Tuesday 13 October 2015

ई कॉमर्स कंपनियों की फेस्टिवल सेल, फ्लिपकार्ट पर 10 घंटे में बिक गए 10 लाख उत्पाद

13 से 17 तारीख तक स्नैपडील और अमेजन भी दे रही हैं स्पेशल आफर
नई दिल्ली:
कई दिनों से सुर्खियों में चल रही ई कामर्स कंपनियों की फेस्टिवल सेल ने धूम मचा दी है। फ्लिपकार्ट ने मंगलवार को दावा किया कि उसने 10 घंटे के भीतर 10 लाख उत्पाद बेच डाले। यही नहीं उसने प्रति सेकेंड 25 प्रोडक्ट्स बेचने का भी दावा किया। फ्लिपकार्ट की भारतीय प्रतिद्वंद्वी स्नैपडील और इंटरनेशनल मार्केट के बड़े खिलाड़ी अमेजन ने भी इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी है। तीनों कंपनियों ने ही पिछले कुछ दिनों में नामचीन अखबारों में अपने विज्ञापन देकर बिजनेस को बढ़ाने की मुहीम भी शुरू की है। 

फ्लिपकार्ट ने मंगलवार को कहा कि उसने 'बिग बिलियन डेज ‘ की त्योहारी बिक्री के पहले 10 घंटे के दौरान 10 लाख उत्पाद बेचे। मेट्रो शहरों में सबसे अधिक बेंगलुरु, दिल्ली एवं चेन्नई के लोगों ने वेबसाइट को विजिट किया। छोटे मेट्रो शहरों में लुधियाना, लखनऊ और भोपाल का स्थान रहा। फ्लिपकार्ट ने कहा कि इस फैशन सेल में सबसे अधिक बिकने वाली वस्तुओं में जूते-चप्पल, पुरुषों के परिधान और अन्य उपयोग के सामान शामिल रहे। फ्लिपकार्ट के प्रमुख मुकेश बंसल ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर सेल आयोजित करने के पीछे ये भी उद्देश्य रहा है कि लोग ज्यादा से ज्यादा हमारे मोबाइल एप्प को डाउनलोड कर उसके माध्यम से खरीददारी करें। पिछले दो दिन में 16 लाख लोग एप्प को डाउनलोड कर चुके हैं। फ्लिपकार्ट की सेल पांच दिन तक चलने वाली है।
तीनों ही कंपनियां 13 से 17 अक्तूबर के बीच में अपने सेल आयोजित कर रही हैं। स्नैपडील के मार्किंटिंग वीपी श्रीनि मूर्ति ने कहा कि हमने भी प्रिंट मीडिया में विज्ञापन देने की बड़ी योजना तैयार की है। इसके अलावा टीवी पर भी प्रचार किया जा रहा है। फ्लिपकार्ट ने किताब, मीडिया, उपभोक्ता इलेक्ट्रानिक्स और जीवनशैली से जुड़े 70 खंडों में तीन करोड़ से अधिक उत्पादों की पेशकश की है। इस कंपनी में फिलहाल 33,000 लोग काम करते हैं और इसमें 5 करोड़ रजिस्टर्ड यूजर्स हैं।
सेल पर आपत्ति भी हो रही है
ई कॉमर्स कंपनियों की इस सेल पर सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं। कांफडरेशन आफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने फेस्टिवल सेल पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। इसे सरकार की एफडीआई (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) नीति का भी उल्लंघन बताया जा रहा है। सीएआईटी ने डिपार्टमेंट आफ इंड्स्ट्रीयल पॉलिसी एंड प्रमोशन (डीआईपीपी) में शिकायत की है कि ये कंपनियां रीटेल कारोबार करती हैं और सरकार पहले ही रीटेल सेक्टर में विनिवेश के खिलाफ है। ये कंपनियां बीटूसी (बिजनेस टू कंज्यूमर) सिस्टम पर काम कर रही हैं जबकि जो विनिवेश इन्होंने किया है वो बीटूबी (बिजनेस टू बिजनेस) के लिए मिला है। अखबारों में दिए जा रहे विज्ञापन भी सीधे ग्राहक तक पहुंच बनाने के लिए ही दिए गए हैं। सीएआईटी के जनरल सैक्रेटरी प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि ये कंपनियां केवल रजिस्टर्ड निर्माता कंपनियों को प्लेटफार्म ही दे सकती है खुद सेल नहीं कर सकती।

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