Monday 2 November 2015

कौन हैं संता-बंता, क्या है 12 बजे वाले मजाक के पीछे? सिखों ने बयान की अपनी पीड़ा

सिखों के मजाक पर सरदार खफा, कांग्रेस ने बनाया सतवन्त सिंह को संता और बेअन्त सिंह को बंता

सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से की जा रही है सिखों की हंसी उडाने के खिलाफ कानून बनाने की मांग

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजनीति में पिछले कुछ दिनों से बीफ मुद्दे पर आई गरमी अब चुटकुलों से किसी धर्म विशेष की भावनाओं के आहत होने के नए विवाद ने जन्म ले लिया है। सरदारों पर चुटकुले बनाने वाली बेवसाइटों के खिलाफ सिख अब खुलकर लामबंद होने लगे हैं। आरोप है कि कांग्रेस की सिख विरोधी मानसिकता इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार रही है। आरोप है कि इस चुटकुला उद्योग की आड़ में बेवसाइटों पर करोड़ों रूपये का सालाना कारोबार किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में यह मुद्दा उठाने वाली वरिष्ठ महिला वकील हरविन्दर कौर चौधरी की दावों पर यकीन करें तो देश और दुनिया में करीब 5 हजार बेवसाइटें हैं, जिनका करोड़ों रूपये का चुटकुला कारोबार है। यह सभी बेवसाइटें सिर्फ सरदारों (सिखों) पर ही चुटकुला बनाती हैं जो सोशल मीडिया एवं अखबारों के जरिये एक-एक व्यक्ति तक पहुंचते हैं। इसको रोकने के लिए सिख समाज एकजुट हो रहा है। 

संता-बंता कौन हैं? सोमवार को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इसका भी खुलासा किया। कमेटी अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी को मारने के आरोपी सतवन्त सिंह को संता और बेअन्त सिंह को बंता कहकर पेश किया गया। यह कांग्रेस की पूरी रणनीति थी और उसी के तहत सिख भावनाओं को चोट पहुंचाने के लिए सिख-सरदार जोक्स शुरू किया गया। जीके के मुताबिक 1980 के दशक में कांग्रेस सरकार की सिखों के प्रति गलत नीतियों के कारण समाज में सिखों को आतंकवादी समझने की धारणा पनपी। जिसके कारण ही सिखों के खिलाफ संता-बंता के नाम से चुटकुले बनाने की परिपाटी शुरू हुई। इसका असली जनक कांग्रेस पार्टी है। अब दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी इस मुद्दे पर बड़ा एक्शन लेने के मूड में है। कमेटी ने कहा कि सिख भावनाओं को आहत करने वाले इन चुटकुलों के खिलाफ सख्त कानून बनाने की जरूरत है। ऐसे चुटकुले प्रकाशित या प्रसारित करने वाले लोगों के खिलाफ एस.सी./एस.टी. एक्ट की धाराओं के तहत जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल वाली सजा या कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ के कानून की तर्ज पर सिखों के दिमागी उत्पीडऩ जैसा कानून बनाना जरूरी हो गया है। गुरुद्वारा कमेटी अब सख्त कानून के लिए भारत सरकार से डिमांड करेगी। दिल्ली कमेटी के महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि किसी भी हालात में सिखों पर चुटकुलें बनाने वाली वैबसाईटों के बंद होने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि देश की सबसे अल्पसंख्यक कौम के साथ चुटकुलों के नाम पर भद्दा मजाक किया जा रहा है। लिहाजा, सुप्रीम कोर्ट की वकील वकील हरविन्दर कौर चौधरी को कमेटी पूरी मदद करेगी। सिरसा ने सभी पार्टियों पर अल्पसंख्यकों का शोषण करने का आरोप लगाते हुए सवाल किए कि क्या आपने किसी सिख का दर्द पूछा है? किसी पीडि़त सिख बच्चे को सरकारी नौकरी दी है? लेखकों द्वारा आजकल साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस लौटाने की लगी होड़ पर भी सिरसा ने पूछा कि 1984 में यह सब लेखक कहां थे?

जीके की जुबानी, सरदारों को 12 बजने की कहानी

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने सरदारों के 12 बजने के नाम पर किये जाते व्यंग्य का आज डिटेल में खुलासा किया। उनके मुताबिक जब मुगल तथा पठान हिन्दुस्तान के खजाने को लूटने के साथ बहू-बेटियों को जबरन उठाकर अरब देशों में बेचने के लिए काबुल-कंधार के नजदीक पहुंच कर रात गुजारने के लिए रूकते थे, तो जंगलों में डेरा डाले हुए सिख (सरदार) आधी रात के समय मुगल सेना पर धावा बोलकर बहू-बेटियों को छुड़ाते थे। साथ ही उनके घरों तक उन्हें सुरक्षित पहुंचा कर आते थे। जिस समय मुगलों पर यह हमला होता था तो वह कहते थे कि सिखों के 12 बज गये हैं, इसलिए इनको जीता नहीं जा सकता है। जी.के. ने घृणावादी लोगों पर सिखों की वीरता और आदर्शो का मुकाबला करने की बजाए चुटकुलों से छद्म युद्ध लडऩे का भी आरोप लगाया। साथ ही उन्हें समृद्ध सिख इतिहास पढऩे की नसीहत दी।

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