को बदनामी का सामना करना पड़ा था। हालांकि संजीव ने बार बार यह कहा था कि वह आरोपी को नहीं जानते हैं लेकिन जब मीडिया ने उनकी व आरोपी की संयुक्त फोटो प्रकाशित की तो सब कुछ साफ हो गया। पीडिता के परिजनों ने आरोप लगाया था कि संजीव अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर इस केस के दबाने की कोशिश कर रहे हैं। यह प्रकरण उनके लिए घातक साबित हुआ।
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इससे पहले भी संजीव कई तरह के विवाद में फंसते रहे हैं। न्यूजवेव ने एक साल पहले भी एक स्टोरी में उनका विभाग बदले जाने के समय खुलासा किया था। उसे आप यहां पढ़ सकते हैः-



EXCLUSIVE: संजीव बालियान: 10 बड़ी गलतियां जो उनसे हुई


प्रमोशन देने के बजाय मोदी ने बदल दिया विभाग मुजफ्फरनगर सांसद का
जानिये उनके खिलाफ पार्टी की तैयार की गई फीडबैक रिपोर्ट की अंदरूनी बातें 

नई दिल्लीः केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री और मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान के मंत्रालयों में अचानक किया गया बदलाव वेस्ट यूपी के इस तेजी से उभरते जाट नेता के लिए धक्के के समान है। उनके समर्थकों में निराशा का माहौल है। जल संसाधन, नदी विकास व गंगा सफाई जैसे विभागों को संजीव को दिया गया है। इनमें से कुछ उमा भारती के पास हैं। इससे पहले संजीव बालियान कैबिनेट मंत्री राधा मोहन ङ्क्षसह के साथ राज्यमंत्री के रूप में कृषि विभाग देख रहे थे। संजीव के समर्थकों में निराशा इसलिए भी है क्योंकि वह लोग उम्मीद लगाए बैठे थे कि उन्हें इस कैबिनेट रिशफल में प्रमोट किया जा रहा है। माना जा रहा था कि उन्हें स्वतंत्र प्रभार वाला मंत्री बनाया जा सकता है। पर ऐसा नहीं हुआ। 30 जून को जब मोदी ने सभी मंत्रियों से उनके विभागों का लेखा जोखा मांगा और समीक्षा की तो उनकी फाइल में कई ऐसे तथ्य थे जो उनके पक्ष में नहीं थे। सूत्रों के अनुसार, संगठन की ओर से भी उनकी ट्रैक रिकार्ड की फाइल दी गई थी और अमित शाह व उनकी टीम को जो फीडबैक मिला था उससे कुछ ये बातें निकलकर सामने आई:-

1 - संजीव बालियान मोदी सरकार के दूसरे मंत्रियों की तरह सोशल मीडिया पर निष्क्रिय पाए गए। कुछ महीने पहले भी जब मोदी ने भाजपा सांसदों की बैठक ली थी तो उसमें सभी से उनके फेसबुक पेज व ट्विटर हैंडल के बारे में मोदी व अमित शाह ने पड़ताल की थी। कई सांसदों ने तो महीनों से अपने फेसबुक पेज को अपडेट नहीं किया था। इसके अलावा संजीव बालियान को ट्विटर पर निष्क्रिय पाया गया। जिन सांसदों के फोन में नरेंद्र मोदी एप नहीं मिली उन्हें भी चेतावनी दी गई थी। कहा जा रहा है कि संजीव बालियान के मोबाइल में भी पीएम मोदी की एप नहीं थी। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। इस बात को लेकर मोदी व अमित शाह ने नाराजगी जताई थी। दोनों का ही मानना था कि जब मंत्री परिषद के सदस्य ही अपने मोबाइल में उनकी एप नहीं डालेंगे तो आम आदमी से क्या उम्मीद की जा सकती है।

2 - सोशल मीडिया विंग की ओर से भी रिपोर्ट दी गई कि संजीव बालियान का फेसबुक पेज बहुत ही कम अपडेट हो रहा है और उसके माध्यम से जो सूचनाएं उन्हें दी जा रही हैं उन पर ध्यान नहीं दिया जाता। कई बार गलत तस्वीरें भी शेयर कर दी गई। ये भी तथ्य सामने आया कि उनके फेसबुक पेज को उनका कोई रिश्तेदार ही हैंडल कर रहा है और उन्हें ट्विटर के संबंध में कोई खास जानकारी नहीं है। हालांकि मोदी व शाह के साथ उक्त बैठक के बाद संजीव ने अपने ट्विटर हैंडल को एक्टिव करने का प्रयास भी किया और अपने फेसबुक पेज के माध्यम से अपील भी जनता से की गई कि वे आप सब लोग उन्हें ट्विटर पर फालो कर सकते हैं लेकिन रिस्पांस नहीं आया। उनके फालोअर 4000 के आसपास ही निकले जो केंद्रीय मंत्री के हिसाब से बहुत कम है।

