Tuesday 27 December 2016

मुजफ्फरनगरः सपा प्रत्याशियों में बेचैनी, रोज बदल रहे टिकट

मुजफ्फरनगरः यह क्या हो रहा है। समाजवादी का तो बंटाधार हो रहा है। मुजफ्फरनगर में एक-एक सीट पर सपा के दो-दो प्रत्याशी हो रहे हैं। खतौली में पहले सपा ने श्यामलाल बच्ची सैनी को टिकट दिया था। जबकि अखिलेश यादव ने चंदन चौहान को प्रत्याशी बना दिया है। सैनी को शिवपाल यादव ने टिकट दिया था। कहा जा रहा है कि विवादित छवि वाले नेताओं का टिकट अखिलेश काट रहे हैं। बच्ची सैनी के बारे में अखिलेश यादव को रिपोर्ट दी गई है कि वे सट्टे के कारोबार से जुड़े रहे हैं और उनकी छवि अच्छी नहीं है। जबकि चंदन चौहान बिजनौर के पूर्व सांसद स्व. संजय सिंह चौहान के बेटे हैं। चंदन पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। चंदन के दादा स्व. नारायण सिंह यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्हें चौधरी चरण सिंह का करीबी माना जाता था। चंदन ने कुछ महीने पहले मुजफ्फरनगर में अखिलेश यादव की सभा भी कराई थी। इसी सभा के बाद जब अखिलेश यादव चंदन के परिवार से मिले थे तो उन्होंने उनकी मां से पूछा था कि वह कहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं। उसी सभा में अखिलेश ने मुजफ्फरनगर को 24 घंटे बिजली देने का ऐलान किया था। तभी से बिजली 24 घंटे आ रही है। सपा में चर्चा है कि अखिलेश का दिया हुआ टिकट कटने की संभावना कम है। अलबत्ता खतौली सीट पर पहले से ही रालोद ने अभिषेक चौधरी के रूप में गुर्जर प्रत्याशी उतारा हुआ है। अब यदि सपा-कांग्रेस व रालोद गठजोड़ होता है तो दोनों में से एक टिकट तो जाएगा ही।

इसी तरह अखिलेश यादव ने चरथावल सीट से मुकेश चौधरी का टिकट काटकर अब्दुल्ला राणा को टिकट दे दिया। मुकेश चौधरी पिछली बार भी चुनाव लड़े थे लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। मुकेश चौधरी 2009 में मुजफ्फरनगर के जिला समाज कल्याण अधिकारी रिंकू सिंह राही पर जानलेवा हमला करवाने के लिए जेल जाना पड़ा था। उन पर तत्कालीन डीएम भुवनेश कुमार ने रासुका लगा दी थी। तभी से मुकेश चौधरी की छवि अच्छी नहीं रही थी। मुकेश के बारे में कहा जाता है कि वह रामगोपाल यादव के माध्यम से टिकट लेने में सफल रहते हैं। इस बार अखिलेश ने किसी की नहीं सुनी और मुकेश का टिकट काट दिया है। वैसे अब्दुल्ला राणा भी अच्छी छवि नहीं रखते हैं। अब्दुल्ला कभी सपा सरकार में मंत्री रही उमाकिरण के करीबी थे। उमाकिरण को सपा ने पुरकाजी (सु) सीट से प्रत्याशी बनाया है। बहरहाल सपा में टिकट बदले जाने से अफरातफरी का माहौल है। बताया जाता है कि मीरापुर से भी सपा का टिकट बदल सकता है। यहां पहले भी एक बार टिकट बदला जा चुका है। 


मुजफ्फरनगर जिले के सपा प्रत्याशीः-

1. मुजफ्फरनगर सदर- गौरव स्वरूप

2. बुढ़ाना – कंवर हसन

3. चरथावल- अब्दुल्ला राणा

4. पुरकाजी (सु)- उमाकिरण

5. मीरापुर- शाहनवाज राणा

6. खतौली- चंदन चौहान

Tuesday 20 December 2016

भाकियू जन जागरण अभियान चलाएगी :राकेश टिकैत

गेहूं से आयात शुल्क समाप्त किये जाने से उत्तर भारत का किसान होगा बर्बाद : लाखोवाल

