Sunday 31 January 2016

मुजफ्फरनगर उपचुनावः गौरव के पास खोने को कुछ नहीं, कपिल का सब कुछ दांव पर


एक सभा में गौरव स्वरूप। 
- सपा और भाजपा में कांटे की टक्कर, गौरव स्वरूप के साथ पिता चितरंजन स्वरूप की सहानुभूति 
- कपिल देव के आड़े आ रही हैं चेयरमैन के कार्यकाल की अड़चनें
- रालोद व कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच तीसरे स्थान के लिए जंग
गली-गली में घूमते कपिल देव। 
मुजफ्फरनगरः विधानसभा उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार अभी सुस्त ही नजर आ रहा है। फिलहाल दो प्रमुख प्रत्यशी ही मैदान में नजर आ रहे हैं। भाजपा के कपिल देव और सपा के गौरव स्वरूप। रालोद की मिथलेश पाल और कांग्रेस के सलमान सईद का कोई अता पता नहीं है। हमारी टीम ने शहर में चुनावी माहौल के बारे में जानकारी हासिल करने का प्रयास किया तो कुछ मजेदार बातें उभरकर सामने आईः-

गौरव के साथ सहानुभूति भी नजर आ रही है। 
मुजफ्फरनगर विधानसभा सीट पर पूर्व विधायक स्व. चितरंजन स्वरूप के निधन की वजह से उपचुनाव हो रहा है। वे बीमारी से जूझने के बाद स्वर्ग सिधार गए थे। उनके बेटे गौरव को सपा ने प्रत्याशी बनाया है जबकि भाजपा ने लंबी जद्दोजहद के बाद तेज तर्रार और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के खास कपिल देव अग्रवाल को टिकट दिया। अभी दोनों प्रत्याशी अपने दम पर प्रचार कर रहे हैं और उनके लिए पार्टी कार्यकर्ता उतने सक्रिय नहीं नजर आ रहे हैं। दोनों ही प्रत्याशी सुबह प्रचार के लिए निकल रहे हैं और उनके साथ उनके परिचित, पारिवारिक मित्र, परिजन ही नजर आते हैं।
मुस्लिम इलाकों में गौरव को भरपूृर समर्थन मिल रहा है। 
सपा के गौरव स्वरूप का ये पहला चुनाव है। इससे पहले वे लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी भी बनाए गए थे लेकिन मुजफ्फरनगर में तीन साल पहले हुए दंगे की वजह से उन्होंने टिकट वापस कर दिया था। उन्हें लगा था कि वे किसी भी तरह चुनाव जीत नहीं पाएंगे, लेकिन पिता चितरंजन चाहते थे कि वे उनकी विरासत संभालें। कहा जा रहा था कि अगर चितरंजन जीवित भी रहते तो अगले साल होने वाले यूपी के विस चुनाव में गौरव ही टिकट के दावेदार रहते। बहरहाल बीमारी के कारण चाचा चित्तो का कुछ माह पहले निधन हो गया। ऐसे में सीएम अखिलेश यादव ने गौरव स्वरूप को ही प्रत्याशी बना दिया। समाजवादी पार्टी हाईकमान को लगता है कि चितरंजन के निधन के बाद गौरव को लोगों की सहानुभूति भी मिलेगी। और अभी ऐसा होता नजर भी आ रहा है। 

