Tuesday 3 May 2016

Ajit Singh के खिलाफ भाजपा के जाट नेताओं के कड़े तेवर

संजीव बालियान व सत्यपाल सिंह ने जताया कड़ा विरोध
अजित सिंह ने रखी है यूपी चुनाव से पहले लंबी चौड़ी डिमांड
नई दिल्लीः चौधरी अजित सिंह को लेकर भाजपा में रायता फैल गया है। अगले साल होने वाले यूपी के विधानसभा चुनाव के लिए अजित सिंह ने भाजपा के सामने गठबंधन के लिए लंबी डिमांड लिस्ट रख दी है। वे 45 सीटें और अपने लिए राज्यसभा में स्थान मांग रहे हैं। पहले वे अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल को नीतीश कुमार की जेडीयू में मिलाना चाहते थे लेकिन अचानक ही उन्होंने पैंतरा बदल दिया। हमेशा मौकों की तलाश में रहने वाले अजित सिंह अब भाजपा में अपना भविष्य तलाश रहे हैं। पर उनके साथ गठबंधन को लेकर भाजपा में विरोध के सुर उठ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री और मुजफ्फरनगर से भाजपा सांसद डॉ. संजीव बालयान ने खुलेआम मोर्चा खोल दिया है और इस गठबंधन को न होने देने के लिए अभियान छेड़ दिया है।
बताया जाता है कि संजीव ने अपना विरोध केंद्रीय नेतृत्व के साथ दर्ज करा लिया है। वे फिलहाल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ न्यूजीलैंड दौरे पर हैं इसलिए उनका कमेंट नहीं लिया जा सका। बहरहाल उनके निकटस्थ सूत्रों का कहना है कि अजित सिंह के साथ गठबंधन पार्टी के हित में नहीं होगा इस विचार से बालियान ने अमित शाह को भी अवगत करा दिया है। बता दें, इससे पहले भी अजित सिंह और भाजपा का गठबंधन रह चुका है। 2002 के विधानसभा चुनाव भाजपा व रालोद ने मिलकर लडे थे। बाद में अजित सिंह ने भाजपा का साथ छोड़कर 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से हाथ मिला लिया था। इसके बाद 2009 में फिर भाजपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़े थे और बाद में मौका देखकर यूपीए के साथ मिलकर केंद्र में मंत्री बन गए थे। 2012 के विस चुनाव उन्होंने कांग्रेस से मिलकर लड़े। अजित सिंह की फितरत को मौका परस्त की माना जाता है। इसलिए उनके साथ दोस्ती का भाजपा में विरोध हो रहा है। खासतौर से जाट लॉबी के सांसद संजीव बालियान, सत्यपाल सिंह (बागपत), भरतेंद्र सिंह (बिजनौर) आदि ने अपना विरोध जताया है। इसके अलावा तेज तर्रार विधायक ठाकुर संगीत सिंह सोम व सुरेश राणा भी राजनाथ सिंह के सामने अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं।
सत्यपाल सिंह (मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त) ने तो खुद अजित सिंह को बागपत में 2014 के आम चुनाव में हराया था। इसके अलावा मथुरा में अजित सिंह के बेटे जयंत को हेमा मालिनी ने हराया था। बताया जाता है कि हेमा भी इस गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन कहा जा रहा है वेस्ट यूपी में जाटों के अजित सिंह के प्रति बढ़ते रुझान के कारण अमित शाह चाहते हैं कि गठबंधन हो जाए। अमित शाह को लग रहा है कि अजित सिंह अलग लड़े तो वे भाजपा के ही वोट कांटेंगे और इसका लाभ बसपा व सपा को मिल जाएगा। 

संजीव बालियान गठबंधन के सख्त खिलाफ हैं। 
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री संजीव बालयान अजित सिंह से गठबंधन के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर हैं। दरअसल संजीव बालयान इस समय वेस्ट यूपी में जाटों के सबसे सक्रिय भाजपा नेताओं में शुमार हैं। उन्होंने मुजफ्फरनगर के विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को जीत हासिल कराई और जिला पंचायत सीट पर भी भाजपा को काबिज कराया। इसके अलावा बालयान समर्थक लॉबी संजीव के लिए लगातार मुहिम चला रही है कि उन्हें सीएम पद के लिए यूपी में भाजपा का चेहरा बनाया जाए। हालांकि इसे लेकर कभी संजीव ने खुद कुछ नहीं कहा है लेकिन सोशल मीडिया पर उनके समर्थक लगातार इस अभियान में जुटे हुए हैं। ऐसे में अजित सिंह से गठबंधन होने से सबसे ज्यादा झटका बालियान को ही लगेगा। फिलहाल बताया जाता है कि अजित सिंह ने सबसे अहम शर्त रखी है कि यदि भाजपा की सरकार यूपी में बनती है तो उनके बेटे को डिप्टी सीएम या कुछ ऐसा ही पद दिया जाए।

No comments:

Post a Comment