Wednesday 10 February 2016

Ground Report मुजफ्फरनगर विस उपचुनाव: 10 बातें जो कपिल देव के खिलाफ जा रही हैं !

मुजफ्फरनगर सदर सीट पर विधानसभा उपचुनाव में अब चंद ही दिन बाकी रह गए हैं और रंगत पल-पल बदल रही है। मुख्य मुकाबला अभी भी सपा के गौरव स्वरूप व भाजपा के कपिल देव अग्रवाल के बीच ही माना जा रहा है लेकिन टक्कर कांटे की है। जीत के प्रबल दावेदार माने जा रहे भाजपा के कपिल देव अग्रवाल के सामने कई चीजें हैं जो उनकी स्पष्ट जीत की राह में रोड़ा बन रही हैं। आइयें नजर डालते हैं कि क्या उनके खिलाफ जा रहा हैः-
प्रचार के मैदान में कपिल देव। 

कपिल के समर्थन में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान। 
1. रालोद की प्रत्याशी मिथलेश पाल भाजपा के वोटों में भारी सेंधमारी कर रही हैं। पाल समाज उनसे जुड़ा हुआ है और इसके अलावा रालोद के पक्के वोटर माने जाने वाले जाट वोटर भी बंटते नजर आ रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो कपिल को भारी नुकसान होगा। कहा जा रहा है कि मिथलेश पाल 15 हजार वोट कम से कम काट रही हैं और भाजपा का नुकसान कर रही हैं।

2. कपिल देव अग्रवाल को भाजपा में अंदरुनी तौर पर खिलाफत का सामना करना पड़ रहा है। कार्यकर्ता उनके टिकट से नाराज हैं। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री और मुजफ्फरनगर से भाजपा सांसद डॉ. संजीव बालियान का भरपूर समर्थन होने की वजह से ही कपिल को टिकट मिला। जबकि भाजपा का स्थानीय नेतृत्व चाहता था कि किसी नए चेहरे को टिकट दिया जाए। कपिल 2002 में भी विस का चुनाव लड़े थे और फिर 2006 से 2013 तक पालिका चेयरमैन भी रहे। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे और इसलिए उनका संगठन में भारी विरोध था।

3. भाजपा का थिंक टैंक कहे जाने वाले आरएसएस में भी कपिल के समर्थन में माहौल नहीं बन रहा है। कपिल को थोपा हुआ प्रत्याशी माना जा रहा है। बताते हैं कि जिस दिन कपिल का टिकट घोषित हुआ उस दिन विरोध में संघ की शाखाओं का भी आयोजन नगर में नहीं किया गया। हालांकि कभी कपिल संघ से ही निकलकर भाजपा में आए थे और 2002 में अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़े थे और हार गए थे।

4. भाजपा का मुख्य वोटर मुजफ्फरनगर में वैश्य समाज माना जाता है। वो भी कपिल व गौरव में बंटता नजर आ रहा है। अगर ऐसा हुआ तो कपिल को भारी नुकसान होगा। 2012 में जब चुनाव हुए थे तो कांग्रेस के टिकट पर वरिष्ठ नेता सोमांश प्रकाश लड़े थे और उन्होंने वैश्य समाज के इतने वोट काट दिए थे कि भाजपा के प्रत्याशी व उस समय के विधायक अशोक कंसल चुनाव हार गए थे। वैश्य समाज का एक भी वोट कटता है तो भाजपा का नुकसान होता है।

5. नई मंडी क्षेत्र को वैश्य समाज का गढ़ माना जाता है। यहां भाजपा अपना वोट बैंक मजबूत मानकर चलती है लेकिन इस इलाके में कपिल देव का भारी विरोध है। कपिल देव के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने नगर पालिका चेयरमैन रहते हुए मंडी में विकास कार्य नहीं कराए थे। जबकि वर्तमान चेयरमैन पंकज अग्रवाल ने सारी मंडी को चमका कर रख दिया है। चौड़ी गली का सौंदर्यीकरण तो बहुत बड़ा काम हुआ है।

