Saturday 28 April 2018

कैराना लोकसभा उपचुनाव- मृगांका ही संभालेंगी हुकुम सिंह की विरासत, 10 प्रमुख चुनौतियां

नई दिल्लीः कैराना लोकसभा चुनाव के लिए तारीख का ऐलान हो चुका है। 28 मई को मतदान होगा और 31 को नतीजा आएगा। वेस्ट यूपी के शामली और सहारनपुर की पांच विधानसभाओं को मिलाकर बनने वाली यह लोकसभा सीट भाजपा के वरिष्ठ गुर्जर नेता बाबू हुकुम सिंह का फरवरी में निधन में हो जाने के कारण खाली हुई है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले यह यूपी में भाजपा के लिए नेट प्रैक्टिस का मौका है। फूलपुर व गोरखपुर की लोकसभा सीटों को समाजवादी पार्टी से हार जाने के बाद से ही भाजपा और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर भारी दबाव है कैराना में अपना दम दिखाने का। हालांकि अभी किसी भी पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है लेकिन यह तय माना जा रहा है कि भाजपा यहां से हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को ही उतारेगी। और यह भी तय है कि अगर मृगांका को टिकट नहीं मिला तो भाजपा के लिए यहां इज्जत बचाना संभव नहीं होगा। आइये जानते हैं भाजपा के सामने इस सीट को कड़ी चुनौती बनाने वाले 10 खास समीकरण–


1. जातीय आंकड़ा- इस सीट पर जातीय समीकरण बहुत ही कठिन हैं। ये कतई भी भाजपा के पक्ष में नहीं जाते। इस सीट पर हिंदु गुर्जर, मुस्लिम गुर्जर, दलित व ओबीसी मतों को बड़ा पेचिदा सा आंकड़ा है। यहां 5 लाख के करीब मुस्लिम वोटर हैं और तीन लाख के करीब दलित वोटर। आप समझ सकते हैं कि भाजपा के लिए कितना मुश्कि है। यही वजह है कि कैराना लोकसभा सीट के इतिहास में भाजपा केवल दो बार ही यह सीट जीत पाई है। एक बार 1998 (वीरेंद्र वर्मा) और दूसरी बार 2014 (हुकुम सिंह) में।
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2. विपक्ष की एकता- यह तो तय है कि यहां भी विपक्षी एकता का बड़ा अहम रोल रहेगा परिणाम में। अगर यहां भाजपा की सीधी टक्कर किसी एक दमदार प्रत्याशी से होती है तो उसे जीतने के लिए एडी चोटी का जोर लगाना होगा। अगर मुकाबला तिकोना हुआ तो भाजपा के चांस बन सकते हैं। सपा-बसपा के तो एक साथ जाने के पूरे चांस हैं लेकिन कांग्रेस व रालोद का भी उन्हें साथ मिलेगा या नहीं यह बड़ा सवाल है। कांग्रेस ने सपा-बसपा का साथ फूलपुर व गोरखपुर में भी नहीं दिया था।

3. मुस्लिम वोटर निर्णायक- कैराना लोकसभा सीट में शामली जिले की थानाभवन, कैराना व शामली और सहारनपुर जिले की नकुड़ व गंगोह विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें से शामली को छोड़कर सभी पर मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में हैं। यहां से 6 बार मुस्लिम सांसद चुने जा चुके हैं। हुकुम सिंह से पहले बसपा से तबस्सुम बेगम सांसद थीं। वे अपने पति मुनव्वर हसन (सपा सांसद) की मौत के बाद सहानुभूति लहर में सांसद बनी थीं 2009 में। गंगोह व नकुड़ सीटों पर भी मुस्लिम वोटरों का बोलबाला है।
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4. दलित वोटरों के तेवर - 2014 के चुनाव के समय कैराना सीट पर दलित वोटरों ने खुलकर भाजपा के लिए मतदान किया था। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद बने माहौल में दलित वोटरों ने खुद सवर्ण-ओबीसी वोटरों के साथ मिलकर सपा व बसपा के खिलाफ मतदान किया था। इसलिए सपा के प्रत्याशी नाहिद हसन (अब कैराना विधायक) क 329081 वोट मिले थे और बसपा प्रत्याशी कंवर हसन (नाहिद के चाचा) को 160414 ही वोट मिले थे। दोनों मिलाकर भी हुकुम सिंह (565909) के बराबर नहीं पहुंच पाए थे। साफ था मतों का ध्रुवीकरण भाजपा के समर्थन में था। दलित वोटरों का मूड 2 अप्रैल को हुए भारत बंद के मामले से बिगड़ा हुआ है। पुलिस ने जिस तरह से दलित युवकों को पकड़ पकड़कर अंदर किया या पिटाई की उसके बाद से रविदासी समाज में भारी आक्रोश है भाजपा के खिलाफ।

