Monday 27 July 2015

‘मिसाइल मैन’ कलाम का अचानक निधन, 7 दिन का शोक

नई दिल्लीः 'मिसाइल मैन' के नाम से मशहूर भारत के 11वें राष्ट्रपति भारत रत्न डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल अब्दुल कलाम का सोमवार को निधन हो गया है। इससे पहले अचानक तबियत खराब होने की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सरकार की ओर से पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर सात दिनों के लिए राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है।



84 वर्षीय कलाम IIM शिलॉन्ग में एक समारोह में अचानक बीमार पड़ गए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। खासी हिल्स के पुलिस अधीक्षक एम खारकरांग ने यह जानकारी दी। पूर्व राष्ट्रपति सोमवार शाम करीब 6:30 बजे IIM शिलॉन्ग में एक लेक्चर के दौरान गिर गए जहां से उन्हें अस्पताल ले जाया गया। मेघालय के राज्यपाल वी षडमुघनाथन और मुख्य सचिव पी. बी. ओ. वर्जरी बेथानी अस्पताल पहुंचे जहां कलाम को भर्ती कराया गया था। इस बीच सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि भी देनी शुरू कर दी है।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर संवेदना प्रकट करते हुए ट्वीट किया, 'भारत के पूर्व राष्ट्रपति पूरी पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत थे। उनका निधन राष्ट्र के लिए एक अपूर्णीय क्षति है।'
15 अक्टूबर 1931 को पैदा हुए अबुल कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से एयरोनॉटिकल इंजिनियरिंग में विशेषज्ञता हासिल करने वाले डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम ने स्वदेश तकनीक वाले भारत के पहले सैटेलाइट लॉन्च वीइकल के विकास में बड़ा योगदान किया था।
जीवन परिचयः 
भारत के मिसाइल मैन के रूप में लोकप्रिय डा. एपीजे अब्दुल कलाम बेहद साधारण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते थे तथा जमीन और जड़ों से जुड़े रहकर उन्होंने जनता के राष्ट्रपति के रूप में लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनायी थी।  समाज के सभी वर्गों और विशेषकर युवाओं के बीच प्रेरणा स्रोत बने डा. कलाम ने राष्ट्राध्यक्ष रहते हुए राष्ट्रपति भवन के दरवाजे आम जन के लिए खोल दिए जहां बच्चे उनके विशेष अतिथि होते थे।
एक सच्चे मुसलमान और एक नाविक के बेटे एवुल पाकिर जैनुलाबददीन अब्दुल कलाम ने 18 जुलाई 2002 को देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला और उन्हें एक ऐसी हस्ती के रूप में देखा गया जो कुछ ही महीनों पहले गुजरात के सांप्रदायिक दंगों के घावों को कुछ हद तक भरने में मदद कर सकते थे।
देश के पहले कुंवारे राष्ट्रपति कलाम का हेयर स्टाइल अपने आप में अनोखा था और एक राष्ट्रपति की आम भारतीय की परिभाषा में फिट नहीं बैठता था लेकिन देश के वह सर्वाधिक सम्मानित व्यक्तियों से एक थे जिन्होंने एक वैज्ञानिक और एक राष्ट्रपति के रूप में अपना अतुल्य योगदान देकर देश सेवा की।
अत्याधुनिक रक्षा तकनीक की भारत की चाह के पीछे एक मजबूत ताकत बनकर उसे साकार करने का श्रेय डा. कलाम को जाता है और देश के उपग्रह कार्यक्रम, निर्देशित और बैलेस्टिक मिसाइल परियोजना, परमाणु हथियार तथा हल्के लड़ाकू विमान परियोजना में उनके योगदान ने उनके नाम को हर भारतीय की जुबां पर ला दिया। पन्द्रह अक्तूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में पैदा हुए कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी से स्नातक करने के बाद भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया और फिर उसके बाद रक्षा शोध एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से जुड़ गए।
रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में शोध पर ध्यान केंद्रित करने वाले डा. कलाम बाद में भारत के मिसाइल कार्यक्रम से जुड़ गए। बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण वाहन तकनीक में उनके योगदान ने उन्हें भारत के मिसाइल मैन का दर्जा प्रदान कर दिया।  भारत रत्न समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किए गए कलाम ने 1998 में भारत द्वारा पोखरण में किए गए परमाणु हथियार परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उस समय वाजपेयी सरकार केंद्र की कमान संभाल रही थी। शाकाहारी कलाम के हवाले से एक बार कहा गया था कि उन्होंने भारत में कई तकनीकी पहलुओं को आगे बढ़ाया और उसी प्रकार वह खुद भी मेड इन इंडिया थे जिन्होंने कभी विदेशी प्रशिक्षण हासिल नहीं किया।
कलाम ने के आर नारायणन से राष्ट्रपति पद की कमान संभाली थी और वह 2002 से 2007 तक देश के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में उनका मुकाबला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की क्रांतिकारी नेता लक्ष्मी सहगल के साथ था और वह इस एकपक्षीय मुकाबले में विजयी रहे। उन्हें राष्ट्रपति पद के चुनाव में सभी राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल हुआ था। राष्ट्रपति पद पर आसीन होने के साथ ही वह राष्ट्रपति भवन के सम्मान को नई ऊंचाइयां प्रदान करने वाले पहले वैज्ञानिक और पहले कुंआरे बन गए।

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