Wednesday 1 June 2016

मुजफ्फरनगर विधायक कपिल देव भी हैं अरबपति प्रीति महापात्रा के प्रस्तावकों में से एक

 मुजफ्फरनगर विधायक का नाम राजनीति गलियारों में चर्चाओं का केंद्र बना 
लखनऊ/मुजफ्फरनगर: मुजफ्फरनगर सदर सीट से भाजपा विधायक कपिल देव अग्रवाल भी उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने गुजरात की अरबपति महिला प्रीति महापात्रा के लिए प्रस्तावक के रूप में हस्ताक्षर किए हैं। हालांकि उनके अलावा 15 अन्य भाजपा विधायकों ने भी उनके प्रस्ताव पर साइन किए हैं। विपक्ष के आरोप हैं कि प्रीति को प्रत्याशी बनाए जाने के पीछे पैसे का जबर्दस्त गेम हुआ है। कपिल देव का नाम इसलिए भी अहम है क्योंकि वे पिछले दिनों हुए उपचुनाव के बाद ही पहली बार विधायक बने हैं। इसके अलावा कपिल देव का नाम मुजफ्फरनगर में उनके नगर पालिका चेयरमैन बने रहने के दौरान उन पर वित्तीय अनियमितताओं के भी आरोप लगे थे। बहरहाल ये तो नहीं कहा जा सकता कि सभी भाजपा विधायकों को इससे कुछ लाभ हुआ है लेकिन ये जरूर है कि समर्थन करने वाले 16 विधायकों में कपिल देव का नाम आना जरूर चर्चाओं में है।

बता दें, इसी महीने के पहले पखवाड़े में होने जा रहे राज्यसभा चुनाव के लिए वैसे तो तमाम दलों का रुख स्पष्ट था लेकिन यूपी से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में प्रीति महापात्रा नामक अरबपति महिला द्वारा मंगलवार को परचा भर दिए जाने से ये चुनाव बेहद दिलचस्प हो गए हैं। 11 सीटें हैं और प्रीति 12वीं प्रत्याशी हैं। यानी उन्होंने 5 जून तक नाम वापस नहीं लिया तो वोटिंग होना तय मान लीजिए। मजेदार बात यह है कि प्रीति (37) के समर्थन में यूपी के लगभग सभी दलों के विधायक प्रस्तावकों के रूप में उतरे हैं। इनमें सबसे ज्यादा 16 भाजपा के हैं तो जाहिर है कि प्रीति महापात्रा एक तरह से बीजेपी की ही प्रत्याशी हैं।

सोशल मीडिया पर प्रीति को लेकर खूब खबरें चल रही हैं। जब गहराई से उनकी शख्सियत के बारे में जानने का प्रयास किया गया तो तमाम ऐसे तथ्य सामने आए जो ये साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि प्रीति क्यों अचानक मैदान में उतारी गई हैं। 16 भाजपा विधायकों के अलावा एक-एक विधायक बसपा, एनसीपी, सपा और अपना दल के भी उनके समर्थन में आए हैं। सपा के एक बागी रामपाल यादव का कहना है कि वह सपा के प्रत्याशी को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रीति का समर्थन कर रहे हैं। बसपा विधायक बाला प्रसाद अवस्थी का भी साफ कहना है कि उनका समर्थन प्रीति को मिलेगा। 

प्रीति के परचा भरने से राजनीतिक हलकों में भी बहुत खबरें चल रही हैं। सोशल मीडिया पर उनके बारे में बहुत कुछ कहा जा रहा है। ट्विटर व फेसबुक पर तो प्रीति के संबंध में तमाम फोटो व वीडियो भी शेयर किए जा रहे हैं दो दिन से। इनमें उन्हें कुछ बैठकों में हिस्सा लेते और भाषण देते हुए दिखाया गया है। यूपी के कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने तो इस पर कमेंट करते हुए कह भी दिया है कि ये भाजपा का असली चेहरा है। अब साफ हो गया है कि खरीद फरोख्त होगी। सपा के राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल का कहना है कि पहले बीजेपी ने उत्तराखंड में खरीद फरोख्त की कोशिश की थी और अब यूपी में भी राज्यसभा चुनाव के लिए यही होगा। हालांकि प्रीति इससे सहमत नहीं हैं और परचा दाखिल करते समय उन्होंने कहा कि वे यहां यूपी के लोगों की सेवा करने आई हैं और उनका किसी राजनीतिक दल से कोई मतलब नहीं हैं। पर 16 भाजपा विधायकों ने जिस तरह से उनके प्रति समर्थन जताया है वह तो कुछ और ही इशारा कर रहा है। इसके अलावा प्रीति के विचारों से किस तरह से भाजपाई अंदाज झलकता है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे उनके एक वीडियो में वे यह कहती हुई नजर आ रही हैं कि जब आईएसआईएस के लिए सारी मुस्लिम कौम को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता तो फिर एक दादरी कांड के लिए सारे देश को असहिष्णु करार दिया जा सकता है? 

राज्यसभा के लिए प्रीति ने नामांकन दाखिल करके पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के चुनाव को बिगाडऩे का पूरा इंतजाम कर दिया है। यूपी से राज्यसभा के लिए 11 सदस्य चुने जाने हैं। सपा ने सात, बसपा ने दो का नामांकन कराया है। भाजपा ने पहले ही शिवप्रताप शुक्ला को प्रत्याशी बनाया हुआ है जबकि कांग्रेस ने कपिल सिब्बल को चुना है। वे सपा विधायकों के समर्थन के बल पर राज्यसभा जाने की कोशिश में हैं। आंकड़ेबाजों का मानना है कि एक तरह से प्रीति भाजपा के ही दूसरी प्रत्याशी के रूप में मैदान में आई हैं और अगर वे नाम वापस नहीं लेती हैं तो वोटिंग होगा और कपिल सिब्बल को सबसे ज्यादा परेशानी होने वाली है। 403 विधायकों की क्षमता वाले यूपी में सपा के 229, बसपा के 80, भाजपा के 41, कांग्रेस के 29 विधायक हैं। एक प्रत्याशी को चुनाव जीतने के लिए कम से कम 37 वोट की जरूरत है। कुछ ऐसी ही स्थिति यूपी के विधान परिषद चुनाव के लिए है। 14 लोगों ने परचा भरा है और 13 सीटें हैं।

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