Wednesday 6 July 2016

EXCLUSIVE: संजीव बालियान: 10 बड़ी गलतियां जो उनसे हुई

प्रमोशन देने के बजाय मोदी ने बदल दिया विभाग मुजफ्फरनगर सांसद का
जानिये उनके खिलाफ पार्टी की तैयार की गई फीडबैक रिपोर्ट की अंदरूनी बातें

नई दिल्लीः केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री और मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान के मंत्रालयों में अचानक किया गया बदलाव वेस्ट यूपी के इस तेजी से उभरते जाट नेता के लिए धक्के के समान है। उनके समर्थकों में निराशा का माहौल है। जल संसाधन, नदी विकास व गंगा सफाई जैसे विभागों को संजीव को दिया गया है। इनमें से कुछ उमा भारती के पास हैं। इससे पहले संजीव बालियान कैबिनेट मंत्री राधा मोहन ङ्क्षसह के साथ राज्यमंत्री के रूप में कृषि विभाग देख रहे थे। संजीव के समर्थकों में निराशा इसलिए भी है क्योंकि वह लोग उम्मीद लगाए बैठे थे कि उन्हें इस कैबिनेट रिशफल में प्रमोट किया जा रहा है। माना जा रहा था कि उन्हें स्वतंत्र प्रभार वाला मंत्री बनाया जा सकता है। पर ऐसा नहीं हुआ। 30 जून को जब मोदी ने सभी मंत्रियों से उनके विभागों का लेखा जोखा मांगा और समीक्षा की तो उनकी फाइल में कई ऐसे तथ्य थे जो उनके पक्ष में नहीं थे। सूत्रों के अनुसार, संगठन की ओर से भी उनकी ट्रैक रिकार्ड की फाइल दी गई थी और अमित शाह व उनकी टीम को जो फीडबैक मिला था उससे कुछ ये बातें निकलकर सामने आई:-

1 - संजीव बालियान मोदी सरकार के दूसरे मंत्रियों की तरह सोशल मीडिया पर निष्क्रिय पाए गए। कुछ महीने पहले भी जब मोदी ने भाजपा सांसदों की बैठक ली थी तो उसमें सभी से उनके फेसबुक पेज व ट्विटर हैंडल के बारे में मोदी व अमित शाह ने पड़ताल की थी। कई सांसदों ने तो महीनों से अपने फेसबुक पेज को अपडेट नहीं किया था। इसके अलावा संजीव बालियान को ट्विटर पर निष्क्रिय पाया गया। जिन सांसदों के फोन में नरेंद्र मोदी एप नहीं मिली उन्हें भी चेतावनी दी गई थी। कहा जा रहा है कि संजीव बालियान के मोबाइल में भी पीएम मोदी की एप नहीं थी। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। इस बात को लेकर मोदी व अमित शाह ने नाराजगी जताई थी। दोनों का ही मानना था कि जब मंत्री परिषद के सदस्य ही अपने मोबाइल में उनकी एप नहीं डालेंगे तो आम आदमी से क्या उम्मीद की जा सकती है।

2 - सोशल मीडिया विंग की ओर से भी रिपोर्ट दी गई कि संजीव बालियान का फेसबुक पेज बहुत ही कम अपडेट हो रहा है और उसके माध्यम से जो सूचनाएं उन्हें दी जा रही हैं उन पर ध्यान नहीं दिया जाता। कई बार गलत तस्वीरें भी शेयर कर दी गई। ये भी तथ्य सामने आया कि उनके फेसबुक पेज को उनका कोई रिश्तेदार ही हैंडल कर रहा है और उन्हें ट्विटर के संबंध में कोई खास जानकारी नहीं है। हालांकि मोदी व शाह के साथ उक्त बैठक के बाद संजीव ने अपने ट्विटर हैंडल को एक्टिव करने का प्रयास भी किया और अपने फेसबुक पेज के माध्यम से अपील भी जनता से की गई कि वे आप सब लोग उन्हें ट्विटर पर फालो कर सकते हैं लेकिन रिस्पांस नहीं आया। उनके फालोअर 4000 के आसपास ही निकले जो केंद्रीय मंत्री के हिसाब से बहुत कम है।