नई दिल्ली: भारतीय किसान यूनियन के पंजाब प्रांत के अध्यक्ष अजमेर सिंह लाखोवाल ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के चलते भारत अत्यधिक सब्सिडी युक्त सस्ते खाद्यान्न आयात का हब बनता जा रहा है। इससे घरेलू स्तर पर खेती करने वाले किसानों को उनकी फसलों का उत्पादन लागत के बराबर भी मूल्य नहीं मिल पा रहा है। किसान सस्ते में अपनी फसलें बेचने को मजबूर हैं। किसानों पर कर्ज का भार बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते किसान आत्महत्या कर रहें हैं। भारत सरकार का गेंहू से आयात शुल्क समाप्त किये जाने के फैसले से किसान बड़ी असमंजस की स्थिति में है। यह फैसला ऐसे समय लिया गया है जब किसान लगभग अपनी गेंहू की बुवाई समाप्त कर चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गेहूं का 9.35 करोड टन उत्पादन का दावा किया गया है। इसके उलट अगर उत्पादन कुछ कम भी होता है तो यह उत्पादन घरेलू मांग 8.70 के लिए पर्याप्त है। ऐसी स्थिति में गेंहू आयात का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि इस आयात से गेहंू का किसान लम्बे समय तक परेशानियों से घिर जायेगा। इस निर्णय से आस्ट्रेलियन व्हीट बोर्ड को लाभ होगा। अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में सस्ती गेहूं की कीमत का हवाला देकर इस फैसले को तर्कसंगत ठहराया जा रहा है, जबकि इसकी हकीकत कुछ ओर है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि वहां का किसान सस्ता गेहूं बेच रहा है। वहां पर किसानों को कैश में सरकार द्वारा भारी सब्सिडी उपलब्ध करायी जाती है। जिसके कारण वहां के किसानों की आजीविका सुरक्षित है। हमारें देश में सरकार द्वारा किसानी को बचाये रखने के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। आयात हमेशा उत्पादन पर प्रभाव डालता है। सस्ते आयात के चलते देश की आत्मनिर्भरता और खाद्य सुरक्षा दोनों समाप्त हो जाती है। भारत में खाद्य तेलों के सस्ते आयत के कारण आज नारियल, सूरजमुखी, सरसों के किसानों का उत्पाद समर्थन मूल्य पर भी नहीं दिख रहा है। इस आयात से किसान प्रतिस्पर्धा से बाहर होकर खेती छोडऩे को मजबूर हो रहे हैं। अजमेर सिंह लाखोवाल ने कहा कि पिछले 20 वर्षों से भारत में हो रहे व्यापार उदारीकरण से सबसे गम्भीर प्रभाव तिलहन और दलहन के किसानों पर देखने को मिले हैं। उपभोक्ता अब सस्ते के कारण स्वास्थ्य के अलाभकारी ताड़ का तेल जैसे खाद्य तेल को भी इस्तेमाल करने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि पामोलीन तेल के आयात को वर्ष 1994 में खुले सामान्य लाईसेंस की श्रेणी में डालकर खाद्य तेल के आयात के ऊपर से राज्य का एकाधिकार समाप्त कर दिया गया। भारत के बाजार को पामोलीन और सोयाबीन तेल से भर दिया गया। एकाएक भारत खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता से बड़ा आयातक देश में बदल गया। अजमेर सिंह लाखोवाल ने कहा कि अत्यधिक सब्सिडी युक्त आयात से देश के किसानों की आजीविकाएं संकट में हैं। जिसका उदाहरण दलहन, तिलहन, शुगर है। रॉ शुगर के भारी मात्रा में आयात के कारण पिछले 5 वर्षो से न तो उनकी फसलों का उचित मूल्य मिल पाया और न हीं समय से देश के गन्ना किसानों का भुगतान हो पाया।
भारतीय किसान यूनियन गेहूं से आयात शुल्क समाप्त किये जाने का विरोध करती है और भारत सरकार से मांग करती है कि इस निर्णय को वापिस लेकर तुरंत गेहूं पर 40 प्रतिशत आयात शुल्क लागू किया जाए।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि 2008 से आज तक लाखों हजार करोड रूपये की छूट भारत सरकार द्वारा टैक्स के माध्यम से औद्योगिक घरानों को दे चुकी है। बैंकों द्वारा भी 8.5 लाख करोड़ रूपये का उद्योगों का खराब कर्जा माफ किया जा चुका है। लेकिन सरकार की गलत नीतियों के कारण आत्महत्या कर रहे किसानों का सरकार को कोई ध्यान नहीं है। भारतीय किसान यूनियन मांग करती है कि किसानों का भी एक लाख करोड़ रूपये का कर्ज अविलम्ब माफ किया जाए। भाकियू इसके लिए देशभर में जन जागरण व आन्दोलन करेगी।
भाकियू के राष्ट्रीय महासचिव चै. युद्धवीर सिंह ने कहा कि नोटबंदी से किसानों की आजीविका पर बहुत बुरा प्रभाव पडा है। किसानों को अपना उत्पाद कम कीमतों व उधार में बेचना पड़ रहा है। कोपरेटिव बैंक व सहकारी समितियों में कैश ना होने के कारण उन्हें बेची गयी फसलों का भुगतान भी नहीं मिल पर रहा है। जिससे किसानों द्वारा बोई गयी फसलों के उत्पादन के प्रभावित होने की भी संभावना बनी हुई है। पैसे न होने के कारण मजदूर भी नहीं मिल पर रहे हैं।दूसरी तरफ कर्नाटक, आंध्र प्रदेश व महाराष्ट्र का किसान सूखे की चपेट में है। उनकी लगाई गयी फसलें भी पूर्णत: नष्ट हो चुकी है। लेकिन सरकार द्वारा कोई राहत नहीं गयी है। भाकियू मांग करती है कि किसानों को अपना जीवन चलाने हेतु अविलम्ब 25 हजार रूपये एकड़ की सहायता राशि उपलब्ध करायी जाए। भारतीय किसान यूनियन उपरोक्त विषयों पर जनपद एवं राज्य स्तर पर जन जागरण अभियान चलाकर आन्दोलन के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाने का कार्य करेगी। अगर इन विषयों का समाधान सरकार द्वारा समय रहते नहीं किया जाता तो देश भर के सभी राज्यों के किसान मार्च में दिल्ली में जंतर मंतर पर सरकार के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन करेगी।

