Wednesday 26 August 2015

मुजफ्फरनगर की आवाजः विधायक सुरेश राणा ने उठाया सवाल तो यूपी सरकार पर नहीं था जवाब

फसलों को नुकसान के सदमे में दिल का दौरा पडऩे से किसानों की मौत का आंकड़ा उपलब्ध नहीं: शिवपाल
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने आज कहा कि इस साल फरवरी से अब तक भारी बारिश और ओलावृष्टि से हुई घटनाओं में 93 लोगों की मौत हुई है लेकिन फसलों को नुकसान के सदमे में दिल का दौरा पडऩे से किसानों की मौत का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने विधानसभा में भाजपा सदस्य (शामली जिले की थानाभवन सीट से विधायक) सुरेश राणा द्वारा पूछे गये प्रश्न के उत्तर में कहा कि फरवरी 2015 से अब तक उत्तर प्रदेश में बारिश तथा ओलावृष्टि से 93 लोगों की मौत हुई है। हालांकि प्राकृतिक आपदा से फसलों को हुए नुकसान के सदमें में दिल का दौरा पडऩे से हुई मौतों के बारे में सरकार के पास कोई जानकारी नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने प्राकृतिक आपदा से नुकसान उठाने वाले किसानों को मुआवजे के लिये 3400 करोड़ रपये जारी किये हैं लेकिन केन्द्र सरकार ने इस काम में समय से मदद नहीं की। यादव ने कहा कि हमने ओलावृष्टि से हुई जनहानि के प्रभावित परिवारों के आश्रितों को राज्य आपदा मोचक निधि से 12 लाख रपये दिये, लेकिन केन्द्र ने हमारी कोई मदद नहीं की।
प्रश्न पूछने वाले भाजपा सदस्य सुरेश राणा ने आरोप लगाया कि मुआवजे के पात्र लोगों की सूची राजनीतिक आधार पर तैयार की गयी थी। उन्होंने यह अनियमितता करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की। हालांकि, शिवपाल यादव ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि उत्तर प्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर मुआवजा बांटा गया है। बहरहाल, भाजपा सदस्य सरकार के इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और सदन से बहिर्गमन कर गये।
भाजपा सदस्य श्यामदेव रॉय चौधरी द्वारा पूछे गये एक सवाल पर मंत्री शिवपाल यादव ने कहा कि पिछले साल कम बारिश के कारण 58 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में प्रशासन को मार्च 2015 तक किसानों से राजस्व वसूली को निलम्बित रखने के आदेश दिये गये थे। बाद में यह मियाद बढ़ाकर आगामी 31 अक्तूबर तक कर दी गयी है। यादव ने कहा कि यह भी निर्देश दिये गये हैं राजस्व वसूली के लिये किसानों को कतई प्रताडि़त नहीं किया जाना चाहिये। मंत्री ने कहा कि सूखे से प्रभावित किसानों की मदद के लिये केन्द्र से 4790. 89 करोड़ रपये मांगे गये थे लेकिन उनमें से सिर्फ 490. 28 करोड़ रपये कृषि सम्बन्धी गतिविधियों को प्रोत्साहन देने की मद में जारी किये गये हैं।

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