Thursday 27 August 2015

इंद्राणी मुखर्जीः कमसिन उम्र में मां बनने के बाद चुनी थी अपनी नई डगर

  नई दिल्ली: असम की रहने वाली पोरी बोरा के इंद्राणी बनने की कहानी किसी परी कथा से कम नहीं है। इंद्राणी बहुत कम उम्र में दो बच्चों की मां बनी। इसके बाद इंद्राणी ने अपनी जिंदगी को नए अर्थ देने का फैसला किया और बच्चों को अपने मां-बाप के पास छोड़कर निकल गई कोलकाता व मुंबई जैसे बड़े शहरों के लिए। इंद्राणी ने आगे पढ़ाई भी की और नौकरी भी। इसके बाद जब वह लौटकर अपने घर आई तो वह स्टार इंडिया के सीईओ पीटर मुखर्जी की बीवी बन चुकी थी।
कहानी शुरू होती है असम से जहां उपेन बोरा की बेटी इंद्राणी (पोरी बोरा) को सिद्धार्थ दास नाम के शख्स से प्यार हुआ जब वो कमसिन थी। दोनों के दो बच्चे हुए शीना और मिखाइल। इसके बाद इंद्राणी सिद्धार्थ से अलग हो गई। बच्चों को अपने मां-बाप उपेन और दुर्गा बोरा को सौंपकर वह कोलकाता चली गई। स्कूल के कागजों में उन दोनों के नाम ही शीना के मां-बाप के रूप में दर्ज है। कोलकाता में उसकी मुलाकात संजीव खन्ना से हुई और दोनों ने शादी कर ली। दोनों की शादीशुदा जिंदगी कुछ दिन तक ठीक चली। दोनों की एक बेटी हुई जिसका नाम विधि है। इसे बाद में इंद्राणी ने पीटर से शादी करने के बाद गोद भी लिया। इसके लिए उसने बाकायदा कानूनी लड़ाई लड़ी और पीटर ने विधि को अपना मुखर्जी सरनेम भी दिया। विधि इस समय लंदन में पढ़ रही है।
इंद्राणी मुखर्जी का नाम सबसे पहले मुंबई के टैबलॉयड्स के जरिए 2002 में सामने आया। इंद्राणी का नाम उस वक्त टीवी इंडस्ट्री के सबसे ताकतवर शख्स प्रतिम ऊर्फ पीटर मुखर्जी (उस समय 46 साल) के साथ जोड़ा गया। खबरें छपी कि पीटर खुद से 16 साल छोटी इस महिला को डेट कर रहे हैं और जल्द ही दोनों शादी करने वाले हैं। इंद्राणी तब शादीशुदा थीं और उस शादी से उनकी 5 साल की बेटी (विधि) भी थी। मंगलवार को जब शीना बोरा मर्डर की खबर सामने आई तो किसी को नहीं पता था कि ये इंद्राणी की तीसरी शादी है। खुद पीटर भी जानते थे कि इंद्राणी की केवल एक ही शादी हुई है और उससे उसकी एक बेटी विधि है। पीटर और इंद्राणी की शादी को उस वक्त बहुत सुर्खियां मिली। पीटर बहुत बड़ा नाम थे। इंग्लैंड में पैदा हुए पीटर को वैश्विक स्तर पर मीडिया के शक्तिशाली बिजनसमैन रुपर्ट मर्डोक ने भारत में अपना कारोबार बढ़ाने के लिए चुना था। स्टार इंडिया के सीईओ के तौर पर पीटर सिर्फ मर्डोक के बिजनेस को ही आगे नहीं बढ़ा रहे थे बल्कि भारतीय दर्शकों के लिए 'कौन बनेगा करोड़पति' और 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' जैसे शो भी दे रहे थे। 

