Sunday 11 March 2018

मुजफ्फरनगरः अपने बच्चे का एडमिशन कराने से पहले यह सर्वे जरूर पढ़ लें

हमारे पहले स्कूल सर्वे के नतीजे आ चुके हैं। आशा है आपको अपने बच्चे के लिए नए सेशन में एडमिशन कराने में हमारे टिप्स सहायक साबित होंगेः- 

Conducted by- Newswave and Spectrum Media
मुजफ्फरनगर के टॉप तीन स्कूल-
1. होली एंजिल्स कांवेंट स्कूल (क्षमता- 2500)

2. एसडी पब्लिक स्कूल (क्षमता- 5000)

3. शारदेन स्कूल (क्षमता- 2500)

जिला मुख्यालय पर लगभग सभी प्रमुख स्कूल खुल जाने के बावजूद लोगों की पहली पसंद ये तीन पुराने स्कूल ही बने हुए हैं। एसडी व होली एंजिल्स 60 के दशक में शुरू हुए थे जबकि शारदेन 90 के दशक में। इनमें होली एंजिल्स सबसे सस्ता व शारदेन सबसे महंगा स्कूल है।

क्यों ये तीनों हैं पहली पसंद- 

ये तीन स्कूल पुराने होने के साथ-साथ अपनी प्रतिष्ठा भी बनाने में सफल हुए हैं। होली एंजिल्स कांवेंट स्कूल मिशनरी द्वारा संचालित है। एक समय था शहर के सभी वीवीआईपी परिवारों के बच्चे इसी स्कूल में पढ़ते थे। सारे अधिकारियों के बच्चे भी इसी में पढ़ते थे। एसडी पब्लिक हमेशा दूसरी च्वाइस बना रहा। शारदेन ने पढ़ाई के साथ-साथ खेल व ऐसी दूसरी गतिविधियों की वजह से अपनी जगह बनाई। इस स्कूल के प्रबंधन ने भी नए मानदंड स्थापित किए। हालांकि फीस के मामले में शारदेन सबसे महंगा रहा लेकिन कुछ लोगों ने इसे एसडी पब्लिक स्कूल पर भी तरजीह दी। एसडी पब्लिक स्कूल की सफलता का पूरा श्रेय इसकी पिछले 17 साल से प्रधानाचार्य चंचल सक्सेना को जाता है जिन्होंने टीचर्स के साथ मिलकर इसे शीर्ष पर पहुंचाया। शारदेन के संस्थापक विश्वरतन व उनकी पत्नी धारा रतन ने प्रधानाचार्य के रूप में स्कूल के लिए मेहनत की और उसी की वजह से स्कूल आज एक स्तर कायम रखने में सफल रहा है।



अन्य स्कूलों की स्थिति-


पिछले चार-पांच साल में मुजफ्फरनगर में कई बडे ब्रांडेड स्कूलों की फ्रेंचाईची भी खुली हैं। लेकिन किसी ने भी इन तीनों के लिए चुनौती नहीं पेश की है। आइये देखते हैं उनकी क्या स्थिति है-

1. जीडी गोयनका पब्लिक स्कूलः

आप बड़े नाम पर न जाएं। दिल्ली एनसीआर में चलने वाली इस स्कूल की अन्य शाखाओं की तरह से इसकी स्थिति नहीं है। कुछ स्टाफ बाहर से भी लाया गया और कुछ यहीं के दूसरे स्कूलों से लिया गया है लेकिन स्कूल शिक्षा के स्तर में कहीं नहीं टिकता है। इसमें फिलहाल 350 के करीब बच्चे पढ़ रहे हैं और कक्षाएं आठवीं तक ही संचालित हो रही हैं। भोपा रोड पर स्थित यह स्कूल उस बिल्डिंग में चलता है जिसमें कभी डीपीएस खुलने वाला था। हालांकि इस स्कूल में शिक्षकों को वेतन 25 से 40 हजार रुपये तक दिया जा रहा है, जो दूसरे स्कूलों से बहुत ज्यादा है। वैसे फीस के मामले में यह स्कूल अब पहले नंबर पर है। इस स्कूल को स्काईलार्क कालेज के संचालक व पवन हार्डवेयर के मालिक मिलकर चला रहे हैं।