5. जाट मतदाता अनिश्चित- इस लोकसभा सीट पर लगभग सवा लाख जाट वोटर भी हैं। ये ज्यादातर शामली, कैराना व थानाभवन विधानसभा क्षेत्रों में हैं। वैसे जाट मतदाता अजित सिंह के साथ जुड़े रहे हैं लेकिन मुजफ्फरनगर दंगे के समय से जाट वोटर भी अजित सिंह से छिटक गए और इन्होंने भारी संख्या में भाजपा को वोट किया था। यही वजह थी कि रालोद के कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना को 42706 वोट ही मिल पाए थे। यदि रालोद भी विपक्ष के महागठबंधन का हिस्सा बनता है तो जाट वोटर भाजपा से अलग हो सकते हैं।

6. अन्य जातियों का रुझान- कैराना लोकसभा सीट पर 1.25 लाख गुर्जर, 1.2 लाख कश्यप, 1.10 लाख सैनी. 50 हजार ब्राह्मण, 55 हजार ठाकुर, 55 हजार वैश्य मतदाता भी हैं। इसके अलावा लगभग 2 लाख वोटर अन्य जातियों के हैं। ये सब बिरादरियां अगर भाजपा के साथ जाती हैं तो उसे फायदा होगा। लेकिन यदि मुकाबले में केवल एक ही मुस्लिम प्रत्याशी हो तो भाजपा के लिए यह सीट टेढ़ी खीर बन जाती है।

7. सहारनपुर का मसूद फैक्टर- सहारनपुर के बाहुबली नेता इमरान मसूद भी इस सीट को लेकर बहुत बड़ा फैक्टर न रहे हैं। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष इमरान मसूद सहारनपुर की राजनीति में बड़ा नाम हैं। 2014 के चुनाव से पहले मोदी के बारे में दिया गया उनका बयान सोशल मीडिया पर सुर्खियों में आया था और वे विवादों में हमेशा ही घिरे रहते हैं। इसके बावजूद कांग्रेस ने वेस्ट की राजनीति में उन्हें बड़ा मुस्लिम नाम मानते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया था। इमरान नकुड़ व गंगोह विस सीटों पर मुस्लिम वोटर का मूड सेट कर सकते हैं। बताया जाता है कि वे पार्टी हाईकमान को अपने इरादे बता चुके हैं और उनकी राय में कांग्रेस को सपा व बसपा प्रत्याशी को समर्थन नहीं देना चाहिए। उन्होंने राहुल गांधी के सामने राय रखी है कि अगर वे चौधरी अजित सिंह या उनके बेटे जयंत चौधरी को समर्थन देकर लड़ाएं तो यह सीट जीती जा सकती है। मुस्लिम व जाट मतों का एक साथ आना हमेशा से राष्ट्रीय लोकदल के फायदे में रहा है।