3 - अमित शाह एंड टीम को संजीव बालियान का अति महत्वाकांक्षी होना भी नहीं भा रहा था। बताया जाता है कि संजीव बालियान के समर्थकों ने उन्हें यूपी में सीएम के रूप में प्रोजेक्ट करने के लिए मुहिम चलाई हुई है। इसके लिए सोशल मीडिया पर खूब लिखा जा रहा है। कुछ फेसबुक कम्युनिटी पेज भी उनके समर्थन में बना दिए गए। इन पर लगातार लिखा जा रहा था कि संजीव बालियान को यूपी में सीएम पद के लिए प्रोजेक्ट किया जाए। इस बारे में कुछ वेबसाइट्स ने न्यूज भी चलाई और ये बात हाईकमान तक पहुंच गई। हालांकि संजीव बालियान ने अपने जवाब में ये कहा कि ये पेज उन्होंने नहीं बनाए हैं लेकिन फिर भी मैसेज यही था कि ये उनके समर्थकों की कोशिश है जिसे उनका अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त है। हाईकमान ने इसे अपने ऊपर बेवजह का दबाव माना।

4 - संजीव बालियान लोकसभा चुनाव में चार लाख से भी अधिक मतों से जीते थे मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से, लेकिन फिर भी वे केवल जाटों के हितों में ही काम कर रहे हैं। जबकि उन्हें सभी बिरादरियों ने समर्थन दिया था। इससे ठाकुर, वैश्य, सैनी, त्यागी व अन्य बिरादरी के लोग नाराज हैं। यूपी के एक ठाकुर विधायक ने संजीव बालियान के खिलाफ लिखित शिकायत पार्टी हाईकमान को दी थी। इसके बारे में अमित शाह ने उन्हें ताकीद भी किया। कहा जाता है कि वे जब भी अपने लोकसभा क्षेत्र में जाते हैं तो उनके आसपास जाट नेताओं का ही जमावड़ा रहता है। उनका ज्यादातर समय भी जाट बहुल गांवों में ही गुजरता है जबकि भाजपा अगले साल के विस चुनाव के मद्देनजर सभी बिरादरियों पर फोकस कर रही है।
5 - संजीव बालियान, केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह (जो बिहार से आते हैं) के साथ राज्यमंत्री के रूप में दो साल से भी अधिक समय से कार्य कर रहे थे लेकिन कहा जाता है कि उनकी अपने सीनियर के साथ कभी भी वर्किंग ट्यूनिंग नहीं बन सकी। इस बारे में राधा मोहन सिंह ने भी हाईकमान को अवगत कराया था। यही वजह रही कि अंत में उनका विभाग बदल दिया गया। जबकि राधा मोहन उन गिने चुने मंत्रियों में बने रहे जिनके विभाग नहीं बदले गए।

6 - संजीव बालियान के बारे में जिला संगठन व प्रदेश संगठन की ओर से भी रिपोर्ट सकारात्मक नहीं आ रही थी। उनके बारे में कहा जाने लगा है कि उनके विकास कार्यों में कोई एकरूपता नहीं है। जो भी बड़े-बड़े विकास कार्य उन्होंने कराए हैं वे केवल बुढ़ाना (उनके लोकसभा क्षेत्र की एक विस सीट) क्षेत्र में ही कराए हैं। इसके अलावा दूसरे हिस्सों में वे विकास कार्यों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। खासतौर से मुजफ्फरनगर जिला मुख्यालय, खतौली, चरथावल, सरधना आदि विस इलाके लगातार उनकी शिकायतें कर रहे थे।

7 - मीडिया के साथ भी संजीव बालियान की ट्यूनिंग सही नहीं बताई गई। उनके बारे में फीडबैक दिया गया कि वे नेशनल मीडिया व टीवी चैनल्स के पत्रकारों को तो तवज्जो दे रहे थे लेकिन उनके लोकसभा क्षेत्र मुजफ्फरनगर की मीडिया का एक बड़ा वर्ग उनसे नाराज है और इसलिए उनकी खबरें भी नहीं छापता है। पार्टी का मानना है कि इससे संगठन को नुकसान होता है। मीडिया के साथ अच्छे संबंध पार्टी की पहली प्राथमिकता है।