3 - अमित शाह एंड टीम को संजीव बालियान का अति महत्वाकांक्षी होना भी नहीं भा रहा था। बताया जाता है कि संजीव बालियान के समर्थकों ने उन्हें यूपी में सीएम के रूप में प्रोजेक्ट करने के लिए मुहिम चलाई हुई है। इसके लिए सोशल मीडिया पर खूब लिखा जा रहा है। कुछ फेसबुक कम्युनिटी पेज भी उनके समर्थन में बना दिए गए। इन पर लगातार लिखा जा रहा था कि संजीव बालियान को यूपी में सीएम पद के लिए प्रोजेक्ट किया जाए। इस बारे में कुछ वेबसाइट्स ने न्यूज भी चलाई और ये बात हाईकमान तक पहुंच गई। हालांकि संजीव बालियान ने अपने जवाब में ये कहा कि ये पेज उन्होंने नहीं बनाए हैं लेकिन फिर भी मैसेज यही था कि ये उनके समर्थकों की कोशिश है जिसे उनका अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त है। हाईकमान ने इसे अपने ऊपर बेवजह का दबाव माना।

4 - संजीव बालियान लोकसभा चुनाव में चार लाख से भी अधिक मतों से जीते थे मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से, लेकिन फिर भी वे केवल जाटों के हितों में ही काम कर रहे हैं। जबकि उन्हें सभी बिरादरियों ने समर्थन दिया था। इससे ठाकुर, वैश्य, सैनी, त्यागी व अन्य बिरादरी के लोग नाराज हैं। यूपी के एक ठाकुर विधायक ने संजीव बालियान के खिलाफ लिखित शिकायत पार्टी हाईकमान को दी थी। इसके बारे में अमित शाह ने उन्हें ताकीद भी किया। कहा जाता है कि वे जब भी अपने लोकसभा क्षेत्र में जाते हैं तो उनके आसपास जाट नेताओं का ही जमावड़ा रहता है। उनका ज्यादातर समय भी जाट बहुल गांवों में ही गुजरता है जबकि भाजपा अगले साल के विस चुनाव के मद्देनजर सभी बिरादरियों पर फोकस कर रही है।
5 - संजीव बालियान, केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह (जो बिहार से आते हैं) के साथ राज्यमंत्री के रूप में दो साल से भी अधिक समय से कार्य कर रहे थे लेकिन कहा जाता है कि उनकी अपने सीनियर के साथ कभी भी वर्किंग ट्यूनिंग नहीं बन सकी। इस बारे में राधा मोहन सिंह ने भी हाईकमान को अवगत कराया था। यही वजह रही कि अंत में उनका विभाग बदल दिया गया। जबकि राधा मोहन उन गिने चुने मंत्रियों में बने रहे जिनके विभाग नहीं बदले गए।

6 - संजीव बालियान के बारे में जिला संगठन व प्रदेश संगठन की ओर से भी रिपोर्ट सकारात्मक नहीं आ रही थी। उनके बारे में कहा जाने लगा है कि उनके विकास कार्यों में कोई एकरूपता नहीं है। जो भी बड़े-बड़े विकास कार्य उन्होंने कराए हैं वे केवल बुढ़ाना (उनके लोकसभा क्षेत्र की एक विस सीट) क्षेत्र में ही कराए हैं। इसके अलावा दूसरे हिस्सों में वे विकास कार्यों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। खासतौर से मुजफ्फरनगर जिला मुख्यालय, खतौली, चरथावल, सरधना आदि विस इलाके लगातार उनकी शिकायतें कर रहे थे।

7 - मीडिया के साथ भी संजीव बालियान की ट्यूनिंग सही नहीं बताई गई। उनके बारे में फीडबैक दिया गया कि वे नेशनल मीडिया व टीवी चैनल्स के पत्रकारों को तो तवज्जो दे रहे थे लेकिन उनके लोकसभा क्षेत्र मुजफ्फरनगर की मीडिया का एक बड़ा वर्ग उनसे नाराज है और इसलिए उनकी खबरें भी नहीं छापता है। पार्टी का मानना है कि इससे संगठन को नुकसान होता है। मीडिया के साथ अच्छे संबंध पार्टी की पहली प्राथमिकता है।