8. विपक्ष का प्रत्याशी कौन- इस सीट पर यह बड़ा सवाल है। भाजपा के खिलाफ सपा व बसपा एक तो हो सकते हैं लेकिन यहां प्रत्याशियों का घोर अभाव है। कोई दमदार नाम नहीं नजर आता। सपा पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह गुर्जर को उतारकर मुस्लिम-गुर्जर मतों को जुटा सकती है लेकिन बाकी जातियों के भी वोट उन्हें मिलेंगे या नहीं यह नहीं कहा जा सकता। कैराना से हमेशा ही हुकुम सिंह को टक्कर देने वाला हसन परिवार भी चुनावी अखाड़े में सदैव उतरता रहता है लेकिन वहां से भी कोई मजबूत नाम नहीं नजर आ रहा है। नाहिद हसन विधायक बन चुके हैं। उनकी मां व पूर्व सांसद तबस्सुम हसन ने विरासत बेटे को सौंप दी है। पहले भी चुनाव लड़ चुके नाहिद के चाचा कंवर व अरशद हसन का राजनीतिक वजूद कुछ नहीं है। इसके अलावा थानाभवन से चुनाव लड़ चुके डॉ. सुधीर पंवार का नाम भी सुनने में आ रहा है। इसके अलावा कुछ माह पहले सपा छोड़कर रालोद में गए अमीर आलम खां के नाम की भी चर्चा है। आलम 1999 में रालोद के टिकट पर यहां से सांसद भी रह चुके हैं। उनका गांव गढ़ीपुख्ता भी इसी लोकसभा सीट का हिस्सा है। बहरहाल आलम चूंकि रालोद में हैं उनकी स्थिति साफ नहीं है। अगर अजित सिंह किसी भी तरह सपा व बसपा से मिलकर आलम या उनके बेटे नवाजिश आलम (बुढ़ाना के पूर्व सपा विधायक) के नाम पर सहमति बना लें तो सीट निकाली जा सकती है। कुल मिलाकर अगर भाजपा यहां फिर से जीतती है तो इसमें सबसे बड़ा रोल विपक्ष के प्रत्याशी को चयन का होगा।

9. भाजपा के चांस- भाजपा लगातार दूसरी बार यह सीट जीतने की कोशिश करेगी और उसके पक्ष में सबसे बड़ी बात यही है कि उनके पास बाबू हुकुम सिंह के निधन की सहानुभूति लहर होगी। कैराना में पहले भी तबस्सुम बेगम (मुनव्वर हसन की बेवा) को सहानुभूति लहर में एक महिला प्रत्याशी को जीत मिल चुकी है। वैसे सुनने में आया है कि कैराना से 2004 में सांसद रह चुकी अनुराधा चौधरी के नाम पर भी कुछ भाजपाई दांव लगा रहे हैं लेकिन फिलहाल पार्टी में संदेश यही है कि अगर यह सीट जीती जा सकती है तो केवल हुकुम सिहं की बेटी मृगांका सिंह के नाम पर ही जीती जा सकती है। इस पर मोदी, अमित शाह व राजनाथ सिंह आदि नेता भी सहमत बताए जाते हैं।

10. खामोश मतदाता- ऐसा नहीं है कि यदि बसपा व सपा मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो यह सीट हलुवा होगी। माना कि मुस्लिम व दलित वोटर एक जगह हो जाएंगे तो संयुक्त प्रत्याशी को जीत मिल ही जाएगी। ओबीसी व सवर्ण जातियों के वोट भी मिलकर एक बड़ा समीकरण बन जाते हैं। ये चाहें तो किसी भी चुनाव को रुख मोड़ सकते हैं लेकिन यहां सबसे बड़ा फैक्टर मतदान प्रतिशत का रहेगा। अगर यहां मतदान प्रतिशत 60 प्रतिशत से ऊपर जाता है तो भाजपा का पलड़ा भारी रहेगा। भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती मई की तपती दुपहरी में अपने वोटर को मतदान केंद्र तक पहुंचाना होगा। अगर वह यह कर पाने में सफल रहती है तो उसकी जीत तय है। फूलपुर व गोरखपुर में मतदान प्रतिशत कम रहने की वजह से ही भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था।

