Thursday 19 January 2017

संगीत सोम हार के डर से हड़बड़ा रहे हैं!

हिंदू मतों के ध्रुवीकरण के चक्कर में मुस्लिम वोटर हो सकते हैं बसपा की ओर आकर्षित

मेरठः वेस्ट यूपी में भाजपा के विवादित व चर्चित विधायक ठाकुर संगीत सिंह सोम पर आरोप लगा है कि वे मुजफ्फरनगर दंगे के समय की कुछ विवादित वीडियो अपने प्रचार में प्रयोग कर रहे हैं। उनकी प्रचार टीम के लोगों के खिलाफ केस भी दर्ज हो चुके हैं लेकिन सोम का कहना है कि समाजवादी पार्टी उनसे परेशान होकर उनके खिलाफ अभियान चला रही है। संगीत का कहना है कि वे कोई पहली बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और इस तरह से उन्हें दबाया नहीं जा सकता। वे तुष्टिकरण की राजनीति के सामने झुकने वाले नहीं हैं। वैसे संगीत सोम की यह भूल भाजपा को भारी पड़ सकती है। बसपा प्रत्याशी से हार का खतरा मंडराने की वजह से सोम ने ऐसा किया है। अगर मुस्लिम वोटरों का रुख बसपा की ओर हो गया तो भाजपा को प्रदेश में इज्जत बचानी कठिन हो सकती है। हाईकमान भी सोम की इस हरकत से चिंतित है।

दरअसल संगीत सिंह सोम का रिकार्ड बहुत ही दिलचस्प रहा है। कभी संगीत सोम खुद सपा के प्रत्याशी रह चुके हैं। 2009 में वे मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से लड़े थे और हारे थे। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए और 2012 में सरधना (मेरठ) विधानसभा सीट से विधायक चुन लिए गए। 2013 में वह सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने फेसबुक पेज पर उस विवादित वीडियो को शेयर कर दिया जिसमें कवाल (मुजफ्फरनगर) में हुई दो हिंदू युवकों की हत्या को कथित तौर पर निर्मम रूप से दिखाया गया था। हालांकि बाद में यह वीडियो फेक साबित हुआ और संगीत सोम ने भी यह कह दिया कि वह फेसबुक पेज भी उनका नहीं है। अब उन्होंने अपना फेसबुक वैरीफाइड एकाउंट बनवा लिया है। वैसे मुजफ्फरनगर दंगे के समय सोम के खिलाफ भी भड़काऊ भाषण देने का मुकदमा दर्ज हुआ था और इस मामले में उनके व कुछ और भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसआईटी को सरकार की हरी झंडी का इंतजार है। बाद में संगीत सोम गाजियाबाद के दादरी कांड के समय भी खबरों में रहे थे।

बहरहाल वर्तमान विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार शुरू होते ही एक बार फिर संगीत सोम विवादों में घिर गए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि सरधना सीट पर उन्हें इस बार बहुत ही कड़े चुनाव का सामना करना पड़ रहा है। वे बहुत कठिन त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गए हैं। सपा ने अतुल प्रधान और बसपा ने हाफिज इमरान कुरैशी को टिकट दिया है। इमरान कुरैशी दलित व मुस्लिम मतों के दम पर मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं और इसलिए संगीत सोम मतों का ध्रुवीकरण करने के लिए इस तरह के हथकंडे आजमा रहे हैं। उन्हें लगता है कि यदि वे हिंदूवादी एजेंडे पर लड़े तो हिंदू मतों का रुझान एकतरफा उनकी ओर हो सकता है। अगर हिंदू मत सपा व भाजपा प्रत्याशी के बीच बंटते हैं तो कुरैशी की जीत पक्की है। संगीत सोम चाहते हैं कि किसी तरह उनकी कट्टर हिंदूवादी छवि बने और चुनाव का रुख उनकी ओर मुड़े। सोम के भाषण भी कुछ इसी दिशा में नजर आते हैं। सोम का कहना है कि वह बहू बेटियों की इज्जत के लिए लड़ रहे हैं। बहरहाल कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका यह मानना है कि सोम को ऐसा करने की जरूरत ही नहीं हैं क्योंकि भाजपा वैसे ही मजबूत स्थिति में है और संगीत जैसे नेताओं की हरकतों से मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण भी हो सकता है। ऐसा हुआ तो भाजपा का नुकसान तय है।

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