Saturday 1 August 2015

याकूब की बीवी को बनवाना चाहता था सपा नेता राज्यसभा सांसद, मुलायम ने पार्टी से निकाला

मुंबई/नई दिल्ली :महाराष्ट्र के समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद फारूक घोसी 'आतंकी सियासत' करके फंस गए। समाजवादी पार्टी ने मुंबई में विस्फोट के सिलसिले में फांसी की सजा पाए याकूब मेमन की पत्नी को राज्यसभा भेजने का आग्रह कर एक विवाद खड़ा करने वाले पार्टी नेता मोहम्मद फारूक घोसी को शनिवार को निलंबित कर दिया। सपा के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबु आसिम आजमी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष से विमर्श किए बिना अपनी मांग को ले कर मीडिया में जाने पर घोसी के खिलाफ कार्रवाई की गई। इस प्रकरण में मुलायम सिंह यादव के कदम को सराहा भी जा रहा है। अब तक माना जाता रहा है कि सपा मुसलिम मतों के लिए कुछ भी कर सकती है लेकिन यहां मुलायम सिंह ने नई मिसाल कायम की है।
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी नेता घोसी ने पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव से 1993 के श्रृंखलाबद्ध विस्फोट के सिलसिले में फांसी की सजा पाए याकूब मेमन की पत्नी को राज्यसभा भेजने का आग्रह कर एक विवाद खड़ा कर दिया। जिसके बाद समाजवादी पार्टी ने घोसी द्वारा सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखकर याकूब मेमन की पत्नी को ‘संसद भेजने’ की सिफारिश से पल्ला झाड़ लिया। सपा के प्रान्तीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने इस पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सपा मुखिया से मुम्बई बम धमाकों के जुर्म में गत 30 जुलाई को फांसी की सजा पाये याकूब मेमन की पत्नी राहीन को सांसद बनाने की गुजारिश फारूक की निजी भावना हो सकती है, मगर इसे पार्टी का रख नहीं माना जा सकता। वह तो फारूक को जानते तक नहीं हैं।
बहरहाल, सपा के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबु आसिम आजमी ने घोसी की टिप्पणी को उनकी ‘निजी’ और ‘गैर जिम्मेदाराना’ करार देते हुए उनसे सफाई मांगी है। सपा की महाराष्ट्र इकाई के उपाध्यक्ष घोसी ने यादव को लिखे अपने एक पत्र में मेमन की पत्नी राहीन को ‘बेसहारा’ बताया है। सपा नेता ने कहा कि राहीन कई साल तक जेल में रही। उसने कितना झेला होगा, आज मैं राहीन को बेसहारा पाता हूं और देश में ऐसे ढेर सारे मुसलमान हैं जो खुद को बेसहारा पाते हैं और जिनके लिए हमें संघर्ष करना है। हमें राहीन को राज्यसभा सदस्य बनाना चाहिए और उसे कमजोर एवं बेसहारा लोगों की आवाज बनाना चाहिए। बहरहाल, सपा के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबु आसिम आजमी ने इसे ‘गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी’ कह कर इस मामले से खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने कहा कि इस पत्र पर घोसी से सफाई मांगी जाएगी। आजमी ने कहा कि उन्होंने (घोसी ने) गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करने से पहले पार्टी से संपर्क नहीं किया। उन्होंने निजी तौर पर यह पत्र लिखा है। उनसे अपना रूख स्पष्ट करने के लिए कहा जाएगा जिसके बाद उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस ने कहा कि मेमन को फांसी की सजा देने का फैसला उच्चतम न्यायालय का है और इस लिए इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाए। उन्होंने कहा कि नेताजी (मुलायम) ने हमेशा मजलूमों और असहायों का साथ दिया है। उन्होंने फूलनदेवी और अबू आसिम आजमी को भी अदालत से बरी होने के बाद संसद में भेजा था। याकूब की पत्नी की वकालत करने पर गलत संदेश जाने के सवाल पर फारूक ने कहा कि जहां तक संदेश की बात है तो जिसको न्यायालय ने बरी कर दिया है उसको मुख्यधारा में लाया जाएगा तो इसमें क्या गलत होगा। हालांकि इस मामले में जल्दबाजी करने की बात स्वीकार करते हुए फारूक ने कहा ‘सपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख अबू आसिम आजमी समेत कई शुभचिन्तकों ने मुझसे बातचीत करके इस जल्दबाजी के बारे में बताया है। मैं भी मानता हूं कि मुझसे जल्दबाजी हो गई। घोसी की इस मांग पर कांग्रेस, भाजपा और शिवसेना ने तीखी प्रतिक्रिया की है।



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