Thursday 26 April 2018

ICC World Cup 2019 का पूरा कार्यक्रम

आईसीसी वर्ल्ड कप 2019 का पूरा कार्यक्रम घोषित कर  दिया गया है। देखिए पूरा चार्ट-

Exclusive : गांगुली न होते तो शायद सहवाग और धोनी भी न होते

नई दिल्लीः क्रिकेट की दुनिया में अपना स्थान बनाए रखना ही आसान नहीं है और अगर आप अपने स्थान पर दूसरों को खेलने का मौका दे देते हैं तो आपसे महान और कोई हो ही नहीं सकता। सौरव गांगुली को भारतीय क्रिकेट के महानतम कप्तान में यूं ही नहीं गिना जाता। उन्होंने ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई-कई बार किया। पिछले दिनों क्रिकेट समीक्षक बोरिया मजूमदार की किताब के विमोचन के मौके पर वीरेंद्र सहवाग ने ऐसा ही खुलासा किया।
मजूमदार ने वीरू से पूछा था कि गांगुली की वे इतनी तारीफ क्यों करते हैं? वीरू ने अपने स्पष्टवादी अंदाज में इसका सीधा जवाब दिया। सहवाग ने बताया कि जब वे वन डे क्रिकेट खेल रहे थे तो कहा जाता था कि वे टेस्ट में नहीं खेल सकते। उन्हें भी ऐसा ही लगने लगा था लेकिन सौरव जब कप्तान थे तो उन्होंने वीरू से टेस्ट क्रिकेट खेलने को कहा। वीरू ने कहा कि अगर मैं फेल रहा तो आप मुझे टीम से बाहर कर देंगे। 
इस पर सौरव ने उनसे कहा कि नहीं वे उन्हें पूरा मौका देंगे लेकिन टेस्ट में ओपन करना होगा। वीरू ने कहा कि आप द्रविड, सचिन या लक्ष्मण को कहिए। वे रेगुलर खेल रहे हैं लेकिन सौरव ने कहा कि टीम में तभी लूंगा जब ओपन करोगे। सौरव ने यह भी वायदा किया कि यदि वे ओपनिंग में फेल रहे तो मिडिल आर्डर में वे अपनी जगह उन्हें मौका देंगे। तब जाकर वीरू तैयार हो गए और लार्ड्स में पहले ही टेस्ट में 84 रन बनाए। इसके बाद तो सब कुछ इतिहास है। वीरू ने टेस्ट क्रिकेट में न जाने कितने डबल व ट्रिपल सेंचुरी मारी। 
वीरू ने बताया कि इसी तरह सौरव ने धोनी के लिए भी अपनी जगह छोड़ी थी। धोनी अच्छा खेल रहे थे लेकिन ऊपर मौका नहीं मिल पा रहा था। तब गांगुली ने अपने से पहले धोनी को उतारा और उन्होंने मौके का फायदा उठाते हुए शानदार बल्लेबाजी की। बाकी तो सब जानते हैं कि धोनी कैसे भारत के महानतम कप्तान बल्लेबाज बने।

Monday 23 April 2018

Parineeti Chopra ने खूब प्रमोट किए Australia के सुंदर नजारे

परिणीति चोपड़ा पिछले एक सप्ताह से आस्ट्रेलिया में सैर सपाटा कर रही हैं। वहीं की सुंदर-सुंदर लोकेशन से वे एक से एक फोटो पोस्ट कर रही हैं। उन्होंने सिडनी, मेलबर्न, न्यू साउथ वेल्स, क्वींसलैंड में खूब मौज की।

इस टूर में उन्होंने कई टूर एंड ट्रैवल कंपनियों को प्रमोट किया। आप भी देखिये ये शानदार नजारे, हो सकता है आपका मन भी कर जाए वहां सैर के लिए जाने काः-
























Sunday 22 April 2018

मुजफ्फरनगर में भाजपा सांसद व विधायक की हो रही थू थू

शिव चौक पर भाजपा नेता 
  मुजफ्फरनगरः नगर में चल रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान ने भाजपा जनप्रतिनिधिय़ों के लिए कठिन हालात पैदा कर दिए हैं। रविवार को भगत सिंह रोड पर भाजपा नेता सुनील तायल व अन्य व्यापारियों पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं और बाद में सिटी मजिस्ट्रेट व पुलिस अफसरों को मिनाक्षी चौक पर मुस्लिम नेताओं ने मालाएं पहनाकर उनका स्वागत किया। इससे जिले के भाजपाई खुद को बेहद अपमानित महसूस कर रहे हैं। भाजपा नेताओं में सांसद संजीव बालियान और नगर विधायक कपिल देव के खिलाफ भारी आक्रोश है। रविवार को जब पिटाई से आहत होकर व्यापारी शिव चौक पर धरना दे रहे थे तो दोनों नेता वहां पहुंचे। इस दौरान दोनों के खिलाफ नारेबाजी हुई और हाय-हाय सुनने को मिली। हालांकि दोनों नेताओं ने आश्वासन दिया कि इस मामले में दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई कराई जाएगी लेकिन भाजपा कार्यकर्ता इससे संतुष्ट नहीं हैं। मामले की शिकायत सीएम योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।


