Monday 11 June 2018

#SamparkForSamarthan में मुजफ्फरनगर भाजपा जीरो, सांसद विदेश गए

मुजफ्फरनगरः भाजपा इस समय पूरे देश में एक महत्वपूर्ण अभियान #SamparkForSamarthan चला रही है। इसके जरिए सारे नेता अपने संपर्क में आने वाले खास लोगों से मिल रहे हैं और उन्हें भाजपा सरकार की 4 साल की उपलब्धियों से अवगत करा रहे हैं। खुद अमित शाह ने इसकी बड़े पैमाने पर शुरूआत की। वे कपिल देव, कुलदीप नैयर, माधुरी दीक्षित, रतन टाटा जैसी हस्तियों से मिले। केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने वीवीएस लक्ष्मण, सानिया मिर्जा, पुलेला गोपीचंद, पीवी सिंधू से मुलाकात की। अन्य नेता भी ऐसा कर रहे हैं। यह कार्यक्रम निचले स्तर तक चलाया जा रहा है।
मुजफ्फरनगर से लगने वाले संसदीय क्षेत्रों मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल व बागपत के सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह ने भी अपने इलाके के गणमान्य लोगों से मुलाकात की लेकिन मुजफ्फरनगर में यह अभियान परवान नहीं चढ़ पाया है। इसकी प्रमुख वजह है संगठन की खराब स्थिति। बताया जा रहा है कि पार्टी संगठन में फेरबदल होने की खबरें हैं और जिला अध्यक्ष बदले जा सकते हैं। विधायकगण अपनी मस्ती में मस्त हैं और किसी की खबर नहीं ले रहे हैं।
जिले से जुड़े रहे दिल्ली के एक वरिष्ठ पत्रकार ने जब फेसबुक के माध्यम से यह सवाल सांसद संजीव बालियान से जोड़ते हुए उठाया तो पता चला कि सांसद महोदय 15 जून तक अमेरिका में हैं। ऐसे में यह अभियान कैसे चलेगा ? तमाम आसार बता रहे हैं कि कैराना लोकसभा उपचुनाव के बाद मुजफ्फरनगर में भाजपा की हालत कितनी खराब है। मुजफ्फरनगर के बारे में तो कहा जा रहा है कि भाजपा इस बार लोकसभा सीट पर चुनाव हारने जा रही है।

यहां जाट समाज में भी संजीव बालियान के खिलाफ नाराजगी है। दूसरे वर्ग भी उनसे नाराज हैं। विधायक कपिल देव अग्रवाल केवल अपने निकटस्थ लोगों के चक्कर में ही लगे रहते हैं। ऐसे में संगठन नीचे की ओर जा रहा है। यहां से रिपोर्ट हाईकमान को भेजी गई है कि यहां न उच्च वर्ग भाजपा जनप्रतिनिधयों से खुश है और न मध्यम वर्ग और न किसान व दूसरा गरीब तबका। ऐसे में क्या संपर्क होगा और क्या चुनाव जीता जाएगा।    











Thursday 7 June 2018

कैराना के नतीजे के बाद संजीव बालियान का भविष्य ?

नई दिल्लीः  कैराना लोकसभा उपचुनाव में हारने के बाद वेस्ट यूपी में भाजपा में अब यह चर्चा जोर पर है कि जाट मतदाताओं को कैसे हैंडल किया जाए ? साथ ही हाईकमान को यह भी  रिपोर्ट मिली है कि मुजफ्फरनगर सांसद डॉ. संजीव बालियान व उनके समर्थक जाटों को भाजपा से जोड़ने में विफल रहे हैं। सोशल मीडिया पर खबरें वायरल हो रही हैं कि संजीव बालियान को जाटों के गांवों का जिम्मा सौंपा गया था कि वे भाजपा की प्रत्याशी मृगांका सिंह के लिए जाटों के वोट जुगाड़ें। रात दिन संजीव क्षेत्र में रहे लेकिन जाटों ने पहली पसंद अजित सिंह की रालोद को ही बनाया। संजीव बालियान समर्थक अब सोशल मीडिया पर एक सात पेज की सूची (नीचे देखें) प्रचारित कर रहे हैं जिसमें दिखाया गया है कि जाटों के बहुल वाले सुन्ना, भभीसा, एलम, भारसी, लिसाढ़, किवाना, झाल, लिलोन आदि में भाजपा को 2017 के विधानसभा चुनाव से ज्यादा वोट मिले हैं। 






इस लिस्ट को सोशल मीडिया पर तो प्रचारित कर दिया गया लेकिन किसी भी अखबार ने इन्हें छापने से मना कर दिया। मीडिया के साथ संजीव बालियान के संबंध वैसे ही खराब हैं। अब हाईकमान में कोई भी यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि यह सात पेज की सूची सही है। इसके मुताबिक जाट बहुल इलाकों में 2017 में भाजपा को 25395 वोट  मिले थे जबकि 2018 के उपचुनाव में 25755  मिले। 


इसके विपरीत दैनिक जागरण में प्रकाशित (ऊपर) एक अन्य खबर के मुताबिक जाट बहुल बूथों पर भाजपा से ज्यादा रालोद को पसंद किया गया। अब संजीव बालियान तुलना भाजपा को मिले मतों से करा रहे हैं जबकि भाजपा इससे परेशान है कि रालोद को उससे ज्यादा वोट मिले। इसके संकेत यह हैं कि रालोद आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बागपत, अमरोहा, मथुरा आदि लोकसभा सीटों पर परेशान कर सकती है। 

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जहां तक संजीव बालियान का मामला है तो वे जाटों के नेता बनने के चक्कर में न तो जाटों के नेता बन सके और न दूसरी बिरादरियों के। अगर हालत यही रही तो लोकसभा चुनाव में वे खुद भी हार सकते हैं। सुनने में आ रहा है कि अजित सिंह मुजफ्फनगर से उतरने की तैयारी कर रहे हैं।