2016 परीक्षाओं भरा रहा, खत्म होने की खुशी है : कंगना

मुंबई: बालीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत का कहना है कि वर्ष 2016 कई उतार-चढ़ावों वाला परीक्षाओं भरा साल रहा और उन्हें खुशी है कि यह अब खत्म होने को है। इस साल कोई फिल्म रिलीज नहीं होने के बावजूद भी अपनी निजी जिंदगी में रितिक रोशन के साथ हुए विवाद के कारण कंंगना चर्चाओं में बनी रहीं । 'क्वीन' अभिनेत्री द्वारा संकेत में रितिक को अपना 'सिली एक्स' बताने के बाद से ही दोनों कलाकारों के बीच विवाद जारी है। मामले के कानूनी रूप लेने के बाद रितिक के साथ उनका यह विवाद और बढ़ गया था। कंगना ने कल रात पत्रकारों से कहा, '' यह साल मेरे लिए काफी उतार-चढ़ाव भरा था। 


कई स्तरों पर यह काफी अभिभूत करने वाला रहा, कई मामलों में काफी परीक्षाओं भरा। लेकिन विश्वास करिये मैं अब काफी खुश हूं कि यह खत्म हो रहा है।" अभिनेत्री ने कहा कि उनकी निजी जिंदगी से जुड़े विवादों को छोड़ दें तो उन्हें उनकी आने वाली फिल्म 'रंगून' में काफी पेचीदा किरदार निभाने का मौका मिला। उन्होंने कहा, यह एक ऐसा वर्ष है, मैं जिसके खत्म होने का इंतजार कर रही हूं, जैसा कि मैंने कहा कि निजी और पेशेवर दोनों स्तर पर यह काफी परीक्षाओं भरा रहा। मुझे उन परेशानियों का डट कर सामना करना था जिनमें में घिरी थी। जूलिया (फिल्म रंगून में उनका किरदार) मेरी जिंदगी का सबसे कठिन किरदार था। यह सबसे चुनौतीपूर्ण किरदार था। यह कई स्तरों पर काफी परीक्षाओं भरा था। मैं खुश हूं कि हम वर्ष 2017 की ओर बढ़ रहे हैं । अभिनेत्री यहां बोनडिना एलंगबाम की किताब ''बिटवीन द पोयट एंड हर पेंसिल" के विमोचन समारोह में बोल रही थीं।

देखें- भारत की ऐतिहासिक जीत के शानदार लम्हे

चेन्नई में भारत ने इंग्लैंड को एक पारी व 75 रन से हराकर सीरीज 4-0 से जीत ली। अंतिम दिन की खास झलकियांः-









Thursday 1 December 2016

ग्लैमरस बैडमिंटन स्टार ज्वाला ने फिर दिखाए तेवर

फिल्मी सितारों से खेल सामग्री का प्रचार कराने पर उठाए सवाल

हैदराबादः भारतीय बैडमिंटन की सबसे ग्लैमरस खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने खेलों की सामग्री के प्रचार में खिलाड़ियों की लगातार की जा रही उपेक्षा पर नाराजगी जताई है। गुट्टा ने एक के बाद एक ट्वीट कर अपना गुस्सा जताया है। गुट्टा का कहना है कि जब हमारे देश में हर खेल के अनके स्टार व वर्तमान में सक्रिय खिलाड़ी मौजूद हैं तो क्यों फिल्म स्टार्स का इस्तेमाल प्रचार के लिए किया जा रहा है।


कामनेवल्थ गेम्स की पदक विजेता गुट्टा ने हाल ही में अपनी डबल्स पार्टनर अश्विनी पोनप्पा के साथ जोड़ी तोड़कर मिक्सड डबल्स खेलने का फैसला किया है। उनके पार्टनर मेरठी मनु अत्री होंगे। गुट्टा ने अपने ट्वीट्स में कहा है कि जमाना बदल रहा है। खिलाड़ी भी लोगों के बीच उतने ही चहेते हैं जितने फिल्म स्टार। उन्होंने कहा कि न जाने क्यों खेलों का सामान बनाने वाली कंपनियों की सोच नहीं बदल रही है। जबकि सभी कंपनियों के सीईओ भारतीय ही हैं लेकिन फिर भी उनका माइंड सेट नहीं बदलता है। ज्वाला ने कहा कि ये उनके निजी विचार हैं और उनका मानना है कि बदलाव के लिए एक क्रांति की जरूरत होती है। देश बदलाव के दौर से गुजर रहा है और उन्हें आशा है कि इसके अच्छे नतीजे सामने आएंगे।
नाइकी के एड में दीपिका पादुकोण