Friday 9 October 2015

‘आनर किलिंग’ नहीं थी नितीश कटारा की हत्या, दोषियों को फांसी से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नितीश कटारा की मां की विकास और विशाल के लिये मौत की सजा की अपील ठुकराई

नई दिल्ली: नितीश कटारा की 2002 में हुई नृशंस हत्या के जुर्म में 30 साल की उम्र कैद की सजा भुगत रहे विकास और विशाल यादव मौत की सजा से बच गए। उच्चतम न्यायालय ने उन्हें मौत की सजा देने की पीडि़त की मां नीलम कटारा की अपील ठुकरा दी।
विकास व विशाल 

नीलम कटारा 
न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ और न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने कहा कि उन्होंने (यादव बंधु) जो कुछ भी किया उसे माफ नहीं किया जा सकता, परंतु यह (अपराध) इतना जघन्य नहीं है कि इसके लिये मौत की सजा दी जाये। पीठ ने हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ विकास, विशाल और सुखदेव पहलवान की अपील खारिज की थी। न्यायालय नीलम कटारा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे के इस कथन से सहमत नहीं थी कि दोनों दोषियां को मौत की सजा मिलनी चाहिए। याचिका पर सुनवाई शुरू होते ही जब साल्वे ने दोषियों को मौत की सजा देने के लिये बहस शुरू की तो पीठ ने टिप्पणी की कि वह इसे झूठी शान की खातिर हत्या (आनर किलिंग) के रूप में नहीं देखती। साल्वे का कहना था कि उच्च न्यायालय ने इसे आनर किलिंग माना है। साल्वे ने कहा कि मैं दोषियों के लिये मौत की सजा का अनुरोध कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि दोषी व्यक्ति शिक्षित हैं और वे 'अच्छे परिवार’ के हैं और उन्होंने पूर्व नियोजित और नृशंस तरीके से एक युवक की हत्या की और उसके शव को जलाने से पहले उसे क्षतविक्षत कर दिया। न्यायालय ने कहा कि दोषियों की बहन भारती यादव तो अपनी बहन की शादी का निमंत्रण पत्र देने के लिये पीडि़त के घर भी गयी थीं और इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि दोषियों के परिवार ने इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया था। न्यायालय ने कहा कि शायद पीडि़त के साथ उसे डांस करते देख दोषियों ने आपा खो दिया और वे पीडित को अपने साथ ले गये तथा उसकी हत्या कर दी। न्यायालय ने कहा कि प्रत्येक हत्या नृशंस होती है और यह घृणित है।
न्यायालय ने कहा कि यह सिर्फ एक हत्या थी और वे 16साल के लिये जेल में है। न्यायालय ने कहा कि शव को ठिकाने लगाने का तरीका भारतीय दंड संहिता के तहत सबूत मिटाने के प्रावधान के अंतर्गत आता है। विकास (39), विशाल (37) और सुखदेव (40) को निचली अदालत ने मई, 2008 में रेलवे के एक अधिकारी के पुत्र और व्यावसायिक एग्जीक्यूटिव नितीश कटारा का 16-17 फरवरी, 2002 की दरमियानी रात अपहरण कर और उसकी हत्या करने के जुर्म में उम्र कैद की सजा दी थी क्योंकि वे उत्तर प्रदेश के नेता डी पी यादव की पुत्री भारती से नितीश के प्रसंग के खिलाफ थे। नीलम कटारा ने अपनी याचिका में अपराध करने के तरीके और वजह का जिक्र करते हुये कहा था कि अपने पुत्र के हत्यारों के लिये वह मौत की सजा देने का अनुरोध कर रही हैं।

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