2. दिल्ली पब्लिक स्कूलः

दिल्ली पब्लिक स्कूल के भी नाम पर मत जाएं। यह दिल्ली के मथुरा रोड या द्वारका में चलने वाले या फिर नोएडा के डीपीएस की तरह नहीं है। इसमें प्रबंधन का बुरा हाल है। शुरूआत में इसमें अच्छी शिक्षिकाएं रखी गई लेकिन अब सुनने में आया है कि तीन-तीन महीने से उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है और वे दूसरे स्कूलों में स्थान तलाश रही हैं। इस स्कूल में नए खुले दूसरे स्कूलों के मुकाबले बच्चे अधिक (600-700) हैं। इसकी वजह यह है कि इस स्कूल ने अपनी बसों को पुरकाजी, खतौली व शामली आदि कस्बों तक चलाया हुआ है और बच्चे बाहर से आ रहे हैं केवल बड़े नाम की वजह से लेकिन इसका असर इसकी शिक्षा पर भी पड़ा है। देहात क्षेत्रों से बच्चे आने के कारण यहां अनुशासन उतना अच्छा नहीं है। अच्छे परिवार अब इस स्कूल से अपने बच्चों को निकाल रहे हैं। उन्हें डर है कि उनके बच्चों की बोलचाल भी खराब न हो जाए।

3. माउंट लिटरा-

जी ग्रुप का बड़ा नाम इस स्कूल से जुड़ा था और गांधी कालोनी-भोपा बस स्टैंड लिंक रोड पर जहां इसे बनाया गया वह लोकेशन भी बेहद प्राइम थी। इस स्कूल की वजह से सबसे ज्यादा खतरा एसडी पब्लिक स्कूल को था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति से लेकर संचालन तक कुछ भी सही नहीं रहा। शहर के प्रमुख घराने से जुड़े कुंवर आलोक स्वरूप (ग्रैंड प्लाजा के संचालक) ने अपनी जमीन इसके संचालन के लिए दी थी। इसमें 6-7 पार्टनर मिले थे लेकिन साझे में खेल बिगड़ गया। स्कूल में बच्चे बहुत कम आ पाए शुरू-शुरू में तो खर्चा पूरा होना कठिन हो गया। ऐसे में शिक्षकों को कई-कई महीने की सैलरी एक बार मिल रही है। कई बार तो मिलती भी नहीं। जमीन के बदले आलोक स्वरूप को 2 लाख रुपये प्रति माह और 20 प्रतिशत फीस का हिस्सा हर माह दिया जाना तय हुआ था लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब सुना है कि इसे लेकर मुकदमेबाजी चल रही है। चर्चा तो यहां तक भी है कि यह स्कूल जल्द ही बंद होने जा रहा है।

भविष्य के स्कूलः

द एसडी पब्लिक स्कूल-
सनातन धर्म संस्था ने शहर में आई स्कूलों की बाढ़ में अपनी उपस्थिति सशक्त रूप से दर्ज कराने के लिए एक बड़ा स्कूल इसी सेशन से खोला है। अप्रैल में इसकी शुरूआत हो चुकी है। एसडी पब्लिक स्कूल की तरह एक बड़ा स्कूल जानसठ रोड पर द्वारका सिटी के निकट बनाया गया है। शानदार बिल्डिंग का मुहूर्त पिछले दिनों हो चुका है। इसमें एसडी पब्लिक स्कूल की प्रिंसीपल चंचल सक्सेना को ही प्रबंधन ने डायरेक्टर के रूप में चुना है। पिछले दिनों इस स्कूल ने एडमिशन के लिए एंट्रेस परीक्षा आयोजित की तो यकीन नहीं करेंगे की एक हजार से अधिक बच्चे पहुंचे। यानी पहले ही सत्र में यह अन्य ब्रांडेड स्कूलों को मात दे देगा।

एमजी वर्ल्ड स्कूल स्कूल-

शहर के पुराने स्कूल एमजी पब्लिक स्कूल ने एक इंटरनेशनल स्कूल बनाने की पहल एक साल पहले ही कर दी थी लेकिन इसमें केवल 67 बच्चे ही पढ़ रहे हैं। खराब प्रबंधन व अच्छे शिक्षकों का अभाव इस स्कूल की सबसे कमजोरी रही। पैसा खूब लगाया गया लेकिन शिक्षकों को वेतन बहुत कम दिया गया और यही वजह रही कि स्कूल चल नहीं पाया है।

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2 comments:

  1. स्थापित स्कूलों में आपने एम जी पब्लिक स्कूल का नाम नहीं लिया, जबकि मेरे विचार में वह आज भी शारदेन से ऊपर है ।

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    1. Sir, we respects for your feedback. Its all about survey facts nothing else.

      - News Editor
      newswave

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