Monday 9 April 2018

Exclusive : मेरठ के शोभापुर के दलितों को अब अपने ऊपर हमले की है आशंका ?


मेरठ की एसएसपी मंजिल सैनी। 
मेरठः क्या मेरठ से दलित पलायन कर रहे हैं ? पिछले दिनों हुए बंद के दौरान हुई हिंसा के बाद यहां हालात कुछ ऐसे बन रहे हैं कि दलितों में खौफ का माहौल है। मेरठ शहर से 5 किलोमीटर पर दून हाईवे पर स्थित शोभापुर गांव में सैकड़ो दलित परिवार डर के साये हैं। उन्हें खाकी वर्दी से ही डर है कि कब उनके युवा होते बेटों व घर के पुरुषों को गिरफ्तार कर लिया जाए। पुलिस के खौफ से सैकड़ों लोग गांव से बाहर चले गए हैं। गांव में भारी फोर्स तैनात है। 
शोभापुर में मौजूद दलितों के बीच सीओ। 
उल्लेखनीय है कि 2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में आयोजित भारत बंद के दिन शोभापुर के निकट प्रदर्शनकारियों ने जमकर तोड़फोड़ व आगजनी की थी। देहरादून हाइवे पर पुलिस चौकी भी जला दी गई थी। इसी मामले में पुलिस ने तीन अलग अलग एफआईआर दर्ज की है। इनमें पुलिस ने 200 से अधिक लोगो को नामजद किया है। अकेले शोभापुर के सवा सौ लोगों का नाम एफआईआर में है, इनमें कुछ महिलाएं भी हैं। गांव के दलित खासकर वे लोग ज्यादा डरे हैं जिनके परिवार के सदस्यों का नाम रिपोर्ट में शामिल है। गांव के लोगों का आरोप है कि तमाम ऐसे युवकों का नाम भी पुलिस रिपोर्ट में दर्ज है जो गांव में रहते ही नहीं। 

गांव में तैनात फोर्स 
शोभापुर के निवासी राजीव एफआईआर की कापी दिखाते हुए कहते हैं कि थाने से पुलिस ने तो उन्हें तो इसकी कॉपी देने से मना कर दिया। कोर्ट से यह कापी लेनी पड़ी। इसमें ऐसे युवकों का नाम भी दंगाई के रूप में दर्ज है जो 2 तारीख को गांव में थे ही नही। दूसरे शहरों में नौकरी करने वाले लड़कों का भी नाम रिपोर्ट में शामिल है। पुलिस के डर से लोग गांव से बाहर चले गए हैं। एफआईआर में सोनू पुत्र महेंद्र को दंगा करने वालों में नाम है जबकि वह खुद उप्र पुलिस में है तथा इस समय शामली में पोस्टेड है। इसी तरह कई और नाम वे रिपोर्ट में दिखाते हैं।

एफआईआर दिखाते ग्रामीण 
ताराचंद पारचा के घर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस व पीएसी तैनात है। इनके दोनों बेटों का नाम पुलिस रिपोर्ट में दर्ज है। बड़े बेटे शैलेन्द्र उर्फ गोपी की भारत बंद के दो दिन बाद 4 अप्रैल को गांव के कुछ गूर्जर बिरादरी के लोगों ने दिनदहाड़े हत्या कर दी। ताराचंद कहते है कि उनके बेटे को निजी दुश्मनी के चलते मारा गया। पुलिस ने 4 नामजद आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है। वे बेटे की हत्या मामले में पुलिस कार्रवाई से संतुष्ट हैं लेकिन पुलिस की एफआईआर में निर्दोषो को फंसाने के मुद्दे पर वे गांव वालों तथा बिरादरी के साथ खड़े होंगे।

धर्म परिवर्तन कर लेंगे, अपना लेंगे इस्लाम

गांव के कुछ लोग यह मान रहे हैं कि भाजपा सरकार में उन्हें न्याय नहीं मिलेगा। वे विरोध में मुस्लिम धर्म अपनाने की धमकी भी मीडिया के माध्यम से दे रहे हैं। ताराचंद कहते हैं कि यदि हमारे लोग मुस्लिम धर्म अपनाने का फैसला लेंगे तो हम भी उनके साथ होंगे। एक बुजुर्ग सवाल करते हैं कि हमारे पास आखिर रास्ता क्या है। किसके पास जाएं। गांव के अधिकांश दलित बसपा के समर्थक हैं लेकिन बसपा का कोई बड़ा नेता उनकी मदद को आगे नही आ रहा। गांव वाले इस विवाद में राजनीतिक लोगों को लाना भी नही चाहते हैं।

मेरठ व आसपास के इलाके में अफवाह है कि दलितों के भारत बंद के विरोध में हिंदूवादी सवर्ण व पिछड़ी जाति के लोग 10 तथा 14 अप्रैल को बंद कराएंगे। ऐसे में उस दिन दलितों के खिलाफ हिंसा भी संभव है। इस तरह के बंद का आह्वान करने वाले किसी संगठन का नाम अभी सामने नही आया है लेकिन मेरठ पुलिस प्रशासन चौकन्ना है। शोभापुर के आसपास पुलिस व पीएसी के साथ रैपिड एक्शन फोर्स के दस्ते दिन में भी तैनात नजर आए।

निर्दोषों के खिलाफ कार्रवाई नहीं
जिलाधिकारी अनिल डींगरा व एसएसपी मेरठ मंजिल सैनी रविवार को गांव में भारी फोर्स के साथ गई थीं। उन्होंने गांव का दौरा भी किया। सोमवार को सीओ कंकरखेड़ा पंकज कुमार सिंह तथा एसएचओ दीपक शर्मा शोभापुर गांव में ही जमे थे। सीओ पंकज ने बताया कि रिपोर्ट में निर्दोषो को फंसाने के आरोप सही नही है। उनके पास वीडियोग्राफी मौजूद है। हिंसा व दंगा फैलाने वाले लोगों के अलावा किसी निर्दोष के खिलाफ कोई कार्रवाई नही होगी। वे यह भी कहते है कि इलाके दोबारा कोई फसाद न हो इसके लिए प्रशासन पूरी स्थिति पर नज़र रखे हुए है।

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