Friday 17 February 2017

विक्रम सैनी- भाजपा को मिला एक और राणा या सोम ?

मुजफ्फरनगरः भाजपा को एक और संगीत सोम या सुरेश राणा मिल गया है। जी हां, खतौली विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी विक्रम सैनी ने चुनाव हिंदू सम्मान के मुद्दे पर लड़ा है और वह इस समय जीत की पोजिशन में नजर आ रहे हैं। चार साल पहले दंगे का सबब बने कवाल गांव व उसके आसपास के इलाके में भाजपा के समर्थन में वोटरों में लहर सी दिखी। कवाल गांव में ही हिंसा हुई थी और एक मुस्लिम युवक की मौत के बाद दो जाट युवकों की हत्या कर दी गई थी।

सबको चौंकाते हुए भारतीय जनता पार्टी ने एक ऐसे संघ कार्यकर्ता को खतौली से टिकट दे दिया जिसकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है  बस केवल संघ का कार्यकर्ता होने के कारण जिला पंचायत सदस्य विक्रम सैनी को खतौली विधानसभा सीट से टिकट दे दिया गया। विक्रम जिला पंचायत सदस्य हैं और कवाल गांव उन्हीं के इलाके में आता है। हालांकि कवाल गांव मीरापुर विधानसभा सीट का हिस्सा है और विक्रम सैनी ने टिकट भी मीरापुर सीट से ही मांगा था लेकिन वहां उनकी राह में फरीदाबाद के पूर्व सांसद अवतार सिहं भड़ाना आ गए। हेलीकाप्टर प्रत्याशी के रूप में पैसे की चमक दमक के साथ भड़ाना ने लैंड किया और टिकट ले उडे़।  साधारण से कार्यकर्ता विक्रम सैनी को मीरापुर की ही पड़ोसी सीट खतौली से टिकट दे दिया गया। 
शुरू में सैनी को कमजोर प्रत्याशी माना गया क्योंकि न उनकी पहचान थी और न ही वे आर्थिक रूप से उतने मजबूत थे। सैनी ने प्रचार शुरू किया तो माहौल रंग बदलने लगा। उनके सामने सपा से चंदन चौहान (बिजनौर के पूर्व सांसद स्व. संजय चौहान के बेटे), बसपा से शिवान सैनी (बसपा के पूर्व राज्यसभा सांसद राजपाल सैनी के बेटे) जैसे नाम थे। और नामांकन की अंतिम तिथि आते-आते रालोद के बैनर पर एक दूसरे धन कुबेर व बिजनौर के पूर्व विधायक शाहनवाज राणा (मुजफ्फरनगर के पूर्व सांसद कादिर राणा के भतीजे) मैदान में आ डटे। यानी विक्रम को राजनीतिक घरानों से टक्कर लेनी थी। ऐसे में किसी को नहीं लग रहा था कि विक्रम कहीं टिक पाएंगे। सब जानते हैं कि मुजफ्फरनगर का दंगा लड़कियों से छेड़छाड़ की घटना से शुरू हुआ था। विक्रम ने बहू बेटी को इज्जत को ही अपना थीम बनाया और प्रचार शुरू कर दिया। संघ कार्यकर्ता और कट्टरपंथी विचारधारा के मिश्रण से उन्होंने इलाके के वोटरों के दिलों में जो जगह बनानी शुरू की वह इतनी गहरी होती चली गई कि वह मतदान के दिन जीतने की पोजिशन में खड़े आ रहे हैं।  ऐसे में तमाम दिग्गजों को हराने में विक्रम सैनी अगर सफल हो जाते हैं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। अपने उत्तेजक विचारों के लिए विक्रम को अभी से सुरेश राणा और संगीत सोम जैसे तेजतर्रार विधायकों की श्रेणी में गिना जाने लगा है। विक्रम देखने में एक बेहद साधारण व्यक्ति नजर आते हैं। जब मंच नहीं मिलता तो कुर्सी पर खड़े होकर भी भाषण देने लगते हैं लेकिन उनकी बातों में चुंबकीय आकर्षण कुछ इस तरह का नजर आता है कि सुनने वाले उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते। 

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