मौके पर पहुंचे संजीव बालियान व पिटाई का शिकार भाजपा नेता। 
 पिछले कुछ दिनों से नगर पालिका व प्रशासन ने शहर के तंग इलाकों में अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया हुआ है। शनिवार को भगत सिंह रोड पर अतिक्रमण हटाने के लिए जब सिटी मजिस्ट्रेट, पालिका अधिकारी पुलिस के साथ पहुंचे थे तो भारी हंगामा हुआ था। पीर के निकट स्थित कुमार गारमेंट्स के मालिक ने अपनी दुकान को तोड़े जाने पर हंगामा किया था। इसी बीच खबर मिलने पर विधायक कपिल देव वहां पहुंच गए। व्यापारियों का पूरा गुस्सा कपिल पर फूट गया। उनके साथ हाथापाई तक की गई। एक व्यापारी ने तो कपिल पर जूता भी फेंक दिया। कपिल बड़ी मुश्किल से निकल पाए थे।

अफसरों का सम्मान करते मुस्लिम नेता। 
रविवार को फिर वहीं काम हुआ। भगत सिंह रोड पर सब्जी मंडी के निकट सुनील तायल नामक भाजपा नेता की पुलिसवालों ने जबर्दस्त पिटाई की। उसके कपड़े तक फट गए। इस पर व्यापारियों में रोष व्याप्त हो गया और सब शिव चौक पर जमा हो गए और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे। यहां कपिल देव व संजीव बालियान पहुंचे तो उनके खिलाफ भी नारेबाजी हुई। सबका कहना था कि भाजपा के राज में भाजपाई पिट रहे हैं और दूसरे समुदाय के लोग अफसरों को मालाएं पहना रहे हैं। दोनों नेताओं ने सबको आश्वासन दिया लेकिन व्यापारी संतुष्ट नहीं हुए। भाजपा के वरिष्ठ नेता श्रीमोहन तायल का कहना था कि उनके साथ ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर ने गलत व्यवहार किया था कुछ माह पहले लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। व्यापारियों का प्रदर्शन तो शाम तो खत्म हो गया लेकिन नेताओं के खिलाफ आक्रोश खत्म नहीं हुआ। माना जा रहा है कि कुछ नेता इस मामले को लेकर लखनऊ भी जा रहे हैं।
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Wednesday 18 April 2018

MLA Survey-1 : मुजफ्फरनगर-शामली का सबसे लोकप्रिय विधायक कौन ?

विधायकों के सर्वे के नतीजे आने शुरू हो चुके हैं। योगी सरकार का एक साल पूरा होने के मौके पर न्यूजवेव ने स्पेक्ट्रम मीडिया के साथ मिलकर जो सर्वे कराया उसके मुताबिक मुजफ्फरनगर व शामली जिले के नौ विधायकों की रैंकिंग का काम शुरू हो चुका है। हम इसका बिंदुवार खुलासा करेंगे। अभी फीडबैक आ रहा है और उनका हम विश्लेषण कर रहे हैं। फिलहाल कुछ बिंदुओं पर रायशुमारी साफ हो गई है। जिन पर सर्वे पूरा हो चुका है उनका विवरण इस प्रकार हैः- 

पहला सवालः आप अपने विधायक को 10 में से कितने नंबर देंगे?

