Sunday 1 November 2015

वित्त मंत्री ने मोदी व केंद्र सरकार के समर्थन में लिखी जोरदार Facebook पोस्ट

प्रधानमंत्री खुद सबसे ज्यादा वैचारिक असहिष्णुता के शिकार: जेटली
नई दिल्ली: कांग्रेस और वामदलों पर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उन पर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति वैचारिक असहिष्णुता अपनाने तथा संगठित दुष्प्रचार के जरिए भारत को असहिष्णु समाज के रूप में पेश करने का प्रयास करने का आरोप लगाया। जेतली ने भारत और वर्तमान सरकार के हरेक शुभचिंतक से ऐसे बयान नहीं देने की अपील की जो माहौल खराब करें और विकास में बाधा पैदा करें।

वित्त मंत्री ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार भारत के विकास की रफ्तार तेज करने का प्रयास कर रही है, लेकिन ऐसे कई हैं जिन्होंने भाजपा के सत्ता में होने का विचार बौद्धिक रूप से कभी स्वीकार नहीं किया। इसमें जाहिर तौर पर कांग्रेस, कई वामपंथी विचारक और कार्यकर्ता हैं। कई दशकों से उन्होंने भाजपा के प्रति वैचारिक असहिष्णुता अपनाई हुई है। जेटली ने कहा कि साल 2002 से प्रधानमंत्री खुद इस वैचारिक असहिष्णुता के सबसे ज्यादा पीडि़त रहे हैं। विपक्ष की रणनीति के दो भाग हैं। पहला, संसद बाधित करो और ऐसे सुधार मत होने दो जिसका श्रेय मोदी सरकार को जाए। दूसरा, ढांचागत और संगठित दुष्प्रचार से ऐसा माहौल पैदा करो जिससे लगे कि भारत में सामाजिक दरार है। वे भारत को असहिष्णु समाज के तौर पर पेश करना चाहते हैं।
जेटली ने कहा कि सच कुछ और है। इस दुष्प्रचार की साजिश रचने वालों ने अपने नियंत्रण वाले विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों या सांस्कृतिक संस्थाओं में वैकल्पिक नजरियों को आगे बढऩे नहीं दिया। उनकी असहिष्णुता वैकल्पिक विचाराधारा वाले बिन्दु को स्वीकार नहीं करने की हद तक है। दादरी में एक व्यक्ति की कथित रूप से पीट पीटकर हत्या के संबंध में जेतली ने कहा कि यह अकस्मात हुई घटना है। यह दुर्भाग्यपूर्ण एवं निंदनीय दोनों है। दोषियों को सजा दी जाएगी। मंत्री ने कहा कि भारत का बहुत सहिष्णु एवं उदारवादी समाज बना रहेगा। हमारे सांस्कृतिक मूल्यों में सहअस्तित्व समाहित है। भारत ने बार- बार असहिष्णुता को खारिज किया है। यह उकसावे पर प्रतिक्रिया नहीं देता है। उन्होंने कहा कि इसलिए यह सुनिश्चित करना भारत और वर्तमान सरकार के हर शुभचिंतक का कर्तव्य है कि उनकी कोई कार्रवाई या बयान भारत की विकास की कहानी में बाधा उत्पन्न करने की चाह रखने वालों के हाथों में हथियार नहीं थमाए। जेतली ने कहा कि बाधा उत्पन्न करने वालों की स्पष्ट योजना है कि अगर वे राजनीतिक रूप से नहीं लड़ सकते तो वे प्रतिकूल दुष्प्रचार के साथ लड़ेंगे।
जेटली ने अपनी फेसबुक पोस्ट के शुरू में सरकार की उपलब्धियों पर लिखा है कि विश्व बैंक ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में भारत का स्थान 12 अंक ऊपर कर दिया है। पिछले महीने विश्व आर्थिक फोरम ने भी भारत को अपग्रेड किया था। हालांकि रैंक में सुधार मध्यम है लेकिन यह विपरीत रुझान को मोडऩे की शुरुआत है। सरकार ने पिछले 17 महीने में जो कदम उठाए हैं उन्हें  देखते हुए भारत का स्थाान खासा ऊंचा होना चाहिए था। मैं समझता हूं कि इन सभी कदमों को संज्ञान में नहीं लिया गया है क्योंकि विश्व बैंक का मानदंड एक निर्धारित तिथि पर आधारित है। साथ ही वह घोषणाओं का असर होने तक प्रतीक्षा भी करती है। फिर भी भारत की स्थिति में जो सुधार हुआ है उसमें त्वरित निर्णय प्रक्रियाएं तीव्र नीतिगत बदलाव शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार खत्म होने और मंजूरी प्रक्रिया सरल होने की अहम भूमिका है। एफआइपीबी और पर्यावरण मंजूरी नियमित तौर पर दी जा रही हैं। निवेशकों को अब नीतियों में बदलाव या मंजूरियों के लिए दिल्ली आकर मंत्रालयों के आगे लाइन लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।
जेटली ने आगे लिखा है कि ऐसा ही एक उत्साहजनक कारक यह है कि राज्यों ने भी अपनी कार्य संस्कृति में बदलाव किया है। निवेश सभी आर्थिक गतिविधियों का शुरुआती बिन्दु है। इसलिए एक निवेशानुकूल राज्य में स्वाभाविक तौर पर निवेश आएगा। राज्यों को इस बात का अहसास हो गया है। प्रतिस्पिर्धी संघवाद देखा जा सकता है। वैश्विक निवेशकों की शिखर बैठक के गुजरात मॉडल को तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पंजाब ने अपनाया है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश भी वैश्विक निवेशकों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकांश राज्यों में कार्य संस्कृति बदल रही है।

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