Friday 25 September 2015

मुजफ्फरनगर दंगे के असली दोषी तो यूपी सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे हैः संजीव बालियान

केंद्रीय मंत्री ने उठाए जांच आयोग की रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल 

नई दिल्ली/मुजफ्फरनगर:
दो साल पहले वेस्ट यूपी के मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगे की जांच रिपोर्ट में राजनेताओं पर सवाल उठ जाने के बाद भाजपा की ओर सबसे अधिक प्रतिक्रयाएं आई हैं। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने प्रतिक्रया देते हुए कहा है कि इन दंगों के असली दोषी तो उत्तर प्रदेश सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे हुए हैं। बालियान ने कहा है कि दंगों की जांच तब तक अधूरी है जब तक कि असली दोषियों तक न पहुंचा जाए। संजीव ने कहा कि जिस समय मुजफ्फरनगर के कवाल में मुख्य घटना हुई थी तो यूपी सरकार के एक बड़े नेता ने यहां के डीएम व एसएसपी का ही तबादला करा दिया था। 24 घंटे तक जिला बिना डीएम व एसएसपी के हो गया था और कोई कानून-व्यवस्था देखने वाला नहीं था।
अपनी प्रतिक्रया देते हुए संजीव बालियान ने कुछ टीवी चैनलों पर भी कहा कि मुजफ्फरनगर के दंगों में हजारों लोगों को बेगुनाह आरोपी बना दिया गया। जो लोग गांव में रहते भी नहीं हैं उन्हें भी आरोपी बना दिया गया। इससे लोगों का विश्वास प्रदेश की सरकार व पुलिस से उठ गया और अराजकता का माहौल पूरे प्रदेश में व्याप्त हो गया। खुद उन्होंने बहुत से लोगों के नाम आरोपियों के सूची में से निकलवाए लेकिन आज भी न जाने कितने लोग निर्दोष जेल में बंद हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश की सरकार से निष्पक्ष जांच की तो उम्मीद ही नहीं की जा सकती।
बता दें, अगस्त 2013 के अंत में कवाल में तिहरे हत्याकांड के बाद ये दंगा शुरू हुआ था। जहां एक ओर जाट समुदाय पंचायत कर अपना विरोध जता रहा था तो वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय ने खालापार में जुमे की नमाज के बाद सभा करके अपना विरोध जताया था। इस सभा पर जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई थी। जाट समुदाय का कहना था कि उन्हें पंचायत करने से रोका जा रहा है जबकि खालापार में धारा 144 का उल्लंघन करके आयोजित की गई सभा में डीएम व एसएसपी खुद पहुंच गए थे। इसी वजह से नंगला मंदौड़ में जाटों ने पंचायत की थी और प्रतिबंध के बावजूद हजारों की भीड़ वहां जुटी थी। 31 अगस्त 2013 को नंगला मंदौड़ में पंचायत हुई तो उसकी कमान पूरी तरह से भाजपा नेताओं के हाथ में रही थी। इसमें विधायक संगीत सोम, कुंवर भारतेंद्र सिंह, सुरेश राणा व संजीव बालियान समेत तमाम भाजपा नेता मंच पर रहे थे।
सात सितंबर 2013 को हुई दूसरी पंचायत के बाद हालात और बिगड़ गए थे। पंचायत से लौटते ग्रामीणों पर जौली गंगनहर, सिखेड़ा, पुरबालियान में हमले हुए। आरोप है कि यहां से लौटते ग्रामीणों पर गोलियों से हमला किया गया और उनके ट्रैक्टर जौली की नहर में धकेल दिए गए। कई लोग मारे गए और उनकी लाश भी नहीं मिली थी।इसी वाकये के विरोध में पूरे जिले में गांव-गांव में दंगा फैल गया था।
इसी की जांच के लिए जस्टिस विष्णु सहाय आयोग का गठन राज्य सरकार ने किया था और उसकी रिपोर्ट गवर्नर रामनईक को सौंपी गई है। रिपोर्ट में क्या है, किन्हें दोषी ठहराया गया है, ऐसे ही अनगिनत सवाल उठ रहे हैं। सात सितंबर 2013 को नंगला मंदौड़ की पंचायत के बाद भड़की हिंसा में मुजफ्फरनगर और शामली में 62 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था, जबकि 50 हजार से ज्यादा बेघर हो गए थे। जस्टिस सहाय आयोग ने जिले में कैंप कार्यालय बनाकर दंगा पीड़ितों के लिखित बयान दर्ज किए थे। पूरी प्रक्रिया में 375 लोगों के बयान लिए गए। पूरी अवधि में सहारनपुर और मेरठ मंडल में तैनात रहे 101 अफसरों को भी आयोग के समक्ष पेश होना पड़ा था।
भाजपा के थानाभवन से विधायक सुरेश राणा ने कहा है कि ये रिपोर्ट एकतरफा है और इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। जबकि इस दंगे में सबसे ज्यादा चर्चाओं में रहे सरधना विधायक ठाकुर संगीत सिंह सोम ने कहा है कि उनसे तो उनका पक्ष ही नहीं पूछ गया फिर वे कैसे माने लें कि जांच सही की गई है?

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