Saturday 11 June 2016

राज्यसभा चुनावः हरियाणा में कांग्रेस में बगावत, आरके आनंद हारे

नई दिल्ली: हरियाणा में कांग्रेस विधायकों के बगावत कर देने से राज्यसभा चुनाव में भाजपा के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा (जी मीडिया) जीत गए, जबकि कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने उत्तर प्रदेश में जीत हासिल की। वहीं, केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू, बीरेन्द्र सिंह, निर्मला सीतारमन और एमए नकवी ने आसानी से जीत दर्ज की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऑस्कर फर्नांडीस और जयराम रमेश कर्नाटक से विजयी हुए हैं जहां जद (एस) के बागी विधायकों की क्रॉस वोटिंग ने राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस को तीसरी सीट हासिल करने में सक्षम किया। पूर्व आईपीएस अधिकारी केसी रामामूर्ति ने जद (एस) के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवार एवं कारोबारी बीएम फारूक को हरा कर यह सीट जीती।

कांग्रेस को सबसे तगड़ा झटका हरियाणा में लगा। वहां पार्टी के 14 विधायकों ने संभवत: जानबूझ कर मतपत्र पर गलत निशान लगाया जिसके चलते पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार आर के आनंद को शिकस्त का सामना करना पड़ा। उन्हें मुख्य रूप से कांग्रेस की चिर प्रतिद्वंदी इनेलो ने मैदान में उतारा था।  प्रदेश के शिक्षा मंत्री राम विलास शर्मा ने चंडीगढ़ में संवाददाताओं को बताया कि कांग्रेस के 14 वोट रद्द होने के बाद मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा ने वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व सांसद आनंद को हराया। यहां तक कि चुनाव से पहले ये अटकलें थी कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपिन्दर सिंह हुड्डा के प्रति निष्ठा रखने वाले कांग्रेस के 17 विधायकों में ज्यादातर आनंद का समर्थन करने में पार्टी लाइन का पालन नहीं करेंगे।
जेएमएम उम्मीदवार बसंत सोरेन के लिए भी जीत सुनिश्चित करने की कोशिश में कांग्रेस नाकाम रही। वह जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन के बेटे हैं। झारखंड में कांग्रेस ने बसंत का समर्थन किया था जहां सत्तारूढ़ भाजपा के उम्मीदवार महेश पोद्दार जीत गए। दरअसल वहां जेएमएम के एक गिरफ्तार विधायक और गिरफ्तारी का सामना कर रहे कांग्रेस के एक विधायक वोट नहीं डाल सके। सात राज्यों में राज्यसभा की 27 सीटों में 11 सीटें भाजपा को, छह कांग्रेस को, सात समाजवादी पार्टी को, दो बसपा को और एक निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई। द्विवार्षिक चुनाव के मौजूदा चरण में 57 में 30 सीटों पर पिछले हफ्ते चुनाव के बगैर फैसला हुआ था।
 पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सिब्बल ने भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार और सोशलाइट प्रीति महापात्रा को हराया जो मुंबई आधारित कारोबारी की पत्नी हैं। बसपा के दो उम्मीदवार, सतीश चंद्र मिश्रा और अशोक सिद्धार्थ भी आसानी से जीत गए। उत्तर प्रदेश मेें राज्यसभा की 11 सीटों के लिए आज हुए चुनाव में 'क्रासवोटिंगÓ के बावजूद सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब रहे। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने वालों में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के अमर सिंह, बेनीप्रसाद वर्मा, कुंवर रेवतीरमण सिंह, विशम्भर प्रसाद निषाद, सुखराम यादव, संजय सेठ और सुरेन्द्र नागर शामिल हैं। बसपा के सतीश मिश्र और अशोक सिद्धार्थ, भाजपा के शिवप्रताप शुक्ल और कांग्रेस के कपिल सिब्बल भी राज्यसभा के लिए चुन लिए गये हैं। आज के मतदान में खास बात यह रही कि सभी दलों में क्रास वोटिंग हुई, मगर बसपा ने सभी दलों से दूरी बनाये रखते हुए अपने अतिरिक्त वोटों को किसी भी उम्मीदवार के समर्थन में नहीं दिया। हालांकि, कांग्रेस उम्मीदवार सिब्बल चुनाव जीतने में तो कामयाब रहे, मगर विधानसभा में 29 सदस्यों वाली पार्टी को सबसे अधिक क्रास वोटिंग की मार झेलनी पडी और सिब्बल को प्रथम वरीयता के केवल 25 वोट मिले बावजूद इसके कि आठ सदस्यीय राष्ट्रीय लोकदल ने सपा और कांग्रेस को चार-चार विधायकों के समर्थन का ऐलान पहले ही कर दिया था।  राज्यसभा की 11 सीटों पर हुए चुनाव में 12 प्रत्याशी मैदान में थे। हर प्रत्याशी को जीत के लिए प्रथम वरीयता के 34 वोटों की जरूरत थी। राज्य विधानसभा के 403 सदस्यों में से सपा के 229, बसपा के 80, भाजपा के 41, कांग्रेस के 29, रालोद के आठ विधायक हैं। पीस पार्टी के चार, कौमी एकता दल के दो, राकांपा का एक, इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल का एक, अपना दल का एक और तृणमूल कांग्रेस का एक विधायक है। छह विधायक निर्दलीय हैं। मतदान में क्रास वोटिंग हुई। सपा के सातवें उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के नौ वोट कम पड़ रहे थे हालांकि वह जीतने में सफल रहे। प्रथम दौर की मतगणना में सपा के केवल तीन प्रत्याशी ही जीत सके। बसपा ने अपने 12 अतिरिक्त वोट किसी को नहीं देने का फैसला किया ताकि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले किसी पार्टी के साथ होने का दाग उस पर नहीं लगे। बसपा के सतीश मिश्र को 39 और अशोक सिद्धार्थ को 42 मत मिले। प्रीति को प्रथम वरीयता के मात्र 18 वोट मिले और वह हार गयीं।
हरियाणा में केंद्रीय मंत्री बिरेंद्र सिंह आसान जीत को लेकर आश्वस्त थे। पर, दूसरी सीट के लिए मीडिया कारोबारी एवं भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा और आनंद के बीच मुकाबला दिलचस्प रहा। शर्मा ने बताया कि हरियाणा विधानसभा में 90 सदस्य हैं। इसमें सिंह को 40 वोट, आनंद को 21 और चंद्रा को 15 वोट मिले, जबकि 14 वोट खारिज कर दिए गए। इस तरह, 14 वोट के खारिज होने की स्थिति में सिंह को अपनी जीत के लिए 26 वोट की ही जरूरत थी और उनके 14 वोट द्वितीय वरीयता के रूप में चंद्रा के पास चले गए जिससे चंद्रा के वोट 29 हो गए।  उन्होंने बताया कि कांग्रेस के 14 वोट खारिज कर दिये जाने के बाद चंद्रा ने इंडियन नेशनल लोकदल :इनेलो: और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार आर के आनंद को हराया। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने इस द्विवार्षिक चुनाव में एक सीट के लिए इनेलो समर्थित वकील आनंद के लिए कल समर्थन की घोषणा की थी। फिलहाल हरियाणा विधानसभा में भाजपा के 47 विधायक, इनेलो के 19, कांग्रेस के 17 :कुलदीप बिश्नोई की दो सदस्यीय हरियाणा जनहित पार्टी के हाल में कांग्रेस में विलय के बाद: तथा बसपा और शिअद के एक एक विधायक हैं। पुनर्निर्वाचित होने के बाद सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को उन्हें फिर से नामांकित करने के लिए धन्यवाद दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि यह उनकी आखिरी पारी होगी।

No comments:

Post a Comment