कपिल देव अग्रवाल (मुजफ्फरनगर) – 4

प्रमोद उंटवाल (पुरकाजी)- 5

विजय कश्यप (चरथावल)- 6

उमेश मलिक (बुढ़ाना) – 4

अवतार भड़ाना (मीरापुर)- 4

विक्रम सैनी (खतौली)- 3

सुरेश राणा (थानभवन) – 7

तेजेंद्र निर्वाल (शामली)- 5

नाहिद हसन (कैराना)- 5

(इस सवाल में सभी वर्गों की रैंक के आधार पर औसत अंक निकालकर रैंक दी गई है) 


दूसरा सवालः आपके विधायक को क्षेत्र में कराए गए विकास कार्यों के हिसाब से एक से दस अंक में रैंक कीजिए।

कपिल देव अग्रवाल (मुजफ्फरनगर) – 3

प्रमोद उंटवाल (पुरकाजी)- 4

विजय कश्यप (चरथावल)- 6

उमेश मलिक (बुढ़ाना) – 3

अवतार भड़ाना (मीरापुर)- 2

विक्रम सैनी (खतौली)- 4

सुरेश राणा (थानभवन) – 5

तेजेंद्र निर्वाल (शामली)- 4

नाहिद हसन (कैराना)- 6 

तीसरा सवालः जनसमस्याओं के प्रति आपके विधायक कितन सजग हैं? आपने कोई समस्या बताई तो उसका समाधान होता है या नहीं? एक से दस तक रैंक कीजिए।

कपिल देव अग्रवाल (मुजफ्फरनगर) – 5

प्रमोद उंटवाल (पुरकाजी)- 4

विजय कश्यप (चरथावल)- 4

उमेश मलिक (बुढ़ाना) – 3

अवतार भड़ाना (मीरापुर)- 3

विक्रम सैनी (खतौली)- 4

सुरेश राणा (थानभवन) –6

तेजेंद्र निर्वाल (शामली)- 4

नाहिद हसन (कैराना)- 4

(इस श्रेणी में सभी विधायकों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। कुछ चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए। इनका खुलासा हम आने वाली किश्तों में करेंगे।)
खेद का विषय यह है कि किसी भी विधायक ने अपने एक साल के कामकाज का लेखाजोखा हमें उपलब्ध नहीं कराया। बाद में फिर ये लोग आलोचना करेंगे कि हमने पक्षपात किया। आगे भी इस सर्वे के अन्य बिंदुओं का खुलासा आपके लिए किया जाता रहेगा। यह सिलसिला मई माह तक चलेगा।

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Monday 9 April 2018

Exclusive : मेरठ के शोभापुर के दलितों को अब अपने ऊपर हमले की है आशंका ?


मेरठ की एसएसपी मंजिल सैनी। 
मेरठः क्या मेरठ से दलित पलायन कर रहे हैं ? पिछले दिनों हुए बंद के दौरान हुई हिंसा के बाद यहां हालात कुछ ऐसे बन रहे हैं कि दलितों में खौफ का माहौल है। मेरठ शहर से 5 किलोमीटर पर दून हाईवे पर स्थित शोभापुर गांव में सैकड़ो दलित परिवार डर के साये हैं। उन्हें खाकी वर्दी से ही डर है कि कब उनके युवा होते बेटों व घर के पुरुषों को गिरफ्तार कर लिया जाए। पुलिस के खौफ से सैकड़ों लोग गांव से बाहर चले गए हैं। गांव में भारी फोर्स तैनात है। 
शोभापुर में मौजूद दलितों के बीच सीओ। 
उल्लेखनीय है कि 2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में आयोजित भारत बंद के दिन शोभापुर के निकट प्रदर्शनकारियों ने जमकर तोड़फोड़ व आगजनी की थी। देहरादून हाइवे पर पुलिस चौकी भी जला दी गई थी। इसी मामले में पुलिस ने तीन अलग अलग एफआईआर दर्ज की है। इनमें पुलिस ने 200 से अधिक लोगो को नामजद किया है। अकेले शोभापुर के सवा सौ लोगों का नाम एफआईआर में है, इनमें कुछ महिलाएं भी हैं। गांव के दलित खासकर वे लोग ज्यादा डरे हैं जिनके परिवार के सदस्यों का नाम रिपोर्ट में शामिल है। गांव के लोगों का आरोप है कि तमाम ऐसे युवकों का नाम भी पुलिस रिपोर्ट में दर्ज है जो गांव में रहते ही नहीं। 