पीटर उस वक्त मीडिया के चहेते थे और उनकी ग्लैमरस पत्नी को ये सब रास आया। इंद्राणी स्टार इंडिया से जुड़ी थी और यहां एचआर में काम करती थी। लोग बताते हैं कि जब शुरू में इंद्राणी मुंबई आई थी तो अंग्रेजी भी ठीक-ठाक नहीं बोल पाती थी। 2007 में इस जोड़े का नाम तब चर्चा में आया जब पीटर ने स्टार इंडिया से अलग होने का फैसला किया और प्रतिद्वंदी ब्रॉडकास्ट नेटवर्क लांच करने का ऐलान किया। दंपति को जानने वाले बताते हैं कि वह इंद्राणी ही थी जिन्होंने पीटर को ऐसा जोखिम उठाने के लिए तैयार किया और इसी वजह से आईनेक्स नेटवर्क बना भी। पीटर का स्टार से निष्कासन को लेकर लफड़ा चल रहा था और अपने कॉन्ट्रेक्ट की वजह से वह सीधे इससे नहीं जुड़ सके, तब तक तकनीकी रूप से इंद्राणी ने ही इसकी कमान संभाली। आधिकारिक रूप से, इस दंपति के पास आईएनएक्स मीडिया के 50 फीसदी शेयर हैं। बाकी हिस्सा न्यू सिल्क रूट, तेमासेक होल्डिंग और न्यू वेरनॉन प्राइवेट इक्विटी जैसे निवेशकों के बताए जाते हैं। 17 मनोरंजन और समाचार चैनलों वाले ग्रुप आईएनएक्स की फाउंडर और सीईओ बनने पर इंद्राणी ने एक और नया मुकाम भी हासिल किया। बिजनेस प्रेस में इंद्राणी एक आम चेहरा बन चुकी थीं और उनके साथ दुनिया की सबसे युवा महिला सीईओ होने का नाम भी जुड़ा। वह वॉल स्ट्रीट जरनल की 50 महिलाओं की लिस्ट में जगह बनाकर इंदिरा नूई के साथ कंधे से कंधा मिलाने लगी।
इंद्राणी की नई उड़ान हालांकि उनके चैनल के लिए भाग्यशाली साबित नहीं हो रही थी। हाई प्रोफाइल लांचिंग और मीडिया में जोरदार प्रचार के बावजूद उनके नेटवर्क ने प्रतियोगी बाजार में कोई अहम मौजूदगी दर्ज करा पाने में कामयाबी हासिल नहीं की। इसी वक्त, इंद्राणी का मशहूर पत्रकार वीर सांघवी के साथ झगड़ा सतह पर आ गया। सांघवी ने आईएनएक्स न्यूज वेंचर बतौर सीईओ जॉइन किया था लेकिन एक चेयरपर्सन के तौर पर इंद्राणी कमान अपने हाथ में चाहती थी। सांघवी की उनके साथ लड़ाई स्वतंत्रता के लिए ही थी। इस लड़ाई में सांघवी की हार हुई और यह सार्वजनिक भी हुई लेकिन सांघवी और उनकी टीम ने अपनी तरफ की कई बातों को सामने आने से रोक लिया। कहानी के हिस्से में, इंद्राणी के बड़े प्रोफाइल को बड़ा धक्का पहुंच सकता था। इस दंपति ने इसके बाद देश में रहना ठीक भी नहीं समझा और यूके के ब्रिस्टल में शिफ्ट हो गए। परिवार के एक करीबी ने बताया कि दोनों काफी हद तक यूके में ही बस चुके हैं लेकिन मुंबई के वर्ली स्थित अपने घर भी उनका आना-जाना बना रहता है। हालांकि, इस साल की शुरुआत में वह फिर वापस आए थे और फिर से यहीं बसने की योजना बना रहे थे।
एक थी शीना
इंद्राणी और सिद्धार्थ दास की बेटी शीना और बेटी मिखाइल में केवल एक साल का अंतर था। असम में रहने वाले इनके नजदीकी लोगों को कहना है कि सिद्धार्थ से इंद्राणी का प्यार कच्ची उम्र का प्यार था और दोनों बहुत जल्द ही मां-बाप बन गए। महत्वाकांक्षी इंद्राणी ने अपनी जिंदगी को शानदार बनाने के लिए एक बहुत बड़ा कदम उठाने का फैसला किया। उसने सिद्धार्थ से अलग होकर अपने दोनों बच्चों को पिता उपेन बोरा के हवाले कर दिया और अपनी जिंदगी बनाने के लिए निकल गई।


शीना-राहुल
बेटे मिखाइल ने मीडिया को बताया भी कि हम दोनों को इंद्राणी ने सिखाया था कि वह मुंबई में उन्हें अपने भाई बहन के रूप में परिचित कराएगी क्योंकि वहां उसका बहुत बड़ा नाम है। दोनों को लगा कि अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए उनका इंद्राणी की बात मानना बहुत जरूरी था। इसलिए वे चुप रहे। स्कूल पूरा करने के बाद इंद्राणी शीना को अपने साथ मुंबई ले गई। मिखाइल ने दिल्ली में नौकरी शुरू कर दी लेकिन बूढ़े नाना-नानी की वजह से वह वापस गुवाहटी लौट गया। बताया जाता है कि इंद्राणी उसे 40 हजार रुपये महीने देती थी मां-बाप की देखभाल के लिए। इसके अलावा उसने एक गेस्ट हाउस भी उनके लिए वहां बनवा दिया था। जिसका किराया मिखाइल ही लेता है। शीना के स्कूल की टीचर बताती हैं कि जब उसने इंद्राणी व पीटर की शादी की खबर अखबारों में पढ़ी थी तो वह फूट-फूटकर रोई थी। उसे दुख इस बात का था कि उन दोनों वह अपनी बेटी नहीं मानती थी जबकि दूसरी शादी से हुई बेटी विधि को उसने बाकायदा अपने बेटी के रूप में गोद ले लिया था। वैसे शीना के पिता सिद्धार्थ ने एकाध बार गुवाहटी के स्कूल में उसकी पैरेंट मीटिंग भी अटंैड की। शीना ने 2006 में गुवाहटी छोड़ दिया और इंद्राणी के साथ मुंबई चली गई। वहां उसने सेंट जेवियर्स में इकानोमिक्स की पढ़ाई की और 2009 में एक निजी कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। मुंबई में ही पढ़ाई के दौरान शीना और राहुल (पीटर का बेटा) नजदीक आए।






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