Tuesday 28 July 2015

नेपाल में गढीमाई समारोह में अब नहीं दी जाएगी पशु बलि

काठमांडू: नेपाल में गढीमाई उत्सव में पशु बलि पर रोक लगा दी गई है। हर पांच साल में आयोजित होने वाला यह उत्सव विश्व में पशु बलि का सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है। बलि पर रोक के फैसले से लाखों पशुओं की जान बचेगी। मंदिर न्यास ने आज अपने निर्णय की घोषणा की और सभी श्रद्धालुओं से समारोह में पशु न लाने का आग्रह किया। गौरतलब है कि मई में आए भूकंप के समय सोशल मीडिया पर जोर-शोर से ये बातें कही गई थीं कि जिस देश में इतने पशुओं को एक साथ मारा जा रहा है वहीं प्रकृति अपना कहर बरपा रही है। हालांकि मंदिर न्यास ने अपने फैसले के बारे में इस तरह की कोई वजह जाहिर नहीं की है।


इस आयोजन में पशुओं की बलि चढ़ाने की धार्मिक प्रथा 300 वर्ष से चली आ रही है। न्यास के अध्यक्ष रामचंद्र शाह ने एक बयान में कहा है कि गढीमाई मंदिर ट्रस्ट पशु बलि समाप्त करने के हमारे औपचारिक निर्णय की घोषणा करता है। आपकी मदद से, गढीमाई उत्सव 2019 को हम रक्तपात रहित सुनिश्चित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, गढीमाई 2019 आयोजन को हम जीवन के शानदार उत्सव के रूप में सुनिश्चित कर सकते हैं। शाह ने कहा कि पीढिय़ों से, श्रद्धालु बेहतर जीवन की आशा में गढीमाई देवी को पशुओं की बलि चढ़ाते रहे हैं। प्रत्येक जान जाने के साथ हमारा दिल रोता है। उन्होंने कहा कि पुरानी परंपरा को बदलने का समय आ गया है। हिंसा की जगह शांति से पूजा अर्चना करने का समय आ गया है। पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने फैसले का स्वागत किया है जो बलि परंपरा के खिलाफ अभियान चलाते रहे हैं।

ऐसा अनुमान है कि 2009 में गढीमाई उत्सव में पांच लाख से अधिक भैंसों, बकरियों, मुर्गों और अन्य जानवरों की बलि दी गई थी, लेकिन 2014 में इस संख्या में भारी कमी आई थी। भारत के उच्चतम न्यायालय ने हाल में राज्यों को निर्देश दिए थे कि वे भविष्य में गढीमाई उत्सव के लिए जानवरों को ले जाने पर रोक लगाने के लिए तंत्र स्थापित करें और पशु बलि के खिलाफ जागरूकता फैलाएं। बयान में कहा गया कि गढीमाई उत्सव में पशु बलि की वैश्विक आलोचना के बाद, मंदिर समिति ने इस साल के पूर्व में यह भी फैसला किया कि फसल उत्सव (संक्रांति) के दौरान कोई पशु बलि नहीं दी जाएगी।

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