गांव में तैनात फोर्स 
शोभापुर के निवासी राजीव एफआईआर की कापी दिखाते हुए कहते हैं कि थाने से पुलिस ने तो उन्हें तो इसकी कॉपी देने से मना कर दिया। कोर्ट से यह कापी लेनी पड़ी। इसमें ऐसे युवकों का नाम भी दंगाई के रूप में दर्ज है जो 2 तारीख को गांव में थे ही नही। दूसरे शहरों में नौकरी करने वाले लड़कों का भी नाम रिपोर्ट में शामिल है। पुलिस के डर से लोग गांव से बाहर चले गए हैं। एफआईआर में सोनू पुत्र महेंद्र को दंगा करने वालों में नाम है जबकि वह खुद उप्र पुलिस में है तथा इस समय शामली में पोस्टेड है। इसी तरह कई और नाम वे रिपोर्ट में दिखाते हैं।

एफआईआर दिखाते ग्रामीण 
ताराचंद पारचा के घर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस व पीएसी तैनात है। इनके दोनों बेटों का नाम पुलिस रिपोर्ट में दर्ज है। बड़े बेटे शैलेन्द्र उर्फ गोपी की भारत बंद के दो दिन बाद 4 अप्रैल को गांव के कुछ गूर्जर बिरादरी के लोगों ने दिनदहाड़े हत्या कर दी। ताराचंद कहते है कि उनके बेटे को निजी दुश्मनी के चलते मारा गया। पुलिस ने 4 नामजद आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है। वे बेटे की हत्या मामले में पुलिस कार्रवाई से संतुष्ट हैं लेकिन पुलिस की एफआईआर में निर्दोषो को फंसाने के मुद्दे पर वे गांव वालों तथा बिरादरी के साथ खड़े होंगे।

धर्म परिवर्तन कर लेंगे, अपना लेंगे इस्लाम

गांव के कुछ लोग यह मान रहे हैं कि भाजपा सरकार में उन्हें न्याय नहीं मिलेगा। वे विरोध में मुस्लिम धर्म अपनाने की धमकी भी मीडिया के माध्यम से दे रहे हैं। ताराचंद कहते हैं कि यदि हमारे लोग मुस्लिम धर्म अपनाने का फैसला लेंगे तो हम भी उनके साथ होंगे। एक बुजुर्ग सवाल करते हैं कि हमारे पास आखिर रास्ता क्या है। किसके पास जाएं। गांव के अधिकांश दलित बसपा के समर्थक हैं लेकिन बसपा का कोई बड़ा नेता उनकी मदद को आगे नही आ रहा। गांव वाले इस विवाद में राजनीतिक लोगों को लाना भी नही चाहते हैं।

मेरठ व आसपास के इलाके में अफवाह है कि दलितों के भारत बंद के विरोध में हिंदूवादी सवर्ण व पिछड़ी जाति के लोग 10 तथा 14 अप्रैल को बंद कराएंगे। ऐसे में उस दिन दलितों के खिलाफ हिंसा भी संभव है। इस तरह के बंद का आह्वान करने वाले किसी संगठन का नाम अभी सामने नही आया है लेकिन मेरठ पुलिस प्रशासन चौकन्ना है। शोभापुर के आसपास पुलिस व पीएसी के साथ रैपिड एक्शन फोर्स के दस्ते दिन में भी तैनात नजर आए।

निर्दोषों के खिलाफ कार्रवाई नहीं
जिलाधिकारी अनिल डींगरा व एसएसपी मेरठ मंजिल सैनी रविवार को गांव में भारी फोर्स के साथ गई थीं। उन्होंने गांव का दौरा भी किया। सोमवार को सीओ कंकरखेड़ा पंकज कुमार सिंह तथा एसएचओ दीपक शर्मा शोभापुर गांव में ही जमे थे। सीओ पंकज ने बताया कि रिपोर्ट में निर्दोषो को फंसाने के आरोप सही नही है। उनके पास वीडियोग्राफी मौजूद है। हिंसा व दंगा फैलाने वाले लोगों के अलावा किसी निर्दोष के खिलाफ कोई कार्रवाई नही होगी। वे यह भी कहते है कि इलाके दोबारा कोई फसाद न हो इसके लिए प्रशासन पूरी स्थिति पर नज़र रखे हुए है।

