Wednesday 29 July 2015

'बजरंगी भाईजान’ ने पाकिस्तान में भी गदा घुमाई

80 सिनेमाघरों में हाउसफुल चल रही दूसरे हफ्ते में भी

लाहौर: सलमान खान की 'बजरंगी भाईजान’ पाकिस्तान में एक सप्ताह बाद भी लोगों की भीड़ खींच रही है। इसे देखने के लिए उमड़ रही है। फिल्म में भारत-पाक के सकारात्मक संदेश की बदौलत सलमान खान की इस फिल्म को शानदार प्रतिक्रिया मिली है। सिनेमाघरों के मालिकों का दावा है कि उन्होंने फिल्म देखने के बाद बड़ी संख्या में लोगों को नम आंखों के साथ सिनेमाघरों से निकलते देखा है।

यह फिल्म बजरंगबली के भक्त पवन कुमार चतुर्वेदी (सलमान) की कहानी है, जो छह साल की एक गूंगी पाकिस्तानी बच्ची को उसके गांव तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए भारत से पाकिस्तान आता है।लाहौर के 'सिने स्टार सिनेमा’ के शहराम रजा ने कहा, मैं पिछले सात वर्ष से सिनेमा के इस कारोबार में हूं लेकिन मैंने कभी इतनी बड़ी संख्या में लोगों को आंखों में आंसू लिए सिनेमा हॉल से बाहर आते नहीं देखा। 'बजरंगी भाईजान’ के हर शो के बाद यहां मैंने ऐसा होते देखा है। टिकट काउंटर पर काम करने वाले रजा कहते हैं कि लोग 'बजरंगी भाईजान’ की टिकटें खरीदते हुए बहुत उत्साहित दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे ही शो खत्म होता है, उनमें से ज्यादातर लोगों, खासकर महिलाओं, की आंखों में आंसू भर होते हैं। दूसरी फिल्मों में, लोग जोर-जोर से बातें करते बाहर आते हैं लेकिन 'बजरंगी भाईजान’ के मामले में मुझे मुश्किल ही किसी की बातचीत सुनाई देती है।

रजा कहते हैं कि फिल्म की भावनात्मक कहानी के कारण लोग इस फिल्म से जुड़ाव महसूस कर पाए हैं। पाकिस्तान में कुछ युवाओं ने यह फिल्म दो बार देखी है। ऐसे दर्शकों में मोमिना राना भी शामिल हैं। उनका कहना है कि यह शायद पहली ऐसी भारतीय फिल्म है, जिसमें पाकिस्तान को सकारात्मक रूप में दिखाया गया है। वह कहती हैं कि वह बॉलीवुड के फिल्मकारों की सोच में आए इस बदलाव को देख कर खुश हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और भारत दोनों की ही आम जनता अमन पसंद है। इसीलिए इस फिल्म को यहां और भारत में दोनों ही जगह इतनी अधिक सराहना मिली है। मैं इस फिल्म को बार-बार देखना पसंद करूंगी क्योंकि ऐसी फिल्म रोज नहीं बनती। पाकिस्तान फिल्म वितरक संघ के अध्यक्ष जोराएज लशारी ने कहा कि 'बजरंगी भाईजान’ की बदौलत इस साल ईद की छुट्टियां बहुत अच्छी गुजरीं।

लशारी ने बताया कि जनता की ओर से शानदार प्रतिक्रिया आई है। देश के 80 से ज्यादा सिनेमाघर ईद (18 जुलाई) से ही 'बजरंगी भाईजान’ देखने वाले लोगों से खचाखच भरे हैं। हर वर्ग और हर उम्र के लोग सिनेमा हॉल में अपनी सीट बुक कराने के लिए लंबी कतारों में खड़े देखे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म अपने दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर चुकी है और शानदार कारोबार कर रही है क्योंकि बॉलीवुड की कोई नई फिल्म फिलहाल आई नहीं है।
ईद के मौके पर 'बजरंगी भाईजान’ के साथ प्रदर्शित हुई पाकिस्तानी फिल्मों के बारे में लशारी ने कहा, दो पाकिस्तानी फिल्में 'रॉन्ग नंबर’ और 'बिन रोए’ भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन 'बजरंगी भाईजान’ से उनका कोई मेल नहीं। पाकिस्तानी फिल्म उद्योग के पुनरूत्थान का श्रेय भारतीय फिल्मों को देते हुए लशारी ने कहा कि यहां सिनेमा भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन की वजह से बचा हुआ है। उन्होंने कहा कि स्पर्धा के कारण हमपर अच्छी फिल्में बनाने का दबाव है और बिल्कुल ऐसा ही हो रहा है। भारतीय फिल्मों से पाकिस्तानी सिनेमा और फिल्म उद्योग को वास्तव में एक बड़ी मदद दी है।

पाकिस्तानी फिल्मों 'रॉन्ग नंबर’ और 'बिन रोए’ के कुछ वितरकों की शिकायत है कि सिनेमाघरों के मालिक इनके प्रति 'सौतेला’ व्यवहार कर रहे हैं। उनका दावा है कि कई पर्दों वाले सिनेमाघरों के मालिक एक दिन में बजरंगी भाईजान के छह-छह शो चला रहे हैं जबकि 'रॉन्ग नंबर’ और 'बिन रोए’ को एक-एक शो ही दिया जा रहा है। पाकिस्तान फिल्म निर्माता संघ के अध्यक्ष सईद नूर ने कहा कि सिनेमाघरों के मालिकों द्वारा भारतीय फिल्म को ज्यादा शो दिया जाना 'अफसोस की बात’ है। नूर ने कहा, मैं लाहौर में एक फिल्म सम्मेलन आयोजित करने वाला हूं, जिसमें मैं पाकिस्तान के निर्माताओं और निर्देशकों को आमंत्रित करूंगा ताकि भारतीय फिल्मों को ज्यादा शो देने के 'खराब चलन’ पर चर्चा की जा सके। लशारी ने कहा कि लोग सबसे ज्यादा पसंद तीनों खान को करते हैं।



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