Tuesday 10 July 2018

बजरंगी के मर्डर के बाद आगे क्या ? होगी नई गैंगवार ?

बागपत/मेरठः बागपत जेल में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी के कत्ल के बाद पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अपराधियों की मजबूत कड़ी टूट गई। दरअसल, मुन्ना बजरंगी प्रदेश के दोनों हल्कों के जरायमफरोशों के बीच पुल का काम करता था। उसने पश्चिम के शातिर संजीव जीवा व सुनील राठी से दोस्ती कर खास नेटवर्क खड़ा कर लिया था। एक दशक पूर्व बने इस आपराधिक गठजोड़ ने पश्चिम के माफिया सरगना सुशील मूँछ के वजूद को भी चुनौती दे डाली। इसके चलते दोनों ओर से कई लाशें बिछ चुकी हैं। मुन्ना के कत्ल में सुनील राठी का नाम आने से अपराध जगत हैरत में है। माना जा रहा है कि अब उत्तर प्रदेश में गैंगवार की नए सिरे से पटकथा लिखी जा सकती है।

बनारस के मणिकर्णिका घाट पर बजरंगी की अंत्येष्टि मंगलवार को हुई। 
मुन्ना बजरंगी का शव। 
कुख्यातों के इस समीकरण को समझने के लिए बीते तीस साल से अतिरंजित हो रहे कैनवास के लाल रंग को खंगालना पड़ेगा। बात अस्सी के दशक की है। माफिया सुशील मूंछ ने मुजफ्फरनगर जिले के मथेड़ी गांव से निकलकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में अपना जाल फैला लिया था। उसने दीपक शर्मा, गिरीश बहुगुणा, अरुण शर्मा, बिल्लू और सुकरम पाल जैसे कई शॉर्प शूटरों का गैंग खड़ा कर लिया। कत्लोगारत के अलावा तमाम सरकारी ठेकों में इनकी दखल आम हो गई। नब्बे के दशक में सतबीर गुर्जर और महेंद्र फौजी के बीच गैंगवार से पश्चिम की धरती हिल गई। इस दौरान राजबीर रमाला, रविंद्र भूरा, रविंद्र सोटा जैसे सतबीर के कई सिपहसालारों ने जमकर आग उगली। इन्होंने सुशील मूंछ के वर्चस्व को चुनौती देनी शुरू कर दी। उसके इलाके और सरकारी ठेकों में ये लोग झपट्टा मारने लगे। कुछ माह पहले मुजफ्फरनगर में जीवा के खास सुशील उर्फ चीकू की हत्या में सुशील मूंछ का नाम सामने आया था।

सुनील राठीः
सतबीर और महेंद्र गुर्जर के बीच गैंगवार के दौरान सुनील राठी के पिता की गांव की रंजिश के चलते हत्या कर दी गई। इसे लेकर बदले की आग में जल रहा सुनील राठी अपराध का रास्ता तलाश रहा था। रविंद्र भूरा ने सतेंद्र बरवाला और सुनील राठी समेत कई नई लड़कों की खेप खड़ी कर दी।

संजीव जीवाः
संजीव जीवा की आपराधिक जगत में एंट्री किसी आश्चर्य से कम नहीं है। एक डाक्टर के यहां कंपाउंडर की नौकरी करने वाला संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा बहुत तेजी के साथ एक शातिर नाम बन गया। उसने अपराध का ककहरा हाईप्रोफाइल अपराधी रविप्रकाश से सीखा। रवि के माध्यम से ही उसने पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुख्तार अंसारी गैंग तक अपनी पैठ बना ली। यहीं पर वह मुन्ना बजरंगी के संपर्क में आया। कृष्णानंद राय व ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद ये सभी पूर्वी उत्तर प्रदेश में सनसनी बन गए। बताया जाता है कि संजीव जीवा की मार्फत सुनील राठी का भी मुन्ना बजरंगी से संपर्क हो गया।
रविप्रकाशः 
मुजफ्फरनगर के हाईप्रोफाइल क्रिमिनल रविप्रकाश का आपराधिक जीवन फिल्म स्पेशल 26 की तर्ज पर था। आइएएस परीक्षा में असफलता के चलते मानसिक अवसादग्रस्त रवि अपराध के दलदल में फंसता चला गया। वह असल जिंदगी में तो अफसर नहीं बन पाया, लेकिन फर्जी इनकम टैक्स अफसर बनकर छापे मारने से लेकर कत्लोगारत करना उसका शगल बन गया। वह एक अदद बदमाश था जिसने अपना घर (मुजफ्फरनगर) छोड़कर महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और पूर्वी उत्तर प्रदेश में तमाम आपराधिक वारदात को अंजाम दिया। उसके गैंग में रमेश ठाकुर और संजीव जीवा जैसे नाम प्रमुख नाम थे। कुछ साल पहले रवि की मुरादनगर के पास संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी।
 
सुशील मूंछः 
मुन्ना बजरंगी, सुनील राठी और संजीव जीवा की तिकड़ी ने सुशील मंूछ के वर्चस्व को खुली चुनौती दी। बताते हैं कि मूंछ के कत्ल की फिराक में मुन्ना बजरंगी कई बार मुजफ्फरनगर आया, लेकिन आपराधिक गुणा-भाग में माहिर सुशील मूंछ हर बार इनके मिशन को तोड़ता रहा। मंूछ के खास यशपाल राठी के कत्ल के लिए साल 2006 में मुन्ना ने मुजफ्फरनगर में एक सियासी दिग्गज के यहां पनाह ली, लेकिन सर्विलांस के जरिए एसओजी टीम ने मुन्ना के मकसद को कामयाब नहीं होने दिया।
गैंगवार के नए समीकरण
मुन्ना के कत्ल में सुनील राठी का नाम एकबारगी किसी के गले नहीं उतरा, लेकिन उसके परिजन और सरकारी अमला राठी को ही गुनहगार मान रहे हैं। अब इस सनसनीखेज वारदात के बाद अपराधियों के बीच क्या समीकरण बनते हैं। यह भविष्य के गर्भ में है। बहरहाल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की फिजा में आपराधिक सरगर्मी के चलते खासी तपिश महसूस की जा रही है।


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