Friday 6 April 2018

500 दिन तक रोजाना 23 किमी पैदल चला सबसे अमीर आदमी का ये बेटा

मुंबईः ऐसा नहीं है कि पैसेवालों की औलादों को सब कुछ यूं ही मिल जाता है। कुछ पाने के लिए मेहनत तो करनी ही पड़ती है। हाल ही में देश और शायद दुनिया के भी सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी ने कुछ ऐसे खुलासे किए जिन्हें सुनकर आपको लगेगा कि पैसेवाले लोगों के सामने भी बच्चों की समस्याएं हम और आप की तरह ही आती हैं। ‘इंडिया टुडे कॉन्कलेव’ में नीता अंबानी ने मंच से यह बताया कि अपने छोटे बेटे अनंत अंबानी को लेकर वे कितनी चिंतित थीं और उन्हें इससे उबरने के लिए कितनी पीड़ा का सामना करना पड़ा। 
आईपीएल ट्राफी के साथ अनंत 

सब जानते हैं कि अनंत अंबानी को मोटापे की बीमारी थी और उनका वजन 180 किलो के पास पहुंच चुका था। आईपीएल के दौरान जब मुंबई इलेवन ने पहली बार चैंपियनशिप जीती तो टीम को ओर से ट्राफी लेने के लिए मंच पर अनंत अंबानी को भेजने का फैसला किया गया। अनंत गए और कप ग्रहण किया। इसी वाकये ने अनंत की जिंदगी बदल दी। 
बड़े भाई आकाश के साथ अनंत

सोशल मीडिया पर अनंत को जमकर ट्रोल किया गया। उनका व उनके मोटापे का मजाक बनाया गया। नीता अंबानी का कहना है कि ऐसे-ऐसे कमेंट किए गए कि अनंत परेशान हो गया। अनंत ने फैसला किया कि वह अपने वजन को कम करेगा। उसने खुद नीता के सामने यह इच्छा जताई। नीता ने तुरंत हां कर दी।
अनंत पहले और अब 

तय हुआ कि अनंत जाम नगर जाएंगे। जामनगर में ही रिलायंस की रिफाईनरी है। इसी प्रोजेक्ट के बाद रिलायंस ने देश की नामी कंपनियों में अपना नाम शामिल किया था। नीता बताती हैं कि अनंत वहां गया और पूरे 500 दिन वहां रहा। उनके साथ चिकित्सक व ट्रेनर भी भेजा गया था। अनंत ने एक भी दिन खाने-पीने में लापरवाही नहीं की और आप यकीन नहीं करेंगे कि पूरे 500 के 500 दिन अनंत रोजाना 23 किमी तक पैदल चला। नीता ने बताया कि जब अनंत वहां से घर लौटा तो वह एक छरहरा नौजवान बन चुका था। उसने 113 किलो वजन कम किया था। अनंत अब अपने बड़े भाई आकाश से भी ज्यादा स्मार्ट नजर आ रहा था। ये बातें बताते-बताते नीता अंबानी की आंखें नम हो जाती हैं। 

देखिए किस तरह मजाक बना था अनंत का
खैर अब अनंत बदल चुका है और जियो के प्रोजेक्ट को उसी की देखरेख में चलाया जा रहा है। हम कह सकते हैं कि अनंत एक मिसाल बनकर सामने आया है। आप अनंत से जुड़ी ये तस्वीरें भी देखें। जिनमें आप उसका बदलाव साफ महसूस कर सकते हैं। इनमें एक तस्वीर वह भी जिसके लिए अनंत को सबसे ज्यादा मजाक का सामना करना पड़ा।


Wednesday 4 April 2018

मुजफ्फरनगरः बसपा नेताओं का भी हाथ था दंगे में

मुजफ्फरनगरः दलित संगठनों के बवाल को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स ने साफ कर दिया है कि  हिंसा का नंगा नाच नेताओं ने प्रायोजित किया था। पुलिस ने भी यह माना है कि कुछ बसपा नेताओं ने इसे अंदरखाने सपोर्ट किया। मेरठ में बसपा का पूर्व विधायक गिरफ्तार हो चुका है और मुजफ्फरनगर में दबिश जारी है। देखें खबरों ने क्या लिखाः-