6. शहर व खासतौर से नई मंडी में वैश्य समाज का धनाढ्य वर्ग सपा प्रत्याशी गौरव स्वरूप के साथ जुड़ता हुआ नजर आ रहा है। गौरव नई मंडी के पटेल नगर में ही रहते हैं जबकि उनका पैतृक घर सिविल लाइंस में है। उनके पिता स्व. चितरंजन स्वरूप के कुछ माह पहले निधन के बाद ही यहां उपचुनाव हो रहा है। चितरंजन उर्फ चाचा चित्तो की वैश्य समाज में अच्छी घुसपैठ थी और उनकी सहानुभूति गौरव के साथ है। नई मंडी में जितने भी विकास कार्य पिछले दो साल में हुए हैं उनमें चेयरमैन पंकज अग्रवाल के अलावा चितरंजन स्वरूप का भी योगदान रहा। पंकज, जो कांग्रेस से जुड़े हुए हैं, ने कई काम चाचा चित्तो के सहयोग से कराए और इस बात का मैसेज नई मंडी व वैश्य समाज में हैं।

7. वैश्य समाज व शहर का बड़ा बिजनेसमैन वर्ग चाहता है कि सपा के गौरव स्वरूप ही जीतें। अभी प्रदेश में एक साल और सपा की सरकार चलनी है और इससे सभी को फायदा होगा। कहा जा रहा है कि गौरव को राज्य सरकार में पिता की भांति मंत्री भी बनाया जा सकता है। खुद अखिलेश यादव चाहते हैं कि वैश्य समाज सपा से जुड़े, और वेस्ट यूपी में वैश्य समाज के प्रतिनिधि के तौर पर गौरव को मंत्री पद मिल सकता है। ऐसे में प्रचार ये हो रहा है कि भाजपा को अभी वोट देना वोट खराब करना होगा।

8. मुस्लिम वोटर्स का सपा के समर्थन में एकजुट नजर आना भी भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। मुजफ्फरनगर में हुए दंगे के बाद से मुसलमान भाजपा के खिलाफ हैं। फिर मुस्लिम वोटरों का रुझान उसी प्रत्याशी की ओर ज्यादा रहता है जो भाजपा के प्रत्याशी को हरा सके। ऐसे में मुस्लिम वोटर बढ़ चढ़कर मतदान करेंगे। जबकि हिंदू बहुल इलाकों में मतदान प्रतिशत कम होता है।

9. भाजपा की एकमात्र उम्मीद कांग्रेस प्रत्याशी सलमान सईद हैं। भाजपा को लगता है कि अगर मिथलेश पाल उसके हिंदू वोट काट रही हैं तो सलमान जरूर सपा के मुस्लिम वोट काटेंगे। पर ऐसा नहीं है। सलमान की स्थिति बेहद कमजोर है। मुसलमान वोटर सपा के साथ खड़ा नजर आ रहा है। सलमान को 5 हजार वोट भी मिल गए तो बड़ी बात होगी।

10. भाजपा को दलित वोटरों पर भी आस है। बसपा उपचुनाव नहीं लड़ती है और उसका कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं है। इसका फायदा भाजपा को मिलना चाहिए लेकिन दलित समाज भी भाजपा से नाराज है। हैदराबाद में दलित छात्र रोहित वेमुला की मौत के बाद केंद्रीय मंत्रियों पर जिस तरह से आरोप लगे हैं उसे लेकर यहां भी प्रतिक्रिया है। रोजाना जिला मुख्यालय पर दलित समाज प्रदर्शन कर मोदी व स्मृति ईरानी के खिलाफ नारेबाजी कर रहा है। इससे लग रहा है कि दलितों में भी भाजपा से नाराजगी है और कहीं ये वोटर भी रालोद प्रत्याशी की ओर न मुड़ जाएं।

बहरहाल भाजपा के लिए चुनाव अभी आसान नहीं है। हो सकता है 13 फरवरी से पहले फिजा बदले और अब यही कपिल देव की सबसे बड़ी उम्मीद है।

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