Thursday 7 June 2018

कैराना के नतीजे के बाद संजीव बालियान का भविष्य ?

नई दिल्लीः  कैराना लोकसभा उपचुनाव में हारने के बाद वेस्ट यूपी में भाजपा में अब यह चर्चा जोर पर है कि जाट मतदाताओं को कैसे हैंडल किया जाए ? साथ ही हाईकमान को यह भी  रिपोर्ट मिली है कि मुजफ्फरनगर सांसद डॉ. संजीव बालियान व उनके समर्थक जाटों को भाजपा से जोड़ने में विफल रहे हैं। सोशल मीडिया पर खबरें वायरल हो रही हैं कि संजीव बालियान को जाटों के गांवों का जिम्मा सौंपा गया था कि वे भाजपा की प्रत्याशी मृगांका सिंह के लिए जाटों के वोट जुगाड़ें। रात दिन संजीव क्षेत्र में रहे लेकिन जाटों ने पहली पसंद अजित सिंह की रालोद को ही बनाया। संजीव बालियान समर्थक अब सोशल मीडिया पर एक सात पेज की सूची (नीचे देखें) प्रचारित कर रहे हैं जिसमें दिखाया गया है कि जाटों के बहुल वाले सुन्ना, भभीसा, एलम, भारसी, लिसाढ़, किवाना, झाल, लिलोन आदि में भाजपा को 2017 के विधानसभा चुनाव से ज्यादा वोट मिले हैं। 






इस लिस्ट को सोशल मीडिया पर तो प्रचारित कर दिया गया लेकिन किसी भी अखबार ने इन्हें छापने से मना कर दिया। मीडिया के साथ संजीव बालियान के संबंध वैसे ही खराब हैं। अब हाईकमान में कोई भी यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि यह सात पेज की सूची सही है। इसके मुताबिक जाट बहुल इलाकों में 2017 में भाजपा को 25395 वोट  मिले थे जबकि 2018 के उपचुनाव में 25755  मिले। 


इसके विपरीत दैनिक जागरण में प्रकाशित (ऊपर) एक अन्य खबर के मुताबिक जाट बहुल बूथों पर भाजपा से ज्यादा रालोद को पसंद किया गया। अब संजीव बालियान तुलना भाजपा को मिले मतों से करा रहे हैं जबकि भाजपा इससे परेशान है कि रालोद को उससे ज्यादा वोट मिले। इसके संकेत यह हैं कि रालोद आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बागपत, अमरोहा, मथुरा आदि लोकसभा सीटों पर परेशान कर सकती है। 

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जहां तक संजीव बालियान का मामला है तो वे जाटों के नेता बनने के चक्कर में न तो जाटों के नेता बन सके और न दूसरी बिरादरियों के। अगर हालत यही रही तो लोकसभा चुनाव में वे खुद भी हार सकते हैं। सुनने में आ रहा है कि अजित सिंह मुजफ्फनगर से उतरने की तैयारी कर रहे हैं। 






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