Monday 30 November 2015

लगे ‘झूठे आरोप’ तो गुस्सा हुए होम मिनिस्टर

लोकसभा में असहिष्णुता पर नहीं हो सकी सहिष्णु चर्चा

नई दिल्ली: देश में असहिष्णुता की घटनाओं से उत्पन्न स्थिति के बारे में लोकसभा में आज बेहद असहिष्णु माहौल में चर्चा शुरू हुई जिसके चलते सदन की कार्यवाही को चार बार स्थगित करना पड़ा। विपक्ष की ओर से गृह मंत्री पर एक पत्रिका के हवाले से हिन्दुत्व संबंधी कुछ आरोप लगाये गए जिसका राजनाथ सिंह ने खंडन किया। सत्तापक्ष के कई सदस्यों ने उस पत्रिका का हवाला देने वाले माकपा सदस्य और संबंधित पत्रकार के विरूद्ध विशेषाधिकार हनन की कार्रवाई करने की मांग की। 

 
नियम 193 के तहत दोपहर करीब 12 बजे यह विशेष चर्चा शुरू होते ही असहिष्णुता का माहौल बना जो शाम चार बजे तक चला और इस बीच सदन को चार बार स्थगित करना पड़ा। चर्चा को शुरू करते हुए माकपा के मोहम्मद सलीम ने एक पत्रिका के हवाले से गृह मंत्री राजनाथ सिंह पर कुछ गंभीर आरोप लगाये जिससे सिंह काफी आहत हुए और उन्होंने कहा कि अगर ऐसे आरोपों में लेशमात्र भी सत्यता है तो उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने शाम चार बजे व्यवस्था दी कि चूंकि सलीम ने यह आरोप लगाने से पूर्व नोटिस नहीं दिया है इसलिए वह पत्रिका के हवाले से लगाए गए सभी आरोपों को कार्यवाही से निकालती हैं। इसके बाद सदन में बना गतिरोध टूटा और कार्यवाही सुचारू रूप से चलने लगी।
सलीम ने पत्रिका के हवाले से कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा नीत सरकार बनने के संबंध में आरएसएस से जुड़ी किसी बैठक में सिंह ने कुछ कहा था। गृह मंत्री ने इसका कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा, मैंने ऐसा कभी नहीं कहा। और इस आरोप से जितना आहत मैं आज हुआ हूं, उतना पहले कभी नहीं हुआ। अगर इस आरोप में लेशमात्र भी सत्यता है तो मुझे अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। मैं नाप तौल कर बोलता हूं। सदस्य भी, यहां तक की अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी इस बात को जानते हैं।
सत्तापक्ष के सदस्यों के विरोध के बीच माकपा नेता ने कहा कि वह आरोप नहीं लगा रहे हैं, बल्कि वह तो उस पत्रिका में लिखी बातों को सदन में रख रहे हैं और जो काम सीबीआई, आईबी जैसी एजेंसी को करना चाहिए था। ऐसा करके वह सरकार को यह मौका दे रहे हैं कि वह मामले की जांच करके कार्रवाई करे। सलीम ने कहा कि गृह मंत्री को चाहिए था कि अगर यह सही नहीं है तब उन्हें इसका उसी समय खंडन करें और पत्रिका और संबंधित रिपोर्टर के खिलाफ नोटिस देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि उनका व्यक्तिगत रूप से राजनाथ सिंह से कोई झगड़ा नहीं है और उनकी चले तो नरेन्द्र मोदी की जगह सिंह को पीएम बना दें।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव प्रतात रूडी ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर आरोप है और देश के गृह मंत्री के खिलाफ है। और जब तक सलीम इसकी सत्यता की पुष्टि होने तक इसे वापस नहीं लेते तब तक कार्यवाही चलाना कठिन होगा। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री इन आरोपों का खंडन कर चुके हैं, इसलिए वह इसकी सत्यता स्थापित होने तक अपनी कही बातों को वापस ले लें जिससे की सदन को चलाने में कोई कठिनाई नहीं आए।
इस पर सलीम ने कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि मंत्री का यह कहना कि जब तक वह अपनी बात वापस नहीं लेते, सदन की कार्यवाही नहीं चलने पायेगी, यह अपने आप में असहिष्णुता है। उन्होंने कहा कि यह बड़ा हास्यास्पद है कि मंत्री उनसे पत्रिका की बातों को साबित करने को कह रहे हैं जबकि यह काम सरकार का है। उन्होंने कहा कि उन्होंने तो केवल एक ग्राहक के नाते वह पत्रिका ली और उसमें लिखी बातों को सदन के समक्ष रखा।
भाजपा सांसद गणेश सिंह ने गृहमंत्री पर लगाये गए आरापों को झूठा बताते हुए सलीम से अपनी बात वापस लेने और क्षमा मांगने को कहा। कांग्रेस के वीरप्पा मोइली ने कहा कि पत्रिका में छपी बात को सलीम कैसे वापस ले सकते हैं। सलीम ने पत्रिका में छपी बात को रखा और गृह मंत्री ने उससे इंकार किया। यह अपने आप में काफी है और सलीम किसी पत्रिका की बात को वापस कैसे लें। भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि इस मामले में सदस्य और संबंधित पत्रकार के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस लाया जाना चाहिए। इसी पार्टी के किरीट सोमैया ने कहा कि माकपा सदस्य को बिना नोटिस के बयान नहीं देना चाहिए था और इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। भाजपा के ही हुकुम सिंह ने इस मामले में उन्होंने माकपा सदस्य और पत्रकार के विरूद्ध विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है और इस पर कार्रवाई हो। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने आरोप लगाया कि असहिष्णुता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा को नहीं होने देने के लिए लगता है कि माकपा और भाजपा में सांठगांठ हो गई है। कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल ने कहा कि बुद्ध, महावीर, महात्मा गांधी की भूमि पर हिंसा के मार्ग अपनाया जा रहा है। विपरीत विचार रखने वाले लोगों पर हमले हो रहे हैं और उन्हें मारा जा रहा है। मीनाक्षी लेखी ने आरोप लगाया कि 18 महीने पहले सत्ता से बाहर हुए लोग नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ असहिष्णुता का रवैया अपनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि असहिष्णुता नहीं बढ़ी है। यह कृत्रिम है और सरकार को बदनाम करने के लिए है।
बीजद के भतृहरि माहताब ने कहा कि देश में जो स्थिति है, उसके बारे में कुछ लोगों ने चिंताएं व्यक्त की है और सरकार के तौर पर यह देखना है। पर ऐसी भी धारणा है कि जब भी सरकार बदलती है तब कुछ लोग इस बदलाव को नहीं देखना चाहते और वे सोचते हैं कि उन्हें जो मिल रहा था, वह छीन रहा है। ऐसे में कुछ घटनाएं होती है। उन्होंने कहा कि समाज में कुछ त्रुटि रेखाएं हैं, यह कभी छिप जाती है लेकिन समाप्त नहीं होती है। और ऐसे में कुछ घटनाओं को बढावा मिलता है। ऐसे में जिम्मेदारी ऐसे लोगों की है जो सत्ता में है लेकिन जिनकी चुप्पी इन्हें बढावा देते है। ऐसे में देश में सद्भाव के लिए साम्प्रदायिक सौहार्द आयोग गठित किया जाए।
तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि देश में जो माहौल है, उसके बारे में सरकार के तौर पर हमें देखना चाहिए कि कहीं कोई गलती तो नहीं हो रही है। गांधी, बुद्ध के देश में आज हमें असहिष्णुता पर संसद में चर्चा करनी पड़ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सांसदों की छवि लोगों के नजर में खराब हो रही है।

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