कपिल के सामने लोग अपने मोहल्लों की समस्याएं गिनाने लगते हैं। 
वैसे ‘न्यूजवेव’ की टीम ने आकलन करने की कोशिश की तो गौरव के साथ मुस्लिम इलाकों में पूरा समर्थन नजर आ रहा है। कांग्रेस से टिकट लेकर चुनाव लड़ रहे सबसे युवा प्रत्याशी सलमान सईद अकेले मुस्लिम उम्मीदवार होने के बावजूद कहीं फाइट में नहीं नजर आ रहे हैं। सलमान सईद पूर्व मंत्री सईदुज्जमां के साहबजादे हैं। इससे पहले भी वे विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन बुरी तरह हारे थे। कांग्रेस के पास प्रत्याशी का अभाव था। कोई भी हार का टिकट नहीं लेना चाहता। अंत में जमां साहब के बेटे को ही टिकट दे दिया गया। वैसे कांग्रेस की रणनीति ये भी रही है कि वह सपा के मुस्लिम वोट काट दें लेकिन ऐसा होने की संभावना कम ही नजर आ रही है। खालापार के जिस इलाके में जमां साहब का घर है उसके आसपास भी सपा के झंडे ही लहरा रहे हैं। प्रचार के मामले में सलमान सईद फिलहाल जीरो ही हैं। न उनके पास टीम है न कार्यकर्ता। फिलहाल सलमान शहर में पोस्टर आदि लगवाकर ही अपना प्रचार कर रहे हैं। 
महिलाओं से वोट मांगते कपिल देव। 
भाजपा प्रत्याशी कपिल देव अग्रवाल शुरू से ही एक्टिव वर्कर के रूप में मशहूर रहे हैं। वे नगर पालिका के चेयरमैन रह चुके हैं और यहां की समस्याओं को बारीकी से जानते हैं। ये उनके लिए प्लस प्वाइंट भी है और माइनस प्वाइंट भी। जिस समय वे चेयरमैन रहे उस समय उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे। इसके अलावा उन पर शहर में विकास कार्य न कराने के आरोप भी खूब लगे थे। अब भी प्रचार के समय उनके सामने ये ही दिक्कत आ रही है। वे जहां भी जाते हैं वहीं लोग उनके सामने समस्याएं गिनाने लगते हैं। इसके अलावा कपिल के खिलाफ संगठन में ही बहुत से कार्यकर्ता हैं। 
केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान (बाएं) कपिल के साथ खुलकर हैं और इस चुनाव में हर हाल में जीत चाहते हैं। 

केंद्रीय मंत्री और मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान ने इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बनाया हुआ है। हाल ही में जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर भाजपा का कब्जा हो जाने के बाद से बालियान का जोश बढ़ा है और वे चाहते हैं कि विस चुनाव में भी भाजपा का प्रत्याशी जीते। यही कारण था कि संजीव ने कपिल की पैरवी की। उनका मानना था कि कपिल आर्थिक रूप से भी मजबूत साबित होंगे और एक्टिव तो वे हैं ही। इसके अलावा कपिल के चुनाव के साथ संजीव ये भी साबित करना चाहेंगे कि वे जाटों के बड़े नेता हैं। अगर रालोद (मिथलेश पाल) को एक भी जाट वोट मिलता है तो संजीव के लिए ये निराशा की बात होगी।
गौरव स्वरूप गली मोहल्लों में प्रचार करते हुए। 
रालोद की प्रत्याशी मिथलेश पाल के लिए इस चुनाव में कोई उम्मीद नहीं नजर आ रही है। कांग्रेस और रालोद का पैक्ट उपचुनाव में नहीं चल सका और यह उनका सबसे बड़ा नुकसान है। मिथलेश को पाल व जाट वोट तो मिल सकते हैं लेकिन और कोई बिरादरी उनके साथ नहीं नजर आती। वे भाजपा प्रत्याशी का नुकसान तो कर सकती हैं लेकिन अपना फायदा नहीं। ऐसे में अगर ये कह दिया जाए कि मिथलेश और सलमान सईद के बीच तीसरे स्थान की जंग है तो ज्यादा गलत नहीं होगा।
व्यापारियों से वोट मांगते गौरव स्वरूप। 

एक साल बाद ही दोबारा चुनाव होने हैं और इस हालत में सपा व भाजपा प्रत्याशी ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करना चाहेंगे। गौरव जीतें या हारें अगले साल भी चुनाव उन्हें ही लड़ना है लेकिन अगर कपिल देव हारे तो उनके लिए फिर से टिकट करा पाना आसान नहीं होगा। वे एक विस चुनाव पहले ही 2002 में हार चुके हैं। यानी गौरव के पास खोने के लिए कुछ नहीं है लेकिन कपिल का सब कुछ दांव पर है।

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