8 - जून माह में मुजफ्फरनगर में हुए किसान सम्मेलन के लिए संजीव बालियान ने विशेष प्रयास किए थे। इसमें केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू व जयंत सिन्हा आदि भी मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव में गए थे लेकिन इस सम्मेलन में कई गड़बडिय़ां भी हो गई। संजीव ने इस सम्मेलन में भारतीय किसान यूनियन को शामिल कर लिया। जबकि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत चौधरी अजित सिंह की पार्टी रालोद से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। इसके अलावा सम्मेलन के लिए गए राष्ट्रीय नेताओं के लिए सुबह के नाश्ते का इंतजाम जिले के कुछ व्यापारियों के यहां किया गया। ये व्यापारी कांग्रेस से जुड़े रहे हैं और इनमें से एक व्यापारी का करोड़ों रुपया हाल ही में पंजाब में आयकर विभाग ने जब्त कर लिया था। इसके अलावा पिछले विधानसभा चुनाव के समय इन व्यापारियों (बिंदल ब्रदर्स) ने हरियाणा के कांग्रेस सांसदों नवीन जिंदल व दीपेंद्र हुड्डा की मेजबानी की थी। ये सब बातें हाईकमान को नागवार गुजरी। संगठन ने भी इस बारे में अपनी रिपोर्ट हाईकमान को भेजी। कहा गया कि इन व्यापारियों से सम्मेलन के लिए आर्थिक मदद भी ली गई जो संगठन के लिए नाराजगी की वजह बनी।

9 - संजीव बालियान पर शुरू से ही भाई भतीजावाद के आरोप भी लगते रहे हैं। मोदी ने शुरू में ही साफ कर दिया था कि कोई भी मंत्री अपने किसी रिश्तेदार को अपने स्टाफ में नहीं रखेगा। इसके बावजूद संजीव बालियान ने अपने भाई को ही अपना पीए बनाए रखा। उनके फोन तक उनका भाई ही उठाता है। यही नहीं उन्होंने अपने कुछ रिश्तेदारों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने की कोशिश भी की। उन्होंने अपने अधिकृत मेल आईडी से एक ईमेल कुछ कारपोरेट घरानों के लिए कर दिया जिसमें लिखा गया था कि वे उनकी एक रिश्तेदार लड़की के लिए बिजनेस सेटअप में सहायता करें। ये खबर इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने प्रमुखता से भी छापी और मोदी सरकार को अपमानित होना पड़ा। इस प्रकरण पर मोदी ने बहुत ही गंभीरता से संज्ञान लिया। इसके अलावा संजीव के बारे में कहा जा रहा है कि वे अपने कुछ बिजनेस पार्टनरों को राजनीति में उतारने के लिए प्रयासरत हैं। ये सभी जाट ही हैं। किसी को मीरापुर से टिकट दिलाने का प्रयास कर रहे हैं तो किसी को बुढ़ाना व चरथावल विधानसभा सीट से। यही नहीं हाल ही में जब मुजफ्फरनगर में विधानसभा का उपचुनाव हुआ तो उन्होंने कपिल देव के लिए टिकट करवाया। कपिल भी बसपा प्रत्याशी मैदान में न होने के बावजूद भी बहुत ही कम अंतर से जीत सके। यही नहीं बाद में कपिल देव स्टिंग आपरेशन में फंसे और पार्टी की किरकिरी भी हुई।


10 - मोदी की कैबिनेट में जो भी बदलाव 5 जुलाई को किए गए हैं उनके बारे में कहा जा रहा है कि मोदी को कम बोलने वाले व निर्विवादित लोग पसंद आ रहे हैं। यही वजह है कि स्मृति ईरानी को एचआरडी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय से कपड़ा मंत्रालय में जाना पड़ा। मोदी चाहते हैं कि उनके मंत्री काम पर ध्यान दें और बेकार के विवादों में न पड़ें। संजीव बालियान भी विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। दादरी कांड के समय उन्होंने कई विवादित बयान दिए इसके अलावा यूपी में संजीव लगातार वहां के कैबिनेट मंत्री आजम खां के खिलाफ बयानबाजी करते रहे। मोदी ने इसे भी अनावश्यक माना। इसके अलावा जाट आरक्षण आंदोलन के समय भी संजीव बालियान ने कुछ ऐसी टिप्पणियां की जो मोदी को नागवार गुजरी। संजीव का जाटों को आरक्षण दिलाने के लिए अति सक्रिय रहना भी मोदी को पसंद नहीं आया और अंत में मोदी ने उन्हें दूसरे किसी हल्के विभाग में काम करने के लिए नियुक्त कर दिया।

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