8 - जून माह में मुजफ्फरनगर में हुए किसान सम्मेलन के लिए संजीव बालियान ने विशेष प्रयास किए थे। इसमें केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू व जयंत सिन्हा आदि भी मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव में गए थे लेकिन इस सम्मेलन में कई गड़बडिय़ां भी हो गई। संजीव ने इस सम्मेलन में भारतीय किसान यूनियन को शामिल कर लिया। जबकि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत चौधरी अजित सिंह की पार्टी रालोद से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। इसके अलावा सम्मेलन के लिए गए राष्ट्रीय नेताओं के लिए सुबह के नाश्ते का इंतजाम जिले के कुछ व्यापारियों के यहां किया गया। ये व्यापारी कांग्रेस से जुड़े रहे हैं और इनमें से एक व्यापारी का करोड़ों रुपया हाल ही में पंजाब में आयकर विभाग ने जब्त कर लिया था। इसके अलावा पिछले विधानसभा चुनाव के समय इन व्यापारियों (बिंदल ब्रदर्स) ने हरियाणा के कांग्रेस सांसदों नवीन जिंदल व दीपेंद्र हुड्डा की मेजबानी की थी। ये सब बातें हाईकमान को नागवार गुजरी। संगठन ने भी इस बारे में अपनी रिपोर्ट हाईकमान को भेजी। कहा गया कि इन व्यापारियों से सम्मेलन के लिए आर्थिक मदद भी ली गई जो संगठन के लिए नाराजगी की वजह बनी।

9 - संजीव बालियान पर शुरू से ही भाई भतीजावाद के आरोप भी लगते रहे हैं। मोदी ने शुरू में ही साफ कर दिया था कि कोई भी मंत्री अपने किसी रिश्तेदार को अपने स्टाफ में नहीं रखेगा। इसके बावजूद संजीव बालियान ने अपने भाई को ही अपना पीए बनाए रखा। उनके फोन तक उनका भाई ही उठाता है। यही नहीं उन्होंने अपने कुछ रिश्तेदारों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने की कोशिश भी की। उन्होंने अपने अधिकृत मेल आईडी से एक ईमेल कुछ कारपोरेट घरानों के लिए कर दिया जिसमें लिखा गया था कि वे उनकी एक रिश्तेदार लड़की के लिए बिजनेस सेटअप में सहायता करें। ये खबर इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने प्रमुखता से भी छापी और मोदी सरकार को अपमानित होना पड़ा। इस प्रकरण पर मोदी ने बहुत ही गंभीरता से संज्ञान लिया। इसके अलावा संजीव के बारे में कहा जा रहा है कि वे अपने कुछ बिजनेस पार्टनरों को राजनीति में उतारने के लिए प्रयासरत हैं। ये सभी जाट ही हैं। किसी को मीरापुर से टिकट दिलाने का प्रयास कर रहे हैं तो किसी को बुढ़ाना व चरथावल विधानसभा सीट से। यही नहीं हाल ही में जब मुजफ्फरनगर में विधानसभा का उपचुनाव हुआ तो उन्होंने कपिल देव के लिए टिकट करवाया। कपिल भी बसपा प्रत्याशी मैदान में न होने के बावजूद भी बहुत ही कम अंतर से जीत सके। यही नहीं बाद में कपिल देव स्टिंग आपरेशन में फंसे और पार्टी की किरकिरी भी हुई।


10 - मोदी की कैबिनेट में जो भी बदलाव 5 जुलाई को किए गए हैं उनके बारे में कहा जा रहा है कि मोदी को कम बोलने वाले व निर्विवादित लोग पसंद आ रहे हैं। यही वजह है कि स्मृति ईरानी को एचआरडी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय से कपड़ा मंत्रालय में जाना पड़ा। मोदी चाहते हैं कि उनके मंत्री काम पर ध्यान दें और बेकार के विवादों में न पड़ें। संजीव बालियान भी विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। दादरी कांड के समय उन्होंने कई विवादित बयान दिए इसके अलावा यूपी में संजीव लगातार वहां के कैबिनेट मंत्री आजम खां के खिलाफ बयानबाजी करते रहे। मोदी ने इसे भी अनावश्यक माना। इसके अलावा जाट आरक्षण आंदोलन के समय भी संजीव बालियान ने कुछ ऐसी टिप्पणियां की जो मोदी को नागवार गुजरी। संजीव का जाटों को आरक्षण दिलाने के लिए अति सक्रिय रहना भी मोदी को पसंद नहीं आया और अंत में मोदी ने उन्हें दूसरे किसी हल्के विभाग में काम करने के लिए नियुक्त कर दिया।